शिमला/शैल। प्रदेश में कार्यरत 2200 अंशकालिक पटवारी सहायकों को पिछले दस माह सेे वेतन नही मिला है। यह बात इन्होने शिमला में आयोजित अपने एक सम्मलेन में कही है। इस सम्मेलन में इन्होंने प्रदेश स्तरीय यूनियन का गठन करकेे सरकार से अपने लिये न्याय की मांग की है। इन लोगों ने आरोप लगाया है कि उनसे 8 घण्टे से भी ज्यादा काम लिया जाता है। पटवारी स्तर का हर कार्य इनसे करवाया जाता है। किसी भी तरह की कोई छुट्टी और मैडिकल आदि की भी सुविधा नही दी जाती है। इन्हे केवल 3000 रूपये वेतन दिया जाता है और वह भी समय पर नहीं मिलता। इन लोगों ने मांग की हैं कि इनके लिये काॅन्ट्रैक्ट पाॅलिसी बनायी जाये।
इन अंशकालिक पटवारी सहायकों को दस माह सेे वेतन न दिये जाने से पूर्व और वर्तमान दोनों सरकारों और पूरे प्रशासनिक तन्त्र पर कई गंभीर सवाल खड़े हो जाते हैं। सबसे पहलेे तो यह सवाल आता है कि प्रदेश में पटवारियों की नियमित भर्ती कई बार रद्द होती रही है। इसके कारण आज एक-एक पटवारी के पास दो-दो पटवार सर्कलों की जिम्मेदारी हैं कहीं-कहीं यह दो से भी अधिक की है। मोदी सरकार ने देशभर के राजस्व रिकार्ड को 1954 से लेकर वर्तमान समय तक आधार से लिंक करने का कार्यक्रम शुरू किया है। यह काम समयबद्ध सीमा में होना है। राज्य सरकारों को इस आश्य के निर्देश बहुत पहले जारी हो चुके हैं। इस संबन्ध में प्रदेश के निदेशक लैण्ड रिकार्ड और कुछ अन्य दिल्ली में ट्रैंनिंग भी ले चुके हैं लेकिन शायद अब इनमें से कुछ का तबादला भी हो चुका है। भारत सरकार का कार्यक्रम में ऐसे समयबद्ध तरीके से कैसे पूरा होगा यह सवाल अलग से खड़ा रह जाता है।
इसी के साथ यह सवाल भी सामने आता है कि प्रदेश उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक यह स्पष्ट निर्देश दे चुका है कि समान कार्य के लिये समान वेतन दिया जाना चाहिए। इस नाते जब इन अंशकालिकों से 8 घन्टे काम लिया जा रहा है तो फिर इन्हें वेतन के रूप में तीन हजार ही क्यों दिये जा रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय यह भी स्पष्ट कर चुका है कि रैगुलर नियुक्ति के अतिरिक्त अन्य किसी भी प्रकार से की गयी नियुक्ति चोर दरवाजे की एंट्री है जिसे कानून जायज़ नही ठहराया जा सकता और इसके आधार पर कर्मचारियों के साथ उन्हे मिलने वाले वेतन आदि सेवा लाभों में कोई भेदभाव नही किया जा सकता। इस नाते यह अंशकालिक नियुक्तियां अपने में ही एक अलग प्रश्न हो जाती है।
अभी सरकार ने पूर्ण राज्यत्व दिवस पर कर्मचारियों और पैन्शनरों को लाभ दिये हैं। क्या इन अंशकालिकों को भी यह लाभ मिल पायेंगे? यही नहीं इस समय वित्त विभाग के पास विभिन्न विभागों के सैंकड़ों कर्मचारियों के अनुकम्पा के आधार पर नौकरी पाने के मामले लम्बेे अरसे से लंबित पड़े हैं। अब सरकार ने 500 करोड़ का कर्ज लिया है। फिर वित्त विभाग के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक वीरभद्र ने कर्मचारियों को वित्तिय लाभ देने के लिये 700 करोड़ रूपये विशेष तौर पर अलग से सुरक्षित रखे हुए थे। अब इसी पैसे से कर्मचारियों को यह लाभ दिया गया है। ऐसे में अनुकम्पा के आधार पर नौकरी पाने के इन्तजार में जो सैंकड़ो कर्मचारी बैठे हैं क्या उन्हे यह सरकार अभी लाभ दे पायेगी या वित्त विभाग इस फैसले को अभी और लटकाये रखेगा यह सवाल भी उठने लगा है।
