Thursday, 18 September 2025
Blue Red Green

ShareThis for Joomla!

युग हत्या कांड नौकर के नार्को से खुला इस अपहरण और हत्या का मामला

शिमला/शैल। चार साल के मासूम युग के अपहरण और फिर हत्या के कांड को सुलझाने में सीबीआई को युग के कारोबारी पिता के अपने नौकर के नार्को से ही इन अपराधियों तक पहुचने में सफलता मिली है। इन्ही की शिनाख्त पर युग का कंकाल पानी के उस टैंक से बरामद हुआ है जिसे पीलिया प्रकरण में नगर निगम कई बार साफ करने का दावा कर चुकी है। टैंक की सफाई में यह कंकाल क्यों सामने नहीं आया? इसको लेेकर निगम की सफाई के दावों पर भी सवालिया निशान लग रहा है। और इसी बिन्दु पर सीबीआई ने नगर निगम के खिलाफ भी मामला दर्ज करने की सिफारिश की है। सीबीआई की सिफारिश के बाद शहर की जनता के भी कई वर्गों ने नगर निगम के शीर्ष प्रबन्धन के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने की मांग की है। इस कांड ने शहर की जनता को इस कदर हिला दिया है कि जनता अपना रोश प्रकट करने के लिये कैण्डल मार्च तक कर रही है।

लेकिन इस कांड का जो खुलासा अब तक सामने आया है इसके मुताबिक 14-6-2014 को शाम को युग का अपहरण होता है। 16 जून को इसकी एफआईआर दर्ज होती है। 22 जून को ही इस मासूम को टैंक में डूबो कर मार दिया जाता है। लेकिन इस अपहरण को लेकर फिरौती की पहली मांग ही 27 जून को आती है। उसके बाद फिरौती मांगने का सिलसिला चला रहता है। जब युग को 22 जून को ही पानी के टैंक में डूबो दिया गया था तो फिर उसको मारने के बाद फिरौती की मांग क्यों आती है? क्योंकि अगर फिरौती देना मान लिया जाता तो यह लोग युग को कहां से लाकर देते? पुलिस से यह मामला 14-8-2014 को सीआईडी को ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस दौरान केवल ठियोग का एक व्यक्ति फोन काॅल करके युग की सूचना देने के लिये 20 लाख की मांग करता है पुलिस इस काॅल को टैªक करके इस व्यक्ति को पकड़ लेती है, गहन पूछताछ करती है। लेकिन कुछ भी महत्वपूर्ण सुराग नहीं मिलता है और अदालत से इसे जमानत मिल जाती है। लेकिन जब तक यह मामला पुलिस के पास रहा इन तीनों अभियुक्तों की तरफ किसी का कोई शक तक नहीं गया। जनवरी 2015 में न्यू शिमला में मोबाइल और लेपटाॅप चोरी का एक मामला घटता है। जिसकी 22 जनवरी 2015 को एफआईआर होती है। इस चोरी की जांच में पुलिस इन अभियुक्तों तक पहुंचती है। 26 मार्च को इन्हें गिरफ्तार किया जाता है। 30 मार्च को इन्हे जमानत मिल जाती है। क्योंकि चोरी का सारा सामान इनसे बरामद हो जाता है। इस चोरी की घटना तक भी युग अपहरण हत्या के संद्धर्भ में यह कहीं शक के दायरे में नहीं आते हैं।
इसके दौरान पुलिस गुप्ता के परिजनों से पूछताछ करती है। लेकिन कहीं कोई सुराग हाथ नहीं लगता है। अन्त में गुप्ता के नौकर का नार्को टैस्ट करवाया जाता है। उस नार्को में चन्द्र का नाम बार बार आता है यहां से चन्द्र शक के दायरे में आता है। चोरी कांड में उसके और उसके साथियों का पकड़ा जाना सामने आता है। चोरी की गिरफ्तारी के दौरान ली गयी जामा तलाशी में इनके मोबाईल बगैरा पुलिस ने अपने कब्जे में ले लेती है और सीआईडी अदालत के माध्यम से इनके मोबाईल पुलिस से हासिल करती है। चन्द्र का मोबाईल गहनता से खंगाला जाता है उससे महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगते है और चन्द्र से कड़ी पूछताछ होती है और फिर पूरे प्रकरण की पर्तें खुलती चली जाती हैं और अन्त में ये तीनों आभियुक्त सीआईडी की गिरफ्त में आ जाते हैं।
लेकिन अभी भी इस मामले में ये बिन्दु स्पष्ट नहीं हो पाया है कि जब युग को 22 जून 2014 को ही पानी के टैंक में डुबो दिया था और इनकी ओर कोई शक तक नहीं था फिर उन्होने उसकी मौत के बाद फिरौती मांगने का सिलसिला क्यों शुरू किया? अभी तक सीआईडी के पास इनके अपने ब्यानों के अलावा और कोई ठोस सबूत नहीं है। कंकाल की फाॅरेंसिक जांच और डीएनए टैस्ट के परिणामों से ही इनके ब्यानों के माध्यम से सामने आये पूरे प्रकरण के खुलासे की प्रमाणिकता निर्भर करती है। क्योंकि सामान्यतः यह बात गले नही उतरती है कि कोई व्यक्ति अपहरित की हत्या कर देने के बाद भी फिरौती की मांग जारी रखेगा और इस मामले में तो पुलिस रिकार्ड के मुताबिक फिरौती की मांग ही हत्या के बाद आती है। यदि फिरौती की मांग न आती तो सम्भवतः इस कांड़ पर से पर्दा ही ना उठ पाता। तो ऐसे में जो सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इस अपहरण कांड़ के पीछे यही तीनों लोग थे या इनके पीछे भी कोई और था। सीआईडी को इस मामले को ठोस सजा तक पहुंचाने के लिए अभी ठोस प्रमाण जुटाने होंगे ऐसा माना जा रहा है। बहरहाल पूरे प्रदेश की नजरें इस कांड पर लगी हुई हैं क्योंकि इसमें राजनीति का दखल भी सामने आ गया है।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search