Friday, 19 September 2025
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वीरभद्र से त्यागपत्र मांगना बना भाजपा नेतृत्व की मजबूरी

शिमला/शैल। भाजपा के हर छोटे बडे़ नेता को मुख्यमन्त्री वीरभद्र से त्यागपत्र मागंना क्या राजनीतिक मजबूरी बन गया है यह सवाल अब चर्चा में आने लगा है। क्योंकि वीरभद्र के खिलाफ केन्द्र की तीन ऐजैन्सीयों  आयकर सीबीआई और ईडी में मामले चल रहे हैं। इनमे सीबीआई के आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच पूरी होकर चालान भीअदालत में पहुंच चुका है। इस मामले में वीरभद्र सहित सभी नामजद़ अभियुक्तों को अदालत से जमानत मिल चुकी है। इस मामले कोअन्तिम निर्णय तक पहुचने के लिये ट्रायल कोर्ट से सर्वोच्च न्यायालय तक का लम्बा सफर तय करना पडे़गा यह तय है। ऐसे में इस मामले का अभी कोई प्रतिकूल राजनीतिक प्रभाव पड़ना संभव नहीं है।
सीबीआई के बाद ईडी में मनीलाॅडरिंग का मामला चल रहा है। इस मामले में ईडी चल /अचल संपत्ति को लेकर दो अटैचमैन्ट आदेश जारी कर चुकी है। पहला आदेश जारी होने के बाद ईडी ने जुलाई 2016 में वीरभद्र के एलआईसी ऐजैन्ट आनन्द चौहान को गिरफ्तार कर लिया था। आनन्द की जमानत याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय भी रद्द कर चुका है। उसके खिलाफ चालान भी अदालत में पहुंच चुका और अदालत ने उसका संज्ञान लेने के बाद अगली प्रक्रिया भी शुरू कर दी है लेकिन दूसरा अटैचमैन्ट आदेश जारी होने के बाद किसी की भी गिरफ्तारी नही हुई है। इस मामले में नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी पर किसी अदालत से कोई रोक नही है फिर भी अभी तक किसी की गिरफ्रतारी हुई नही है। अब तक किसी अन्य की गिरफ्तारी न हो पाने और आनन्द की जमानत उच्च न्यायालय द्वारा भी अस्वीकार कर दिये जाने से इस मामले को लेकर ईडी और केन्द्र सरकार की नीयत तथा नीति पर ही सवाल उठने शुरू हो गये हैं। क्योंकि ईडी सीधे जेटली के वित्तमन्त्रालय के अधीन आती है।
इन मामलों से हटकर अब सीबीआई ने प्रदेश के उद्योग विभाग के बद्दी स्थित संयुक्त निदेशक तिलकराज शर्मा को एक उद्योगपति अशोक राणा के साथ पांच लाख की रिश्वत लेते चण्डीगढ में रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। चार दिन के रिमाण्ड के बाद इन लोगों को चौदह दिन की ज्यूडिश्यिल कस्टडी में भेज दिया गया है। इस मामले में भी यह आया है कि रिश्वत का पैसा मुख्यमन्त्री के दिल्ली स्थित ओएसडी रघुवंशी को जाना था लेकिन इस मामले में भी अभी तक कोई और गिरफ्तारी नही हुई है। जबकि यह चर्चा आम हो चुकी है कि चार दिन के रिमाण्ड में तिलक राज ने मुख्यमन्त्री के ही कार्यालय के दो अधिकारियों का नाम लिया है जिनको रिश्वत का पैसा जाता था। यह भी चर्चा है कि उद्योगमंन्त्री और उनके अधिकारियों का नाम भी सामने आया है यह भी चर्चा है कि इसमें कुछ पत्रकारों के भी नाम सामने आये हैं। जिनके माध्यम से ऊपर तक लेन-देन होता था। चार महिलाओं के नाम भी चर्चा में हैं। तिलक राज प्रकरण के सामने आते ही भाजपा नेताओं ने भी इस पर काफी ब्यानबाजी शुरू की थी जो अब बन्द है। चर्चा है कि