शिमला/शैल। इस समय भाजपा शासित किसी भी राज्य में महिला मुख्यमन्त्री नहीं है। केन्द्रिय मन्त्रीमण्डल के फेरबदल मे इस बार महिलाओं को अधिमान दिया गया है। लेकिन कोई भी महिला मुख्यमन्त्री न होना भाजपा हाई कमान में सूत्रों के मुताबिक चिन्ता और चिन्तन का विषय बना हुआ है। प्रदेश भाजपा कोर कमेटी की जब शिमला और धर्मशाला में मन्थन बैठक हुई थी और उसमें सरकार तथा संगठन के काम काज का आकलन हुआ था। तब उसी दौरान दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा तथा प्रदेश से राज्य सभा सांसद महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामन्त्री इन्दु गोस्वामी में भी एक बैठक हुई थी। प्रदेश कोर कमेटी की बैठक के बाद तैयार हुई रिपोर्ट कार्ड में बड़े पैमाने पर नान परफारमैन्स का जिक्र हुआ है यह बाहर आ चुका है। इसी के साथ जलशक्ति मन्त्री महेन्द्र सिंह के कुछ ब्यानों ने भी विवाद की स्थिति पैदा कर दी है। सरकार की वर्किंग को लेकर भी सवाल उठने शुरू हो गये हैं। प्रदेश के 47 कॉलिजों में नियमित प्रिंसिपल नहीं है। एचपीएमसी के परवाणु प्लांट से 60 लाख के जूस के गायब पाये जाने पर अभी कोई कारवाई सामने नहीं आयी है। परिवहन निगम द्वारा दो सौ बसें खरीदने का प्रयास किया जाना जबकि फील्ड से इस तरह की कोई मांग न आयी हो। बल्कि पहले से खरीदी हुई कई बसें अभी तक ऑपरेशन में ही नहीं आ पायी हैं। निगम में ड्राईवरों और परिचालकों के कई पर रिक्त हैं। सेवनिवृत कर्मीयों को पैन्शन आदि का नियमित भुगतान न हो पाने पर यही कर्मी पत्रकार वार्ताओं के माध्यम से अपनी समस्या सरकार और निगम प्रबन्धन के सामने रख चुके हैं। ऐसे हालात में भी नयी बसें खरीदने की कवायद करना सरकार की नियत और नीति पर सवाल उठायेगा ही। ऐसी वस्तुस्थिति जब हाई कमान के संज्ञान में आयेगी तो निश्चित रूप से इसका कड़ा संज्ञान लिया ही जायेगा।
सूत्रों की माने तो हाई कमान के सामने यह सारे मुद्दे आ चुके हैं। कोर कमेटी की बैठक के बाद जब प्रवक्ता ने नेतृत्व के प्रश्न पर जवाब दिया था उस जवाब पर भी शायद बीएल सन्तोष ने अप्रसन्नता व्यक्त की थी। प्रदेश की इन परिस्थितियों के परिदृश्य में अब जब मुख्यमन्त्री दिल्ली गये थे तब यह चर्चा फैल गयी थी कि शायद हाई कमान प्रदेश में महिला मुख्यमन्त्री लाने का प्रयोग करने जा रहा है। इस प्रयोग में इन्दु गोस्वामी का नाम सामने आया था। कांगड़ा में तो यह चर्चा बहुत जोरों पर थी बल्कि सचिवालय तक भी आ पहुंची थी। सूत्रों के मुताबिक इन्दु गोस्वामी के संज्ञान में भी यह सब रहा है और उन्होंने ऐसी चर्चाओं का कोई खण्डन भी नहीं किया है। माना जा रहा है कि भाजपा हाईकमान महिला मुख्यमन्त्री लाने का गंभीरता से विचार कर रहा है। यह प्रयोग हिमाचल में किया जाता है या किसी अन्य प्रदेश में इस पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। ऐसे में यदि मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर अपनी टीम में नॉन परफार्मरज़ के खिलाफ कोई कदम नही उठा पाते हैं तो आने वाले दिनों में कुछ कठिनाईयां बढ़ना तय है। वैसे इस नॉन परफार्मिंग का पता इन आने वाले उपचुनावों में लग जायेगा।