Friday, 19 September 2025
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क्या हिमखण्ड में दबे जवानों की अहमियत पुलवामा में शिकार हुए जवानों से कम है

 शिमला/शैल। 20 फरवरी को किन्नौर के पूह से आगे चीन सीमा पर सेना के पांच जवान हिमखण्ड के नीचे दब गये थे। इन जवानों को निकालने के लिये चलाये जा रहे राहत कार्य का जायज़ा लेने के लिये सरकार की ओर से मुख्यमन्त्री या उनका कोई भी मन्त्री मौके पर नही जा पाया है। इन जवानों में एक सोलन के नालागढ़ का भी है। जब इसके दबे होने की खबर परिवार तक पहुंची तब से परिवार का बुरा हाल है लेकिन परिवार की सुध लेने कोई नही पहुंचा। प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व की संवेदनहीनता को हिलाने के लिये इस जवान के ही गांव के एक युवक ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है। इनका एक वीडियो वायरल हुआ है इसमें रायफलमैन राजेश की मां की गुहार है।
वीडियो में ऋषि की मां मायादेवी कह रही है कि उसके बच्चे को फटाफट निकाला जाए। वह कह रही है कि इतनी ढील क्यों पाई गई है। उनके साथ कोई नहीं है। वीडियो में एक युवक कह रहा है कि गांव में कोई मीडिया वाला भी नहीं आ रहा है। हम आने जाने का खर्च देने को तैयार है। ये युवक सवाल भी उठा रहा है कि क्या मीडिया वाले तभी आते है जब कोई अमीर का बच्चा ऐसे बर्फ में दबा हो। ये युवक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से गुहार लगा रहा है कि ऋषि को तुरंत निकाला जाए।
ऋषि के चचेरे भाई धर्मवीर ने कहा कि वह वीडियो उन्होंने ही बनाया है। उनकी कोई सुन ही नहीं रहा है। ऋषि की शादी अभी हाल ही में दिसंबर में हुई थी। उन्होंने कहा कि वीडियो में गांव की महिलाएं है व जो युवक कुछ कह रहा है वह भी गांव का ही है। धर्मवीर ने कहा कि ट्टषि परिवार का एक ही कमाने वाला सदस्य है। दूसरा भाई मानसिक तौर पर कमजोर है। पूरा परिवार सदमे में है।
ऋषि की यूनिट से संपर्क कर रहे ऋषि के ताया रणदीप सिंह ने कहा कि सेना की ओर से उनसे लगातार बातचीत की जा रही है। सचिवालय की ओर से कोई मिलने नहीं आया है न ही किसी मंत्री का फोन आया है। उन्होंने कहा कि बीते रोज उन्होंने एसडीएम नालागढ़ को फोन किया था कि हमारा बच्चा आठ दिन से गायब है। प्रशासन की ओर से कोई नहीं आया। ऐसे में अब एसडीएम नालागढ़ घर आए थे। इससे पहले पूर्व भाजपा के पूर्व विधायक के एल मेहता व कांग्रेस विधायक लखविंदर राणा भी एक दिन घर आए थे।
उन्होंने कहा कि ऋषि के पिता चल फिर नहीं सकते। मां को पोलियो था जबकि उसका भाई इतना तेज नहीं है कि किसी स्तर पर बातचीत कर सके। उन्होंने कहा कि वह शादी के बाद 28 जनवरी को ही डयूटी पर वापस लौटा था। अब घर में सबका बुरा हाल है।
बचाव व राहत टीम को मिला मोबाईल- राहत व वचाव कार्य के बीते रोज आठवें दिन राहत व बचाव दल को मौके पर से एक मोबाईल मिला है। यह भी खोजी कुतों की मदद से मिला। इसके अलावा एक गैंती और टोपी मिली थी। आज जो मोबाईल मिला है वह बंद था जब उसे आन किया गया तो वह चल पड़ा। संभवतः वह यहां दबे रायफलमैन नीतिन राणा का है। लेकिन इस बावत कहीं से कोई पुष्टि नहीं हो रही है। एडीएम पूह शिव मोहन सिंह सैणी ने कहा कि उन्हें इतनी ही जानकारी है कि एक मोबाईल मिला है। उन्होंने कहा कि अब भी राहत व बचाव कार्य दिन भर चलता रहा। मौसम खराब था लेकिन बाद में मौसम साफ हो गया। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि संभवतः कल कुछ सफलता मिलने की संभावना है। उन्होंने कहा कि मौके पर 25 से 30 फुट ऊंची बर्फ है और नाला बेहद तंग है। इसके अलावा लगातार बर्फबारी पड़ रही है।
सेना के यह पांचो जवान भी चीन की सीमा पर देश के ही काम से सेना द्वारा भेजे गये थे। वहां पर उसी तरह अचानक हिम खंड हादसे के शिकर हो गये जिस तरह पुलवामा में सीआरपीएफ के जवान आतंकी हमले के शिकार हुए। पुलवामा में शिकार हुए सीआरपीएफ के जवानों के परिवारों को उनके संबधित राज्य सरकारों और केन्द्र सरकार ने भरपूर सहायता दी है। पुलवामा में हिमाचल के कांगड़ा का तिलक राज भी शिकार हुआ है। जयराम सरकार ने तिलक राज की विधवा पत्नी को डीसी आफिस धर्मशाला में लिपिक की नौकरी दी है। इसके अलावा और भी कई लोगों ने परिवार को सहायता का आश्वासन दिया है। लेकिन रायफल मैन राजेश के परिवार को वैसी ही सहायता न तो केन्द्र सरकार और न ही प्रदेश सरकार की ओर से दी गयी है। आज पुलवामा में जो कुछ घटा है उनके फोटो चुनावी सभाओं में लगाये जाने के समाचार सामने हैं। अनचाहे ही यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है। लेकिन जब पुलवामा के साथ ही किन्नौर के हिमखण्ड में दबे सेना के ही पांच जवानों का हादसा सामने रखा जायेगा तो क्या उसमें अपने आप ही राजनीतिक आचरण पर सवाल नही उठेंगे। क्या यह नही पूछा जायेगा कि इनकी अहमियत कम क्यों?

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