मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले गुजरात के पंद्रह वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे हैं। मोदी संघ के प्रचारक रहे हैं और संघ की अनुमति सहमति से ही सक्रिय राजनीति में आये हैं। संघ की सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक सोच की जानकारी रखने वाले जानते हैं कि संघ भारत को हिन्दू राष्ट्र मानता और धर्मनिरपेक्षता का पक्षधर नहीं है। उसकी नजर में गैर हिन्दू देश के प्रथम नागरिक नहीं हो सकते। श्रेष्ठ को ही सत्ता का अधिकार है और उसमें भी चयन के स्थान पर मनोनयन होना चाहिए। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये भामाशाही की अवधारणा की तर्ज पर प्राकृतिक संसाधनों पर व्यक्ति का स्वामित्व होना चाहिये। संघ की इस विचारधारा का परिचय उस कथित भारतीय संविधान से मिल जाता है जो डॉ. मोहन भागवत के नाम से वायरल होकर सामने आया है। इसी विचारधारा का परिणाम है कि भाजपा शासित राज्यों में कोई मुस्लिम मंत्री नहीं है। आज भाजपा किसी भी मुस्लिम को विधानसभा या लोकसभा के लिये अपना प्रत्याशी नहीं बनाती है। इस सोच का परिणाम है कि इन नौ वर्षों में कुछ लोगों के हाथों में देश की अधिकांश संपत्ति केन्द्रित हो गयी है। भारत बहुधर्मी, बहुजातीय और बहुभाषी देश है। मुस्लिम देश की दूसरी बड़ी जनसंख्या है। इस जनसंख्या को सत्ता में भागीदारी से वंचित रखना क्या व्यवहारिक और संभव हो सकता है शायद नहीं। लोकतन्त्र में मतभेद आवश्यक है। लोकतन्त्र में सत्ता से तीखे सवाल पूछना आवश्यक है।
लेकिन आज सत्ता से मतभेद अपराध बन गया है। अमेरिका में प्रधानमंत्री से सवाल पूछने पर किस तरह एक मुस्लिम पत्रकार को भाजपा के आईटी सैल ने ट्रोल किया है उसकी कड़ी निन्दा राष्ट्रपति जो बाइडेन को करनी पड़ी है। इस तरह भारत में लोकतन्त्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म करने के जो आरोप लग रहे हैं वह स्वतः ही प्रमाणित हो जाते हैं। इसी के साथ इन नौ वर्षों में महंगाई और बेरोजगारी जिस चरम पर पहुंची है उससे भी आम आदमी त्रस्त हो चुका है। इन्हीं सारी परिस्थितियों ने कांग्रेस को मजबूती प्रदान की है। कांग्रेस नेतृत्व लगातार सत्ता से लड़ता आ रहा है और आज राहुल गांधी से सत्ता डरने लग गयी है। इसी डर के कारण राहुल की सांसदी छीनी गयी है। इसलिये इन नौ वर्षों में जो कुछ घटा है और उसमें जिस तरह कांग्रेस सत्ता के सामने खड़ी रही है उसको बड़े उसको सामने रखते हुये आज विपक्षी एकता में कांग्रेस को बड़े भाई की भूमिका दे दी जानी चाहिये। वैसे तो जो दल अपना राष्ट्रीय दर्जा खो चुके हैं उन्हें इस समय राष्ट्रहित में कांग्रेस में विलय कर जाना चाहिये।