78 मजदूर निकाले गये और अन्य की तैयारी
शिमला/शैल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नोटबंदी घोषणा के बाद प्रदेश के सबसे बडे़ सीमेंट कारखाने अंबूजा में कार्यरत मजदूरों को काम से निकालने का काम शुरू हो गया है। स्मरणीय है कि अंबूजा सीमेन्ट में मजदूरी का सारा काम ठेकेदारों के माध्यम से अन्जाम दिया जाता रहा है। अब इन्ही ठेकेदारों के नाम से मजदूरों सेपरेशन स्कीम के तहत काम से हटाने के नोटिस कंपनी के गेट पर चिपका दिये गये हैं। अब तक 78 लोगों को काम से हटा दिया गया है और अन्य के भविष्य पर तलवार लटक गयी है। काम से हटाने के लिये जो नोटिस जारी किये गये हैं उनमें कहा गया है कि अब उनके पास काम नही रहा है और भविष्य में भी काम होने की संभावना नही है। ऐसे में बिना काम के मजदूरों को वेतन दे पाना संभव नहीं है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया जा रहा है कि अचानक काम में कमी कैसे आ गयी है? या फिर इसके पिछे कोई और खेल खेला जा रहा है।
प्रदेश के लेवर विभाग का इस बारे में कहना है कि वह इस संबध में कुछ नहीं कर सकता है। क्योंकि सीमेंट उद्योग केन्द्र सरकार की कन्ट्रोल्ड सूची में आता है। इस कारण सीमेन्ट उद्योग में कार्यरत लेवर के बारे में भी केन्द्र का लेवर विभाग ही इसका सज्ञांन ले सकता है। इसके लिये पीड़ित मजदूरों को केन्द्र के डिप्टी चीफ लेवर कमीशनर चण्डीगढ़ के पास ही अपनी याचिकाएं दायर करनी होगीं। प्रदेश के लेवर विभाग को मजदूरों को निकाले जाने के बारे में कोई जानकारी ही नही है। उधर अबुंजा में मजदूरों के अन्दर बहुत रोष व्याप्त हो चुका है और मजदूर अपने भविष्य के लिये किसी भी हद तक जाने को तैयार हो गये हैं। प्रबन्धन ने इस स्थिति से निपटने के लिये पुलिस बल भी तैनात करवा दिया है।