शिमला/शैल। केन्द्रिय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा के हिमाचल के दो दौरों ने प्रदेश के सियासी समीकरणों को हिल्लाकर रख दिया है। पहले दौरे में उन्होने कुल्लू में प्रदेश की सियासत में वापसि का संकेत जिस अदांज में दिया था इस दौरे में उस अंदाज को पीटरहाॅफ में ऐसे मुखर किया जिससे यह स्पष्ट संकेत उभरा कि भाजपा हाईकमान ने उन्हे प्रदेश का नेतृत्व सौंपने का मूक ऐलान कर दिया है। गडकरी के नड्डा को लिखे पत्र को ऐसे प्रचारित प्रसारित किया गया जैसे की इन नैशनल हाइवेज़ की अधिसूचना वास्तव मेें ही केन्द्र ने जारी कर दी हो। जबकि इन नैशनल हाइवेज़ को अमली शक्ल मिल भी पायेगी या नही यह सन्देह भी स्वयं गडकरी के पत्रा से ही झलकता है। नड्डा और भाजपा के इस अन्दाज का असर पार्टी और चुनावों पर क्या पडे़गा यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा लेकिन वीरभद्र और उनकी सरकार पूरी खामोशी बरतने से सियासी समीकरणों में बदलाव अश्वय आया है।
हालांकि नड्डा के नाम का किसी ने कहीं कोई एलान नहीं किया लेकिन राजधानी के एक नामी सरकारी होटल पीटरहाफ में नड्डा ने जिस तरह से प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार और मोदी सरकार में सड़क मंत्राी गडकरी के मंत्रालय के नेशनल हाइवे के अधिकारियों के साथ फर्राटा बैठक की व अपने मंत्रालय के नहीं गडकरी के मंत्रालय में दखल देकर अधिकारियों की क्लास ली है, वो सब कुछ साफ साफ बयां कर गई हैं।
इसके अलावा नड्डा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ एक भी बोल नहीं बोला। यहां तक सरकार के कामकाज पर भी मौन साध गए। जबकि प्रदेश भाजपा व धूमल खेमा पिछले तीन सालों से वीरभद्र सिंह पर ताबड़तोड़ हमले करता आया है। वीरभद्र सिंह के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार पर न तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ बोलते है और न ही उनके मंत्री जेपी नड्डा कोई हमला बोलते हैं। जबकि मोदी सरकार की सीबीआई वीरभद्र सिंह के खिलाफ जांच कर रही हैं। यहां ये महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व जगत प्रकाश नड्डा दोनों के ही वीरभद्र सिंह से दोस्ताना रिश्ते हैं। दूसरे वीरभद्र सिंह की ये मजबूरी है कि प्रदेश में धूमल नहीं कोई और नेता भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा बने।
उधर दूसरी ओर प्रदेश में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि किसी केंद्रीय मंत्री ने दूसरे मंत्री के मंत्रालय के कामकाजों का जायजा लिया हो। गडकरी व नड्डा के आपस में याराना रिश्ते है। शायद ये लिबर्टी गडकरी की ओर से इसी याराना की वजह से मिली हो।
इसके अलावा पीटरहाफ में भाजपा नेताओं की फौज जिस तरह से खड़ी हुई वो अपने आप में चैंकाने वाली थी। उनके स्वागत में बैंड बाजा भी बजा तो फूल-मालाएं पहनाने को भी भाजपा नेता आतुर रहे। भाजपा अध्यक्ष सतपाल सती से लेकर धूमल खेमे के विरोधी मंडी जिला से विधायक महेंद्र सिंह ठाकुर, जयराम ठाकुर, शिमला के विधायक सुरेश भारद्वाज, अर्की के विधायक गोबिंद शर्मा नड्डा के चारों ओर घूमते रहे।
