Friday, 19 September 2025
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भाजपा को वोट नहीं उपचुनावों से ही शुरू हो जायेगा किसान नेताओं का विरोध

शिमला/शैल। अनुराग ठाकुर की जन आशीर्वाद योजना से प्रदेश को क्या हासिल हुआ है? प्रदेश सरकार और भाजपा को इससे क्या लाभ मिलेगा? यह वह सवाल है जिन पर अब इस यात्रा के बाद चर्चाएं उठेंगी। प्रदेश में यह यात्रा पूरी तरह सफल रही है यदि यात्रा के दौरान अनुराग को देखने, मिलने आयी भीड़ को सफलता का मानक माना जाये। जब यह यात्रा पहले दिन हिमाचल भवन चण्डीगढ़ से शुरू हुई थी तो वहां पर किसान नेताओं ने इस यात्रा का विरोध किया था। केन्द्र सरकार से कुछ सवाल उठाये थे लेकिन यात्रा के आयोजकों ने किसान नेताओं से जिस तरह से अभद्र व्यवहार किया और अनुराग ठाकुर ने न तो इस व्यवहार पर कोई टिप्पणी की और न ही किसान नेताओं से मिलने का प्रयास किया। किसान पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से आन्दोलन पर हैं। पंजाब-हरियाणा में इस आन्दोलन का प्रभाव सामने भी आ चुका है। हिमाचल पर पंजाब-हरियाणा का बहुत असर पड़ता है इसको नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता। चण्डीगढ़ में हुए इस तरह के व्यवहार का ही परिणाम है कि प्रदेश किसान संयुक्त मोर्चा के नेताओं और हिमाचल किसान यूनियन के नेताओं ने शिमला में एक पत्रकार वार्ता का आयोजन करके यह घोषणा कर दी है कि वह हिमाचल में आगे आने वाले उपचुनावों में भाजपा के विरोध में काम करेंगे। प्रदेश की जनता से भाजपा को वोट न देने की अपील करेंगे। किसान नेताओं अनेंन्द्र सिंह नॉटी और डा. कुलदीप तन्वर ने साफ ऐलान किया है कि राकेश टिकैट मण्डी और कुल्लु में जन सभाएं करके किसानों को जागरूक करेंगे। अर्की, जुब्बल-कोटखाई और फतेहपुर में संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन के अन्य नेता जनता को भाजपा के खिलाफ जागरूक करेंगे। किसान नेताओं ने साफ कहा है कि उनका भाजपा के खिलाफ यह कार्यक्रम 2024 तक जारी रहेगा।
किसान आन्दोलन तब तक जारी रहेगा जब तक तीनों कृषि विधेयकों को केन्द्र वापिस नही ले लेता। इस समय जिस तरह का स्टैण्ड केन्द्र ने ले रखा है उससे यह इंगित होता है कि 2024 तक किसान आन्दोलन चलेगा और भाजपा को इसका नुकसान उठाना ही पड़ेगा।
इस परिपेक्ष में भाजपा के हर नेता को किसान समस्याओं और किसान आन्दोलन पर अपनी एक अलग समझ भी बनानी होगी जिसमें अनुराग ठाकुर से शायद चूक हो गयी है या वह अन्दाजा ही नहीं लगा पाये कि इस यात्रा के दौरान ही किसान नेताओं का ऐसा स्टैण्ड सामने आ जायेगा और उपचुनावों में ही प्रदेश सरकार को इसका सामना करना पड़ जायेगा।

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