शिमला/शैल। जयराम सरकार ने धर्मशाला में विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद हुई मन्त्रिमण्डल की पहली ही बैठक में प्रदेश की आबकारी नीति में बदलाव करने का फैसला लेते हुए बीवरेज कारपोरेशन को पहली अप्रैल से भंग करने के आदेश जारी किये हैं। इस कारपोरेशन को भंग करने के साथ ही इसमें हुए घपले की जांच किये जाने की भी घोषणा की थी। स्मरणीय है कि भाजपा ने अपने आरोप पत्र में निगम में 50 करोड़ का घपला होने का आरोप लगाया हुआ है आबकारी प्रदेश के राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। इस नाते इसमें हो रहे राजस्व के नुकसान को लेकर चिन्ता किया जाना स्वभाविक है। गौरतलब है कि हर वर्ष शराब के ठेकों की मार्च माह नीलामी होती थी। लेकिन वीरभद्र सरकार ने इस नीलामी प्रक्रिया के स्थान पर शराब का सारा कारोबार कारपोरेशन के माध्यम से करने का फैसला लिया। इस फैसले के तहत एक बीवरेज कारपोरेशन का गठन किया गया। इसमें यह महत्वपूर्ण रहा है कि आबकारी नीति को लेकर विभाग की ओर से ऐजैण्डा मन्त्री परिषद् में लाया गया था। उसमें ऐसी कारपोरेशन बनाये जाने का कोई प्रस्ताव नही था लेकिन जब मन्त्री परिषद् की बैठक में यह सामने आया कि अब तक किन्नौर, चम्बा और ऊना के ठेकों की नीलामी नही हो पायी है और इस कारण 54 करोड़ का नुकसान हो गया है। राजस्व का यह नुकसान पिछली सरकार द्वारा एल-1 डी और एल-13 डी को लेकर जो नीति अपनाई थी उसके कारण हुआ है। इस खुलासे के बाद मन्त्री परिषद् ने बैठक में ही नीलामी प्रक्रिया के स्थान पर कारपोरेशन बनाने का फैसला लिया। कारपोरेशन के गठन के बाद इसमें एक ब्लू लाईन कंपनी भी बीच में आ गयी।
बीवरेज कारपोरेशन के गठन के बाद इसमें अलग से एमडी और चेयरमैन नियुक्त नही किये गये बल्कि आबकारी विभाग के कमीशनर को ही एमडी की जिम्मेदारी भी दे दी गयी और सचिव आबकारी को इसका चेयरमैन बना दिया गया। इस तरह यह एक ऐसा कारपोरेशन बन गया जिसका सारा प्रबन्धन इन अधिकारियों के हाथ में ही रहा।
कारपोरेशन को लेकर इसके सीए की जो रिपोर्ट आयी है उसमें करीब 12 करोड़ की ऐसी उधार का भी खुलासा है जो लगभग डूब ही चुका है। कारपोरेशन बनने के बाद इसमें ब्लू लाईन की एन्ट्री कैसे हो गयी? इसके माध्यम से कितना कारोबार किया गया और इसकेे संचालक कौन लोग रहे हैं। इसको लेकर विभाग के अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नही है विभाग को कारपोरेशन बनने और इसमें ब्लू लाईन के आने से कितना नुकसान हुआ है इस पर भी विभाग एकदम खामोश रह रहा है। विभाग में राजस्व का जो भी नुकसान हुआ है उसका आंकलन तो जांच से ही लगाया जा सकता है और ऐसी जांच केवल विजिलैन्स ही कर सकती है। मुख्यमन्त्री ने इस जांच का संकल्प अपने पूर्ण राज्यत्व दिवस के संबोधन में भी दोहराया है।
लेकिन मन्त्रीमण्डल के फैसले और फिर मुख्यमन्त्री के हिमाचल दिवस समारोह पर आये संबोधन में भी यह जांच करवाये जाने का जिक्र आने के बावजूद अभी तक संवद्ध प्रशासन की ओर से इस दिशा में कोई कदम नही उठाये गये हैं। चर्चा है कि यदि यह जांच होती है तो इसकी लपेट में निगम के एमडी और इसके चेयरमैन रहे अधिकारी आयेंगे ही। इस गिनम के एमडी पुष्पेन्द्र राजपूत रहे हैं और चेयरमैन डा. बाल्दी, पीसी धीमान, तरूण कपूर और ओंकार शर्मा सभी अधिकारी रहे हैं। इनमें से किसकी क्या भूमिका और कितनी जिम्मेदारी रही है। यह पता केवल जांच से ही चलेगा। परन्तु यह चर्चा भी साथ ही चल पड़ी है कि यह सब अधिकारी इतने ताकतवर हैं कि यह किसी भी जांच को चलने से पहले ही दबा देंगे। माना जा रहा है कि मन्त्रीमण्डल के फैसले और मुख्यमन्त्री की घोषणा का अंजाम वैसा ही होगा जो वीरभद्र शासन में एचपीसीए की जांच का हुआ। क्योंकि जो अधिकारी उस सरकार को चला रह थे वह स्वयं इस प्रकरण में आये चालान में खाना 12 में अभियुक्त नामज़द रहे हैं। इस परिदृश्य में बीवरेज कारपोरेशन मामलें की जांच जयराम सरकार की पहली परीक्षा बनने जा रही है।
