शिमला/शैल। सीबीआई और ई डी द्वारा वीरभद्र के आवास और अन्य स्थानों पी की गयी छापामारी के आधार बने तथा जांच के दौरान जुाये गये दस्तावेज उन्हे सौंपने की गुहार दिल्ली उच्च न्यायालय से लगाई थी जिसे अन्ततः अदालत ने अस्वीकार कर दिया है।
लेकिन यह रिकार्ड अदालत के सामने अश्वय रखा जायेगा जिससे यह सन्तोष किया जा सके की जांच ऐजैन्सी ज्याती नही कर रही है। अदालत ने यह पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है कि जांच के दौरान रिकार्ड देने का कोई प्रावधान नही है। इस अस्वीकार का असर ई डी द्वारा की गयी संपति अटैचमैन्ट के आदेश को निरस्त करने की गुहार पर भी पड सकता है दिल्ली उच्च न्यायालय के इस अस्वीकार के बाद यह माना जा रहा है कि अब जल्द ही चालान अदालत तक पहुंच जायेगा। क्योंकि 173 सी आर पी सीे के तहत जो रिपोर्ट अदालत में फाईल होने की जो अनिवार्यता ई डी के 2002 के मूल अधिनियम में थी वह जनवरी 2013 में अधिसूचित हुए संशोधन में समाप्त कर दी गयी है।
दूसरी ओर वीरभद्र के साथ सह अभियुक्त बने आनन्द चौहान और चुन्नी लाल ने भी मामलों में अब हिमाचल उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अपने लिये उसी तर्ज पर राहत मांगी है। प्रदेश उच्च न्यायालय में इतनी देर बाद आयी इस याचिका पर रजिस्ट्री में कुछ एतराज लगाये गये थे जिन्ह दूर करने के बाद सुनवाई के लिये आयी इस याचिका पर अदालत ने इसकी मेनटेनेविलिटी का आधार आनन्द चैहान से पूछा है। इस याचिका पर प्रदेश के प्रशासनिक और राजनीतिक हल्कों में अलग तरह की अटकलों का दौर चल पड़ा है।
क्योंकि यदि आनन्द चैहान और चुन्नी लाल ने यह याचिका उसी समय डाल दी होती जब वीरभद्र को राहत मिली थी तब इसको लेकर कोई और सवाल न उठते। लेकिन अब जब यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में ट्रांसफर हो चुका है तब भी इस याचिका का हिमाचल उच्च न्यायालय में दायर किया जाना कई सवालों का जन्म देता है क्योंकि जब यह याचिका हिमाचल उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिये आयी उसी दिन दिल्ली उच्च न्यायालय मे ईडी ने वीरभद्र सिंह, प्रतिभा सिंह, आनन्द चैहान, चुन्नी लाल और विक्रमादात्यि तथा अपराजिता सिंह को तलब कर रखा था। इस पूरे परिदृश्य में यह माना जा रहा हैं कि इस प्रकरण में शीघ्र ही कुछ बड़ा घटने वाला है।