Thursday, 18 September 2025
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अवैध खनन प्रकरण में ई.डी. द्वारा तीसरे आरोपी के खिलाफ वारंट जारी

ई.डी के वारंट से प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म
खनन में अवैधता के साथ संबंधित जमीन भी अवैध होने की संभावना
नादौन में विलेज कामन लैण्ड की खरीद बेच आयी चर्चा में
लैण्ड सीलिंग लागू होने के बाद राजा नादौन के पास बची ही केवल 316 कनाल जमीन थी
316 कनाल के मालिक के नाम पर हजारों कनाल कैसे बिक गयी उठा सवाल
एचआरटीसी की वर्कशॉप के लिए भी ऐसी ही जमीन खरीदी गयी है
शिमला/शैल। अवैध खनन और मनी लॉडरिंग के आरोपों पर नादौन, हमीरपुर तथा अधवाणी में ई.डी. और आयकर की छापेमारी में चार लोगों के खिलाफ मामला बनाया गया था। इन चार लोगों में से दो ज्ञान चन्द और संजय की गिरफ्तारी हो चुकी है और उनके खिलाफ एक चालान भी दायर हो चुका है। इन लोगों ने हिमाचल उच्च न्यायालय से जमानत की गुहार भी लगायी थी जो अस्वीकार हो चुकी है। परन्तु इस मामले के दो अन्य कथित अभियुक्त धर्मेंद्र और संजय शर्मा ई.डी. के हाथ नहीं लगे थे। अब ज्ञान चन्द का ई.डी. ने फिर रिमांड हासिल कर लिया है। इस रिमांड के साथ ही धर्मेंद्र के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने की चर्चा है। ज्ञान चन्द के रिमांड और धर्मेंद्र के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने से यह मामला फिर प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारो में चर्चा का विषय बन गया है। क्योंकि इस वारंट जारी होने से पहले कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश के प्रभारी को अचानक बदल दिया है। इस बदलाव के बाद यह माना जा रहा है कि प्रदेश में होने वाली राजनीतिक और प्रशासनिक गतिविधियों की सही जानकारी समय-समय पर हाईकमान तक पहुंच जायेगी।
इस प्रकरण में मनी लॉडरिंग होने का आरोप तब ज्यादा गंभीर हो गया है जब इन्ही कथित अभियुक्तों द्वारा सहारनपुर में एक स्टोन क्रेशर खरीदे जाने और इस खरीद में 1.6 करोड़ का नकद भुगतान होने तथा इस भुगतान के तार नादौन के क्रेशर से जुड़े होने का आरोप लगा है। यह कैश भुगतान कहां से आया और यह पैसा किसका है यह जांच का मुख्य बिंदु बन गया है। लेकिन इस कैश भुगतान के अतिरिक्त नादौन में हुये पूरे खनन पर ही अवैधता का आरोप है। यह अवैधता कैसी है? क्या यह खनन बिना उचित अनुमतियों के किया गया? क्या जिस क्रेशर से यह खनन हुआ है वह ही अवैध रूप से ऑपरेट हुआ है? क्रेशर की अवैध्ता पर उस समय से सवाल उठने शुरू हो गये थे जब अदालत के आदेशों से इसे हटाया गया था। अवैधता के यह आरोप जांच में कितने प्रमाणित होते हैं इन सवालों से बड़ा सवाल यह हो गया है कि जिन जगहों पर यह खनन हुआ है उनका मालिक कौन है?