शिमला/शैल। प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं यह दावा करती आ रही है प्रदेश सरकार। इस दावे को साकार करने के लिये पर्यटन के क्षेत्र में लगातार सुविधाओं का प्रसार भी किया जा रहा है। अभी मुख्यमन्त्री ने दिल्ली में राज्यों के वित्त मन्त्रीयों की बजट पूर्व बैठक में केन्द्रिय वित्तमन्त्री अरूण जेटली के समक्ष पर्यटन के संद्धर्भ में जबरदस्त तरीके से प्रदेश का पक्ष भी रखा है और पूरी -पूरी संभावना है कि केन्द्र से इसके लिये अपेक्षित सहायता भी मिलेगी। पर्यटन विभाग को मुख्यमन्त्री ने रखा भी अपने ही पास है। कांग्रेस सरकार में भी पर्यटन मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह के ही पास था। कांग्रेस में सचिव स्तर पर यह विभाग मुख्य सचिव के पास था। इस बार पर्यटन की जिम्मेदारी खुद मुख्यमन्त्री की प्रधान सचिव अतिरिक्त मुख्य सचिव मनीषा नन्दा के पास है। मुख्यमन्त्री और उनके वरिष्ठतम अधिकारी पर्यटन को कितनी गंभीरता से लेते रहे हैं और आज भी ले रहे हैं यह इन जिम्मेदारीयों से स्पष्ट हो जाता है।
होटल निर्माण पर्यटन का अभिन्न अंग है बल्कि पर्याय है। इसी नाते सरकार भी पर्यटन विकास निगम के माध्यम से होटलों का निर्माण और संचालन कर रही है। लेकिन सरकार से ज्यादा इसमें प्राईवेट सैक्टर अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। होटल के निर्माण में पर्यटन विभाग और टीसीपी की भूमिका सबसे अहम होती है क्योंकि इस निर्माण से पहले विभाग से Essentiality certificate हासिल करना पड़ता है। उसके बाद ही टीसीपी से होटल के निर्माण का नक्शा स्वीकृत करवाया जाता है। इन अनिवार्य औपचारिकताओं को पूरा करने केे बाद ही होटल का निर्माण हो पाता है। इस निर्माण के बाद पर्यटन विभाग से इसे चलाने का लाईंसैन्स लिया जाता है और इस लाईसैन्स को नियत समय के बाद रिन्यू भी करवाया जाता है। प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड इस बात पर बराबर नज़र रखता है कि होटल पर्यावरण के मानकों की अनुपालना सही तरीके से कर रहा है या नही। इसी के साथ टीसीपी विभाग भी यह सुनिश्चित करता है कि होटल उसके द्वारा स्वीकृत नक्शे के अनुरूप ही बना हुआ है या नहीं इसमें पर्यटन विभाग की यह सक्रिय जिम्मेदारी रहती है कि वह समय-समय पर निरीक्षण करे कि होटल किसी प्रकार भी तय मानकों की अनदेखी तो नही कर रहा है। किसी भी अनदेखी पर होटल के खिलाफ कारवाई करना और उसकी सूचना प्रदूूषण आदि संवद्ध विभागों को देना भी पर्यटन विभाग की ही जिम्मेदारी रहती है।
इस तरह पर्यटन जितना बड़ा क्षेत्र है इससे जुड़े प्रशासनिक तन्त्र की जिम्मेदारी भी उतनी ही बड़ी है। लेकिन क्या पर्यटन से संवद्ध प्रशासनिक तन्त्र अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभा रहा है? यह सवाल एनजीटी और प्रदेश उच्च न्यायालय में आयी याचिकाओं से सामनेे आया है। शिमला, परवाणु, कसौली, कल्लु, मनाली और धर्मशाला प्रदेश के महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल हैं। इन क्षेत्रों में पर्यटन के नाम पर होटल निर्माण एक बहुत बड़ा व्यवसाय बना हुआ है। लेकिन इन क्षेत्रों में होटलों के नाम पर इतना अवैध निर्माण सामने आ चुका है कि कसौली में तो ‘‘कसौली बचाओ’’ अभियान तक छेड़ना पड़ा है। इसके तहत एनजीटी और उच्च न्यायालय में याचिकाएं आ चुकी हैं। कसौली में होटलों में पाये गये अवैध निर्माण के लिये एनजीटी ने एक आदेश में प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड और टीसीपी के कुछ अधिकारियों/कर्मचारियों को चिन्हित करके उनके खिलाफ नियमानुसार कारवाई करने के निर्देश प्रदेश के मुख्य सचिव को दिये हैं लेकिन इस पर आज तक कोई कारवाई नही हुई है।
