Friday, 19 September 2025
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मणिपुर क्यों जल रहा है

मणिपुर लम्बे अरसे से जल रहा है। वहां की हिंसा बर्बरता की सारी सीमाएं लांघ गयी है। देश के गृहमंत्री वहां का दौरा कर चुके हैं। लेकिन उनके सारे प्रयास हिंसा को रोक नहीं पाये हैं। जबकि चालीस हजार सैनिक, अर्ध सैनिक और पुलिस बल वहां पर तैनात हैं। प्रधानमंत्री मणिपुर की हिंसा पर मौन रहे हैं। अब जब संसद सत्र शुरू होने पर मणिपुर हिंसा का एक वीडियो वायरल होकर सामने आया जिसमें महिलाओं को निर्वस्त्र करके नंगा घुमाया गया और बलात्कार किया गया तब प्रधानमंत्री की पहली प्रतिक्रिया आयी है। प्रधानमंत्री ने इस घटना को देश को शर्मसार करने वाली घटना करार देकर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिये जाने की बात की है। मणिपुर को लेकर संसद हर रोज स्थगित हो रही है। विपक्ष इस पर बहस की मांग कर रहा है तो सत्तापक्ष इसके साथ बंगाल और राजस्थान की घटनाओं को उठा रहा है। ऐसी हिंसा और महिलाओं के साथ ऐसी बर्बरता कहीं भी हो वह निन्दनीय है। जो भी सरकार ऐसे अपराधों पर कारवाई करनें में चूक करे उसे सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है। मणिपुर का यह अपराध मई माह में हुआ है। पुलिस की मौजूदगी में हुआ है। लेकिन इसका वीडियो अब संसद सत्र के शुरू होने पर वायरस होकर बाहर आया है।
मणिपुर में हिंसा रूक नहीं रही है या रोकी नहीं जा रही है। इस सवाल की पड़ताल करने के लिये मणिपुर की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को समझना आवश्यक हो जाता है। यहां पर मैंतेई, कुकी और नगा मिलिशिया तीन समुदाय रहते है। मैतेई समुदाय की संख्या 53% और कुकी समुदाय 43% और शेष अन्य है। मणिपुर की 60 सदस्यों की विधानसभा में से 40 सीटों पर मैतेई समुदाय का कब्जा है। मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह भी मैतेई है। अधिकांश में यह लोग हिन्दू हैं और मणिपुर के मैदानी इलाकों में रहते हैं। जबकि कुकी पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं। कुकी समुदाय को एस.टी. का दर्जा हासिल है। संविधान की धारा 371 (C) के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिये विधानसभा में इनके सदस्यों की एक कमेटी गठित की जाती है जो यहां के विकास को देखती है और सीधे राज्यपाल के नियंत्रण में होती है। पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिये धन का प्रावधान भी अलग से रहता है। इसकी रिपोर्ट सीधे राष्ट्रपति को जाती है। संविधान के अनुसार Manipur, which has become a State under North-Eastern Areas (reorganisation) Act, 1971, shall have a committee in its Legislative Assembly, to look after the interests of the Hill Areas in the State. अब मैतेई समुदाय के लोग भी कुकीयों की तर्ज पर अपने लिये एस.टी. का दर्जा दिये जाने की मांग कर रहे हैं। यह मांग ही दोनों समुदाय में झगड़े का कारण बनी हुई है।

कुकी अधिकांश में ईसाई और मैतेई हिन्दू हैं और बहुमत में हैं। मैतेई इम्फाल घाटी के मैदानी क्षेत्र में रहते हैं। कुकी समुदाय को लगता है कि यदि मैतेई समुदाय को भी एस.टी. का दर्जा दे दिया जाता है तो उनका हर चीज में दखल बढ़ जायेगा। मई में हिंसा फैलने से पहले एक अफवाह फैली कि कुकी मिलिशिया मैन द्वारा एक महिला के साथ दुष्कर्म किया गया है। इस फर्जी रिपोर्ट के बाद भड़की हिंसा अब तक रुकने का नाम नहीं ले रही है। मणिपुर में भाजपा की सरकार है लेकिन यह सरकार हिंसा रोकने में असफल रह रही हैं। केन्द्र सरकार वहां पर राष्ट्रपति शासन लगाने से हिचकचा रही है। यह माना जा रहा है कि राष्ट्रपति शासन लगाकर ही हालात पर नियन्त्रण पाया जा सकता है। मैतेई समुदाय की मांग संविधान के अनुसार यदि मानी जा सकती है तो प्रदेश और केन्द्र में दोनों जगह भाजपा की सरकारें होने से इसे क्यों नहीं माना जा रहा है? यदि यह मांग संविधान सम्मत नहीं है तो प्रदेश सरकार अपने लोगों को समझा क्यों नहीं पा रही हैं। आज यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय आकार लेने लगा है। अमेरिका की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आ चुकी है। ऐसे में यदि राष्ट्रपति शासन लगा कर हिंसा को रोका जा सकता है तो तुरन्त प्रभाव से ऐसा कर दिया जाना चाहिये।  मणिपुर की जिम्मेदारी से बंगाल और राजस्थान का नाम लेकर नहीं बचा जा सकता।

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