इस खनन में प्रयुक्त हुई जमीने संबंधित मालिकों द्वारा किसी समय राजा नादौन से खरीदी गयी कही जा रही है। यह खरीद ही सबसे बड़ी अवैधता है। क्योंकि राजा नादौन के पास लैण्ड सीलिंग एक्ट के बाद केवल 316 कनाल जमीन बची थी और एक लाख कनाल से अधिक जमीन सरकार को चली गयी थी। स्मरणीय है कि राजा नादौन को 1897 में अंग्रेज हकूमत से 1,59,986 कनाल की जागीर मिली थी जो कि रियासत के 329 गांवों में फैली हुई थी और अलग-अलग किस्म की जमीन थी। लेकिन इस जमीन के राजस्व रिकॉर्ड में यह दर्ज था कि इसके इस्तेमाल का हक स्थानीय लोगों को हासिल रहेगा। इस जमीन में से 1,01,391 कनाल जमीन की किस्म बंजर कदीम थी और यह बंजर कदीम शामलात देह के तहत विलेज कॉमन लैण्ड घोषित हो गयी। 1974 में लैण्ड सीलिंग एक्ट आने पर यह जमीन हिमाचल सरकार की हो गयी। इस जमीन पर आज की राजस्व इन्दराज में ताबे हकूक बर्तन बर्तनदारान दर्ज है। इस इन्दराज से स्पष्ट हो जाता है कि ऐसी जमीने विलेज कॉमन लैण्ड है जिनकी खरीद बेच नहीं हो सकती। 2011 में सर्वाेच्च न्यायालय ने ऐसी जमीनों की सुरक्षा के लिये देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को कड़े निर्देश देते हुये इस पर रिपोर्ट तलब कर रखी है। लेकिन नादौन में 2011 के बाद हजारों कनाल ऐसी जमीन की खरीद बेच हुई है। सबसे हैरानी वाला तथ्य यह है कि इन जमीनों को बेचने वाला व्यक्ति राजा नादौन है और उसने अपने पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से यह जमीने बेची हैं। जबकि राजा नादौन के अपने पास लैण्ड सीलिंग एक्ट 1971 से लागू होने के बाद बची ही केवल 316 कनाल जमीन थी। ऐसे में यह बड़ा सवाल खड़ा होता है कि जिस व्यक्ति के पास बची ही 316 कनाल थी उसके नाम से हजारों कनाल जमीन बिक कैसे गयी? स्पष्ट है की अदालत के फैसलों के बावजूद लैण्ड सीलिंग नादौन रियासत में राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं हुआ। ऐसी जमीनों के खरीददार कई प्रभावशाली लोग हैं। सबसे हैरान करने वाला तथ्य तो यह है कि सुक्खू सरकार ने नादौन में एचआरटीसी की ई-वर्कशॉप बनाने के लिये जो 70 कनाल जमीन 6 करोड़ 72 लाख रुपए में तीन लोगों से खरीदी है उन तीन लोगों ने भी यह जमीन राजा नादौन से 2015 में 2,40,000 में खरीदी थी। सरकार यह जमीन खरीद रही थी तो स्वभाविक है कि राजस्व विभाग से लेकर मुख्य सचिव और मुख्य मंत्री को भी इसकी जानकारी रही होगी। तब भी लैण्ड सीलिंग एक्ट और सर्वाेच्च न्यायालय के फैसलों की जानकारी न हो पाना या इस सब को नजरअन्दाज कर दिया जाना अपने में बहुत कुछ कहा जाता है।
इस परिदृश्य में लगता है कि जिन जमीनों पर अवैध खनन होने के आरोप ई.डी. ने लगाये हैं उनके मालिक भी वह संबंधित लोग न निकले। क्योंकि वहां भी गैर मुमकिन दरिया और ताबे हकूक बर्तन बर्तनदारान का इन्दराज राजस्व में है। ऐसे में अवैध खनन के साथ जमीन की अवैधता भी साथ जुड़ जाने से पूरे मामले की गंभीरता और भी बढ़ जाती है। नादौन मुख्यमंत्री का चुनाव क्षेत्र है और ई.डी. द्वारा पकड़े गये लोगों की निकटता मुख्यमंत्री से चर्चा में आ चुकी है। मुख्यमंत्री इस निकटता पर स्वयं धर्मशाला में हुये शीत सत्र में ब्यान दे चुके हैं। इसलिये इस मामले पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।

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