शैल की शिकायत का लिया संज्ञान
क्या 40 करोड़ की टैण्डर वैल्यू की ई.एम.डी. 20,000 होना भ्रष्टाचार नही है
शिमला/शैल। प्रदेश के विजिलेंस ब्यूरो ने पर्यटन निगम और विभाग के संबद्ध अधिकारियों के खिलाफ मंडी में बनाये जा रहे शिवधाम प्रकरण में जांच के आदेश जारी किये हैं। यह आदेश शैल समाचार की शिकायत पर जारी किये हैं। स्मरणीय है कि पर्यटन निगम ने शिव धाम के निर्माण के लिये एक कंसलटैन्ट नियुक्त करने के लिये 10-12-2019 को टैण्डर जारी किया था। यह टैण्डर जारी होने के बाद जो भी आवेदन आये उन पर निरीक्षण-परीक्षण प्रक्रिया पूरी करके 16-5-2020 को कन्सल्टैन्ट की नियुक्ति कर दी। इसके लिये जो टैण्डर दस्तावेज जारी किया गया था उसके मुताबिक इस टैण्डर की वैल्यू 40 करोड़ की गयी थी। टैण्डर में वैल्यू का उल्लेख करने के बाद उसमें ई एम डी का भी जिक्र किया जाता है। क्योंकि टैण्डर दस्तावेज का अवलोकन करने के बाद जो भी वान्छित कार्य में रुचि दिखाता है उसे अपनी ऑफर के साथ ई एम डी भी भेजनी होती है। ई एम डी का निर्धारण सरकार के वित्त विभाग के तय मानकों के अनुसार किया जाता है। सरकार के वित्तीय नियम 106 के अनुसार यह ई एम डी 2ः से लेकर 5ः तक हो सकती है। लेकिन 2ः से कम और 5ः से ज्यादा नहीं हो सकती। इसका कम ज्यादा होना वित्तीय अपराध की श्रेणी में आता है।
शिव धाम के लिए कन्सलटैन्ट नियुक्त करने को लेकर जो टैण्डर 10-12-2019 को जारी किया गया उसकी टैण्डर वैल्यू 40 करोड़ और ई एम डी 20,000 दिखाई गयी। यह दस्तावेज निगम/ विभाग की साईट पर उपलब्ध था क्योंकि ई टैण्डर था। इस टैण्डर को देखकर हर व्यक्ति जो नियमों की जानकारी और समझ रखता है वह स्वभाविक रूप से यह प्रश्न करेगा कि जिस काम को अंजाम देने के लिये सलाहकार के लिए ही इतनी वैल्यू का टैण्डर जारी किया जा रहा है उसका कुल आकार कितना होगा। इसी के साथ दूसरा सवाल यह होगा कि 40 करोड़ के टैण्डर की ई एम डी 20000 कैसे हो सकती है। फिर इस टैण्डर के आधार पर 16-05-2020 को सलाहकार की नियुक्ति भी कर ली गयी। 10-12-2019 को टैण्डर जारी होने से लेकर 16-05-2020 को सलाहकार की नियुक्ति करके टैण्डर का उद्देश्य पूरा हो गया। जब शैल के संज्ञान में यह टैण्डर दस्तावेज आया तो इस पर यह स्वभाविक सवाल उठाते हुए समाचार छप गया। समाचार के साथ ही यह टैण्डर दस्तावेज भी साक्ष्य के रूप में पाठकों के सामने रख दिया। टैण्डर दस्तावेज स्वतः स्पष्ट था इसलिये इसको लेकर पर्यटन निगम से और कोई जानकारी लेने का प्रश्न ही नहीं था। टैण्डर का आकार जितना बड़ा था उसके मुताबिक यह फैसला विभाग के शीर्ष स्तर पर हुआ होना स्वभाविक है।
लेकिन जैसे ही यह समाचार सार्वजनिक संज्ञान में आया तो पर्यटन निगम ने इस टैण्डर दस्तावेज और इसके आधार पर छपे समाचार का खण्डन करने या शैल के खिलाफ किसी भी तरह का मानहानि का मामला दायर करने की बजाय निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क के माध्यम से मान्यता रद्द करने के नोटिस जारी करने का रास्ता अपना लिया। शैल के पाठक जानते हैं कि जनता से जुड़े किसी भी मुद्दे पर सरकार से तीखे सवाल पूछने के धर्म का हमने पूरी तरह निर्वहन किया है। पूरे प्रमाणिक दस्तावेजों के साथ हर सच्चाई को जनता के सामने रखा है और आगे भी रखेंगे भले ही सरकार ने हमारे विज्ञापन बंद करने के अतिरिक्त शैल की आवाज दबाने के लिये और भी कदम उठाये हैं। उन्हें आने वाले दिनों में पाठकों के सामने रखा जायेगा।
पर्यटन और सूचना एवं जनसंपर्क दोनों विभागों का प्रभार मुख्यमंत्री के अपने पास है। उन्हीं के प्रधान सचिव के पास जनसंपर्क का भी प्रभाव है। शिव धाम के इस प्रकरण में शैल की मान्यता खत्म करने के लिये जो भी पत्राचार किया गया है वह मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, सचिव पर्यटन और सचिव लोक संपर्क के संज्ञान में बाकायदा रहा है। इस संद्धर्भ में जो पत्र निदेशक लोकसंपर्क ने 24-03-2022 को शैल को भेजा है उसमें जो दस्तावेज साथ भेजे गये हैं उनमें वह टैण्डर दस्तावेज भी जिसके आधार पर समाचार छपा था। इसका कोई खंडन नहीं किया गया है। इन्हीं दस्तावेजों में यह भी स्वीकार किया गया है कि सलाहकार नियुक्त करने की पूरी प्रक्रिया 10-12-2019 से लेकर 16-05-2020 तक पूरी कर ली गयी थी और इसमें एक स्पष्टीकरण 12-11-2020 को जारी किया गया जिसका इसके साथ कोई संबंध ही नहीं है। निगम के दस्तावेज स्वतः प्रमाणित करते हैं कि इसमें गड़बड़ है। परंतु इसके बावजूद शैल को धमकाने और मान्यता रद्द करने की धमकी दी जा रही है। बहुत संभव है कि मुख्यमंत्री को भी तथ्यों की पूरी जानकारी न हो। इसलिये शैल ने इसकी शिकायत विजिलैन्स को भेजी है और कुछ दस्तावेज पाठकों के सामने भी रखे जा रहे हैं।