290 प्राईमरी,196 अप्पर प्राईमरी
और सकैण्डरी स्कूलों के पास केवल एक-एक कमरा
शिमला/शैल। हिमाचल सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठता के लिये पिछले दिनों एक मीडिया ग्रुप ने दिल्ली में आवार्ड प्रदान किया है। मुख्यमंत्री के नाम पर इस आवार्ड समारोह में उद्योग मन्त्री मुकेश अग्निहोत्री शामिल हुए थे और उन्होने यह आवार्ड ग्रहण किया था। जिस दौरान यह आवार्ड समारोह आयोजित हुआ था उसी दौरान प्रदेश कई भागों से यह समाचार भी आये थे कि कहीं पर छात्रों ने अध्यापकों की कमी के कारण सामूहिक रूप से स्कूल छोड़ दिया या अभिभावकों ने जाकर स्कूल ही बन्द कर दियं यह स्थिति माध्यमिक शिक्षा की थी।
इसके मुकाबले में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति तो और भी निराशाजनक रही है। प्रदेश में हजारों स्कूल ऐसे हैं जो कहीं अध्यापकों के संख्या मानदण्ड पूरे नही करते तो कंही छात्रों की संख्या के मानदण्ड पूरे नही करते हैं। जबकि एक प्राथमिक स्कूल से लेकर कालिज खोलने तक मानदण्ड तय हैं। लेकिन इन मानदण्डो की अनदेखी करते हुए स्कूल खोल दिये गये। शिक्षा के प्रचार के लिये आप्रेशन ब्लैक बोर्ड से लेकर सर्वशिक्षा अभियान और राष्ट्रीय उच्च अभियान जैसे जो भी कार्यक्रम केन्द्र सरकार की ओर से समय-समय पर आये उनमें पहली प्राथमिकता नये शिक्षण संस्थान खोलने की रही है और इसमें तय मानदण्डों की जमकर अनदेखी हुई है। इस अनदेखी के परिणाम स्वरूप आज सरकार को शून्य से पांच की संख्या तक के 99 प्राथमिक स्कूल बन्द करने के आदेश जारी करने पड़े हैं। इन स्कूलों को बन्द करने के लिये यह सुनिश्चित किया गया है इनके एक से डेढ़ किलोमीटर के दायरे में दूसरा स्कूल उपलब्ध रहे। ताकि बन्द किये स्कूल के बच्चे और अध्यापक उस निकट के स्कूल में समायोजित किये जा सकें।
शिक्षा का सूरते हाल
लेकिन इसके अतिरिक्त 290 प्राईमरी 196 अप्पर प्राईमरी और चार सकैण्डरी स्कूल ऐसे हैं जिनके पास कवेल एक-एक ही कमरा है। एक कमरे में कैसे सुचारू रूप से अध्यापन हो सकता है इसका अनुमान कोई भी लगा सकता है। स्वभाविक है कि यह स्कूल खोलते समय केवल राजनीति ही प्रभावी रही है बच्चों का भविष्य नही। आज भी मुख्यमंत्री अपने हर दौरे में स्कूल घोषित करते जा रहे हैं ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि जब पहले खोले गये स्कूलों में ही भवन आदि की कमी है तो फिर नये स्कूलों की घोषणाएं क्यों की जा रही हैं।
एक से डेढ किलोमीटर दायरे का मानदण्ड रखकर जो 99 स्कूल बन्द किये गये हैं उनमें पन्द्रह स्कूल तो ऐसे हैं जहां पर बच्चों की संख्या शून्य थी। एक से दो की संख्या वाले इस सूची में 17 स्कूल हैं। छात्रों की इस संख्या से यह स्वभाविक सवाल उठता है कि यह स्कूल खोलते समय क्या सोचा गया होगा। अभी एक से डेढ़ किलोमीटर के मानदण्ड से बाहर भी सैंकडो स्कूल ऐसे है। जहां बच्चों की संख्या पांच तक ही है। एक ओर मुख्यमंत्री यह दावा कर रहे हैं कि जहां एक भी बच्चा पढ़ने वाला होगा वह वहां भी स्कूल खोलेंगे। इसी कड़ी में प्राईमरी स्कूल से ही अंग्रेजी भाषा पढ़ाने का दावा किया गया है। लेकिन इन दावों को पूरा करने के लिये स्कूलों अध्यापको की अपेक्षित संख्या की ही भारी कमी है। संभवतः इसी कमी को देखकर अब इस कार्यकाल के अन्तिम वर्ष में प्राईमरी अध्यापकों के चार हजार पद भरने की घोषणा की गयी है।