प्रदेश उच्च न्यायालय में आयी याचिका पर जवाब दायर करते हुए प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड नेे यह स्वीकारा है कि कुल्लु-मनाली क्षेत्र में बने 547 होटलों में से 216 के पास आप्रेट करने की वांच्छित स्वीकृतियां नही हैं। परवाणु में 44 होटलों की अवैधता के चलते बिजली सप्लाई काटी गयी है। इसी तरह धर्मशाला में भी ऐसी ही अवैधता के लिये 144 होटलों के खिलाफ कारवाई की गयी है। उच्च न्यायालय के 7.12.2017 को पारित निर्देशों पर जिलाधीश कुल्लु ने कसोल में 44 होटलों की बिजली पानी बन्द करने की कारवाई की है। प्रदेश उच्च न्यायालय और एनजीटी की सख्ती के बाद अवैध रूप से चल रहे होटलों की कुल्लु -मनाली क्षेत्र की एक सूची प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के कुल्लु- मनाली कार्यालय ने तैयार की है। इस सूची को देखने से अवैधता की सीमाओं का आकलन करना ही अंसभव हो जाता है। क्योंकि इस सूची में कुछ ऐसे होटल भी हैं जिनके लाईसैन्स दशकों पहले समाप्त हो चुके हैं। जिन्हे रिन्यू तक नहीं करवाया गया है। इसमें यह सवाल खड़ा होता है कि जब पर्यटन की सरकार के स्तर पर जिम्मेदारी ही मुख्यमन्त्री और मुख्य सचिव के पास रही है तो फिर यह अवैधताएं कैसे चलती रही? अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या सरकार इस प्रकरण में संबद्ध प्रशासनिक तन्त्र के खिलाफ कारवाई करेगी या नहीं? क्योंकि इतने लम्बे समय तक सबकुछ प्रशासन की मिलीभगत के बिना नहीं चल सकता था।
यह है इन होटलों की सूची
HP STATE POLLUTION CONTROL BOARD, REGIONAL OFFICE KULLU
Sr. No. Name and Address of the Unit Consent status and action
taken Hon'ble NGT order Valid till Expired/ Granted
1. M/s Hotel Kailash view, VPO-Baragran, 14 Mills, Tehsil-Manali, Distt. Kullu (HP) 31.03.2006 Expired
2. M/s Anand Paying Guest House, VPO- Vashisth, Tehsil-Manali, Distt- Kullu (HP) 31.03.2006 Expire
3. M/S Apple Cottage, Village Gadherni, PO Kalath, Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131(HP) 31.03.2017 Expired 4. M/s Apple Royal Guest House, Apple Complex, NH-21, ParlaBhunter, Distt-Kullu-175125(HP) 31.03.2017 Expired
5. M/s Hotel Alpine, Near Hadimba Temple Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131(HP) 31.03.2016 Expired 6. M/s Hotel Angler's Bungalow(Apple Blossom),HPTDC Katrain, Tehsil &Distt- Kullu (HP), 31.03.2014 Expired 7. M/s Hotel Asia Sulphur Spring (Beas Spring),VPO-Kalath, Tehsil-Manali, Dsitt. Kullu-175131(HP) 31.03.2006 Expired 8. M/s Hotel Blue Chips Pvt. Ltd., Chadigari Sunnyside- Manali, 31.03.2006 Expired Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131(HP)
9. M/S Hotel Broad View, Log Huts Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu -175131 (HP) 31.03.2016 Expired 10. M/s Hotel Camping Site (Adventure Resorts)"Morpheus Valley Resort", 31.03.2016 Expired
HPTDC Raison, Distt. Kullu (HP)
11. M/s Hotel Classic, Aleo Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131 (HP). 31.03.2016 Expired
12. M/s Hotel 'D' Chalet (Dee Restaurant), Club House 31.03.2016 Expired Road Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131 (HP)
