Friday, 19 September 2025
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जयराम सरकार ने प्रचार-प्रसार पर खर्च किये 6,64,44,215 रू. मीडिया पाॅलिसी पर उठे सवाल

शिमला/शैल। हर सरकार अपने काम काज और अपनी नीतियों का प्रचार प्रसार करती है यह उसका अधिकार और कर्तव्य दोनों ही है। इसी के लिये सरकार अपनी मीडिया पाॅलिसी बनाती है। इस काम को अंजाम देने के लिये सरकार का सूचना एवम् जन संपर्क विभाग काम करता है। विभाग और सरकार को सलाह और सहायता देने के लिये मीडिया सलाहकार तक नियुक्त किया जाता है। सरकार के प्रचार प्रसार पर सरकारी कोष से खर्च किया जाता है। इस कोष का खर्चा केवल अपनी पंसद और न पंसद के आधार पर ही खर्च न किया जाये और इसके लिये वाकायदा ठोस नीति बनाई जाये ऐसे निर्देश अदालत तक से भी कई बार हो चुके हंै। लेकिन इन निर्देशों की अनुपालना शायद ही कोई सरकार करती है। यहां तक की सरकार अपनी ही नीतियों का अनुसरण नही करती है ऐसा भी अकसर सामने आता है।
सरकार अपने काम काज और नीतियों का प्रचार करती है लेकिन यह नीतियां किसके लिये होती है? सरकार किसके लिये काम करती है? यदि इन बिन्दुओं पर विचार किया जाये तो यह निश्चित और स्वभाविक है कि यह सब कुछ प्रदेश की जनता के लिये ही किया जाता है और इसी जनता के पास वह जवाब देह होती है। जब जनता को उसके काम में कुछ कमीयां नजर आती हैं। जब जनता को लगता है कि जो कुछ वायदा किया गया था और जो कुछ प्रचारित किया गया है वह सब कुछ हकीकत से दूर है तब जनता वक्त आने पर उस सरकार को नकार देती है क्योंकि जनता सारी हकीकत को अपनी नंगी आंख से देख रही होती है। यही कारण है कि सैंकड़ों अवार्ड लेने के बाद भी सरकारें हार जाती हैं। बलिक जिन लोगों ने यह अवार्ड दिये होते हैं उनकी विश्वसनीयता पर भी आंच आती है।
लेकिन सरकारों में सच सुनने जानने की हिम्मत नही होती है। इसलिये जो समाचार पत्र सरकार को दस्तावेजी प्रमाणों के साथ हकीकत दिखाते हैं उन्हें विरोधी मान लिया जाता है और उनकी आवाज को दबाने के प्रयास किया जाता है और इस प्रयास की कड़ी होता है विज्ञापन। सरकार विज्ञापन बन्द कर देती है या कम कर देती है। ऐसा करने पर बहुत सारे समाचार पत्र सरकार की आरती उतारना ही पंसद करते हैं। क्योंकि जनता उनके सरोकारों में सबसे पीछे चली जाती हैं जबकि एक समाचार पत्र की सफलता उसके पाठक से मिली प्रशंसा होती है सरकार से मिला विज्ञापन समाचार पत्र का आंकलन पाठक उसकी सामग्री से कर लेता है। लेकिन यह प्रचार-प्रसार पर किया जाने वाला खर्च भी तो आम आदमी का पैसा है और इस नाते उसे यह जानने का पूरा हक हासिल है कि पैसा कैसे खर्च हो रहा है किस समाचार पत्र को क्या दिया जा रहा है और इस पत्र की प्रदेश में क्या  प्रसांगिता है। इस परिप्रेक्ष्य में पाठकों के सामने वह सूचना रखी जा रही है जो सदन में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के प्रश्न के उत्तर में सामने आयी है। इस सूची से पाठक यह जान सकते हैं जिन समाचार पत्रों को सरकार ने विज्ञापन जारी किये हैं उनमें से वह कितनों को जानते और पढें हैं। कितनों को सोशल मीडिया साईट पर भी देखा है। क्योंकि अब प्रिन्ट के साथ सोशल साईट भी अनिवार्य कर दी गयी है।
































































 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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