तिलक राज के साथ गिरफ्तार हुए अशोक राणा की सास सत्या राणा ऊना की एक प्रमुख भाजपा नेत्री  हैं और उनका मायका रोहडू में है। रोहडू के नाते उनके संबध मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह से भी बहुत अच्छे हैं। इसी के साथ यह भी चर्चा है कि तिलक राज की भाजपा नेतृत्व के साथ भी बराबर की नजदीकीयां हैं। इस मामलें में भी और कोई गिरफ्तारी नही हुई है। साथ ही भाजपा भी इस प्रकरण पर अब चुप है।
ऐसे में आज वीरभद्र के मामलों की स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी कि एचपीसीए और अनुराग-धूमल के मामलों की है। बल्कि केन्द्रिय स्वास्थ्य मन्त्री जगत प्रकाश नड्डा के खिलाफ भी ऐम्ज का मामला एक लम्बे अरसे से चर्चा में चल रहा है। संजीव चतुर्वेदी ने इस ऐम्ज प्रकरण में अदालत तक में नड्डा की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठाये हैं इन चर्चाओं में अब ऐम्ज की जमीन का हजारों करोड़ का मामला भी जुड़ गया है। इस जमीन मामले को संघ परिवार के ही एक सहयोगी प्रकाशन ने दस्तावेजों सहित पाठकों के सामने रखा है। फिर जब नड्डा प्रदेश वन मन्त्री थे तब जेपी उद्योग ने कैट प्लान में आभूषणों की खरीद दिखाकर जो कारनामा किया था विभाग में आज भी उसकी चर्चा सुनी जा सकती है। उस दौरान वन विभाग द्वारा विभिन्न एनजीओ को जो करोड़ो का अनुदान दिया गया था उसमें अधिकांश के तो नाम पते भी संदिग्ध रहे हैं। ऐसे मे भ्रष्टाचार आज एक ऐसा विषय बन गया है जिस पर कड़ा स्टैण्ड दिखाना और विरोधी से त्यागपत्र मांगना महज एक राजनीतिक संस्कृति मात्र रह गया है जिसके प्रति कभी कोई गंभीर नही होता। इस परिदृश्य में भाजपा को वीरभद्र के मामलों से अब राजनीतिक लाभ मिलने की बजाये नुकसान होने की ज्यादा संभावना हो गयी है।

तिलक राज प्रकरण में सीबीआई की नीयत और नीति फिर चर्चा में

                                      क्या यह मामला भी ईडी तक पहुंचेगा
शिमला/शैल। केन्द्र की जांच ऐजैन्सी सीबीआई ने 30 मई को उद्योग विभाग के बद्दी स्थित संयुक्त निदेशक तिलक राज शर्मा और एक उद्योगपति अशोक राणा को बद्दी के ही एक फार्मा उद्योग के सीए चन्द्रशेखर की शिकायत पर चण्डीगढ़ में 5 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह एक संयोग है कि 29 तारीख को वीरभद्र सिंह एवं अन्य को उनके खिलाफ सीबीआई द्वारा दिल्ली की अदालत में डाले गये आय से अधिक संपत्ति के मामले में जमानत मिली है। इसी दिन चण्डीगढ में सीबीआई तिलक राज के संद्धर्भ में आयी शिकायत की वैरीफिकेशन में तिलक राज, अशोक राणा और शिकायतकर्ता की रिश्वत के संद्धर्भ में हुई बातचीत की विडियो रिकार्डिंग करती है। जिसमें यह भी आता है कि रिश्वत में लिया जाने वाला पैसा दिल्ली में मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह के ओएसडी रघुवंशी को दिया जाना है। रघुवंशी का नाम आने से ही इस पूरे प्रकरण का परिदृश्य ही बदल गया है।
