रोजगार गारंटी के परिप्रेक्ष में उठी चर्चा
उद्योग विभाग के 250 एमओयू में आना था 17063.22 करोड़
पर्यटन में 16559.94 करोड़ के 225 एमओयू हुये थे साइन
आवास में आना था 12054.50 करोड़ का निवेश
इस असफलता के लिये कौन है जिम्मेदार राजनीतिक नेतृत्व या प्रशासन
इस निवेश मेले में सबसे अधिक 250ै ज्ञापन उद्योग विभाग ने साइन किये थे और इसमें 17063.22 करोड़ का निवेश होना था। दूसरे स्थान पर पर्यटन था और इसमें 16559.94 करोड़ के 225 ज्ञापन हस्ताक्षरित हुये थे। आयुष विभाग में 1269.25 करोड़ के निवेश के 45 ज्ञापन और उच्च शिक्षा में 1713 करोड़ के 44 एमओयू साईन हुए थे। हाउसिंग के 33 एमओयू में 12054.50 करोड़ निवेश होना था। इस मीट में जितना निवेश आने के एमओयू साईन हुये थे और रोजगार का दावा किया गया यदि इन दावों का आधा भी व्यवहार में होता तो प्रदेश पर शायद इतना कर्ज भी न होता और बेरोजगारी में देश के पहले छः राज्यों में प्रदेश न आता। आज भी सरकार पर्यटन के क्षेत्र में ए.डी.बी का 1311 करोड़ का कर्ज निवेश करने जा रही है। 2019 की ग्लोबल इन्वैस्टर मीट से पहले भी ए.डी.बी. का 256.99 करोड़ कर्ज निवेशित हो चुका है। लेकिन इस सबके बाद भी परिणाम यह है कि 28-9-2019 को हस्ताक्षरित हुए 225 एम ओ यू में से शायद एक भी जमीन पर नही उतर पाया है।
एमओ यू को अमलीजामा पहनाने के लिये तीन बुनियादी आवश्यकताएं होती हैं। पहली जमीन दूसरी कैपिटल और तीसरी मार्केटिंग। यदि इनमें से एक की भी कमी हो तो कोई भी परियोजना सिरे नहीं चढ़ती है। इसलिये जिस इन्वैस्टर मीट पर प्रदेश के आम आदमी का करोड़ों रुपया आयोजन पर निवेश कर दिया गया है उसके वांछित परिणाम क्यों सामने नहीं आये हैं यह कारण जानने का आम आदमी को अधिकार है। यह सामने आना चाहिये कि क्या सरकार इन लोगों को जमीन ही उपलब्ध करवा पायी। या इनके पास वांछित कैपिटल का अभाव था या निवेश के बाद मार्केटिंग की सुविधायें नहीं थी। जिन विभागों ने यह एमओयू साइन किये थे उन्होंने इन्हें अमलीजामा पहनाने के लिये क्या कदम उठाये? क्या निवेशकों से कोई पत्राचार किया गया तो उसका क्या परिणाम सामने आया। यह सब प्रदेश के आम आदमी के सामने रखा जाना चाहिये। क्योंकि इस सरकार को भी वायदा किये रोजगार पैदा करने के लिए प्राइवेट सैक्टर का ही सहारा लेना पड़ेगा। पिछली सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग के तहत दो रोजगार योजनाएं घोषित की थी। अब इस सरकार ने उन दोनों योजनाओं को एक करके उद्योग विभाग को जिम्मेदारी दे दी है। लेकिन उन योजनाओं के तहत कितने लोगों को रोजगार मिल पाया है इसका कोई आंकड़ा सामने नहीं आ पाया है। यदि डबल इंजिन की सरकार के समय में भी निवेशक प्रदेश में नहीं आ पाया है तो आज कैसे आ पायेगा यह बड़ा सवाल है। जबकि प्रधानमंत्री और केन्द्रिय वित्त मन्त्री हर आदमी को कर्ज के लिये प्रेरित कर रहे थे। बैंकों को खुले मन से कर्ज बांटने के निर्देश थे। इस सबके बावजूद प्रदेश में यह प्रस्तावित निवेश क्यों नहीं आ पाया इसके कारण सामने आने ही चाहिये।
यह था प्रस्तावित निवेश
विभाग एमओयू निवेश
1. कृषि 2 225 करोड़
2.आयुष 45 1269.25 करोड़
3.प्रारंभिक शिक्षा 5 6.85 करोड़
4.उच्च शिक्षा 44 1713 करोड़
5. मत्स्य पालन 1 7 करोड़
6. वन 1 25 करोड़
7. स्वास्थ्य 5 632 करोड़
8.बागवानी 6 77.55 करोड़
9. उद्योग 250 17063.22 करोड़
10.आईटी 14 2833.21 करोड़
11. भाषा कला संस्कृति 1 25 करोड़
12. उर्जा 18 34112 करोड़
13. कौशल विकास 7 15 करोड़
14. खेल 2 116 करोड़
15.तकनीकी शिक्षा 1 300 करोड़
16. पर्यटन 225 16559.94 करोड़
17. परिवहन 13 3658 करोड़
18. शहरी विकास 30 6027.66 करोड़
19. आवास 33 12054.50 करोड़