Friday, 19 September 2025
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अपने ही आरोप पत्र में उलझने लगी सरकार

शिमला/शैल। जयराम सरकार ने भी यह संकल्प दोहराया है कि वह भ्रष्टाचार कतई बर्दाशत नही करेगी लेकिन इसी के साथ यह भी कहा है कि पिछली सरकार द्वारा राजनीतिक कारणों से बनाये गये मामलों को वापिस भी लेगी। इन मामलों को लेकर पिछले दिनों सचिवालय मे मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सी.ओ.एस. की बैठक भी हो चुकी है और इसमें ऐसे मामलों को शीघ्र वापिस लेने पर बल भी दिया गया। लेकिन क्या विजिलैन्स में दर्ज मामलें और जो मामलें अदालत तक जा पंहुचेे हैं उन्हेे भी वापिस लिया जायेगा। इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है क्योंकि पुलिस के पास दर्ज सामान्यतः कानून और व्यवस्था से जुड़े मामलों को राजनीतिक आधार करार देकर वापिस लिया जा सकता है लेकिन क्या भ्रष्टाचार को लेकर विजिलैन्स में दर्ज मामलों को भी वापिस लिया जा सकता है। इसको लेकर स्थिति उलझी हुई है।
इस समय विजिलैन्स के पास एचपीसीए और राजीव बिन्दल के मामलें हैं और यह मामलें अदालत में भी पंहुच चुके हैं। बिन्दल के मामलें में तोे गवाहीयां चल रही हैं। उसके बाद बहस और फिर फैसलों की नौबत आ जायेगी। इस मामलें में पिछली बार धूमल सरकार के वक्त में विधानसभा अध्यक्ष से अभियोजन की अनुमति इन्कार करवा कर मामलें को खत्म करने का प्रयास किया गया था जो आगे सफल नहीं हो पाया। लेकिन एच.पी.सी.ए. मामलें में दो अधिकारियों पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक सनान और सचिव अजय शर्मा ने सरकार से यह मामलें वापिस लिये जाने का आग्रह किया हुआ है। सरकार इन आग्रहों पर विचार कर रही हैं लेकिन दोनों के मामलें में सरकार की ओर से अभियोजन की अनुमति जारी हो चुकी है। कानून के जानकारों के मुताबिक अभियोजन की अनुमति जारी हो जाने के बाद उसे वापिस लेने का कोई प्रावधान नही है। बल्कि ऐसे आग्रह पर सरकार द्वारा विचार किये जाने को भी मामलें को प्रभावित किये जाने का प्रयास करार दिया जाता है क्योंकि अदालत में मामला पंहुचने के बाद पी पी ही कानून की राय में उसका मास्टर होता है। इस परिदृश्य में सरकार इन मामलों को कैसे वापिस लेती है इस पर सबकी निगाहें लगी हुई है।
दूसरी ओर भाजपा का आरोप पत्र राजभवन में लंबित पड़ा है। इस आरोप पत्र पर भाजपा ने सीबीआई जांच की मांग कर रखी है। इस आरोप पत्र में भाजपा ने स्मार्ट सिटी धर्मशाला को लेकर एक गंभीर आरोप लगा रखा है। भाजपा का आरोप है कि वीरभद्र सरकार ने धर्मशाला को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलाने के लिये केन्द्र सरकार के पास तोड़-मरोड़ कर बल्कि अलग से गढ़कर तथ्य पेश किये हैं। जिसके आधार पर स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला है। यही नहीं नगर निगम धर्मशाला में जो अंडर ग्रांऊड डस्टबिन लगाये गये है। उसमें भी बड़े स्तर पर घपला हुआ है। भाजपा ने धर्मशाला स्मार्ट सिटी और नगर निगम प्रकरण को लेकर जो आरोप लगाये हैं उनकी सी.बी.आई. जांच की मांग कर रखी है। धर्मशाला के विधायक एवम् सिविल सप्लाई मन्त्री किश्न कूपर के लिये यह जांच करवाया जाना प्रतिष्ठा का प्रश्न है।
सूत्रों के मुताबिक अब राजभवन से आर.टी.आई. के तहत इस संद्धर्भ में हुई कारवाई की जानकारी मांगी गयी है। दूसरी ओर यह भी चर्चा चल उठी है कि धर्मशाला स्मार्ट सिटीे या नगर निगम को लेकर वीरभद्र शासन में जो भी फैसले लिये गये हैं उनमें बतौर अतिरिक्त मुख्य सचिव यू.डी. जिस अधिकारी की मुख्य भूमिका रही है वही अधिकारी इस सरकार में भी एक प्रमुख भूमिका में बैठा हुआ है। वैसे यह माना जा रहा है कि भाजपा का यह आरोप भी वैसा ही है जैसा कि लोक सेवा आयोग को लेकर रहा है लेकिन यह आरोप भी अब सरकार पर अपने ही आरोप पत्र के कारण भारी पड़ने जा रहा है।

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