सामान्यतः केन्द्र की सीबीआई को राज्य से जुड़े मामलों में तब तक सीधे जांच का अधिकार नही है जब तक की राज्य सरकार ऐसी जांच का स्वयं आग्रह न करे या फिर कोई अदालत ऐसी जांच के आदेश न दे। तिलक राज के मामले में यह दोनों ही स्थितियां नही है। सिर्फ इतना है कि तिलक राज का आवास चण्डीगढ़ में है। शिकायतकर्ता चन्द्रशेखर पंचकूला का रहने वाला है। रिश्वत की अदायगी चण्डीगढ़ में होती है, रिश्वत मांगे जाने और कब कैसे दी जानी है इस संद्धर्भ में हुई सारी बात चण्डीगढ़ के ही एक सैलून में होती है। वहीं इसकी रिकार्डिंग हो जाती है। बातचीत के अनुसार चण्डीगढ़ में ही अदायगी होती है और सारे लोग रंगे हाथो पकड़े जाते है सबकुछ चण्ड़ीगढ़ में ही घटता है। ऐसे में ऐसे ट्रैप की जानकारी हिमाचल पुलिस को पूर्व में दिये जाने का समय ही नहीं था और चण्डी़गढ़ केन्द्र शासित होने के कारण ऐसे मामलों में सीधे सीबीआई का क्षेत्राधिकार बन जाता है। ऐसे में यदि यह प्रकरण सिर्फ तिलक राज के रिश्वत लिये जाने तक ही सीमित रहता है तो इसे अंजाम तक पहुंचाने में सीबीआई को कोई दिक्कत नही आयेगी। यदि रिश्वत से आगे निकल कर यह मामला आय से अधिक संपत्ति तक का बन जाता है और इसमें अन्य लोगों की संलिप्तता भी सामने आती है तब इसी मामले की ईडी तक भी पहुंचने की संभावना बन जायेगी यह तय है।
इस मामलें में आयी शिकायत और उस पर सीबीआई द्वारा की गयी वैरीफिकेशन पर नजर डालने से यह सामने आता है कि शिकायतकर्ता ने फार्मा उद्योग के प्रतिनिधि के रूप में इस संयुक्त निदेशक के कार्यालय में 28 मार्च को 50 लाख की सब्सिडि लेने के लिये दस्तावेज सौंपे थे। इसके बाद वह कई बार इस कार्यालय में आता है और तिलक राज उसे अशोक राणा को मिलने के लिये कहता है जो उसे रिश्वत के बारे मे जानकारी देगा। फिर 22 मई को सब्सिडि के संद्धर्भ में विभाग द्वारा 19 मई को भेजा नोटिस उसे मिलता है। शिकायतकर्ता चन्द्र शेखर 19 मई को फोन पर तिलक राज से बात करता है और इसकी रिकार्डिंग कर लेता है लेकिन 22 मई को हुई बातचीत को वह रिकार्ड नही कर पाता है। 19 मई को रिकार्ड की गयी बातचीत में यह दर्ज नही है कि रिश्वत का पैसा रघुवंशीे को जाना है। 27 मई को रिश्वत मांगे जाने की शिकायत सीए चन्द्रशेखर सीबीआई से करते है, और प्रमाण के लिये 19 मई की रिकार्डिंग सौंपते हैं। इसके बाद सीबीआई स्वयं रिकार्ड़िंग की व्यवस्था करती है। यह रिकार्डिंग 28 और 29 मई को होती है इस रिकार्डिंग में एक बार यह जिक्र आता है कि यह पैसा रघुवंशी को जाना है। इस रिकार्डिंग के बाद 29 मई को सीबीआई ने विधिवत् मामला दर्ज कर लिया और 30 मई को रिश्वत कांड घट जाता है तथा रंगे हाथों गिरफ्तारी हो जाती है। इस प्रकरण में तिलक राज शर्मा और अशोक राणा के अतिरिक्त कोई और गिरफ्तारी नहीं हुई है। इन लोगों को चार दिन के रिमांड के बाद अब न्याययिक हिरासत में भेज दिया गया है।
