Thursday, 18 September 2025
Blue Red Green

ShareThis for Joomla!

आप की सुन्दरनगर रैली पर लगी विरोधीयों की निगाहें

कांग्रेस के राजेन्द्र राणा और हिलोपा प्रमुख महेश्वर सिंह आप के संर्पक में 

शिमला/शैल। दिल्ली विधानसभा चुनावों में चुनावी राजनीति का अभूतपूर्व इतिहास रचने के बाद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को राजनीतिक हल्कों में एक विकल्प के रूप में देखा जाने लगा है। इसमें कोई दो राय नही है। पंजाब में अगले वर्ष जनवरी में चुनाव होने है और वहां पर इस समय आम आदमी पार्टी को एक बड़ी उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है। इसका असर हिमाचल के राजनीतिक और प्रशासनिक हल्कों में उठ रही चर्चाओं के रूप में देखा जा सकता हैं। क्योंकि संयोगवश इस समय हिमाचल में कांग्रेस और भाजपा दोनों का शीर्ष नेतृत्व बराबर के गंभीर आरोपों में घिरा हुआ है। इन आरोपोें का परिणाम इस नेतृत्व के लिये कालान्तर में घातक होगा यह भी तय है। इस राजनीतिक वस्तु स्थिति को ध्यान में रखते हुए दोनों दलों का एक बड़ा वर्ग अपने नेतृत्व से उदासीन भी होता जा रहा है और विकल्प की तलाश में भी है। लेकिन प्रदेश में विकल्प की उम्मीद में नेताओं ने कैसे जनता को पहले धोखा दिया हुआ है उसके परिणामस्वरूप यह वर्ग अभी कोई फैसला लेने से डर भी रहा है।
कांग्रेस-भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस स्थिति को जानता और समझता भी है तथा आम आदमी पार्टी को प्रदेश में कोई बड़ा आकार लेने से पहले ही खत्म भी कर देना चाहता है इस समय आम आदमी पार्टी के नाम पर जो चेहरे प्रदेश की जनता के सामने हैं वह अभी तक कुछ बड़ा नही कर पायेें है। बल्कि इन चेहरों में आपसी एकता भी नही के बराबर है। वैसे ही 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रदेश की चारों सीटों पर चुनाव लडा गया था लेकिन उन चारों में से भी केवल दो ही पार्टी में रह गये हंै और उनमें भी सौहार्द की कमी जगजाहिर है। इसी का परिणाम था कि पिछले दिनों प्रदेश संयोजक राजन सुशांत को त्यागपत्रा देने की पेशकश करनी पडी थी और इसका पटाक्षेप प्रदेश के सह प्रभारीे हर्ष कालरा से यहां की जिम्मेदारी वापिस लेने के साथ हुआ था। पार्टी का केन्द्रिय नेतृत्व इस स्थिति से परिचित है और वह सुन्दर नगर में होने जा रही रैली की सफलता /असफलता का आकलन करने के बाद इस दिशा में फैसला लेगा यह माना जा रहा है।
लेकिन पार्टी के अन्दर इस समय जो लोग हैं वह कुछ बड़ा क्यों नही कर पाये हैं? पार्टी को पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों में सफलता क्यों नही मिली? धर्मशाला नगर निगम चुनावों में भी पार्टी कुछ नही कर पायी। यह कुछ ऐसे सवाल है जिनका ईमानदारी से विश्लेष्ण किया जाना आवश्यक है। हिमाचल में अब तक कांग्रेस और भाजपा का ही शासन रहा है दोनों ने ही एक दूसरे के खिलाफ बतौर विपक्ष गंभीर आरोप पत्रा राज्यपाल को सौंपे है लेकिन सत्ता में आने के बाद अपने ही सौंपे आरोप पत्रों पर पर किसी ने भी कोई कारवाई नही की है। आज तो वीरभद्र और धूमल दोनो परिवारों सहित व्यक्तिगत स्तर पर आरोपों से घिरे हुए हैं। इनके आरोपों को पूरी प्रमाणिकता के साथ जनता के सामने रखने की आवश्यकता है लेकिन आम आदमी पार्टी इस जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभा नही पायी है क्योंकि सबके अपने अपने कारण रहे हैं। परन्तु जब तक प्रमाणिक आक्रमकता नही अपनाई जाती है तब तक आम आदमी पार्टी को प्रदेश में विकल्प के रूप में परोसना संभव नही हो पायेगा। अब यह चर्चा है कि पार्टी के ही कुछ लोगों के माध्यम से कांग्रेस के राजन्ेद्र राणा और अनिल कीमटा केन्द्रिय नेतृत्व के संर्पक में चल रहे हंै। कांग्रेस भाजपा की संस्कृति से ओतप्रोत यह लोग आम आदमी पार्टी की संस्कृति से कितना मेल खा पायेंगे इसको लेकर अभी से सवाल उठने लग पडे हैं। हिलोपा प्रमुख महेश्वर सिंह भी आप के संपर्क में माने जा रहे हैं। वैसे पिछले दिनों जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत हिमाचल दौरे पर थे उस समय महेश्वर सिंह की उनके साथ मुलाकात विशेष चर्चा में रही है। पिछले विधानसभा चुनावों में महेश्वर अपनी जीत के अतिरिक्त और किसी भी सीट पर अपने उम्मीदवारों की जमानत तक नही बचा सके थे। बल्कि उस समय हिलोपा को दुबई स्थित कारोबारी सुदेश अग्रवाल और उनकी समस्त भारत पार्टी से आर्थिक सहयोग भी काफी मिला था। अभी ये लोग पार्टी के दरवाजे पर खडे हैं और माना जा रहा है कि इन लोगों ने आप के केन्द्रीय नेतृत्व को काफी आश्वासन दे रखें हैं।लेकिन प्रदेश के राजनीतिक विश्लेष्कों का यह मानना है कि इन लोगों के आने के बाद वीरभद्र-धूमल ही नही बल्कि कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ भी आप को आक्रामकता निभाना आसान नही रह जायेगा। क्योंकि पूर्व के संबंध ऐसा करने नही देंगे।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search