Friday, 19 September 2025
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भाजपा पर चुनाव उम्मीदवारों की सूची शीध्र जारी करने की उठी मांग

शिमला/शैल। प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी की पंचकूला में हुई बैठक के बाद पूर्व मुख्यमन्त्री और नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने हमीरपुर में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए हाईकमान से आग्रह किया है कि चुनाव प्रत्याशियों की घोषणा शीघ्र की जाये। शीघ्र घोषणा के लिये तर्क दिया गया है कि इससे एक तो प्रत्याशी अपने चुनाव प्रचार में जल्द व्यस्त हो जायेंगे और ऐसी घोषणा के बाद यदि कोई नाराज़गीयां भी उभरती हैं तोे उन्हे भी समय रहते शांत किया जा सकता है। धूमल के इस आग्रह और तर्क में एकदम व्यवहारिकता झलकती है क्योंकि भाजपा की जीत का जो उत्साहपूर्ण वातावरण लोक सभा चुनावों से लेकर उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश तक सामने आया है उससे पार्टी का हर कार्यकर्ता जहां जीत को लेकर आश्वस्त है वहीं पर उसके भीतर यह ईच्छा भी उभरती है कि वह स्वयं भी तोे उम्मीदवार होने का पात्र है। भाजपा को समझने वाले जानते है कि संघ परिवार एक बहुत बड़ा अदारा है और उसमें भाजपा तो एक राजनीतिक ईकाई है इसकी अन्य ईकाईयों की तरह। भाजपा को सत्ता में लाने में इन सब ईकाईयों का अपना-अपना योगदान रहता है। भाजपा का दूसरी और तीसरी पंक्ति का नेतृत्व इन्ही ईकाईयों में से आता है। आज जब भाजपा के पक्ष में एक हवा मानी जा रही है तथा हिमाचल में कांग्रेस भाजपा का कोई विकल्प भी नही है तो ऐसे में यहां पर अपने दूसरी और तीसरी पंक्ति के नेतृत्व को चुनाव मैदान में उतारने का यह सबसे उपयुक्त समय और स्थान है।
संघ नेतृत्व इस दिशा में एक लम्बे अरसे से काम भी करता आ रहा है। इस संद्धर्भ में पाठकों को याद होगा कि काफी समय पहले सोशल मीडिया में एक सूची वायरल हुई थी और उसे हमने अपने पाठकों के सामने भी रखा था। उस सूची में 28 नाम शामिल थे और यह दावा किया गया था कि इन लोगों के टिकट कट सकते हैं। इस सूची के बाद संभावित मुख्यमन्त्रीयों के नाम से एक आठ नामों की सर्वे रिपोर्ट वायरल हुई थी। सर्वे भी पाठकों के सामने आ चुका है। अब 31 नामों की एक सूची वायरल हुई और दावा किया गया कि इन लोगों के चुनाव टिकट फाईनल हो चुके है। यह भी दावा किया गया कि अमितशाह अपनी 22 की प्रस्तावित रैली में इन नामों की घोषणा कर देंगे। यह 31 नामों की सूची भी हम अपने पाठकों के सामने रख चुके है। इस सूची के इस तरह सार्वजनिक हो जाने के बाद पार्टी ने वाकायदा अपने आईटी सैल को इसके लीक होने की जांच करने के आदेश जारी किये हैं। यह सूची पंचकुला में हुई कोर कमेटी की बैठक में भी एक बड़ा मुद्दा बनकर चर्चित हुई है यह सामने आ चुका है। संघ की कार्यप्रणाली की जानकारी रखने वाले जानते हैं कि इस तरह की सूचियां एक निश्चित रणनीति के तहत आम लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिये जारी की जाती है। कोर कमेटी की बैठक के बाद भी यह दावा किया गया है कि पार्टी ने उम्मीदवारों को लेकर एक सर्वे किया है और उस सर्वे के आधार पर ही टिकटों का आवंटन किया जायेगा। इससे स्पष्ट हो जाता है कि यह सारी सूचियां उसी सर्वे के एक हिस्से के रूप में वायरल हुई है।
इस परिदृश्य में यदि भाजपा का आकंलन किया जाये तो जो सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु उभरता है उसमे दूसरी और तीसरी पंक्ति के लोगों को चुनावी मैदान में उतारने की बात होती है। कोर कमेटी में हुई चर्चा और संघ के सूत्रों के मुताबिक 37 से 40 तक पार्टी ने चुनाव में नये चेहरों को उतारने का फैसला लिया है। इसके बाद जो लोग पार्टी छोड़कर कभी बाहर चले गये थे और अब फिर घर वापसी कर चुके है इनमें से कितने लोगों को टिकट दिया जाये सूत्रों के मुताबिक इस पर अभी कोई फैसला नही लिया गया है। इसी के साथ वर्तमान विधायक दल में कितनों को फिर से चुनाव में उतारा जाये इस पर केवल 18 नामों पर ही सहमति बन पायी है जबकि पार्टी के अपने चुनाव चिन्ह पर ही 27 लोग जीत कर आये हैं। इनके बाद महेश्वर सिंह और निर्दलीय आते हैं जिन्होने अब पार्टी ज्वाईन की है। इस तरह विधायक दल में से ही करीब एक दर्जन लोगों के टिकटों पर संशय की तलवार लटकी हुई है। इस सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि कांग्रेस से कितने लोग पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामते है और भाजपा उन्हे टिकट भी देती है। जो 31 नामों की सूची वायरल हुई थी उसमें कांग्रेस नेता जीएसबाली, करनेश जंग के नाम शामिल थे। भाजपा नेतृत्व एक लम्बे असरे से यह दावा भी करता आ रहा है कि कई कांग्रेस नेता उनके संपर्क में है। कोर कमेटी में भी इन कांग्रेस के संभावितों पर चर्चा हुई है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि यदि कांग्रेस के कुछ लोग वास्तव में ही भाजपा में शामिल हो रहे हैं तो यह घोषणा अमितशाह की प्रस्तावित रैली में 22 को हो जायेगी। क्यांेकि इसी बीच अब शेष बचे 37 उम्मीदवारों की सूची भी वायरल हो गयी है। अभी पहली वायरल हुई सूची की जांच शुरू भी नही हुई है और अब दूसरी सूची का आ जाना भाजपा के लिये और चुनौती बन गया है। भाजपा की इन सूचीयों के वायरल होने के पीछे पार्टी के भीतर उभरी गुटबन्दी को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। जो सूचियां अब तक बाहर आ चुकी है उनमें केवल दस प्रतिशत के ही फेरबदल की संभावना है। 90ः नामों को फाईनल माना जा रहा है बल्कि इन सूचियों के इस तरह वायरल होने से बचने के लिये उम्मीदवारों की अधिकारिक सूची को शीघ्र जारी करना ही इसका हल माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में भाजपा इस चुनाव में न केवल अपनी जीत ही सुनिश्चित करना चाहती है बल्कि कांग्रेस को भीतर तक तोड़ना और चुनावों में उसे लीडरहीन करना उसकी राजनीतिक आवश्यकता बन गयी है। यदि उच्चस्थ सूत्रों की माने तो इसके लिये भाजपा का केन्द्रिय नेतृत्व किसी भी हद तक जा सकता है। इसमें माना जा रहा है कि कांग्रेस के आठ से दस तक नेता भाजपा का दामन थाम सकते है। ऐसा होने पर आचार संहिता लगने तक सरकार के ही टुटने की स्थिति खड़ी हो जाती है। क्योंकि राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है और प्रदेश के सियासी हालात भी इसी ओर संकेत कर रहे हैं।

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