शिमला/शैल। राजीव गांधी पंचायती राज संस्थान के संयोजक दीपक राठौर ने कहा कि प्रदेश की सेब बागवानी खतरे में है अगर समय रहते उचित कदम न उठाये गये तो प्रदेश के बागवानों को इसका खामियाजा भुगतना पडेगा। प्रदेश की चार हजार करोड़ की आर्थिकी सेब पर आधारित है इसके बावजूद प्रदेश के बागवानों को इस बार सेब की दस साल पुरानी किम्मतें ही मिल पा रही हैं। जबकि बागवानी विभाग ने इस वर्ष सेब की चार करोड़ पेटीयां होने का अनुमान लगाया गया था जिसमें से अभी तक ढाई करोड़ पेटीयां भी बाजार में नही उतर पायी है। इससे यह साफ हो जाता है कि इस बार सेब की बम्मपर फसल नही हो पायी है। राठौर ने बताया सेब बागवानों की समस्या को जानने के लिये हमने एक छः सदस्यीय कमेटी का गठन किया था जिसने गावों में जाकर सेब बागवानों, आढ़तीयों और लदानीयों से मिलकर उनकी समस्याओं को जाना और उसके आधार पर सरकार के समक्ष अपनी मांगे रखी। जिसमें 5-5 ग्राम पंचायतों के लिये एक कोल्ड स्टोर बनाया जाये और कोल्ड स्टोर की देखभाल कारपोरेट सोसायटी के हाथों में दी जाए। प्रदेश सरकार सेब बागवानों को उनकी फसल के उचित मूल्य दिलवाने के लिये ठोस कदम उठाये। सरकार घटीया स्प्रे विक्रेताओं पर निगरानी रखें और प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा फूड प्रोसैसिन्ग यूनिट लगाये जिसका सीधा फायदा बागवान को मिल सके। सरकार आधुनिक सुविधाओं वाली आढ़त एक छत के नीचे प्रदान करे जिसका लाभ व्यापारी और बागवान उठा सकें। अगर सरकार ने जून तक इन सभी मांगो की सुनवाई नही की तो प्रदेश के सेब बागवानों द्वारा जन आन्दोलन छेड़ा जायेगा।