Friday, 19 September 2025
Blue Red Green
Home देश एच पी सी ए प्रकरण पर सरकार की गंभीरता सवालों में

ShareThis for Joomla!

एच पी सी ए प्रकरण पर सरकार की गंभीरता सवालों में

शिमला/शैल। जयराम सरकार एचपीसीए के खिलाफ वीरभद्र शासनकाल में बनाये गये मामलों को वापिस लेने के लिये कितनी गंभीर हैं इसका अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार के एडवोकेट जनरल ने सर्वोच्च न्यायालय को सरकार की मंशा से अवगत करवा दिया है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय से अभी इसके लिये हरी झण्डी नही मिली है। बल्कि जब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के लिये आया उस दिन पी चिदाम्बरम भी न्यायालय में उपस्थित रहे थे। इसके बाद दूसरी पेशी में अनूप चौधरी उपस्थित रहे। चिदाम्बरम और चौधरी दोनो ही वीरभद्र सिंह के वकील रहे हैं और इस मामले में एचपीसीए ने एक स्टेज पर वीरभद्र सिंह को भी प्रतिवादी बना रखा है। इस नाते एचपीसीए पर अपना पक्ष रखने का हक भी वीरभद्र सिंह को हासिल हो जाता है। क्योंकि वीरभद्र के पांच वर्ष के कार्यकाल की यही सबसे बड़ी उपलब्धि रही है कि विजिलैन्स ने न केवल एचपीसीए के खिलाफ मामले ही बनाये बल्कि उनको अदालत तक भी पहुंचा दिया। आज अदालत तक पहुंच चुके इन मामलों को वापिस लेना भी आसान नही रह गया है।
लेकिन इसी के साथ सरकार की नीयत और नीति को लेकर भी सवाल उठने शुरू हो गये हैं। क्योंकि एचपीसीए का एक सबसे बड़ा आज भी रजिस्ट्रार सहकारी सभाएं और उच्च न्यायालय के बीच लंबित चल रहा है। इसमें यह फैसला आना है कि एचपीसीए सोसायटी है या कंपनी। जयराम सरकार को भी सत्ता में आये चार माह हो गये हैं उच्च न्यायालय में एजी के साथ सरकार के वकीलों की पूरी टीम मौजूद है परन्तु इस मामले को फैसला शीघ्र आने के लिये कोई कदम नही उठाये गये हैं। यही नही एचपीसीए में जिन अधिकारियों के खिलाफ भी मामले बने थे सरकार ने इन अधिकारियों के खिलाफ मुकद्दमा चलाने की अनुमति वापिस लेने का फैसला लिया हैं सरकार ने अपने फैसले से विजिलैन्स को अवगत भी करवा दिया है लेकिन विजिलैन्स ने अभी अदालत के सामने सरकार के इस फैसलेे को नही रखा है। उच्चस्थ सूत्रों के मुताबिक विजिलैन्स इन मामलों को वापिस लेने के पक्ष में नही है। विजिलैन्स इस संद्धर्भ में सरकार के फैसले से सहमत नही है।
इसमें सबसे बड़ा सवाल यह बना हुआ है कि सरकार ने भी अभी तक विजिलैन्स को इस बारे में पूछा ही नही है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार भी इसमे राजनीतिक औपचारिकता निभाने के अतिरिक्त और ज्यादा गंभीर नही है। क्योंकि यदि संवद्ध अधिकारी इन मामलों से किसी कारण से बाहर हो जाते हैं तो इनका अदालत में सफल होना स्वतः ही संदिग्ध हो जाता है और वीरभद्र के जो लोग इनमें अभियुक्त नामज़द है वह पहले ही मुख्य अभियुक्त न होकर खाना 12 में दर्ज हैं। इस परिदृश्य में जयराम सरकार का आरसीएस और उच्च न्यायालय में लंबित मामले में कोई त्वरित कदम न उठाना तथा विजिलैन्स का मुकद्दमें की अनुमति वापिस लेने के फैसलों को अभी तक अदालत में न ले जाना राजनीतिक अर्थो में कुछ और ही संकेत देता है।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search