Friday, 19 September 2025
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रिपन को कोविड अस्पताल बनाने पर शिमला में उठा रोष

 शिमला/शैल। जयराम सरकार ने कर्फ्यू में दो घण्टे की और ढील देने के साथ ही एक और बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के अनुसार अब शिमला के आई जी एम सी अस्पताल की बजाये शहर के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल को कोविड-19 अस्पताल जामजद किया है। इसके लिये यह तर्क दिया गया है कि आई जी एम सी के कोविड अस्पताल होने से वहां पर अन्य मरीजों के ईलाज में कठिनाई आ रही थी। क्योंकि आई जी एम सी में प्रदेश भर से मरीज रैफर होकर आते हैं। ऐसे में यह आवश्यक हो गया था कि दूसरे मरीजों के ईलाज के लिये तुरन्त प्रभाव से प्रबन्ध किया जाता।

लेकिन सरकार के इस फैसले में व्यवहारिक समझदारी से काम नही लिया गया। क्योंकि रिपन शिमला का जिला अस्पताल होने के साथ ही शहर के केन्द्र में स्थित है। सबसे बड़ी आनाज़ मण्डी के साथ यह लगता है। इसके कोविड नामजद हो जाने से इसका असर शहर के पूरे बाजार पर पडेगा। इसके आसपास रिहाईशी आवास भी बहुत  है। यहां कोविड केंद्र होने से पूरे क्षेत्र पर बहुत ज्यादा असर पडेगा। इससे कर्फ्यू में मिली  ढील का भी कोई अर्थ नही रह जायेगा। इसको लेकर पूरे शहर में रोष व्यापत है और लोग यहां के स्थानीय विधायक शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज तक अपना रोष पहुंचा चुके हैं।
शिमला में कोविड के उपचार की व्यवस्था होना भी आवश्यक है। इसके लिये बेरियर स्थित अस्पताल भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसी के साथ इन्डस अस्पताल दूसरा विकल्प है। यह प्राईवेट अस्पताल शहर के ऐसे स्थान पर स्थित है जहां पर स्थानीय आबादी नही के बराबर है। फिर महामारी अधिनियम 2005 में यह प्रावधान मौजूद है कि सरकार संकट के समय किसी भी प्राईवेट संसाधन को अपने अधीन ले सकती है। यदि इसके लिये इन्डस को मुआवजा भी देना पडे तो दिया जा सकता है क्योंकि भारत सरकार से प्रदेश को करीब 140 करोड़ रूपया कोविड के लिये ही मिला है।

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