Friday, 19 September 2025
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मनाली की अदालत में महिला प्रार्थियों ने बनाया पीएमओ और मुख्यमन्त्री को अदालत में गवाह

शिमला/शैल। ई गर्वनैस और ई समाधान की वकालत केन्द्र से लेकर राज्यों तक की जा रही है बल्कि अब ई माध्यम से ही सर्वोच्च न्यायालय तक में याचिका डालने का मार्ग प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने इसका बटन दबाकर प्रशस्त करने का दावा किया है। राज्य सचिवालय में भी ई-समाधान का सैल कार्यरत है परन्तु यह सब जमीनी हकीकत पर कितना सही है इसका खुलासा जेएमआईसी मनाली की कोर्ट में आये एक मामलें से हो जाता है। इस मामलें के मुताबिक मनाली जनपद की तीन महिलाओं पुष्प लत्ता आयु 35 वर्ष, पुर्णिमा 30 वर्ष और राधा देवी 63 वर्ष ने 19-1-2016 को एसएचओ मनाली को क्षेत्रा के कुछ राजस्व अधिकारियों के खिलाफ एक गंभीर शिकायत दी। लेकिन एसएचओ ने पूरा दिन इनको बैठाये रखने के वाबजूद मामला दर्ज नहीं किया। कई दिन तक चक्कर काटने के बाद भी जब मामला दर्ज नही हुआ तब इन्होने कोर्टे का सहारा लिया और सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत अदालत से गुहार लगायी। अदालत ने 12-9-2016 को संबधित पुलिस थाना को मामला दर्ज करने के निर्देश दिये। इन निर्देशों पर भी आठ दिन बाद 20-3-2016 को मामला दर्ज हुआ। लेकिन मामला दर्ज होने के बावजूद दोषी राजस्व अधिकारियों के खिलाफ अभी तक कोई कारवाई नही हो पायी है। बल्कि एसएचओ मनाली ने अदालत को भेजे अपने उत्तर में याचिकाकर्ताओं पर ही पुलिस को सहयोग न देने का आरोप लगाया है।
जबकि पीड़ित महिलाओं ने सारे मामले की शिकायत पूरे दस्तावेजी प्रमाणों के साथ डीएसपी मनाली, एसडीएम मनाली को दी जंहा से 19-1-2016 को ही यह सारे दस्तावेज एसएचओ मनाली को भेज दिये गये थे। इन दस्तावेजों के थाना मनाली में पहुंचने का प्रमाण भी पीड़ित महिलाओं के पास है। लेकिन इनकी शिकायत पर कोई कारवाई करने के लिये तैयार नही है। यही नहीं इन्होने अपनी शिकायत देश के प्रधानमन्त्री के कार्यालय को, प्रदेश के मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह, सुप्रीम कोर्ट और प्रदेश उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को भी डाक और ई माध्यम से भेजी है लेकिन कहीं से भी इन्हे कोई जबाब या कारवाई नहीं मिली है।
अब 20-3-2017 को एक बार फिर से जेएमआइसी मनाली की अदालत का दरवाजा खटखटाकर इस शिकायत की जांच डीएसपी स्तर के अधिकारी से करवाये जाने की गुहार लगायी है। अदालत को दी याचिका में इन्होने प्रधानमन्त्री के सचिव, मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह, रजिस्ट्रार सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, जेएमआईसी कार्यालय और एसएचओ मनाली के कार्यालय को याचिका में बतौर गवाह नामज़द किया है। अदालत इस पर क्या आदेश करती है और पुलिस तन्त्र की क्या प्रतिक्रिया होगी इस पर सबकी निगाहें लगी है।

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