Thursday, 18 September 2025
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जे.पी. और अंबूजा के लिये हुआ जबरन भूमि अधिग्रहण सवालों में

शिमला। सर्वोच्च न्यायालयों ने द वर्किंग फ्रैन्डज कोआपरेटिव हाऊस बिलडिंग सोसायटी लिमिटेड बनाम स्टेट आॅफ पंजाब व अन्य और रतन सिंह बनाम यूनियन आॅफ इण्डिया मामलों में राइट टू फेयर कंपनसेशन एण्ड टंªासपेरेंसी इन लैण्ड एक्यूजेशन रिहेविलिटेशन एंड रिसटमैन्ट एक्ट 2013 की धारा 24(2) में व्यवस्था देते हुए कहा है कि Thus compensation can be regarded as "paid if the compensation has Literally been paid to the person interested, or after being offered to such person, it has been deposited in the Court. The deposit of the Award in a Government Treasury would not amount to compensation being paid to the person interested. सर्वोच्च न्यायालय ने 2014 और 2015 में उसके पास आये मामलांे में भूमि अधिग्रहण की धारा 24 (2) की विस्तृत व्याख्या करते हुए स्पष्ट कहा है कि भूमि अधिग्रहण में मुआवजा संबधित व्यक्ति को वास्तव में ही मिला हुआ होना चाहिये। यदि किन्ही कारणों से ऐसा नहीं होे पाया है तो ऐसा मुआवजा अदालत के पास जमा हुआ होना चाहिये। सरकारी ट्रेजरी में जमा करवाये हुए मुआवजे को पेड़ करार नहीं दिया जा सकता। यदिे ऐसा मुआवजा पंाच वर्षो तक सबंधित व्यक्ति को नही मिला है तो ऐसा अधिग्रहण स्वतः ही निरस्त हुआ माना जायेगा।
प्रदेश में सरकार ने अंबूजा और जे पी सीमेन्ट उद्योगों के लिये जमीनों को अधिग्रहण किया था। इस अधिग्रहण में बहुत सारे किसानों ने अपनी जमीनों के अधिग्रहण का विरोध किया था। लेकिन इन उद्योग घरानो, प्रशासन और राजनेताओं के गठजोड़ के आगे किसानों के विरोध को नजरअंदाज कर दिया गया। यहां तक कि जिन किसानों ने आज तक अपनी जमीनो का कब्जा नही छोड़ा हैं उनको मुआवजा प्रशासन की मिली भगत से इन कंपनीयांे ने सरकारी ट्रेजरी में जमा करवा दिया । इसी मिली भगत के चलते कब्जे के बिना ही राजस्व दस्तावेजों में जमा करवा दिया। इसी मिली भगत के चलते मांगल विकास परिषद् के नेता एडवोकेट नन्द लाल चैहान के मुताबिक अंबूजा के लिये करीब बारह वर्ष पहले और जे पी के लिये आठ वर्ष पहले सरकार ने जबरन भूमि अधिग्रहण किया था। लेकिन इसमें करीब चार सौ बीघा जमीन पर आज भी मालिक किसानों का ही कब्जा हैं जबकि राजस्व में इनदराज बदल दिये गये है।
इन किसानों ने आज तक कंपनीयों से मुआवजा नहीं लिया हैं प्रशासन ने मुआवजे का पैसा सरकार की ट्रेजरी में जमा करवा रखा है। अब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद यह जबरन हुआ भूमि अधिग्रहण स्वतः ही खत्म हो जाता है। इस फैंसले से इन जमीनो पर किसानांे का हक बहाल हो जाता है। राजस्व अधिकारियों को राजस्व इन्दराज किसानो के नाम करने होगें। मांगल विकास परिषद् ने राज्यपाल और मुख्यमंत्राी को पत्रा भेजकर सर्वोच्च न्यायालय के फैंसले पर तुरन्त प्रभाव से अमल किये जाने की मांग की हैं उधर संबंधित प्रशासन से जब इस बारे में जानकारी मांगी तो उसका कहना था कि जे पी और अंबूजा को लेकर कोई फैंसला ही नही आया है। जब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के संद्धर्भ में पूछा तब एसडीएम कार्यालय अर्की ने ऐसे फैसले की जानकारी होने से ही इन्कार किया। जबकि इस संद्धर्भ में सारी कारवाई ही एसडीएम कार्यालय से शुरू होनी है। जे पी और अंबूजा सीमेन्ट के लिये हुए अधिग्रहण को लेकर स्थानीय लोग कई बार आन्दोलन कर चुके हैं अब सबकी नजरें इस पर लगी हुई है। कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय के फंैसले पर अमल करने के लिये कितनी जल्दी कितने प्रभावी कदम उठाती है। क्योंकि लोगों को अभी भी सन्देह है कि इन कंपनीयों के दवाब के आगे सरकार इस फैसले पर अमल करने में टाल मटोल करेगी।

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