Friday, 19 September 2025
Blue Red Green
Home सम्पादकीय क्या अदानी के ग्रहण से निकल पायेंगे मोदी

ShareThis for Joomla!

क्या अदानी के ग्रहण से निकल पायेंगे मोदी

अदानी प्रकरण पर हिन्डनबर्ग के खुलासे से जो परिस्थितियां निर्मित हुई है उनसे पूरा देश हिल कर रह गया है। क्योंकि इस खुलासे से अन्तरराष्ट्रीय शेयर बाजार से लेकर देश के शेयर बाजार में अदानी समूह के शेयरों में गिरावट आयी है। इस गिरावट से देश विदेश के हर निवेशक को नुकसान हुआ है। इसमें सबसे गंभीर पक्ष यह है कि देश के सार्वजनिक बैंकां और एलआईसी तक ने इस समूह में निवेश किया है। बैंकों ने तो कर्ज भी दिया है। लगभग हर सार्वजनिक क्षेत्र का प्रबन्धन इस समूह के पास है। ऐसे में यह स्थिति बन चुकी हैं कि इस समूह के डूबने से पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा। संसद में इस प्रकरण पर उठे विपक्ष के सवालों का कोई जवाब नहीं आया है। प्रधानमंत्री का भाषण भी ‘‘सवाल गंदम और जवाब चना’’ बनकर रह गया है। इस प्रकरण पर उठे सवालों के परिदृश्य में संसद कुछ समय के लिये स्थगित करनी पड़ी है। सर्वोच्च न्यायालय में इस पर आयी याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने अपने स्तर पर जांच करवाने का भरोसा देश को दिया है। इस जांच के लिये सरकार द्वारा सुझाये नामों को शीर्ष अदालत ने अस्वीकार कर दिया है। सरकार ने हिन्डन बर्ग के खुलासे को देश पर हमला कर दिया है लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं दिया है कि देश के करीब सारे बड़े सार्वजनिक प्रतिष्ठान इस समूह के पास कैसे पहुंच गये? देश का सबसे अमीर व्यक्ति शीर्ष कर दाताओं के पहले दस नामों में भी शामिल क्यों नहीं है। यह सामान्य सवाल आज देश के हर नागरिक के दिमाग में आ चुके हैं यह एक कड़वा सच है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा है। क्योंकि हिंन्डन बर्ग के खुलासे के साथ ही गुजरात दंगों को लेकर बी.बी.सी. कि एक डॉक्यूमैन्ट्री आ गयी इस पर प्रतिबन्ध लगाते हुये बी.बी.सी. पर ही प्रतिबन्ध लगाने की मांग के आश्य की याचिका सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गयी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस आग्रह को अस्वीकार कर दिया। इस याचिका से कश्मीर फाईल्ज पर प्रधानमंत्री का यह तर्क फिर चर्चा में आ गया की यदि कश्मीर फाईल्ज से हटकर किसी के पास और तथ्य हैं तो उसे अलग से फिल्म बनाकर सामने लाना चाहिये। ठीक यही तर्क बी.बी.सी. की डॉक्यूमैन्ट्री पर लागू होता है। बी.बी.सी. के खुलासे के बाद बी.बी.सी. पर छापेमारी हो गयी। इसके बाद विश्व के सबसे प्रतिष्ठित अखबार दी गार्जियन का खुलासा गया। दी गार्जियन के खुलासे के बाद ईजरायल की कंपनी को लेकर यह सामने आ गया कि उसने भारत के में चुनावों को प्रभावित किया है। मोदी सरकार हर खुलासे पर खामोश है। यह भी नहीं कह पा रही है कि यह सब गल्त है। कांग्रेस लगातार सरकार और प्रधानमंत्री से इस सब पर प्रतिक्रिया की मांग कर रही है।
इस तरह जो परिस्थितियां बनती जा रही हैं वह भाजपा, केंद्र की सरकार और स्वयं प्रधानमंत्री मोदी के लिये कठिनाइयां पैदा करेंगी यह तय है। क्योंकि एक आदमी अदानी के डूबने से देश के डूबने की व्यवहारिक स्थिति बन गयी है। महंगाई और बेरोजगारी लगातार बढ़ेगी। हालात एक और जनान्दोलन की ओर बढ़ रहे हैं। हिंन्दू-मुस्लिम, मन्दिर-मस्जिद के नाम पर अब फिर ध्रुवीकरण होना संभव नहीं लग रहा है। क्योंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने पूरा परिदृश्य बदल कर रख दिया है। आज राहुल गांधी नरेंद्र मोदी से बड़ा नाम बन गया है। राहुल की छवि बिगाड़ने के सारे प्रयास अर्थहीन होकर रह गये हैं। ऐसे में कांग्रेस को कमजोर करने के लिये कांग्रेस की सरकारों और उसके राज्यों के नेतृत्व को कमजोर करने की रणनीति अपनाई जाएगी यह तय है। इसमें यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस का राज्यों का नेतृत्व इस स्थिति का कैसे मुकाबला करता है।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search