Friday, 19 September 2025
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नगर निगम शिमला के मनोनीत पार्षद संजीव सूद गलत शपथ पत्र के दोषी करार -निदेशक ने अयोग्य ठहराया

सचिव शहरी विकास के पास पांच माह से आगामी कारवाई के लिये मामला लंबित
कांग्रेस ने उठाये सवाल


शिमला/शैल। नगर निगम शिमला के मनोनीत पार्षद संजीव सूद को निदेशक शहरी विभाग हिमाचल प्रदेश ने झूठा शपथ पत्र दायर करने का दोशी पाते हुए उन्हें पार्षद बनने के लिये अयोग्य पाते हुए उन्हें निलंबित करने का आदेश पारित किया है। निदेशक शहरी विकास ने 3-11-2020 को इस आशय का आदेश पारित करते हुए इस मामले की फाईल अगले आदेशों के लिये प्रदेश सरकार के सचिव शहरी विकास विभाग को भेज दी थी। लेकिन 3-11-2020 को हुए इस आदेश पर पांच माह में अगली कारवाई नहीं हो पायी है। शिमला शहरी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व पार्षद जितेन्द्र चौधरी ने इस विषय पर सरकार के आचरण को लेकर गंभीर सवाल उठाये हैं। जितेन्द्र चौधरी ने इस संद्धर्भ में आयोजित पत्रकार वार्ता में स्थानीय विधायक एंवम मन्त्री शहरी विकास विभाग और मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर पर इस मामले में पक्षपात करने के आरोप लगाये हैं। संजीव सूद ने इस मामले में यह कहा है कि उनके ऊपर लगे अवैध कब्जे के आरोप में दो बार डिमार्केशन हुई है और इसमें अवैधता नहीं पायी गयी है।
स्मरणीय है कि जब संजीव सूद को नगर निगम शिमला के लिये पार्षद मनोनीत किया गया था तब एक रोकश कुमार ने 28-2-2020 और फिर 20-3-2020 को मुख्यमन्त्री, सचिव शहरी विकास और आयुक्त नगर निगम शिमला को शिकायत भेजी थी कि संजीव सूद ने पार्षद के लिये गलत शपथ पत्र दायर किया है। जबकि उसके खिलाफ अधिनियम की धारा 253 और 254 (1) के तहत मामला दर्ज था और लंबित चल रहा था। यह दोनो शिकायतें सरकार ने निदेशक शहरी विकास को 29-5-2020 को यह जांचने के लिये भेज दी कि इनके परिदृश्य मेे संजीव सूद पार्षद मनोनीत होने के लिये पात्र हैं या नहीं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि निदेशक शहरी विकास को इस सबकी सूचना राकेश कुमार ने 26-5-2020 को दे दी थी। लेकिन निदेशक के यहां से कोई कारवाई न होने पर राकेश कुमार ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत अदालत में मामला दर्ज करवा दिया। इस पर अदालत ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश कर दिये और अन्ततः यह एफआईआर दर्ज भी हो गयी।
संजीव सूद के खिलाफ दो आरोप लगे है। एक है कि उसने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया है। इसको लेकर एसडीएम शहरी के पास अभी तक मामला लंबित चल रहा है और इसको लेकर निदेशक ने कोई आदेश पारित नहीं किये हैं। दूसरा आरोप लगा था कि उसने 5.25 वर्ग मीटर का एक अवैध निर्माण कर रखा है। इस अवैध निर्माण को लेकर आयुक्त नगर निगम के पास मामला चला। वहां पर संजीव सूद ने यह ब्यान दे दिया कि उसने निर्माण को हटा दिया है और इस आशय का आयुक्त के पास शपथ पत्र भी दायर कर दिया। इस शपथ पत्र पर निगम के अधिकारी ने मौके का निरीक्षण किया तो पाया कि अवैध निर्माण को हटाने की बजाये 206.42 वर्ग मीटर का अवैध निर्माण कर रखा है जिसको लेकर निगम आयुक्त के पास अभी भी मामला लंबित चल रहा है। इस तरह निगम आयुक्त के पास अवैध निर्माण को लेकर गलत शपथ पत्र दायर करने का दोषी पाये जाने पर निदेशक शहरी विकास ने मामले का जांच अधिकारी होने के नाते संजीव सूद को पार्षद होने के लिये आयोग्य करार दिया है।
सचिव शहरी के पास निदेशक का यह फैसला पांच माह से आगामी कारवाई के लिये लंबित पड़ा हुआ है। इस समय चार नगर निगमों के लिये चुनाव चल रहे हैं। ऐसे में इस समय कांग्रेस को यह मामला सरकार पर हमला करने के लिये एक सशक्त हथियार मिल गया है।

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