Thursday, 18 September 2025
Blue Red Green

ShareThis for Joomla!

नगर निगम चुनाव टलने के बाद क्यों आया भाजपा का आरोप पत्र

शिमला/शैल। नगर निगम शिमला के चुनाव टल गये हैं क्योंकि राज्य चुनाव आयोग ने निगम क्षेत्र की मतदाता सूचियों पर आयी आपत्तियों के बाद इन्हे नये सिरे से संशोधित करके तैयार करने के निर्देश दिये है जिलाधीश शिमला को। मतदाता सूचियों के संशोधन की प्रक्रिया 23 जून तक चलेगी। मतदाता सूचियों पर माकपा, भाजपा और कांग्रेस तीनो दलों के अपने-अपने आरोप रहे हैं बल्कि इन्ही आरोपों को लेकर मामला प्रदेश उच्च न्यायालय तक भी पहुंच गया था। माकपा ने तो अपने ज्ञापन में चुनावों को दो माह आगे करने की भी मांग की थी। अब आयोग द्वारा मतदाता सूचियों के संशोधन के आदेश से चुनावों के टलने पर भाजपा प्रदेश उच्च न्यायालय पहुंच गयी है। उच्च न्यायालय ने इस पर फैसला सुरक्षित रख दिया है।
अब यह फैसला सुरक्षित हो जाने के बाद भाजपा ने नगर निगम क्षेत्र के कुछ मुद्दों को लेकर राज्यपाल को एक आरोप पत्र सौंपा है। इस आरोप पत्र में कांग्रेस सरकार, कांग्रेस पार्टी और माकपा पर तीखा हमला बोला है। आरोप पत्र में लगाये आरोपों को माकपा ने सिरे से खारिज करते हुये इन्हे झूठ का पुलिन्दा कहा है। यह आरोप पत्र अपने में गंभीर है और इन्हे माकपा के नकारने से ही नज़रअन्दाज नही किया जा सकता। लेकिन इन आरोपों को लेकर भाजपा की अपनी नीयत और नीति पर भी सवाल खड़े हो जाते हैं। वर्तमान निगम हाऊस में पार्षदों का बहुमत भाजपा के पास है यदि महापौर और उप-महापौर के लिये सीधे चुनाव न हुए होते तो निगम पर भाजपा का कब्जा होता। भाजपा का पार्षदों में बहुमत होने के साथ ही स्थानीय विधायक भी निगम हाऊस के पदेन सदस्य हैं और वह भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। लेकिन आज आरोप पत्र में जो आरोप लगाये गये हैं उन पर अब तक भाजपा की चुप्पी ही रही है।
यदि निगम के चुनाव न टलते तो स्वभाविक है कि यह आरोप पत्र भी न आता। आरोप पत्र न आता तो यह आरोप अपनी जगह वैसे ही खत्म हो जाते। क्योंकि उस समय तो चुनाव के मुताबिक काम किया जाता है। ऐसे में आज यह स्वभाविक प्रश्न उठता है कि इन आरोपों को लेकर भाजपा आज तक खामोश क्यों रही है? क्या इनमे भाजपा के भी कुछ लोगों के हित जुड़े हुए थे।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search