13. M/s Hotel Dev Bhumi, left bank Aleo, Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131 (HP) 31.03.2016 Expired 14. M/s Hotel Durga, Siyal Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu(HP) 31.03.2016 Expired 15. M/s Hotel Flamingo Resorts, Kanyal Resorts Simsa,Manali, Distt. Kullu -175131(HP) 31.03.2017 Expired 16. M/s Hotel Gilbert, circuit House Road Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu -175131(HP), 31.03.2016 Expired 17. M/s Hotel Hadimba Palace, Hadimba Matta Road- Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-17513 31.03.2017 Expired 18. M/s Hotel Hager Regency (Hayer Regency), Aleo Manali, Distt. Kullu-175131(HP) 31.03.2011 Expired 19. M/s Hotel Hamta View, Aleo, Manali, Distt. Kullu-175131 (HP) 31.03.2011 Expired 20. M/s Hotel Hilltone Resorts (A unit of K. K. Hotels Pvt. Ltd.), Vill-BaragranBihal, 31.03.2017 Expired PO-Katrain, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175129 (HP)
21. M/s Hotel Him View, Club House Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu -175131 (HP) 31.03.2016 Expired 22. M/s Hotel Ibex, The Mall Manali, Tehsil -Manali, Distt. Kullu -175131(HP) 31.03.2012 Expired 23. M/s Hotel Kalinga Grand, Kanyal Road Rangree, Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131 (HP) 31.03.2009 Expired 24. M/s Hotel MahadevResorts(Club Vista), Rangree, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131 (HP) 31.03.2015 Expired
25. M/s Hotel Manali Castle, Aleo, Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu -175131(HP), 31.03.2016 Expired 26. M/s Hotel Manali Jain Cottage, Koshalavashisth Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu (HP) 31.03.2011 Expired
27. M/s Hotel Moon Light, Hadimba Matta Road Manali, Distt. Kullu-175131(HP) 31.03.2017 Expired
28. M/s Hotel Nakshatra, Vill-Talogi, PO-Bari, Tehsil &Distt. Kullu-175101(HP) 31.03.2017 Expired 29. M/s Hotel Narayan, Aleo, Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131 (HP) 31.03.2016 Expired 30. M/s Hotel Natraj, Rangree, Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131 (HP) 31.03.2017 Expired
31. M/s Hotel New Kailash, Akhara Bazar Kullu, Distt. Kullu175101(HP) 31.03.2012 Expired 32. M/s Hotel New Kenilworth International,near police station Manali, tehsil-Manali, Distt. Kullu (HP) 31.03.2017 Expired 33. M/s Hotel Parijat, Old Mission Road- Manali, Tehsil Manali, Distt. Kullu-175131(HP), 31.03.2017 Expired 34. M/s Hotel Premier, Model Town Manali, Distt. Kullu-175131(HP 31.03.2011 Expired 35. M/s Hotel President ,Aleo, Manali, Distt. Kullu(HP)-175131, 31.03.2016 Expired
36. M/s Hotel Prince, Aleo, Manali, Distt. Kullu(HP)-175131 31.03.2006 Expired 37. M/s Hotel Raj Hans, Log Huts Manali, Distt. Kullu(HP)-175131, 31.03.2006 Expired 38. M/s Hotel Rohtang Inn, The Mall Manali, Distt. Kullu(HP) 31.03.2016 Expired