इसके अलावा धूमल खेमा भी पीछे नहीं था। जिला कुल्लू से गोबिंद ठाकुर, जिला सिरमौर;पहले सोलनद्ध राजीव बिंदल उनके आसपास रहे। इसके अलावा भाजपा सांसद रामस्वरूप शर्मा व बीरेंद्र कश्यप भी इस मौके पर मौजूद रहे लेकिन जलवा सिर्फ नडडा का ही रहा। राजीव बिंदल मीडिया को काबू में रखने का काम करते रहे चूंकि नड्डा मीडिया से बात करने में तय समय से देरी से आ रहे थे। सो बिंदल पूरी तरह से चैकस रहे।
नड्डा ने कहा कि मोदी सरकार ने दो सालों में 60 नेशनल हाइवे हिमाचल को दिए है जिन पर कम से कम 13 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें से 56 नेशनल हाईवे तो इसी साल मंजूूर किए गए हैं। इन हाईवे पर उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के अफसरों से उनकी बैठक हुई है व उन्होंने अफसरों को निर्देश दिए है कि वो एक सप्ताह के भीतर इन हाइवे में होनेे वाले किसी भी तरह के बदलाव की रिपोर्ट मोदी सरकार को भेज दें ताकि इन पर काम हो सके। नड्डा ने कहा कि जैसे ही बदलाव की रिपोर्ट मोदी सरकार के पास पहुंचेगी उसी के साथ डीपीआर तैयार करने के लिए कंस्लटेंट नियुक्त करना शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि वो चाहते है कि प्रदेश को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो।
वीरभद्र सिंह सरकार पर हमला करनेे से बचते हुए नड्डा ने केवल इतना कहा कि जिस रफ्रतार में मोदी सरकार काम कर रही है वीरभद्र सिंह सरकार भी उसी रफ्तार में काम करें। वीरभद्र सिंह सरकार की रफ्तार तेज नहीं है। 2017 के विधानसभा चुनावों में वो भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे इसका उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। वो बोले वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केबिनेट में बाखुबी काम कर रहे हंै। इसके अलावा उन्होंने कहा कि वो विकास के मसले पर बात करने आए है। दिलचस्प ये रहा कि वो वीरभद्र सिंह व उनके सरकार के कामकाज पर किसी भी तरह का हमला करने से बार -बार बचते रहे। उन्होंने उन पर सीधा हमला नहीं किया।
यहां ये महत्वपूर्ण है कि अगर नड्डा को हिमाचल से मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर उतारा जाता है तो फिर धूमल परिवार की राजनीति पर विराम लगना तय है। आगामी चुनावों में प्रदेश में पिता पुत्रों की सरकार एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनने वाला है। ये भााजपा आलाकमान भी जानता है। कांग्रेस में वीरभद्र सिंह व विक्रमादित्य सता पर काबिज है तो भाजपा पर धूमल व अनुराग का कब्जा है।
आज दिलचस्प स्थिति भाजपा अध्यक्ष सतपाल सती की रही है। वो नड्डा खेमे की ओर भी है और धूमल खेमे की ओर भी। हालांकि वो अपना झुकाव किस ओर रखेंगे ये आगामी दिनों में तय हो जाएगा। समझा जा रह है एबीवीपी का खेमा नड्डा की ओर झुकेगा। एबीवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नागेश कुमार भी बिलासपुर से हैं। बताते है कि वो राज्यसभा जाने का सपना पाले हैं। नड्डा उनके लिए सीढ़ी बन सकते है। इन सबकों को एक दूसरे की जरूरत हैै। हालांकि भाजपा के लिए धूमल को नजरअंदाज करना आसान नहीं हैं। लेकिन कहते है कि उनके लिए गवर्नरी का पद रखा हुआ है जबकि उनके पुत्र अनुराग ठाकुर के लिए हमीरपुर लोकसभा सीट सुरक्षित है। ऐसे में नड्डा को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने से पिता-पुत्र की सरकार की काट भी मिल जाएगी। अब देखना ये है कि भाजपा आगे क्या करती है।