Friday, 19 September 2025
Blue Red Green

ShareThis for Joomla!

अनुराग की सेन्ध ने आप की कार्यशैली पर उठाये सवाल

प्रदेश इकाई भंग करने तक पहुंच गये हालात 

शिमला/शैल। आम आदमी पार्टी ने पंजाब जीतने के बाद जिस तर्ज पर हिमाचल और गुजरात में चुनावी हुंकार भरी थी उसमें हिमाचल के हमीरपुर से सांसद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक सूई चूभाकर उसकी हवा निकाली है उससे देश भर में आपकी कार्यशैली पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं। क्योंकि मण्डी में केजरीवाल के सफल रोड शो के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का यह ब्यान आ गया कि भाजपा हिमाचल में जयराम की जगह अनुराग ठाकुर को मुख्यमंत्री बना रही है। सिसोदिया के इस ब्यान से प्रदेश भाजपा के अन्दर हड़कंप मचना ही था। एकदम इस ब्यान पर जयराम और प्रेम कुमार धूमल की प्रतिक्रियाएं आ गयी। अनुराग ठाकुर ने आप के प्रदेश संयोजक और संगठन मंत्री तथा ऊना के जिला अध्यक्ष को तोड़कर भाजपा में शामिल करवा कर आप को स्पष्टीकरण जारी करने पर व्यस्त कर दिया। क्योंकि यह कड़वा सच है कि मण्डी के रोड शो में केजरीवाल ने हिमाचल के किसी भी छोटे बड़े नेता को मंच पर जगह नहीं दी और न ही प्रदेश के नेताओं से कोई बैठक की। इसके कारण चाहे जो भी रहे हो उससे आप की व्यवहारिक स्थिति बहाल नहीं हो जाती है। यह सही है कि जयराम के नेतृत्व में भाजपा ने चारों उप चुनाव हारे हैं। अब विधानसभा चुनाव को लेकर जो तीन ओपिनियन पोल आये हैं उनमें भी भाजपा की जीत नहीं बतायी गयी है। हां यह जरूर कहा गया है कि यदि अनुराग के नेतृत्व में चुनाव लड़े जाते हैं तो स्थिति में काफी सुधार हो सकता है। विपक्ष के नजरिये से चाहे वह कांग्रेस हो या आम आदमी पार्टी दोनों को जयराम के मुख्यमंत्री बने रहने से लाभ मिलता है। इस सामान्य सी राजनीतिक सूझबुझ के स्थान पर यदि सिसोदिया जैसा व्यक्ति भाजपा के अंदर के फैसले को इस तरह से ब्रेक करता है तो उससे विपक्ष की बजाये सीधे जयराम को लाभ मिलता है। इसलिए आप में सेंघ लगाने के ऑपरेशन से जयराम को बाहर रखने के बावजूद नड्डा को जयराम को अभय दान देना पड़ा। सिसोदिया की इस चाल से जहां जय राम को अनचाहे ही राहत मिल गयी है वहीं पर आप की कठिनाई बढ़ जाती है। क्योंकि आप को अब ऐसे व्यक्ति की तलाश करनी पड़ेगी जो भाजपा और कांग्रेस को एक साथ चुनौती देने की क्षमता रखता हो और साथ ही आम आदमी भी हो। क्योंकि इस समय हिमाचल भाजपा कांग्रेस और आम तीनों के लिये संवेदनशील प्रदेश बन गया है। भाजपा या कांग्रेस जो भी या दोनों ही प्रदेश हारते हैं तो वह दिल्ली पंजाब हरियाणा और हिमाचल पूरे क्षेत्र से बाहर हो जायेगा। यदि आप का हिमाचल में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहता है तो सबसे पहले उसके दिल्ली मॉडल की स्वीकार्यता पर प्रश्न चिन्ह लग जायेंगे साथ ही उसे राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने में और इंतजार करना पड़ेगा।
अनूप केसरी के भाजपा में शामिल होने पर जो प्रतिक्रियायें आप की ओर से आयी हैं कि वह केसरी की निष्कासित करने जा रहे थे वह अपने में ही बहुत हल्की हैं। क्योंकि आपकी अदालत में पेश होकर केजरीवाल ने यह कहा है कि वह आप में शामिल होने वाले हर व्यक्ति की पूरी जांच करते हैं और तभी उसे कोई जिम्मेदारी देते हैं। अनूप केसरी के मामले में यह विरोधाभास आप को अनचाहे ही कमजोर कर देता है। आप में कई ऐसे लोग हैं जिनकी पहली निष्ठा आर एस एस के प्रति है। बल्कि आर एस एस की अनुमति से आप में शामिल हुये हैं और जिम्मेदारी लेकर बैठें हैं। जबकि आप में वह लोग आज भी बिना किसी पद के बैठे पूरी निष्ठा के साथ संगठन को आगे बढ़ा रहे हैं जो 2014 में शामिल हुये थे। 2014 में शिमला से सुभाष चंद्र ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था। उस समय चारों सीटों पर आप लड़ी थी। इसमें शिमला में सबसे ज्यादा वोट मिले थे। सुभाष आज भी बिना पद के संगठन के लिये काम कर रहे हैं। आज जब डॉ. सुशांत, निक्का सिंह पटियाल और अनूप केसरी जैसे लोग पार्टी का अध्यक्ष बनकर छोड़ कर चले गये हैं ऐसे में सुभाष जैसे व्यक्ति पर पार्टी की नजर न जाना भी पार्टी की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े करता है।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search