39. M/s Hotel Royal Kalinga Cottage, Kanyal Road Manali, Distt. Kullu-175131 (HP), 31.03.2016 Expired 40. M/s Hotel Royal, Gurudwara Road Manali, Distt. Kullu (HP)-175131 31.03.2017 Expired 41. M/s Hotel Sanjeevny, VPO- Bajaura, Tehsil &Distt. Kullu -175125(HP), 31.03.2017 Expired 42. M/s Hotel Seagull, near Circuit House Manali, Distt. Kullu (HP) 31.03.2011 Expired 43. M/s Hotel Shanti Kunj , near Circuit House Road Manali, Distt. Kullu -175131(HP), 31.03.2016 Expired 44. M/s Hotel Singar, Model Town Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu (HP)-175131, 31.03.2005 Expired 45. M/s Hotel Sitara International, Kanyal Road Rangree Manali, Distt. Kullu(HP)-175131 31.03.2017 Expired 46. M/s Hotel Summer King, left bank Aleo, Manali, Distt. Kullu-175131 (HP), 31.03.2016 Expired 47. M/s Hotel Tourist, near circuit House Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131 (HP), 31.03.2016 Expired
48. M/s Hotel Valley View Annexe, Ram Bag, Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131 (HP) 31.03.2016 Expired
49. M/s Hotel Valley View, TikkerBowli-Kullu, Tehsil &Distt. Kullu-175101(HP), 31.03.2017 Expired 50. M/s Hotel Valley View, Vashisth, Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu (HP) 31.03.2016 Expired 51. M/s Hotel Windsor, Khanyal Road Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu(HP), 31.03.2006 Expired 52. M/s Koyal Paying Guest House, Gurudwara Road Manali, Tehsil Manali, Distt. Kullu-175131 31.03.2017 Expired 53. M/s Kullu Valley Leisure Resorts Pvt. Ltd., Shamshi, Tehsil-Bhunter, Distt. Kullu -175126 (HP), 31.03.2016 Expired 54. M/s Kunal Lodge, Log Huts Area, Near Hotel Chetna, Manali, Distt. Kullu-175131 31.03.2016 Expired 55. M/s Lord's Resency, Vill-Aleo, Manali, Tehsil- Manali, Distt. Kullu-175131 (HP) 31.03.2017 Expired
56. M/s Manali Retreat & Spa (Neeraj Sharma),Village-Shuru, 31.03.2016 Expired PO-Prini, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131(H.P)
57. M/s Mangal Deep Guest House, Model Town Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131 (HP) 31.03.2017 Expired 58. M/s Manu Deluxe, Near Circuit House, Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131 (HP) 31.03.2006 Expired 59. M/s Dee Camp & Resorts Vill. Shuru, P.O. Prini, Tehsil Manali Dist. Kullu 06.04.1999 Expired 60. M/s Anand Guest House ( Nanad Hotel &Resturent) Bada Gram 15 Mile, P.O. Katrain, Distt. Kullu 31.03.2017 Expired 61. M/s Naina Rock Land (Naina Guest House), Village-Matiana, 31.03.2016 Expired
PO-Vashisth, Tehsil-Manali, Distt. Kullu -175131(HP)
62. M/s Manali Paradise, V.P.O Aleo, Tehsil Manali,.Distt. Kullu 31.03.2017 Expired
63. M/s Nishita Resorts, Aleo Manali, Te;hsil Manali, Distt. Kullu(HP)-175131, 31.03.2016 Expired 64. M/s Peak view, VPO-Prini, Manali, Tehsil Manali, Distt. Kullu-175143 31.03.2017 Expired 65. M/s Prini Inn Guest House, Village-Prini, Distt. Kullu(HP) 31.03.2016 Expired 66. M/s Arman Resort, Vill. Shuru( Shaminara) P.O. Prini, Tehsil Manali, Distt. Kullu 04.09.2015 Running
without CCA 67. M/s Samrat Paying Guest House, VPO-Bhunter, Tehsil-Bhunter, Distt. Kullu-175125 (HP), 31.03.2016 Expired 68. M/s Snow Peak Cottages, Village-Nasogi, PO-Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131(HP), 31.03.2017 Expired 69. M/s Summer Guest House, Model Town Manali, Tehsil-Manali, Distt. Kullu -175131(HP) 31.03.2006 Expired
