शिमला/बलदेव शर्मा
प्रदेश सरकार आवास विभाग हिमुडा के माध्यम से समाज के विभिन्न आय वर्ग के लोगों के लिये उनकी आवास संबधी आवश्यकताओं के अनुरूप मकानों/फ्लैटो के निर्माण और प्लाटों को विकसित करने का कार्य करता है। वित्तिय वर्ष 2016-17 में 122 फ्रलैटों के निर्माण और 145 प्लाटों को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। हिमुडा के पास प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर 454-12 बीघा उपलब्ध है। इस समय ठियोग, फ्रलावरडेल, संजौली मन्दाला (परवाणु) जुरजा (नाहन) और भटोली खुर्द (बददी) में आवासीय कालोनियों के निर्माण का कार्य चल रहा है। वित्तिय वर्ष 2015- 16 के लक्ष्यों के मुताबिक शील (सेालन) बरोली खुर्द त्रिलोकपुर (नाहन) और शिमला के विकास नगर में वाणिज्य परिसर के निमार्ण का कार्य चल रहा है। शहरी गरीबों के लिये आशियाना (2) का ढली में निमार्ण चल रहा है।
लेकिन अभी 2016 -17 में शिमला के जाठिया देवी शनान में 5.91.69 है0 जमीन करीब दस करोड़ में खरीदी है। इस जमीन खरीद की योजना कब बनी और क्या यहां पर बनने वाले मकानों/ फ्लैटो के खरीददार हिमुडा के पास उपलब्ध है? यह मकान/फ्रलैट किस आय वर्ग के लिये होंगे और कब तक तैयार हो जायेंगे? इस पर हिमुडा प्रबन्धन स्पष्ट रूप से कुछ कहने की स्थिति में नही है। क्योंकि नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर रियल इस्टेट पर ही हुआ है। लेकिन मार्किट की असमंजस पूर्ण स्थिति के वाबजूद हिमुडा ने इस कालोनी के निमार्ण का कार्य सिंगापुर की एक कंपनी को सौंप दिया है। पिछले दिनों इस कंपनी के प्रतिनिधि शिमला आये थे। इन लोगों को होटल वाईल्डफ्लावर हाॅल में ठहराया गया और होटल सिसिल में इनके साथ इस निमार्ण का एमओयू साईन किया गया। कंपनी के लोगों को जमीन दिखाने के लिये यहां पर उगी झाड़ियों को साफ करवाने के लिये ही करीब आठ लाख रूपया खर्च किया गया है। यही नहीं कंपनी के लोगों को वापिस जाते समय भारी भरकम तोहफे भी यादगार के नाम पर दिये गये है।
इस सिंगापुर की कंपनी के साथ इस तरह वीआईपी ट्रिटमैंन्ट क्यों किया गया? जबकि यह कंपनी तो एक ठेकेदार से ज्यादा नही है। यह कंपनी इस निमार्ण के लिये क्यों चिन्हित हुई? क्या जाठिया देवी की जमीन खरीद से पहले ही यह कंपनी चिन्हित कर ली गयी थी? क्या इस कंपनी के लिये ही बिना पूर्व योजना के यह जमीन खरीदी गयी? चर्चा है कि इस कंपनी के तार जयपुर से जुड़े हुए है। यह भी चर्चा हैं कि इस कंपनी का सिंगापुर में कोई बड़ा होटल और उसमें यहां के किसी बड़े का करोड़ो का निवेश हैं चर्चा तो यहां तक है कि इस कंपनी से जुडे जयपुर के लोग शिमला के मशोबरा क्षेत्रा में कोई जमीन खरीदना चाह रहे थे और उनका शायद सौदा भी हो गया था तथा करीब सात करोड़ का लेन - देन भी हो चुका था लेकिन बाद मे यह सौदा पूरा नहीं हो पाया। बल्कि लेन-देन की वापसी के लिये आपस में झगड़ा तक हो गया। कहते है कि इस झगडे का निपटारा एक पुलिस अधिकारी के माध्यम से हुआ। लेन- देन को लेकर वाकायदा एक शपथ पत्र तक साईन हुआ है। माना जा रहा है कि इस जाठिया देवी हाऊसिंग कालोनी के निमार्ण के लिये सिंगापुर की कंपनी को चिहिन्त करने की पृष्टभूमि में इस झगडे़ की भी भूमिका रही है। इस कंपनी ने दिल्ली स्थित एक राजस्थान के व्यक्ति को ही इस निमार्ण में कन्सलेटेन्ट की जिम्मेदारी सौंपी है। हिमुडा में इस निमार्ण को लेकर कई तरह की चर्चाएं सुनी जा सकती है।