Thursday, 18 September 2025
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राजस्व और वन विभाग ने उड़ाई कानून की धज्जियां-सरकार रही मूक दर्शक

शिमला/शैल। प्रदेश में सरकारी भूमि पर हुए अवैध कब्जों कोे लेकर राज्य सरकार ने 1983 में ही Prevention of encroachment on Government Lands स्ंदके एक्ट पारित कर रखा है। इस एक्ट में 1984 में संशोधन करके धारा 30 को जोड़ा गया था। इस एक्ट के तहत सरकारी भूमि पर होने वाले अवैध कब्जों के लिए राजस्व और वन विभाग के अधिकारियों को सीधे जिम्मेदार ठहराया गया है। किसी भी अधिकारी के स्तर पर हुई कोताही के लिए उसे एक वर्ष से लेकर तीन वर्ष तक के कारावास के दण्ड़ का प्रावधान इस एक्ट में रखा गया है। स्मरणीय है कि अप्रैल 1983 को जब वीरभद्र सिंह ने प्रदेश के मुख्यमन्त्री का पदभार संभाला था तब उससे पहले प्रदेश के कथित वन माफिया के खिलाफ एक लम्बी लड़ाई लड़ी थी। जिसमें इस माफिया के खिलाफ उन्होनें उस समय प्रदेश के विधायकों और सांसदों के नाम एक खुला पत्र तक लिखा था। इस पृष्ठभूमि में 1983/84 के इस एक्ट की गम्भीरता का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। लेकिन क्या व्यवहार में वीरभद्र का प्रशासन इस एक्ट को आज तक अमली जामा पहना पाया है शायद नहीं।
धूमल के पहले शासन काल 1998 से 2003 में तत्कालिन राजस्व मन्त्री डा. राजन सुशांत नाजायज़ कब्जों को नियमित करने के लिए एक निति लाए थे। इसके तहत सारे अवैध कब्जा धारकों से नियमितिकरण करने के लिये आवेदन मांगे गये थे। उस समय सरकार के पास ऐसे दो लाख से अधिक आवेदन आये थे। यह नीति 1983 के एक्ट की की सीधी अवहेलना थी इसलिये प्रदेश उच्च न्यायालय ने इसका अनुमोदन नहीं किया था। अब फिर अवैध कब्जों को लेकर उच्च न्यायालय के पास शिकायत आयी और उसका कड़ा संज्ञान लेते हुए ऐसे कब्जों को हटाने के निर्देश देेते हुए इस संद्धर्भ मंे स्टे्टस रिर्पोट सरकार से तलब की। उच्च न्यायालय की सख्ती से सरकारी भूमि पर अवैध रूप से बने सेब के बागीचों पर भी कुल्हाड़ी चली है। उच्च न्यायालय ने एक एर्क इंच भूमि को अवैध कब्जों से छुड़ाने के निर्देश दिये है। उच्च न्यायालय में आयी स्ट्ेटस रिर्पोट में भी अवैध कब्जों की संख्या हजारों में आयी है। उच्च न्यायालय की सख्ती से अवैध कब्जा धारकों में बेचैनी फैली हुई और वह इसके लिये सरकार पर दवाब बना रहे हैं। वोट की राजनीति के चलते वीरभद्र इस अवैधता पर अपने पुराने तेवरों को नहीं दोहरा पाये हंै। उल्टा इस मसले पर सदन में चर्चा करके अपरोक्ष में न्यायालय को प्रभावित करने का प्रयास किया गया।
इस परिदृश्य में महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि दो बार सरकार के सामने अवैध कब्जों की सूचियां आ चुकी हैं। अवैध कब्जा धारकों की संख्या लाखों में है। हर विधानसभा क्षेत्र में यह कब्जे हैं। अवैध कब्जे हटाने के लिये 1983/84 में अधिनियम आ गया था। इस एक्ट के बाद राजस्व विभाग दो बार स्टैण्डिंग आर्डर जारी कर चुका है। इन स्टैण्डिंग आर्डरों में कई कई एक्ट सूचित हंै। स्टैण्डिंग आर्डर का अर्थ है कि उसमें सूचीबद्ध किये गये अधिनियमों की अनुपालना सुनिश्चित करना उनका दायित्व है और इसकेेेे लिये उन्हें अलग निर्देश जारी नहीं किये जायेगंे । 1983 से लेकर अब तक वीरभद्र शान्ता कुमार और प्रेम कुमार धूमल तीनों प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चूके हंै। तीनों के ही शासनकालों में अवैध कब्जे हुए हैं। लेकिन आज उच्च न्यायालय की सख्ती और इस एक्ट के स्पष्ट प्रावधानों के बावजूद आज भी सरकार राजस्व और वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कारवाई ना करके सीधे संदेश दे रही है कि सारी अवैधता को उसका संरक्षण प्राप्त है।

Prevention of encroachment

on Government Lands

Responsibility of Revenue officials to detect encroachments
13.1 At the time of crop inspections or other wise the patwari shall detect all encroachments on government lands in his jurisdiction and prepare a case for encroachments against the encroach. He will be held responsible if any encroachment remains undetected during crops inspection or otherwise in his circle. The Field kanungo and the Revenue officers shall be responsible for detection of any encroachment on government lands found during checking of crop inspections in their tours. They shall also be duty–bound to detect encroachments on government lands in their respective jurisdictions.
Section 30 of Act 30 No 3 of 1984 .
13.2 Under Section 30 of the H.P Prevention of Specific Corrupt Practices Act. 1983, the revenue officials are required to detect all encroachment on Govt. land , otherwise they are liable for punishment Section 30 is reproduced below:-
"Whoever-
(i) being an officer of the Forest Department duty bound to prevent an encroachment over the reserved and demarcated protected forest ladn;or
(ii) being a revenue officer duty bound to prevent any encroachment over land belonging to the government; or
(iii) being an officer of the Municipal Corporation, Notified Area committee or Municipal Committee duty bound to prevent encroachment over the land belonging to these bodies.
Intentionally or knowingly permits connives, abets or suffers on account of his commission to detect or report an encroachment in areas, within his jurisdiction shall be punished with imprisonment of either description which shall be less then one year but can be extended to three years and shall also be liable to fine.
Provided that the court may for any special reason to be recorded in writing impose a sentence of imprisonment of less than one year”

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