Thursday, 18 September 2025
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मंच ही नही हैलीकाॅप्टर की सूची से भी गायब था बाली का नाम


शिमला/बलदेव शर्मा। वीरभद्र सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर सरकार ने धर्मशाला में रैली आयोजित की थी। इस रैली को कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने संबोधित किया था। यह कार्यक्रम सरकार द्वारा आयोजित किया गया था। लेकिन इस रैली के मंच पर परिवहन मन्त्री जी एस बाली को स्थान नही दिया गया। बाली जब मंच तक आने लगे तो सुरक्षा कर्मी ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि मंच पर बैठने वालों की सूची में उनका नाम शामिल ही नही है। यह सरकारी कार्यक्रम था इसलिये स्वभाविक रूप से मंच पर बैठने वालों की जो सूची तैयार की गयी होगी उसकी जानकारी मुख्यमन्त्राी कार्यालय और मुख्य मन्त्री को ही रही होगी। सूची तैयार होने के बाद इसकी प्रति मंच संचालक को दी जाती है लेकिन मंच संचालक उसमें अन्तिम क्षणों में कोई फेरबदल नहीं कर सकता। इस रैली में मंच संचालक की जिम्मेदारी उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री के पास थी।
स्मरणीय है कि पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मण्डी आये थे तब भाजपा ने जो रैली आयोजित की थी उस रैली में मोदी ने जिस भाषा और तर्ज में वीरभद्र के भ्रष्टाचार मामलों का जिक्र किया था उससे सरकार और कांग्रेस दोनो असहज हो उठे थे। उस रैली की प्रतिक्रिया में यह दावा किया गया था कि इसी स्थल पर इससे भी बड़ी रैली का आयोजन करके मोदी और भाजपा को जवाब दिया जायेगा। उसके बाद उच्चस्थ सूत्रों के मुताबिक मण्डी में इस रैली का आयोजन करने का प्रयास किया। मण्डी के बाद ऊना में संभावना तलाश की गयी और अन्त में इसके लिये धर्मशाला तय की गयी। धर्मशाला की रैली को सफल बनाने के लिये कांगड़ा के मन्त्रीयों जी एस बाली, सुधीर शर्मा और सुजान सिंह पठानिया के अतिरिक्त युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने विशेष प्रयास किये। विक्रमादित्य सिंह ने हमीरपुर, ऊना और कांगड़ा का विशेष दौरा किया। संभवतः इसी दौरे के परिणाम स्वरूप कई जगहों पर उनके पोस्टर देखे गये। लेकिन रैली के लिये मुख्य मन्त्री और सुधीर शर्मा के पोस्टर ही ज्यादा देखे गये और अन्य मंत्रीयों को इनमें जगह नही मिली। यहां तक कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुक्खु भी ज्यादा नजर नही आये। मंच पर भाषण का मौका भी मन्त्रीयों में केवल सुधीर को ही मिला। जबकि सूत्रों के मुताबिक रैली के लिये परिवहन प्रबन्धों की सारी जिम्मेदारी बाली ने निभाई है। कांगड़ा की राजनीति में बाली के प्रभाव और स्थान को कम करके नहीं आंका जा सकता। यह उन्होने पंचायती राज सभाओं के चुनावों में पूरी तरह प्रदर्शित कर दिया था। दिल्ली दरबार में बाली ने किस तरह से पुनः अपना स्थान बना लिया यह सब जानते है। इसी स्थान के फलस्वरूप वह रैली के बाद राहुल गांधी का एक कार्यक्रम अपने चुनाव क्षेत्रा नगरोटा में रखवाने -करवाने में सफल रहे। इस कार्यक्रम में भी बाली ने राहुल के सामने मीलों लम्बी लाईनंे लगवाकर अपने जनाधार का सफल परिचय दे दिया। इस कार्यक्रम में भीड़ ने बाली और राहुल के नारे भी लगाये। धर्मशाला की रैली की सफलता का श्रेय अकेेले सुधीर शर्मा को नही जाता है यह सब मानते है। लेकिन व्यवहारिक तौर पर इस रैली को एक तरह से सुधीर और विक्रमादित्य सिंह ने ही हाईजैक कर लिया था। सूत्रों के मुताबिक इस पर न केवल बाली बल्कि कई अन्य नेता भी अन्दर खाते नाराज़ है। बाली को मंच पर न पाकर कांगड़ा के लोगों में हैरानी होना स्वाभाविक है। बाली ने जब सूची में उनका नाम ने होने की शिकायत मुख्यमन्त्री से करके इसकी जांच करने का आग्रह किया तो मुख्यमन्त्री ने बाली के आक्षेप को कोरा झूठ करार दे दिया। जबकि सच तो यह है कि बाली का नाम राहुल के साथ हैलीकाॅप्टर में बैठने वालों की सूची में भी नही था। बाली हवाई अड्डे तक अपनी गाडी में पहुंचे है हालांकि राहुल ने हैलीकाप्टर में उनके बारे में पूछा और थोड़ा इन्तजार भी किया। यह सब आज कांगड़ा में हरेक की चर्चा का विषय है। भाजपा को कांग्रेस की एक जुटता पर हमला करने का मौका मिल गया। हैं बल्कि अब बाली विरोधी नितिन गडकरी के साथ उनके रिश्तों को एक नयी व्याख्या देने लग पड़े हैं। बाली एक ऐसे नेता है जिनकेे रिश्ते दूसरे राजनीतिक दलों के कई बड़े नेताओं के साथ बहुत अच्छे है। इन्ही रिश्तों के कारण कई लोग बाली के अनचाहे विरोधी हो गये हैं। लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक हल्कों में यह सवाल बराबर गूंज रहा है कि मुख्यमन्त्री के निकटस्थों ने इस समय राजनीतिक विवाद का यह नया अध्याय क्यों शुरू करवा दिया। इसी का परिणाम है कि बाली जहां भाजपा के आरोप पत्र को खारिज कर रहे है। वहीं पर यह भी मान रहे है कि बेरोजगार युवाओं के साथ किया गया वायदा पूरा नहीं किया गया है। बाली का मंच के साथ ही हैलीकाॅप्टर की सूची से भी नाम गायब होना एक महज संयोग नही माना जा सकता और बाली का यह दर्द कई लोगों को दर्द दे सकता है।

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