शिमला/शैल। मतदान के बाद सामने आये आंकड़ो के अनुसार 37,21,665 मतदाताओं ने इन चुनावों में वोट डाले हैं। इनमें भी महिला मतदाताओं की संख्या 19,10,535 और पुरूषों की संख्या 18,11,126 रही है। इसमें पुरूषों का प्रतिशत 71.55 और महिलाओं का 77.76 रहा है। 6% महिलाओं का आंकड़ा अधिक रहा है। विधानसभा क्षेत्रों की गणना में 39 क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या अधिक रही है। इसी के साथ यह भी गौरतलब है कि सिरमौर, सोलन, शिमला, कुल्लु, लाहौल स्पिति और किन्नौर के एक भी विधानसभा क्षेत्रा में महिलाओं की संख्या पुरूषों से अधिक नही रही हैं। जबकि कागंड़ा, ऊना, हमीरपुर के हर क्षेत्र में महिलाओं की संख्या अधिक रही है। मण्डी में भी दस में से आठ हल्कों में महिलाओं की संख्या अधिक रही है। इन आंकड़ो से यह तो स्पष्ट हो जाता है कि चुनाव परिणाम महिलाओं से ही प्रभावित रहेंगे। लेकिन यह दिलचस्प रहा है कि आधे हिमाचल में महिलायें पुरूषों से अधिक तो आधे में कम रही हैं।
इससे यह सवाल उठना स्वभाविक है कि महिलाओं के मतदान में इस तरह का आचरण क्यों रहा है। बल्कि इस आंकड़े से यह भी उभरता है कि पूरे प्रदेश में महिलाओं का आंकड़ा 6% अधिक रहा है पुरूषों से। इससे यह भी लगता है कि आधे हिमाचल में चुनाव परिणाम महिलाओं के अधिक आने से तो आधे में कम आने से प्रभावित होेंगे। इस परिदृश्य में यह समझना आवश्यक हो जाता है कि महिलाओं पर किन चीजों का चुनाव के संद्धर्भ में प्रभाव रहा होगा। इसमें सबसे पहले मंहगाई की गिनती आती है क्योंकि अभी थोड़े से ही अन्तराल में रसोई गैस सिलेण्डर की कीमत में 80 रूपये की बढौत्तरी देखने को मिली है और इस पर सबसे अधिक चिन्ता महिलाओं ने व्यक्त की है। यदि बढ़ती कीमतों के प्रति महिलाओें में आक्रोश रहा होगा तो इसका नुकसान भाजपा को होगा क्योंकि इसके लिये राज्य सरकार की बजाये केन्द्र सरकार ज्यादा जिम्मेदार है। लेकिन इसी के साथ जब कोटखाई का गुड़िया प्रकरण सामने आया तब प्रदेश में महिला सुरक्षा एक बड़े मुद्देे के रूप में उभर कर सामने आया। शिमला में हर रोज गुड़िया को न्याय मांगने वालों के धरने -प्रदर्शन देखने को मिले हैं। लेकिन जब यह प्रकरण सीबीआई को सौंप दिया गया और सीबीआई भी इसमें कुछ ठोस नही कर पायी तब गुड़िया आन्दोलन की आंच भी धीमी पड़ती चली गयी। चुनाव आने तक यह मुद्दा तो बड़ा मुद्दा बनकर नही रह पाया हालाॅंकि भाजपा ने इसे अपने अभियान का एक अंग अन्त तक बनाये रखा। लेकिन मतदान में पूरे शिमला, सोलन, सिरमौर में महिलाओं की भागीदारी का कम रहना एक अलग ही स्थिति खड़ी कर देता है। इसी के साथ सिरमौर, सोलन, शिमला, कुल्लु के 18 विधानसभा क्षेत्रों में पुरूष मतदाताओं की संख्या महिलाओं के अनुपात में इतनी अधिक है कि वहां पर निश्चित रूप से पुरूष ही चुनाव परिणाम को प्रभावित करेंगे। प्रदेश के 52 चुनाव क्षेत्र इन आंकड़ोे के अनुसार ऐसे हैं जहां हार-जीत का फैसला यह महिला और पुरूषों का अन्तर तय करेगा। चुनावी मुद्दांे के नाम पर भाजपा ने भ्रष्टाचार को जिम्मेदारी से केन्द्रित करने का प्रयास किया वह अन्त तक आते-आतेे उसी पर भारी पड़ गया। क्योंकि इस भ्रष्टाचार पर प्रचार के अनुरूप केन्द्रिय जांच ऐजैन्सीयां कारवाई नहीं कर पायी हैं। फिर भ्रष्टाचार के जिस तरह के आरोप कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ रहे हैं ठीक वैसे ही आरोप भाजपा नेतृत्व के खिलाफ भी रहे हैं। वीरभद्र सिंह नेे चुनाव के अन्तिम चरण में भाजपा पर पलटवार करते हुए यह जवाब दिया कि भाजपा नेता प्रेम कुमार धूमल, अनुराग ठाकुर, वीरेन्द्र कश्यप और डा. राजीव बिन्दल भी आपराधिक मामलों में ज़मानत पर हैं। वीरभद्र के इस आक्षेप का भाजपा नेता केवल यही जवाब दे पाये थे कि उनकेे खिलाफ बनाये गये मामले राजनीति से पे्ररित हैं लेकिन यह जवाब देतेे हुए भाजपा नेता भूल गये कि यही आरोप वीरभद्र लगातेे आ रहे हैं कि उनके खिलाफ बनाये गयेे मामले राजनीति से प्रेरित हैं।
