Friday, 19 September 2025
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हर वर्ग सरकार से नाराज फिर भी सता में वापसी करने का दावा

पैन्शनर्ज  को चार साल में कुछ नहीं मिला
युवा बेरोजगार यात्रा निकालने को हुये मजबूर
किसानों बाागवानों को निकालनी पड़ी आक्रोश रैली
लोकसेवा आयोग में रह गया एक ही सदस्य
अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को उच्च न्यायालय ने लगाया दस लाख का जुर्माना

शिमला/शैल। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं उसी अनुपात में राजनीतिक गतिविधियां भी तेजी पकड़ती जा रही हैं। मुख्यमंत्री हर चुनाव क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। हर जगह करोड़ों की घोषणा हो रही हैं। इन घोषणाओं को पूरा करने के लिये अभी सरकार को पन्द्रह सौ करोड़ का कर्ज लेना पड़ा है। कांग्रेस नेता रामलाल ठाकुर ने इस पर सवाल उठाते हुये आरोप लगाया है कि सरकारी खर्च पर पार्टी का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। रामलाल केे सवाल का जवाब भी उन्हीं के प्रतिबंधी रणधीर शर्मा ने दिया है। रणधीर शर्मा ने रामलाल द्वारा दिये गये कर्ज के आंकड़ों को झूठ का पुलिंदा बताया है। दोनों नेताओं में हुये इस वाकयुद्ध से यह प्रमाणित हो जाता है कि एक भी नेता को सही स्थिति का ज्ञान नहीं है। किसी ने भी 31 मार्च 2020 तक की आयी कैग रिपोर्ट का अध्ययन नहीं किया है। बल्कि यह कहना ज्यादा सही होगा कि शायद किसी भी राजनेता ने इस रिपोर्ट का अध्ययन नहीं किया है। क्योंकि इस रिपोर्ट में दर्ज तथ्य किसी के भी होश उड़ा देंगे। मुख्यमंत्री और उनके प्रशासन के पास इन तथ्यों का कोई जवाब नहीं है। शैल अगले अंक में यह खुलासा अपने पाठकों के सामने रखेगा।
लेकिन अभी जो रिपोर्ट फील्ड से आ रही है उसके मुताबिक मुख्यमंत्री की घोषणाओं का एक चौथाई भी व्यवहारिक शक्ल नहीं ले पाया है। पांवटा से मिली रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री द्वारा घोषित शैक्षणिक संस्थानों में से आधे से ज्यादा फंक्शनल नहीं हो पाये हैं और यही स्थिति अन्य जगह भी है। अभी पैन्शनर्ज संघों ने शिमला में एक पत्रकार वार्ता करके आरोप लगाया है कि जयराम सरकार अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में उनकी एक भी मांग पूरी नहीं कर पायी है। 65, 70 और 75 वर्ष की आयु पर मिलने वाले 5,10 व 15 प्रतिशत पैन्शन भत्ता की अदायगी संशोधित पैन्शन पर नहीं कर पायी है। वृद्ध पैन्शनरों को जो 1500 रूपये बढ़ा हुआ चिकित्सा भत्ता नहीं मिल पाया है। पैन्शनर्ज सरकार से बुरी तरह खफा हैं यह स्पष्ट हो चुका है। बेरोजगार युवा रोजगार के लिये कांग्रेस के बैनर तले बेरोजगार यात्रा निकाल रहे हैं। अभी प्रदेश के किसान और बागवान हजारों की संख्या में आक्रोश रैली निकालकर सचिवालय का घेराव कर चुके हैं। क्योंकि 28 जुलाई को मुख्यमंत्री ने इनके 20 सूत्रीय मांग पत्र को स्वीकार कर लिया था। लेकिन इस पर व्यवहारिक रूप से कोई भी कदम नहीं उठाया गया है और शायद इसीलिये आक्रोश रैली से निपटने के लिये मुख्य सचिव को आगे कर दिया। अब सरकार ने इनसे दस दिन का समय मांगा है। क्या दस दिन में इनकी मांगों को सरकार स्वीकार कर पायेगी? प्रदेश की वित्तीय स्थिति की जानकारी रखने वालों के अनुसार सरकार किसी भी वर्ग की कोई भी मांग पूरी करने की स्थिति में नहीं है। सरकारी संस्थानों की कार्यप्रणाली कैसे चल रही है इसका खुलासा अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा लगाये गये दस लाख के जुर्माने से सामने आ गया है। क्या इस जुर्माने के लिये बोर्ड प्रशासन के खिलाफ कारवाई की जायेगी? यही नहीं आज प्रदेश लोक सेवा आयोग में भी यह स्थिति आ गयी है कि वहां पर अध्यक्ष समेत छः पद सृजित होने के बावजूद केवल एक ही सदस्य रह गया है। इससे सरकार की गंभीरता का पता चलता है। ऐसे में यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि इस तरह की कार्यप्रणाली के साथ सरकार की सत्ता में वापसी के दावे कितने विश्वसनीय हो सकते हैं।


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