अब यह सवाल उभरता है कि क्या सीबीआई ने इस रिश्वत कांड पर सिर्फ इसी आधार पर हाथ डाल दिया कि उसके पास शिकायत आई और उसने वैरीफाई करके इस पर अगली कारवाई कर दी। यदि सिर्फ इतना भर ही है तो यह प्रकरण अपने में पूर्ण हो गया है और इसका चालान अदालत में पहुंच जाना चाहिये। यदि इस प्रकरण की जांच में यह जुड़ता है कि इस तरह की रिश्वतखोरी कब से चल रही है और इसमें किस तरह के लोग शामिल रहे हैं, किस तरह के कितने कामों में यह रिश्वतखोरी हुई है, रिश्वत से हुई आय को किसने कहां और कैसे निवेशित किया है, ऐसे निवेश से कितनो के पास आय से अधिक संपत्ति मौजूद है, इस प्रकरण में रिमांड के दौरान इन लोगों ने क्या-क्या खुलासे किये है और उन पर कितना भरोसा किया जा सकता है तो इसके लिये यह जांच लम्बा समय लेगी। तब इसमें निश्चित रूप से कुछ और लोगों की गिरफ्तारी अवश्य होगी। यदि जांच में निश्चित रूप से यह स्थाापित हो जाता है कि वास्तव में ही यह पैसा रघुवंशी तक जाना था तो उस सूरत मे देर सवेर इसके छींटे मुख्यमंत्री के परिवार तक पहुंच जायेंगें किसी के भी खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला स्थापित होते ही ईडी भी इसका संज्ञान लेकर अपने स्तर पर कारवाई शुरू कर सकती है क्योंकि ऐसे मामलों में ईडी को सूचना देना अनिवार्य हो जाता है।
यह संभावना इसलिये उभर रही है क्योंकि इसमें मुख्यमन्त्री के दिल्ली स्थित ओएसडी रघुवंशी का नाम अशोक राणा, तिलक राज और चन्द्र शेखर की रिकार्डि़ंग में एक बार आ जाता है। फिर 23 मार्च 2016 के अटैचमैन्ट के बाद मुख्यमन्त्री परिवार के कुछ खाते सील हो चुके हैं ऐसे में फिर लाखों का खर्च किन साधनों से हो रहा है। इसके लिये इनसे परोक्ष/अपरोक्ष में जुडे़ लोगों पर नजर रखी जा रही थी, बल्कि ईडी ने बहुत अरसा पहले ही दो मन्त्रीयों को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली थी। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक तिलक राज प्रकरण भी इसी रिपोर्ट का प्रमाण है। चण्डीगढ़ में एक मित्तल से भी ईडी ने कुछ जानकारीयां हासिल कर रखी है। मित्तल के एक समय मुख्यमन्त्री के साथ जुडे एक अधिकारी से गहरे रिश्ते रहे हैं। अब सीबीआई रघुवंशी और सुरेश पठानिया की काॅल डिटेलज का रिकार्ड खंगाल रही है। इस रिकार्ड की पड़ताल होने के बाद मामले के आगे बढ़ने की संभावना है। फिर ईडी से गिरफ्तारी की संभावना को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका 856/16 अभी तक लंबित चल रही है। इस संद्धर्भ में यदि इन सारी कड़ियों को एक साथ मिलाकर देखा जाये तो अभी संकट टला नही है और इसमें कई लोग लपेटे में आ सकते है क्योंकि ईडी ने दूसरे अटैचमैन्ट आदेश के साथ जो एनैक्सचर लगाये हैं वह बहुत गंभीर है उनके चर्चा में आते ही कई नये प्रकरण इसके साथ जुड़ जायेंगे यह तय है।

भाजपा ने सौंपा एक और आरोप पत्र कांग्रेस व वामपंथीयों पर बोला हमला

शिमला/शैल। भारतीय जनता पार्टी ने नगर निगम चुनावों से पहले नगर निगम में भ्रष्टाचार को लेकर वामपंथियों व कांग्रेसियों को घेरते हुए चुनाव समय पर न कराने के लिए प्रदेश की वीरभद्र सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है। पांच सालों में नगर निगम में हुए कारनामों पर भाजपा ने एक चार्जशीट तैयार कर राज्यपाल आचार्य देवव्रत को भेजी है। जिसमें वामपंथियों पर इल्जाम लगाया गया है कि उन्होंने शिमला शहर को स्लम बना दिया है। जो शहर दुनिया भर में पर्यटन के लिए मशहूर है वह स्वच्छता के क्षेत्र में देश में 47वें स्थान पर पहुंच गया है। कम्युनिस्टों तथा भ्रष्ट कांग्रेसी सरकार दोनों ने मिलकर शिमला शहर को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोडी है।