आरोपों-प्रत्यारोपों के द्वन्द नेे कांग्रेस और भाजपा को एक ही धरातल पर लाकर खड़ा कर दिया है। इसी कारण से भ्रष्टाचार को लेकर आम आदमी की नज़र में कांग्रेस और भाजपा एक ही सिक्केे के दो पहलु बन कर रह जाते हैं। संभवतः इसीलिये इस चुनाव में मतदाता अन्त तक खामोश रहा है। अब मतदान के बाद भाजपा और कांग्रेस के अपने-अपने शुभ चिन्तकों कै चुनाव परिणाम सर्वे सोशल मीडिया पर हर रोज देखने को मिल रहे हैं। इन सर्वेक्षणों में जो लोग भाजपा की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं उनकेे मुताबिक कांग्रेस को ऊना, देहरा सबडिविजन और हमीरपुर में एक भी सीट नही मिल रही है। लेकिन इसके बावजूद भी यह लोग भाजपा को 42 सीटें ही दे रहे हैं और भाजपा नेतृत्व के 50 प्लस के दावे को स्वयं ही नकार रहे हैं। इसी तर्ज पर कांग्रेस के समर्थकों की ओर से भी सर्वे आये हैं इनमें कांग्रेस को 36 से 38 तक सीटें दी जा रही हैं। लोग कांग्रेस की सरकार बननेे को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। लेकिन जिस ढंग से महिला मतदान का पैटर्न आधे हिमाचल में अधिकता को लेकर एक जैसा है तोे दूसरे आधेे हिस्से में कमी को लेकर एक जैसा है उससेे अन्त में यही निष्कर्ष निकलता है कि शायद एक भी दल को अपने में सरकार बनानेे लायक बहुमत नहीं मिल पायेगा। इस परिणाम में चार से छः निर्दलीयों और माकपा के जीतने की संभावना है और सरकार बनानेे में इन्ही की भूमिका अहम रहेगी। क्योंकि कुछ स्थानों पर वीरभद्र ने खुलकर अपने विरोधियों को आर्शीवाद दिया है वहीं पर कुछ क्षेत्रों में शान्ता कुमार का सक्रिय न रहना त्रिशंकु के स्पष्ट संकेत माने जा रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में वीरभद्र का विद्रोहीयों की पीठ थपथपाना और कुछ में शान्ता का सक्रिय न रहना त्रिशंकु के स्पष्ट संकेत माने जा रहे हैं।
महिला मतदान के महत्वपूर्ण आंकड़े
कई चुनाव क्षेत्रों में पुरूष और महिला मतदाताओं में इतना अन्तर है कि उसके आंकलन का सारा गणित अपने में ही कई सवाल खड़े कर देता है। महत्वपूर्ण अन्तर वाले क्षेत्र यह हैंः इनमें वोट डालने वाले पुरूषों और महिलाओं की संख्या इस प्रकार हैः-
चुनाव क्षेत्र पुरूष मतदाता महिला मतदाता
1. भटियात 24739 27152
2. नूरपुर 30757 32514
3 .फतेहपुर 26420 31104
4. ज्वाली 29892 35783
5. देहरा 24125 29280
6. जसवां परागपुर 23212 27794
7. ज्वालामुखी 23451 29379
8. जयसिंहपुर 20986 27930
9. सुलह 30235 37873
10. नगरोटा 29433 33873
11. कांगडा 26931 30732
12. शाहपुर 27863 31548
13. धर्मशाला 26923 28588
14. पालमपुर 23213 26440
15. बैजनाथ 23319 28572
16. जोगिन्द्रनगर 27893 36907
17. धर्मपुर 20842 26109
18. मण्डी 24525 27643
19. बल्ह 26774 29718
20. सरकाघाट 24679 30945
21. भोरंज 21350 27875
22. सुजारनपुर 21728 27946
23. हमीरपुर 21458 26029
24. बड़सर 24091 31537
25. नादौन 27167 34325
26. चिन्तपुरनी 27170 29393
27. गगरेट 28119 30733
28. हरोली 30045 33493
29. ऊना में 29635 32086
30. कुटलैहड़ 27255 31230
31. झण्डूता 24758 27924
32. घुमारवीं 26587 32257
33. बिलासपुर 27367 29934