शिमला/शैल। देश में अल्पसंख्यकों और हाशिये पर रह रहे लोगों के खिलाफ हो रही भीड़ हिंसा के खिलाफ People Unite Against Hate के बैनर तले हुए धरने प्रदर्शन के बाद मंच के पच्चीस लोगों ने डी सी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में इस तरह की हिंसा पर चिन्ता और रोष प्रकट करते हुए ऐसे लोगों को कड़ी सजा देने की मांग की गयी है।
इस अवसर पर मंच की संयोजक डिंपल आमरीन ओबराय वहाली ने कहा कि माॅब लिंचिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत आदेश
इस मौके पर बालूगंज मदरसे के संचालक मौलाना मुमताज अहमद कासमी ने कहा कि यह प्रदर्शन हिंदुस्तानी तहजीब, संस्कृति और हिंदुस्तानियत को बचाने के लिए है। कासमी ने कहा ये सरकार लोगों को गुमराह कर कमजोर तबके को परेशान करने में लगी है। इस देश का मुस्लिम अनुच्छेद 370, 35 ए और तीन तलाक के खिलाफ नहीं है लेकिन जिस तरीके व गरूर के साथ इनको हटाया गया है, ये प्रदर्शन उसके खिलाफ है। मजहब के नाम पर नफरत फैलाने की तालीम न तो गीता और न ही रामायण और न ही कुरान देती है। लेकिन कुछ ताकतें कमजोर तबके को खत्म करने का मंसूबा पाले हुए है। यह विरोध उसी के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि जब भी कोई बेगुनाह मारा जाता तब वह न हिंदू होता है न सिख होता न ईसाई होता है और न ही मुसलमान होता है। वह केवल और केवल हिंदुस्तानी होता है। उन्होंने कहा कि कोई भी समुदाय कानून बनाने के खिलाफ नहीं है लेकिन अगर कानून घमंड व गरूर के तहत बनाया जाए व नफरत फैलाई जाए, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये सरकार कमजोरों को जमूहरियत के नाम पर दबाना चाहती है।
इस मौके पर गुडिया मंच के संयोजक विकास थापटा ने कहा कि अल्पसंख्यकों पर रोहड़ू व चैपाल में भी हमले हुए हैं। कानून को अपना काम करना चाहिए।
हिमालय स्टूडेंट एसोसिएशन की रणजोत ने कहा कि पहलू खान लिचिंग मामले में दोषियों को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाना चाहिए।