Friday, 19 September 2025
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प्रधानमंत्री की सभा में लोग लाने की जिम्मेदारी लगी प्रशासन के नाम

लाभार्थियों के नाम पर मुख्य सचिव को लिखना पड़ा पत्र
कांग्रेस के समय की योजनाओं के हो रहे उद्घाटन/ शिलान्यास
सावड़ा कुडू का 19-6-2005 को वीरभद्र ने किया था उद्घाटन
केंद्र द्वारा दी गई 72000 करोड़ और 2,30,000 की सहायता पर उठे सवाल
मंत्रिमंडल की पहली बैठक में किये भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के वादे का क्या हुआ
कांग्रेस के अंतिम छः माह के फैसलों की समीक्षा कहां रह गयी

शिमला/शैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित मण्डी यात्रा के अवसर पर जयराम सरकार ने बड़े-बड़े विज्ञापन जारी करके प्रदेश की जनता को यह जानकारी दी है कि इस अवसर पर 210 मेगावाट की लूहरी, 66 मेगावाट की धौलासिद्ध, 111 मेगावाट की सावड़ा कुडू और 143 मेगावाट की रेणुका सागर पनबजली परियोजना के उद्घाटन/ शिलान्यास करेंगे। इन योजनाओं के लिये जयराम सरकार ने कितना काम किया है और केंद्र की मोदी सरकार ने कितनी आर्थिक सहायता दी है इसका कोई ब्योरा जारी नहीं किया गया। जिसके लिये आज श्रेय लिया जाये। क्योंकि सावड़ा कुडू परियोजना एशियन विकास बैंक के सहयोग से बनी है और जनवरी 2021 से उत्पादन में आकर अब तक 120 करोड़ की बिजली बेच भी चुकी है। इस परियोजना की आधारशिला स्व. वीरभद्र सिंह ने 19 जून 2005 को रखी थी। धौलासिद्ध और लूहरी दोनों का काम एसजेवीएनएल के पास है और एक-एक डायवर्जन टनल तैयार हो चुकी है। इसी तरह रेणुका सागर बांध परियोजना का काम भी काफी समय से चला हुआ है। 2018 से ही कई बैठकें हो चुकी हैं। कुल मिलाकर यह सारी योजनाएं ऐसी हैं जिनका कोई उदघाटन/शिलान्यास इस समय नहीं बनता है। लेकिन जयराम सरकार प्रधानमंत्री से यह सब करवाने जा रही है। स्वभाविक है कि प्रधानमंत्री को इस की व्यवहारिक जानकारी न हो और उनसे केवल अपनी पीठ थपथपाना ही इसका उद्देश्य रहा हो। लेकिन प्रदेश की जनता तो यह सब जानती है और वह इस पर किसी भी तरह गुमराह नहीं होगी। राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में चुनावी वर्ष में इस तरह के कामों से कोई लाभ नहीं मिलेगा बल्कि इससे प्रधानमंत्री की छवि को भी ठेस पहुंचेगी।
बल्कि इस अवसर पर यह सवाल पूछा जायेगा कि 2017 के चुनाव से पहले घोषित 69 राष्ट्रीय राजमार्गों का क्या हुआ है। स्मरणीय है कि इन राजमार्गों की जानकारी प्रदेश की जनता को जगत प्रकाश नड्डा ने यह कह कर दी थी कि उन्हें इस आशय का गडकरी के यहां से पत्र मिला है। लेकिन आज यह राजमार्ग प्रदेश की जनता के साथ एक मजाक साबित हुये हैं। 2017 के चुनाव में ही मण्डी की एक जनसभा में प्रधानमंत्री ने स्व. वीरभद्र सिंह से प्रदेश को दिये गये 72000 करोड़ का हिसाब मांगने की बात की थी। यही नहीं 2019 के चुनावांे में गृह मंत्री अमित शाह ने चुनावी रैली में केंद्र से मिली सहायता का आंकड़ा 2,30,000 करोड बताया है। लेकिन आज तक जयराम सहायता के इन आंकड़ांे को प्रदेश की जनता के सामने नहीं रख पायी है। आने वाले विधानसभा चुनाव में यदि प्रदेश के हर मतदाता ने यह सवाल पूछने शुरू कर दिये तो सरकार के सामने एक ऐसी परिस्थिति खड़ी हो जायेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। क्योंकि 2017 का 46,500 करोड का कर्ज बढ़कर आज 70,000 करोड़ तक पहुंच रहा है। दूसरी ओर 2019-20 की आई कैग रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है की सरकार ने 96 योजनाओं में एक फूटी कौड़ी भी खर्च नहीं की और न ही इसका कोई कारण बताया है। इस खुलासे से यही सामने आता है कि सरकार यही समझती है कि जनता उसकी हर बात पर आंख मूंदकर विश्वास कर लेती है।
इस अवसर पर यह स्मरण करना भी आवश्यक हो जाता है कि जयराम सरकार ने अपने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में जनता से क्या वायदे किये थे। उल्लेखनीय है कि जनवरी 2018 की पहली की बैठक में यह वायदा किया था कि भ्रष्टाचार कतई सहन नहीं होगा। इस वायदे की पूर्ति में अपने ही सौंपे किसी आरोप पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं कर पायी है। जिस बिवरेज कॉरपोरेशन को लेकर बड़ा आडंबर खड़ा किया गया था उसका क्या हुआ। इसकी कोई आधिकारिक जानकारी बाहर नहीं आयी। पहली बैठक में यह कहा गया था कि कांग्रेस सरकार द्वारा पिछले 6 माह में लिये गये फैसलों की समीक्षा होगी और गलत फैसलों को बदला जायेगा। लेकिन 4 वर्षों में ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया है कि कांग्रेस का यह फैसला गलत था और इसे बदला गया है। इसी बैठक में यह भी फैसला लिया गया था कि सरकार हर विभाग को 100 दिन की कार्ययोजना बनाने के लिए कहे और फिर उसकी समीक्षा करेगी। पहली बैठक में उद्योगों को 5 वर्ष के लिए करों में सौ प्रतिश्त छूट की भी घोषणा की गयी थी लेकिन इस घोषणा के बावजूद हर वर्ष कर राजस्व में बढ़ोतरी हुई है जिसका अर्थ है कि आम आदमी पर करों का बोझ बढ़ाया जा रहा है। शायद इन्हीं नीतियों का परिणाम है कि आज प्रधानमंत्री की जनसभा में लोगों को लाने की जिम्मेदारी प्रशासन को सौंपी गई है। और इसके लिए मुख्य सचिव को लिखित में आदेश जारी करने पड़े। लोगों को लाने उनको ठहराने और उनके खाने की व्यवस्था प्रशासन को करनी पड़ रही है। जब इस पर विपक्ष ने सवाल उठाया तो भाजपा की ओर से यह कहा गया कि राहुल गांधी की रैली के लिए कांग्रेस ने भी ऐसा ही किया था। इससे यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या भाजपा ने यह वादा किया था कि वह कांग्रेस से भी बड़े भ्रष्टाचार करेगी।


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