Thursday, 18 September 2025
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भाजपा की आक्रामकता के राजनीतिक मायने क्या है?

शिमला/शैल। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश के कर्मचारियों को 4 प्रतिशत डी.ए. जो जनवरी 2023 से देय था देने की घोषणा की है। इसी के साथ प्रदेश के सारे कर्मचारीयों को निगमों/बोर्डों सहित वेतन की अदायगी भी इसी माह की 28 तारीख को करने की घोषणा करके इस आश्य के आदेश भी जारी कर दिये हैं। पैन्शनरों को भी यह अदायगी 28 तारीख को ही हो जायेगी। मुख्यमंत्री का यह फैसला प्रदेश की कठिन वित्तीय स्थिति पर उठते सवालों के बीच महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लेकिन इसी फैसले के साथ यह सवाल भी उठाना शुरू हो गया है कि क्या भविष्य में भी यह भुगतान इसी तरह सुनिश्चित हो पायेंगे। इसी के साथ यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या अन्य लोगों के भुगतान भी इसी तरह समय पर हो जायेंगे जो कर्मचारी नहीं हैं। क्योंकि काफी अरसे से ठेकेदार और दूसरे सप्लायर भी यह शिकायत कर रहे हैं कि उनके भुगतान भी काफी अरसे से अटके पड़े हुये हैं। प्रदेश के कर्मचारियों के तो संगठन है और वह अपनी आवाज इनके माध्यम से सरकार तक पहुंचा सकते हैं। लेकिन जिन ठेकेदारों के माध्यम से विकास कार्यों को फील्ड में अंजाम दिया जा रहा है यदि उनके भुगतान समय पर न हुये तो उससे विकास कार्यों पर ब्रेक लग जायेगी और वह सरकार के लिये और भी नुकसान देह स्थिति होगी। इसलिये वित्तीय स्थिति और उसके प्रबंधन का टेस्ट आने वाले दिनों में होगा। लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों और पैन्शनरों के यह भुगतान करने का ऐलान किया तो उस पर भी भाजपा ने तुरन्त यह कह दिया है कि यह सब कुछ केन्द्र द्वारा 1479 करोड़ की एडवांस अदायगी कर देने से संभव हुआ है। जबकि अब तक केन्द्र ने हिमाचल को उसके हिस्से से ज्यादा आदायगी नहीं की है। परन्तु भाजपा का सारा नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर नीचे तक यह सन्देश देने में लगा हुआ है कि प्रदेश सरकार केन्द्र के सहयोग के बिना एक दिन भी नहीं चल सकती। बल्कि जेपी नड्डा जब पिछले दिनों बिलासपुर आये थे तब जो ब्यान उनका आया वह विश्लेषकों की नजर में एक तरह का चुनावी भाषण ही था। भाजपा का हर नेता जिस तरह से सरकार के खिलाफ आक्रामक हो उठा है और आपदा राहत में घपला होने का आरोप लगा रहा है उससे यह कुछ अलग ही तरह का संकेत और संदेश जा रहा है। भाजपा नेता सुक्खू सरकार को एकदम असफल और भ्रष्टाचार में लिफ्त होने का तमगा देते जा रहे हैं। भाजपा के इन आरोपों का सरकार और कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई कारगर जवाब नहीं आ रहा है। भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है और सरकार कांग्रेस द्वारा ही विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व सरकार के खिलाफ सौंपी अपनी ही चार्जशीट पर कोई कारवाई नहीं कर पा रही है। इससे सरकार पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को स्वतः ही बल मिल जाता है। इस समय केन्द्र सरकार के सहयोग पर जहां मुख्यमंत्री फूटी कौड़ी भी न मिलने की बात कह रहे हैं वहीं पर उनके ही कुछ मंत्री इस सहयोग को रिकॉर्ड पर लाकर मोदी सरकार का धन्यवाद कर रहे हैं। इस तरह सरकार में ही उठते इन अलग स्वरों का राजनीतिक अर्थ बदल जाता है। फिर राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा पर धनबल के सहारे इस सरकार को गिराने का प्रयास करने का आरोप लग ही चुका है। इस आरोप को प्रमाणित करने के लिये एफ आई आर तक दर्ज है। एफ आई आर जांच में हरियाणा की पूर्व खट्टर सरकार के प्रचार सलाहकार पर भी आरोप आये हैं। अब हरियाणा में पुनः भाजपा की सरकार बन गयी है। हिमाचल में दल बदल का खेल नड्डा के अध्यक्ष काल में हुआ है। अब नड्डा केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हो गये हैं लेकिन उस समय दल बदल से सुक्खू सरकार गिराई नहीं जा सकी। यह असफलता एक तरह से नड्डा के नाम पर भी है। लेकिन राज्यसभा चुनाव और उसके बाद के घटनाक्रम ने सुक्खू सरकार को अब तक चैन से बैठने नहीं दिया है। वेतन भत्ते निलंबित करने का रिकॉर्ड सदन के पटल पर आ गया है। इस समय सरकार के चार-पांच मंत्री किसी न किसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री के साथ तकरार में चल रहे हैं। कर्मचारी आन्दोलन की स्थिति पूरी तरह खत्म नही हुई है। मीडिया को पुलिस बल के माध्यम से डराने के प्रयास लगातार रिकॉर्ड पर आ रहे हैं। जनता इस सरकार को ‘‘टैक्स’’ की सरकार का तमगा दे रही है। इस तरह मित्रों के अलावा हर वर्ग सरकार से पीड़ित है। भाजपा इस स्थिति पर बराबर नजर बनाये हुये है और यह सन्देश सफलतापूर्वक दे रही है कि केन्द्र के सहयोग के बिना सरकार एक दिन नहीं चल सकती। आने वाले दिनों में जब कर्ज लेने की सीमा पार हो जायेगी तब प्रदेश का वित्तीय प्रबंधन कैसे आगे बढ़ेगा उस पर सबकी निगाहें लगी हैं। माना जा रहा है कि सरकार अपने ही बोझ से दम तोड़ने के कगार पर पहुंच रही है। भाजपा इसी स्थिति की प्रतीक्षा में है और तब सरकार तोड़ने के प्रयास एक दम गति पकड़ लेंगे। उस समय तक यदि नेतृत्व परिवर्तन की दिशा में कोई ठोस कदम न उठ सके तो सरकार और पार्टी में बगावत खुलकर सामने आ जाएगी। भाजपा अपने ब्यानों से इसी संभावित बगावत को हवा दे रही है। माना जा रहा है कि भाजपा की आक्रामकता प्रदेश को चुनावों की ओर ले जाने का एक सुनियोजित प्रयास है।

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