70. M/s Tall Trees Resorts, VPO-Haripur, Tehsil Manali, Distt. Kullu-175136 (HP), 31.03.2017 Expired 71. M/s Thunder World Club & All Season Camp, Village-Nasogi,
PO-Chhiyal, Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131(HP), 31.03.2017 Expired 72. M/s Village Classic Cottage, Simsha, Manali, Distt. Kullu-175131(HP) 31.03.2016 Expired
73. M/s Whispering Wood Resorts, Village-Shanag, PO-Bahang, 31.03.2016 Expired Tehsil-Manali, Distt. Kullu-175131 (HP),
शिमला/शैल। जयराम सरकार को अभी सत्ता संभाले एक माह का समय भी नही हुआ है लेकिन इस दौरान जितने बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल को अजांम दे दिया गया है। उसको लेकर अब सवाल उठने शुरू हो गये हैं। सचिवालय के गलियारों से लेकर सड़क तक चर्चा होनी शुरू हो गयी है कि इतना बड़ा फेरबदल केवल सत्ता परिवर्तन का परिचय देना मात्र है या इसके पीछे कुछ और है क्योंकि सत्ता परिवर्तन का अहसास तो उसी से हो गया था जब जनता के भाजपा के उन बड़ो को भी हरा दिया जोे अगर जीत गये होते तो शायद आज मन्त्री होते। इस फेरबदल को लेकर इसलिये सवाल उठने लगे हैं कि प्रदेश में 2017 में जारी हुई सिविल लिस्ट के मुताबिक कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की संख्या आई ए एस 110 और एचएएस 210 इतने हैं। इनमें से केन्द्र की प्रतिनियुक्ति पर 32 है। प्रदेश में सरकारी विभागों की संख्या 53 है और विभिन्न निगमों /बार्डो/बैंको की संख्या 31 है। इनसे हटकर सचिवालय में बैठे अधिकारी आते हैं। अबतक हुए प्रशासनिक फेरबदल के आंकड़ों पर नज़र दौड़ाई जाये तो शायद इस फेरबदल से हर विभाग प्रभावित हुआ है।
सरकार में वित्त और गृह विभागों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है परन्तु इन विभागों के शीर्ष में सचिव स्तर पर कोई परिवर्तन नही हुआ है। गृह सचिव बदले गये थे लेकिन दो दिन बाद ही यह जिम्मेदारी पुराने ही अधिकारी के पास वापिस दे दी गयी। दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह में मन्त्री परिषद् का गठन हुआ और उसके बाद सरकार ने कामकाज़ संभाला है। इन दिनों प्रदेश के करीब आधे हिस्से में शैक्षणिक सत्र समाप्त हो चुका है लेकिन शेष आधे में मार्च -अप्रैल में समाप्त होगा। शैक्षणिक सत्र के अन्तिम दिनों में बच्चों के स्कूल नही बदले जाते हैं और इस फेरबदल से निश्चित तौर पर यह परिवार प्रभावित हुए हैं। इसके अतिरिक्त मार्च में बजट सत्र होगा और यह बजट इस सरकार का पहला बजट होगा। इस बजट से ही सरकार के अगले पूरे कार्यकाल के इंगित मिल जायेंगे। इस नातेे इस बजट सत्र की अहमियत थोड़ी अलग हो जाती है। इस समय पूरा प्रशासनिक तन्त्र एक छोटे बाबू से लेकर विभागाध्यक्ष और सचिव स्तर तक यह बजट तैयार करने में अपनी-अपनी भूमिका निभाता है। इसी भूमिका के कारण सरकार को 15वें वित्तायोग के सचिव के रूप में अभय पंत को पुर्ननियुक्ति देनी पड़ी है। हालांकि केन्द्र ने 15वें वित्तायोग का गठन ही नवम्बर माह के अन्तिम पखवाड़े में किया है और अभी प्रदेश में तो इसकी रूपरेखा आगे तय होनी है लेकिन इस वित्तायोग की अहमियत को देखते हुए ही पंत के अनुभव के कारण उन्हें यह पुर्ननियुक्ति देनी है। ठीक इसी तर्ज पर बजट तैयारी के अन्तिम चरण में प्रशासनिक फेरबदल से सामान्यतः गुरेज किया जाता है।
