लाभार्थियों के नाम पर मुख्य सचिव को लिखना पड़ा पत्र
कांग्रेस के समय की योजनाओं के हो रहे उद्घाटन/ शिलान्यास
सावड़ा कुडू का 19-6-2005 को वीरभद्र ने किया था उद्घाटन
केंद्र द्वारा दी गई 72000 करोड़ और 2,30,000 की सहायता पर उठे सवाल
मंत्रिमंडल की पहली बैठक में किये भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के वादे का क्या हुआ
कांग्रेस के अंतिम छः माह के फैसलों की समीक्षा कहां रह गयी
बल्कि इस अवसर पर यह सवाल पूछा जायेगा कि 2017 के चुनाव से पहले घोषित 69 राष्ट्रीय राजमार्गों का क्या हुआ है। स्मरणीय है कि इन राजमार्गों की जानकारी प्रदेश की जनता को जगत प्रकाश नड्डा ने यह कह कर दी थी कि उन्हें इस आशय का गडकरी के यहां से पत्र मिला है। लेकिन आज यह राजमार्ग प्रदेश की जनता के साथ एक मजाक साबित हुये हैं। 2017 के चुनाव में ही मण्डी की एक जनसभा में प्रधानमंत्री ने स्व. वीरभद्र सिंह से प्रदेश को दिये गये 72000 करोड़ का हिसाब मांगने की बात की थी। यही नहीं 2019 के चुनावांे में गृह मंत्री अमित शाह ने चुनावी रैली में केंद्र से मिली सहायता का आंकड़ा 2,30,000 करोड बताया है। लेकिन आज तक जयराम सहायता के इन आंकड़ांे को प्रदेश की जनता के सामने नहीं रख पायी है। आने वाले विधानसभा चुनाव में यदि प्रदेश के हर मतदाता ने यह सवाल पूछने शुरू कर दिये तो सरकार के सामने एक ऐसी परिस्थिति खड़ी हो जायेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। क्योंकि 2017 का 46,500 करोड का कर्ज बढ़कर आज 70,000 करोड़ तक पहुंच रहा है। दूसरी ओर 2019-20 की आई कैग रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है की सरकार ने 96 योजनाओं में एक फूटी कौड़ी भी खर्च नहीं की और न ही इसका कोई कारण बताया है। इस खुलासे से यही सामने आता है कि सरकार यही समझती है कि जनता उसकी हर बात पर आंख मूंदकर विश्वास कर लेती है।
इस अवसर पर यह स्मरण करना भी आवश्यक हो जाता है कि जयराम सरकार ने अपने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में जनता से क्या वायदे किये थे। उल्लेखनीय है कि जनवरी 2018 की पहली की बैठक में यह वायदा किया था कि भ्रष्टाचार कतई सहन नहीं होगा। इस वायदे की पूर्ति में अपने ही सौंपे किसी आरोप पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं कर पायी है। जिस बिवरेज कॉरपोरेशन को लेकर बड़ा आडंबर खड़ा किया गया था उसका क्या हुआ। इसकी कोई आधिकारिक जानकारी बाहर नहीं आयी। पहली बैठक में यह कहा गया था कि कांग्रेस सरकार द्वारा पिछले 6 माह में लिये गये फैसलों की समीक्षा होगी और गलत फैसलों को बदला जायेगा। लेकिन 4 वर्षों में ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया है कि कांग्रेस का यह फैसला गलत था और इसे बदला गया है। इसी बैठक में यह भी फैसला लिया गया था कि सरकार हर विभाग को 100 दिन की कार्ययोजना बनाने के लिए कहे और फिर उसकी समीक्षा करेगी। पहली बैठक में उद्योगों को 5 वर्ष के लिए करों में सौ प्रतिश्त छूट की भी घोषणा की गयी थी लेकिन इस घोषणा के बावजूद हर वर्ष कर राजस्व में बढ़ोतरी हुई है जिसका अर्थ है कि आम आदमी पर करों का बोझ बढ़ाया जा रहा है। शायद इन्हीं नीतियों का परिणाम है कि आज प्रधानमंत्री की जनसभा में लोगों को लाने की जिम्मेदारी प्रशासन को सौंपी गई है। और इसके लिए मुख्य सचिव को लिखित में आदेश जारी करने पड़े। लोगों को लाने उनको ठहराने और उनके खाने की व्यवस्था प्रशासन को करनी पड़ रही है। जब इस पर विपक्ष ने सवाल उठाया तो भाजपा की ओर से यह कहा गया कि राहुल गांधी की रैली के लिए कांग्रेस ने भी ऐसा ही किया था। इससे यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या भाजपा ने यह वादा किया था कि वह कांग्रेस से भी बड़े भ्रष्टाचार करेगी।