भाजपा शिमला मंडल ने कहा कि वामपंथी मेयर व डिप्टी मेयर शहर की समस्याओं का समाधान करने के स्थान पर विदेशी दौरों पर मौज-मस्ती करते रहे।
ये रही बीजेपी की चार्जशीट-ः
पिछले पांच वर्षों में कम्युनिस्टों तथा काग्रेंस सरकार शिमला की जनता को पीने का पानी देने में असफल रही है व जनता से सीवरेज सैस के नाम पर भी अवैध वसूली की जा रही है। यही नहीं शहर के सभी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भ्रष्टाचार के अड्डे बने हुए है ठेकेदारों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार हो रहा है।
शिमला शहर की जनता को कांग्रेस सरकार कम्युनिस्टों की मिलीभगत से पीलिया फैला। जिसके कारण 32 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
शिमला नगर-निगम के मेयर व डिप्टी मेयर ढिंढोरा पीटते थकते नहीं थे कि वो यूनिट-ऐरिया मैथड़ शिमला में लागू नहीं होने देंगे जबकि सत्ता में आने के बाद इस प्रणाली को लागू करके टैक्स का बोझ जनता पर डाल दिया। यही नहीं ग्रीन टैक्स के नाम पर पर्यटकों के लिए कोई सुविधा दिए बिना वसूली की जा रही है।
कम्यूनिस्ट जब से नगर निगम की सत्ता पर काबिज हुए है तब से प्रदेश के बाहर से आने वाले लोग अवैध रूप से बाजारों में बैठ रहे हैं जिससे बाजार व गलियां संकरी होती जा रही है व शहर की जनता को परेशानी हो रही है।
वामपंथियों व कांग्रेसी सरकार के गठजोड़ के कारण शिमला में अवैध, निर्माण तीव्र गति से बढ़ा है जिसका मुख्य कारण भ्रष्टाचार है। शहर में भरयाल कूड़ा संयंत्र से एक ठेकेदार भाग गया तथा अब दूसरी कंपनी को काम सौंपा गया है। इस कूड़ा संयंत्र के निर्माण व कार्य की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए।
शिमला के हाॅलीलाॅज को जाने वाली सड़क को चैड़ा करने के लिए जबरदस्ती निजी भूमि लेने के लिए अधिकारियो द्वारा दबाव डाला जा रहा है व जोधा निवास स्थित पार्किंग के साथ खड़े हरे पेडों को काटने की अनुमति नगर निगम व सरकार द्वारा किस आधार पर दी गई। जबकि वर्ष 2003 में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने वन व पेड़ों को काटने से रोकने के लिए नगर निगम की पार्किंग की ऊपरी मंजिल के निर्माण को रोक दिया था। इसी प्रकार हाॅलीलाॅज में गेस्टहाउस के निर्माण के लिए नगर निगम व सरकार द्वारा ही पेड़ को काटने की अनुमति प्रदान कर अपराध किया गया। एशियन विकास बैंक के सहयोग से मालरोड़ क्षेत्र के सौदर्यीकरण परियोजना को बदला जा रहा है। हरियाली के स्थान पर कंकरीट की दीवारें बनाई जा रही हैं अनारकली के जंगलो को बदल कर घटिया लोहे के जंगले लगाए जा रहे हैं। मालरोड़ के दोनों तरफ पत्थर बिछा कर सड़क को संकरा किया जा रहा है। वर्षा शालिकाओं की हैरीटेज की अनदेखी की जा रही है तथा निर्माण कार्यो मे भारी भ्रष्टाचार हो रहा है।
एशियन डेवलपमेंट बैंक का पैसा भारी भरकम पैमाने पर व्यय किया जा रहा है तथा लाखों रूपया खर्च करके हिमाचल से बाहर की वस्तुओं को भारी भरकम मानदेय व वेतन पर नियुक्त किया गया।
