जंगली जानवरों/बन्दरों से भी लोग दुःखी
शिमला/शैल। शिमला ग्रामीण मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह का अपना चुनाव क्षेत्र है आने वाले विधान सभा चुनावों में मुख्यमन्त्री के बेटे विक्रमादित्य के यहां से चुनाव लड़ने की संभावना है। अपने चुनाव क्षेत्र में मुख्यमन्त्री सैंकड़ों करोड़ के विकास कार्यों की घोषनाएं कर चुके हैं। क्षेत्र के हर दौरे में यहां के लोगों को कुछ न कुछ मिला है। बल्कि जितनी घोषनााएं और शिलान्यास अब तक यहां हो चुकें हैं उसको लेकर विपक्ष ही नही अपनी ही पार्टी के नेता /मंत्री भी अपने साथ भेदभाव होने के तंज कसते रहते हैं।
लेकिन यहां के विकास कार्यों की जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। यहां की पंचायतों पिलिधार, आखरू और जावरी आदि के लोग जंगली जानवरों और बन्दरों से इतने आंतकित है कि खेती बाड़ी छोड़ने को मजबूर होने के कगार पर पहुंच गये हैं। प्रशासन से कई बार इसकी शिकायत कर चुके हैं लेकिन आज तक कोई सुनवाई नही हो सकी है। वन मन्त्री भरमौरी सैंकड़ो बन्दरों को पकडने पर सैंकड़ो खर्च कर चुके हैं। विधानसभा में आये आंकड़ों के अनुसार बन्दर पकडने में लगा एक-एक आदमी कई-कई करोड़ कमा चुका है। बल्कि निचले क्षेत्र के लोगों को तो यह शिकायत है कि शिमला से पकड कर बन्दर उनके ईलाके में छोडे जा रहे हैं। परन्तु मुख्यमन्त्री के शिमला ग्रामीण की इन पंचायतों पर यह नजरें ईनायत अब तक नही हो पायी है।
इसी तरह यहां की घैणी पंचायत के लोगों की शिकायत है कि यहां के रा. व. मा. स्कूल घैणी में वर्ष 2016 से शास्त्री और टीजीटी नाॅन मैडिकल के पद खाली चले आ रहे हैं। इन विषयों को पढ़ाने वाला कोई अध्यापक नही है। यहां पर 28.4.16 वाणिज्य संकाय शुरू करने के आदेश जारी हुए थे। इसके लिये अध्यापकों के दो पद भी सृजित किये गये थे जो अब तक भरे नही गये हैं। बच्चे स्कूल छोड़ने पर विवश हो रहे हैं। स्कूल प्रबन्धन कमेटी ने 20.3.17 को मुख्यमन्त्री को वाकायदा पत्र लिखकर इस समस्या से अवगत भी करवाया है। परन्तु अभी तक कोई समाधान नही हो सका है। जब मुख्यमन्त्री के अपने चुनाव क्षेत्र की यह स्थिति है तो इससे पूरे प्रदेश का अनुमान लगाया जा सकता है।