Friday, 19 September 2025
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पुलिस भर्ती मामले में पुलिस के खिलाफ पुलिस की ही जांच कैसे विश्वसनीय होगी

शिमला/शैल। अंततः पुलिस भर्ती रद्द हो गयी है। क्योंकि इसमें परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो गया। यह परीक्षा 29 मार्च को हुई थी और रद्द अब मई में हुई जब इसका परिणाम घोषित होने के बाद भर्ती की अगली प्रतिक्रिया भी शुरू हो गयी। स्मरणीय है कि इस पेपर लीक होने की चर्चा मार्च में ही शुरू हो गई थी। उस समय सरकार और पुलिस विभाग ने पेपर लीक होने को सिरे से खारिज कर दिया था। लेकिन यह परीक्षा देने वाले छात्र लगातार पेपर लीक होने का आरोप लगाते रहे। जिसे अन्ततः एस पी कांगड़ा ने अपनी जांच में सही पाया और इसमें चार लोगों की गिरफ्तारी भी कर ली। आठ लाख में यह पेपर बिकने का आरोप लगा है। सरकार ने इस परीक्षा को रद्द करके इसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया। अब जब इसमें जांच बिठा दी गयी है तो इस पर कुछ अधिक कहना जांच को प्रभावित करना बन जायेगा। इसलिये इसमें जांच को लेकर ही कुछ सवाल उठाना आवश्यक हो जाता है।
यह मामला पुलिस भर्ती से जुड़ा है। इस परीक्षा का पूरा संचालन पुलिस विभाग के अपने ही पास था। जिसमें पेपर तैयार करने, परीक्षा करवाने, प्रश्न पत्रों को जांचने आदि का सारा काम पुलिस विभाग के अपने ही पास था। प्रश्न पत्रों की प्रिंटिंग से लेकर परीक्षा केंद्र तक उनको ले जाने का पूरा काम पुलिस के पास था। ऐसे में जब इसमें पेपर लीक हुआ है तो उसमें भी कहीं न कहीं किसी पुलिस वाले की भूमिका अवश्य रही होगी। जिसका अर्थ है कि इसमें आदेशित जांच भी पुलिस के ही खिलाफ है। इसलिये पुलिस के खिलाफ जांच की जिम्मेदारी भी पुलिस को दे दी गयी है। लेकिन जब बहुचर्चित गुड़िया कांड में पुलिस हिरासत में ही मौत हो जाने के मामले की जांच पुलिस को ही दे दी गयी थी तब उसमें यह सवाल उठा था कि पुलिस के खिलाफ पुलिस की ही जांच पर कोई कितना विश्वास कर पायेगा। तब यह जांच पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दी गयी थी।
आज उसी तर्ज पर यह सवाल उठा रहा है कि अब भी पुलिस के खिलाफ पुलिस को ही जांच सौंप दी गयी है। इसलिये इस पर भी कोई विश्वास कैसे और क्यों करेगा। प्रदेश में इस तरह की परीक्षाओं में पेपर लीक का यह शायद तीसरा मामला है। पहले के मामलों में भी जाचें बिठायी गयी है। लेकिन उनका परिणाम क्या रहा है यह कोई नही जानता। आज चुनाव की पूर्व सन्ध्या पर घटा यह मामला और इसमें जांच भी पुलिस को ही सौंप देना सरकार की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर जाता है। क्योंकि इस जांच के अदालती परिणाम से पहले अगली भर्ती प्रक्रिया की घोषणा कर दी गयी है।

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