Thursday, 18 September 2025
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क्या दीपक सानन की चार्जशीट ड्राॅप कर पायेगी सरकार?

शिमला/शैल। प्रदेश के वरिष्ठतम आईएएस अधिकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक सानन एस पी सी ए के एक मामले में अभियुक्त है। उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करके 1993 के लीज नियमों की धारा 9 को नजर अन्दाज करके इनमें सबलीज का प्रावधान करके न केवल खिलाडीयों के लिये बनाये गये आवास के सबलीज का वाणिज्यिक उपयोग की अनुमति का एन ओ सी जारी किया बल्कि मन्त्रीमण्डल का भी शक्तियों का भी अपने ही स्तर पर इस्तेमाल कर लिया। यह भी आरोप है कि लीज नियमों में 2003 में हुए संशोधन के बाद भी केवल पांच बीघा जमीन ही लीज पर दी जा सकती थी। स्मरणीय है कि एचपीसीए को 2002 में 49118 वर्गगज और 2009 में होटल के लिये भी करीब इतनी ही जमीन लीज पर दी गयी थी। राजस्व सचिव के नाते नियमों के विरूद्ध दी गयी इतनी ही लीज पर उन्हें आपत्ति उठानी चाहिये थी जो कि उन्होने नही की। यह भी उल्लेखनीय है कि सरकार ने लीज नियमों में 2011 में विधान सभा से संशोधन पारित करवार ज्यादा जमीन लीज पर देने का प्रावधान किया था। वर्ष 2002 और 2009 में सरकार को इतनी जमीन लीज पर देने का अपने स्तर पर कोई अधिकार नहीं था। सरकार केवल विधान सभा में ही संशोधन लाकर यह शक्तियां प्राप्त कर सकती थी अन्यथा नहीं। 2011 का संशोधन पारित होने से पहले ही सर्वोच्च न्यायालय की जस्टिस मार्कण्डेयकाटजु और जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा की खण्ड पीठ के जनवरी 2011 में आये फैंसले में विलेज काॅमन लैण्ड के आंवटन पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैंसले की अनुपालना सुनिश्चित करने और न्यायालय को नियमित रिर्पोट भेजने के लिये राज्यों के मुख्य सचिवों को इसमें पार्टी बनाकर विशेष निर्देश दे रखे है। इस तरह विजिलैन्स ने अपने चालान में सानन के खिलाफ लीज नियमों की अनदेखी और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले तथा निर्देशों की अवहेलना ,रूल्ज आॅफ बिजनैस के शडयूल 20 की उल्लघंना का दोषी मानते हुए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2) और आईपी सी की धारा 120 (b) के तहत चालान अदालत में दायर किया है। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मुकद्दमा चलाने की अनुमति दे रखी है भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत अभियोजन की स्वीकृति के लिये मामला केन्द्र सरकार को भेजा । लेकिन भारत सरकार ने 25-08-15 को प्रदेश के प्रधान सचिव कार्मिक को भेजे आदेश में अभियोजन की अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। प्रदेश सरकार ने इन्ही आरोपों पर सानन को चार्जशीट भी कर रखा है। लेकिन केन्द्र से अभियोजन की अनुमति न दिये जाने के आधार पर सानन प्रदेश सरकार से चार्जशीट वापिस लेने का आग्रह कर रहें है। इसके लिये उन्होने सरकार को प्रतिवेदन भी कर रखे है। जिन पर सरकार की ओर से कोई कारवाई नही की गयी है। सानन ने अपने प्रतिवेदनों पर हुई कारवाई की जानकारी आरटीआई में भी मांग रखी है। इस मामले में अनुराग ठाकुर और प्रेम कुमार धूमल सहित कुल अठाहर आरोपी है। इसी मामले में सुभाष आहलूवालिया, सुभाष नेगी और टीजी नेगी को विजिलैन्स ने खाना 12 का आरोपी बना रखा है। इसी मामले में एचपीसीए के खिलाफ सोसायटी से कंपनी बनाये जाने का आरोप भी शामिल हैं जब अदालत ने इस मामले का संज्ञान लेकर अगली कारवाई शुरू की थी तभी  एच पी सी ए ने इसे अदालत में चुनौती दे दी । आज इस मामले का ट्रायल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्टे हो चुका है। सोसायटी से कंपनी बनाये जाने का मामला भी अभी तक प्रदेश उच्च न्यायालय में लंबित है। प्रदेश उच्च न्यायालय से यह मामला वापिस आर सी एस के पास जायेगा क्योंकि सोसायटी से कंपनी बनाया जाना सही था या नहीं इसका पहला क्षेत्राधिकार आर सी एस का कोर्ट है। इस तरह यह मामला इतने स्तरो पर लंबित चल रहा है कि निपटारा होने में काफी समय लग जायेगा । इसी मामले के कारण सानन मुख्य सचिव नहीं बन पाये है। इसी मामले का एक रोचक तथ्य यह भी है कि विजिलैन्स ने अपने चालान में  स्पष्ट कहा है कि इनती जमीन लीज पर दिया जाना नियमों के विरू( है लेकिन इसके लिये किसी को भी अभियुक्त नामजद नहीं किया गया है। भारत सरकार ने अभियेाजन की अनुमति न दिये जाने के लिये सानन के प्रतिवेदन को आधार बनाया है। सानन ने अपने बचाव में 13-10-2003 के राजस्व विभाग के स्टैण्डिगं आर्डर का सहारा लिया है। अपने डिफैन्स में रूल्ज आॅफ बिजनैस के शडयूल 13 के नियम 14,15 और 16 का भी तर्क लिया है। सानन ने संशोधित लीज नियमों का भी सहारा लिया है। अभियोजन की अनुमति पर सानन ने अपना पूरा डिफैन्स रखा है जबकि सीबीसी के 12 मई 2005 को जारी दिशा निर्देशों के अनुसार अभियोजन की अनुमति के समय डिफैन्स रखने का प्रावधान ही नहीं है। फिर संशोधित लीज नियम 2-8-2011 को अधिसूचित हुए जबकि सर्वोच्च न्यायालय का फैंसला 20-01-2011 को आ गया था। फिर संशोधित नियमों से पहले इतनी लीज का सरकार को अधिकार ही नहीं था। इस पृष्ठ भूमि में सानन के प्रतिवेदनों पर सरकार फैंसला नहीं ले पा रही है। केन्द्र सरकार का आदेश सीबीसी के दिशा निर्देश और विजिलैन्स के चालान का आरोप पृष्ठ पांच पर पढें़...

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