Friday, 19 September 2025
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क्या 2541.43 करोड़ के ऋण लाभार्थीयों की सूची जारी हो पायेगी? मुख्यमन्त्री की चुनाव घोषणाओं से उठी चर्चा

क्या दूसरे दलों में तोड़ फोड़ से ही हो जायेगी सत्ता में वापसी
धूमल समर्थकों की नाराजगी का क्या होगा परिणाम

शिमला/शैल।क्या भाजपा कांग्रेस और दूसरे राजनीतिक दलों में तोड़फोड़ करके ही सत्ता में वापसी कर पायेगी? क्या मुख्यमंत्री द्वारा चुनावों से पहले हर विधानसभा क्षेत्र में की जा रही करोड़ों की घोषणाओं से ही जनता प्रभावित हो जायेगी? ऐसे कई सवाल हैं जो इस समय चर्चा और आकलन का विषय बनते जा रहे हैं क्योंकि प्रदेश के सबसे बड़े जिले कांगड़ा में देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह और कांगड़ा से कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष विधायक पवन काजल को भाजपा में शामिल करवा दिया। इन दोनों के शामिल होने के बाद यह सामने आया है कि इतने बड़े राजनीतिक फैसले से पहले न तो वहां के मण्डलों से और न ही जिला संगठन को इस बारे में विश्वास में लिया गया। उल्टे यह सामने आया कि यह धूमल खेमे को हाशिये पर धकेलने का एक सुनियोजित प्रयास है। इससे पूर्व मंत्री रविन्द्र रवि जो देहरा से सीधे प्रभावित हो रहे थे उनकी नाराजगी एकदम बाहर आ गयी। वह किस्सा फिर एक राजनीतिक मुद्दा बनकर चर्चा का विषय बन गया जो वक्त के साथ शान्त हो चुका था। स्वास्थ्य विभाग की वर्किंग को लेकर जो खुला पत्र किसी कार्यकर्ता ने पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार के नाम लिखा था उसमें उठाये मुद्दों की जांच करने की बजाय उस पत्र के लेखक को खोजने में सरकार की एजैन्सियां व्यस्त हो गयी। यह तलाश रविन्द्र रवि के खिलाफ मामला दर्ज करने तथा उनका मोबाइल जब्त करने के साथ रुकी। लेकिन यह जांच इस पड़ाव से आज तक आगे नहीं बढ़ी है। अदालत में चालान कब दायर होगा यह शायद जांच एजैन्सी को भी पता नहीं है। लेकिन इस प्रकरण से जो राजनीतिक ज्वाला सुलगी है वह राजनीतिक हवा के हर झोंके से तेज होती जा रही है। रविन्द्र रवि की नाराजगी खुलकर सामने आ गयी है। रवि के इन सारे प्रयासों को उनके राजनीतिक वजूद को खत्म करने का षडयन्त्र करार दिया है। रविन्द्र रवि के साथ ही जोगिन्दर नगर के पूर्व मंत्री गुलाब सिंह निर्दलीय विधायक प्रकाश राणा के भाजपा में आने से प्रभावित हुये हैं। इन प्रयासों को धूमल को राजनीतिक नुकसान पहुंचाने के षडयन्त्र के रूप में देखा जा रहा है। इससे धूमल समर्थकों में नाराजगी होना स्वभाविक है। इसी नाराजगी का परिणाम है कि सुजानपुर में राज्यसभा सांसद इन्दु गोस्वामी धूमल को भारी बहुमत से विजयी बनाने की अपील कर गयी। हमीरपुर में बाकायदा पत्रकार वार्ता में दर्जी भाई ने यह ऐलान कर दिया है कि यदि धूमल को पार्टी हमीरपुर से चुनाव नहीं लड़वाती है तो वह हर हालत में निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। इस प्रकरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि धूमल समर्थकों का रोष इस बार चुनावों में पार्टी पर भारी पड़ेगा। कांगड़ा में पवन काजल के आने का स्वागत नहीं हुआ है। इसका सीधा प्रभाव धर्मशाला सीट पर भी पड़ रहा है। धर्मशाला में मौजूदा विधायक का टिकट काटे जाने की चर्चाओं के बीच संघ भाजपा के आधा दर्जन से ज्यादा उम्मीदवार टिकट की दौड़ में सामने आ गये हैं। इसी के साथ ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पूरे जिले का बजट केवल सुलह विधानसभा क्षेत्र में ही दे दिया गया जाना भी अब चर्चा का विषय बनता जा रहा है इसी परिपेक्ष में आज मुख्यमंत्री द्वारा की जा रही चुनाव पूर्ण घोषणाओं पर भी सवाल उठने शुरू हो गये हैं। क्योंकि 31 मार्च 2019 को आयी कैग रिपोर्ट में सरकार को नये पूंजीगत कार्यों की अनुमति पर सीलिंग लगाने का निर्देश दिया गया था। यह निर्देश 14वें वित्त आयोग की सिफारिश पर दिये गये थे। कैग रिपोर्ट में कहा है कि (i) To Provide for the statutory flexible limits on fiscal deficit. (ii) To Provide a statutory ceiling on the sanction of new capital works to an appropriate multiple of the annual budget provision. 

लेकिन इन निर्देशों के अनुपालन में 2019-20 में शिक्षा के बजट में 1.39% की कटौती कर दी गयी और प्रधानमंत्री मुद्रा ऋण योजना में लोकसभा चुनाव के परिदृश्य में सितम्बर 2019 तक 2541.43 करोड़ के ऋण बांट दिये गये। 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में इसे सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में दिखाया गया है। सभी बैंक शाखाओं को यह ऋण देने के निर्देश दिये गये थे। लेकिन इस ऋण सुविधा का कितने लाभार्थियों ने सही उपयोग किया है इसमें से कितना ऋण अब तक वापस आ गया है इसकी कोई सूची अब तक जारी नहीं हो पायी है। क्या यह जनता के पैसे का सही उपयोग है यह सवाल उठना शुरू हो गया है।

यह है आर्थिक सर्वेक्षण में दर्ज उपलब्धि

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