Friday, 19 September 2025
Blue Red Green
Home सम्पादकीय चुनाव के बाद उठते सवाल

ShareThis for Joomla!

चुनाव के बाद उठते सवाल

चुनाव परिणाम आने के बाद चार राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में भाजपा और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकारें बनी है। इन चुनावों के परिणामों को लेकर केवल एग्जिट पोल ही सही साबित हुये हैं। अन्य सभी के आकलन गलत निकले हैं। इस स्वीकारोक्ति के साथ भाजपा और आप को बधाई। लेकिन जिस तरह के परिणाम सामने आये हैं और अंतिम चरण के मतदान के बाद जो कुछ भी घटा है उससे कुछ ऐसे सवाल भी उभरे हैं जिन्हें नजरअंदाज करना सही नहीं होगा। भाजपा की इससे पहले भी चार राज्यों में सरकारें थी जो अब भी बहाल रही हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में 2017 के मुकाबले इस बार 48 सीटों का नुकसान हुआ है। उत्तराखंड में पार्टी तो जीत गयी लेकिन उसका मुख्यमंत्री हार गया। गोवा में पूर्ण बहुमत नहीं मिला अन्य के सहयोग से सरकार बना दी जायेगी। यहां पर भी मुख्यमंत्री का घोषित चेहरा चुनाव हार गया है। मणिपुर में चुनावों के दौरान शांति बनाये रखने के लिये वहां के एक प्रतिबन्धित संगठन को सरकार द्वारा 15 करोड़ दिये जाने का भी तथ्य चर्चा में आ गया है। उत्तर प्रदेश में भी ईवीएम मशीनों का काण्ड मतदान के अंतिम चरण के बाद सामने आया और चुनाव आयोग को तीन अधिकारी निलंबित करने पड़े हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि जब एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक भाजपा की भारी जीत हो रही थी तो फिर ईवीएम काण्ड क्यों घटा? बरेली में कूड़े की गाड़ी में मतपत्र और मोहरें क्यों मिली? कानपुर में डाले गये कुल मतों से गिने गये मतों की संख्या क्यों बढ़ी? सर्वाेच्च न्यायालय मेें वीवीपैट का दायरा बढ़ाने की मांग को लेकर आयी याचिका की सुनवाई के लिये पहले शीर्ष अदालत तैयार हो गयी लेकिन चुनाव आयोग का जवाब आने के बाद इस आग्रह को अस्वीकार क्यों कर दिया गया? आम आदमी पार्टी ने पंजाब के अतिरिक्त उत्तराखंड और गोवा में भी सरकार बनाने के दावांे के साथ चुनाव लड़ा था। वहां पर उसका प्रदर्शन खराब क्यों रहा? उत्तर प्रदेश में भी आपको कुछ नहीं मिला क्यों? चुनाव परिणामों के मुताबिक चार राज्यों में जनता ने भाजपा की नीतियों पर मोहर लगायी है। तो फिर उसी गणित से पंजाब में भाजपा-अमरेंद्र गठबंधन को जनता ने क्यों नकार दिया ? यह ऐसे सवाल हैं जो आने वाले दिनों में जवाब मांगेंगे। ममता की टीएमसी ने भी गोवा में चुनाव लड़ा था सरकार बनाने का दावा किया था। उसका प्रदर्शन भी सफल क्यों नहीं रहा? उत्तर प्रदेश में चुनाव के बसपा और भाजपा में तीन सौ करोड़ का सौदा होने की जानकारी एक स्टिंग ऑपरेशन के माध्यम से सामने आयी थी। चुनाव आयोग इस पर खामोश क्यों रहा?
सरकारों की सत्ता में वापसी जनता द्वारा उसकी नीतियों का स्वीकार माना जाता है। ऐसे में आज महंगाई और बेरोजगारी बढ़ने के जो मुद्दे हैं उन पर अब जनता को कोई भी सवाल उठाने का अधिकार नहीं रह जाता है। जिस किसान ने कृषि कानूनों से आहत होकर तेरह माह तक आंदोलन किया और सात सौ किसानों के प्राणों की आहुति दी है उसे भी अब सरकार के खिलाफ वादाखिलाफी का सवाल उठाने का अधिकार नहीं रह जाता है। कांग्रेस और अन्य दलों ने अपनी हार के कारणों का खुलासा अभी तक जनता के सामने नहीं रखा है। इसलिए उन पर अभी कोई चर्चा करना तो ज्यादा प्रसंागिक नहीं होगा। कांग्रेस नेतृत्व रफाल, पैगासैस और सार्वजनिक सम्पतियों, संस्थानों को मौद्रीकरण विनिवेश के नाम पर निजी क्षेत्र को सौंपने का सच जनता के सामने रख दिया है यही उसकी जिम्मेदारी थी। इस मौद्रीकरण और विनिवेश के कारण महंगाई बेरोजगारी लगातार बढ़ती रही है। आगे भी बढे़गी क्योंकि जब समाज के एक वर्ग को कुछ निःशुल्क दिया जाता है तो उस खर्च को पूरा करने के लिए या तो जनता पर सरकार टैक्स लगाती है या कर्ज लेती हैं क्योंकि सरकार की आय का और कोई साधन नहीं होता है। दादा को पैन्शन देकर बेरोजगार पोते को रोजगार नहीं मिलता है और न ही घर का खर्च चलाने वाले पिता को इस पैन्शन से महंगाई में राहत मिलती है। आज जनता को यह समझने की जरूरत है क्योंकि जो कुछ भी घट रहा है उसे जनता ने ही भोगना है चाहे वह किसी की भी समर्थक हो।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search