साहेब सोसाइटी द्वारा जो पैसा इकट्ठा किया जा रहा है जिसका दुरूपयोग किया जा रहा है। अगर नगर-निगम निचले स्तर पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती करे तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
स्मार्टसिटी जो कि शिमला शहर को मिलनी थी लेकिन वामपंथी और वर्तमान काग्रेंस सरकार की मिली भगत से स्मार्ट सिटी को शिमला शहर से वंचित रखा गया। शहर को स्मार्ट सिटी से वंचित रखने के लिए वामपंथियों व सरकार ने शिमला शहर को मिले अंकों के साथ छेड़-छाड़ कर धर्मशाला को स्मार्ट सिटी बना डाला।
केंद्र सरकार द्वारा जो अमृत मिशन में करोड़ों रूपया दिया जा रहा है जिसका वामपंथियों व काग्रेंस द्वारा दुरूपयोग किया जा रहा है। जबकि यह पैसा शहर के विकास के लिए दिया था।
एसआरएल लैब को फायदा पहुंचाने के लिए टेस्टिंग का काम आउटसोर्स किया गया निजी लैब में टेस्ट के दाम बार-बार बढ़ाए जा रहे हैं व अस्पताल का बड़ा भाग इनको सौंपा गया है अपने चहेते कर्मचारियों को नौकरियां दी जाती है और उनका वेतन सामान्य वेतन से 30 प्रतिशत अधिक होता है।
जेएनएनआरयूएम के तहत 800 बसों की खरीद की गई जिसमे 300 करोड़ भारत सरकार से प्राप्त हुआ था। इन बसों की बाॅडी बनाने में बड़ा घोटाला हुआ है। ये बसें शिमला शहर में चलाई जानी थी लेकिन ये बसें शिमला की सड़कों में चलने लायक नहीं है लम्बी बसों के कारण शिमला में आए दिन जाम लगता है। कारपोरेट केयर सोसायटी नामक संस्था की ओर से नौकरियां आउटसोर्स पर दी जा रही हैं जिससे एक भी विशेषज्ञों से 52000/-पर हस्ताक्षर लिये जाते हैं तथा उसे केवल 25000/- रूपये दिया जाता है। कराइस्ट चर्च व कैथोलिक चर्च के सौन्दर्यीकरण के नाम पर भी करोडों रूपये खर्च किये जा रहे हैं। जिसके लिए कारपोरेट केयर सोसायटी द्वारा नियुक्त करवाए गए सलाहकारों को लाखों रूपया दिया जा रहा है।
टाउन हाॅल की रैनोवेशन के नाम पर मामूली बदलाव के नाम पर करोडों रूपये खर्च किये जा रहे हंै।
मुख्यमंत्री अपने चहेते शहरी विकास मंत्री के प्रेम में इतने मदहोश हो गए हैं कि 68 लाख की आबादी वाले छोटे से प्रदेश में दूसरी राजधानी बनाने की घोषणा करके शिमला के महत्व को कम कर रहे हैं। सरकार व नगर निगम की कार्यप्रणाली का नमूना इस वर्ष जनवरी में देखा जब एक रात बर्फ गिरने के बाद शहर 7 दिन तक बिजली और पानी से महरूम रहा नगर निगम के रास्तों को चलने के लायक बनाने मे भी 15 दिन लग गए।
भाजपा शिमला मंडल का आरोप है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार प्रदेश चुनाव आयोग तथा नगर निगम के मेयर, डिप्टी मेयर अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए लोकतन्त्र की हत्या कर रहें है व नगर निगम का चुनाव न करवाकर संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं। भाजपा ने राज्यपाल से मांग की है कि उपरोक्त तथ्यों को ध्यान मे रखकर प्रदेश सरकार को भंग करने की सिफारीश करें, चुनाव आयोगों को बरर्खास्त करें और आरोपों की जांच उच्च जांच एजेंसी से करवाकर कार्यवाही करने के आदेश दें।

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