Friday, 19 September 2025
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क्या जयराम सरकार औेर संघ में नीति विरोध है ऐमेजोन पर पांचजन्य की टिप्पणी से उठी चर्चा

शिमला/शैल। जयराम सरकार के कृषि एवम ग्र्रामीण विकास मंत्री विरेन्द्र कंवर ने एक ब्यान में कहा है कि प्रदेश सरकार अपने कृषि उत्पाद ऐमेजोन और फिल्पकार्ड जैसे ई-प्लेटफार्मो के माध्यम से बचेगी। जब विरेन्द्र कंवर यह घोषणा कर रहे थे तभी संघ का मुख पत्र पांचजन्य ऐमेजोन को दूसरी ईस्ट इंडिया कंपनी कह रहा था। पांचजन्य का आरोप है कि ऐमेजोन की कार्यशैली वैसी ही है जैसी की ईस्ट इंडिया कंपनी की थी जिसके माध्यम से अंग्रेजों ने भारत पर तीन सौ वर्ष राज किया है। ऐमेजोन ने पांचजन्य के इस आरोप को सिर से खारिज करते हुए दावा किया है कि 35 लाख उद्योग उसके साथ जुडे हैं और दो सौ देशों में वह अपना सामान बेच रहे हैं। संघ की ईकाई रहा स्वदेशी जागरण मंच ऐमेजोन जैसे ई-प्लेट फार्मो का वैचारिक धरातल पर ही विरोधी रहा है और आज किसान आंदोलन में भी यह ई-प्लेटफार्म एक बडा मुद्दा बने हुए हैं।
ऐसे में यह एक स्वभाविक सवाल बनता है कि सरकार का एक मंत्री ऐसा नीतिगत वक्तव्य तभी दे सकता है जब सरकार ने ऐसा कोई फैसला लिया हो। भाजपा की सारी नीतियां संघ से अनुमोदित होकर आती है यह सभी जानते हैं। इसलिये अब यह सवाल उठने लग पड़ा है कि क्या जयराम सरकार संघ की नीतियों का विरोध करने का साहस रखती है। वैसे जय राम सरकार के कई और फैसले भी पिछले दिनों ऐसे आये हैं जिनसे सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठने लग पडे हैं। सरकार ने अपने कर्मचारियों को 6 प्रतिशत मंहगाई भत्ते की किश्त जारी करने का ऐलान किया और इस फैसले के बाद आई ए एस तथा आई पी एस अधिकारियों को यही मंहगाई भत्ता 11 प्रतिश्त देने की घोषणा कर दी। इससे सरकार का यह ज्ञान सामने आया कि कर्मचारियों की बजाये बड़े अधिकारी मंहगाई से ज्यादा पीडित है। इसलिये उन्हें दो गुणी राहत दी जानी चाहिये। लेकिन सरकार इस फैसले पर दो दिन भी नही टीक पायी और तीसरे दिन यह 11 प्रतिश्त भत्तों का फैसला वापिस ले लिया।
यही नही सरकार की और बड़ी उपलब्धि सामने आयी है। अब लोक निमार्ण, जलशक्ति, विद्युत और स्थानीय निकाये जैसे विभागों में सौ से अधिक टैण्डर रद्द हुए हैं। जिनके लिये धन का प्र्रावधान एशियन विकास बैंक जैसी संस्थाओं से लिये गये ऋण से किया गया है। चिन्तपुरनी मन्दिर में और इसके इर्द-गिर्द किये जा रह कार्यों के लिये धन का प्रावधान इसी बैंक के पैसे से है। अभी सरकार ने एक हजार करोड़ का ऋण पिछले दिनों ही लिया है। वैसे यह टैण्डर रद्द होने का कारण तकनीकी कहा गया है। सही स्थिति क्या है इस पर कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नही है। वैसे लोकनिमार्ण विभाग को लेकर जो याचिका CWP 3356/21 प्रदेश उच्च न्यायालय में लंबित है उसमें विभाग की स्थिति को लेकर जो कुछ कहा गया है वह काफी चौकाने वाला है।

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