फिर अभी सरकार ने सारे अधिकारियों से अपने -अपने विभागों की सौ दिन की कार्य योजना पूछी है। जब प्रशासनिक फेरबदल से विभाग प्रभावित हुए हैं तो ऐसे में यह अधिकारी जो योजना देंगे वह कितनी व्यवहारिक हो पायेगी। अभी सरकार ने 500 करोड़ का ऋण लिया है और कहा यह गया है कि ऋण विकास कार्यों के लिये लिया गया है। इसकी वास्तविकता क्या है यह तो वित्त विभाग ही जानता है कि यह ऋण वेतन भुगतान में प्रयोग किया जायेगा या विकास में। यदि यह विकास में ही इस्तेमाल होना है तो इसका अर्थ है कि विभागों के पास इस समय विकास कार्यो के लिये पर्याप्त वित्तिय साधन नही है। ऐसे में जब वित्तिय साधनों की सुनिश्चितता ही नही है तो फिर कोई भी विभागाध्यक्ष या सचिव सौ दिन की भी ठोस योजना किस आधार पर दे पायेगा। सरकार ने जो कर्ज के आंकड़े प्रदेश की जनता के सामने रखे हैं वह जानकारों के मुताबिक सही नही है क्योंकि यदि इस चालू वर्ष में लिये गये कर्ज के आंकड़े भी इसमें जोड़े जायें तो निश्चित रूप सेे यह कर्जभार 50 हजा़र करोड़ का आंकड़ा पार कर जायेगा। क्योंकि हर चुनावी वर्ष में सामान्य से तीन गुणा ज्यादा तक की बढौत्तरी रहती है। यह बजट दस्तावेजों से प्रमाणित हो जाता है। लेकिन क्या प्रदेश की जनता इस वित्तिय स्थिति से परिचित हैं? किसी ने भी जनता को विश्वास में लेने का प्रयास नही किया है। आज संयोगवश प्रदेश को एक ऐसा मुख्यमन्त्री मिला है जिसकी अपनी स्लेट तो साफ है। ऐसा ही व्यक्ति जनता को विश्वास में लेनेे का साहस कर सकता था जो शायद नही हो पाया है क्योंकि एक श्वेत पत्र के रूप में वित्तिय परिस्थिति का जनता के सामने आना इसके प्रबन्धकों के लिये शायद ज्यादा सुखद नही रेहगा। अभी तो यह सामने आना शेष है कि मण्डी की एक जनसभा में जब प्रधानमन्त्री मोदी ने प्रदेश सरकार से केन्द्र द्वारा दिये गये 70 हजा़र करोड़ का हिसाब मांगा था तो यह पैसा यदि प्रदेश को मिला है तो फिर खर्च कहां हुआ यह जानने का हक प्रदेश की जनता को है। लेकिन शायद इसी सबसे बचने के लिये सरकार को स्थानान्तरण आदि के चक्रव्यूह में उलझा दिया गया है। ऊपर से कुछ ऐसे फैसलें भी करवा दिये गये हैं जिनसे अभी बचा जाना चाहिये था। राज्य लोक सेवा आयोग में सदस्यों के दो पद सृजित करके एक को तुरन्त प्रभाव से भरना शायद आश्वयक नही था। क्योंकि सरकार ने यह नही बताया है कि लोक सेवा आयोग को ऐसी कौन सी अतिरिक्त जिम्मेदारी दी जा रही है जिसके लिये यह पद सृजित करने आवश्यक हो गये थे। ऐसे और भी कई मुद्दे है जो आगे इसी तरह सामने आयेंगे।
शिमला/शैल। आईएएस से सेवानिवृति के बाद राजनीति में आकर पहली बार विधायक बने भाजपा के टिकट पर जीत राम कटवाल के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत अदालत में पहुंचे एक मामले में कोर्ट ने कटवाल और एक अन्य अधिकारी आर. एस. गुलेरिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी किये हैं। इन निर्देशों पर अमल
करते हुए छोटा शिमला थाने में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज भी हो गयी है। स्मरणीय है कि जे.आर.कटवाल अपनीे सेवानिवृति से पूर्व बाल विकास विभाग के निदेशक पद पर तैनात थे। 2015 में उन्होने इस विभाग में आऊट सोर्स नीति के तहत एक प्रताप सिंह वर्मा को बतौर जिला बाल विकास अधिकारी नियुक्ति दी। लेकिन 2015 में ही वर्मा को नौकरी से हटा भी दिया। इस तरह नौकरी से हटाये जाने को लेकर वर्मा नेे विभाग से इसका कारण जाननेे का प्रयास किया। लेकिन जब कोई संतोषजनक जवाब नही मिला तब उन्होनेे 8-12-2015 को आर टीआई एक्ट के तहत इस जानकारी के लिये आवेदन कर दिया। जब आर टीआई के माध्यम से उन्हें जवाब मिला तो इस जवाब से सन्तुष्ट न होकर 26- 04-2016 को एक और आर टीआई डालकर जानकारी मांगी। इस आर टीआई के तहत जो जानकारी आयी वह पहले दी गयी जानकारी से बिल्कुल भिन्न थी। इस तरह अलग-अलग जानकारी आने से यह लगा कि उसके दस्तावेजों से छेड़छाड़ की गई है। इस छेड़छाड़ किये जाने का मामला विभाग के संज्ञान में लाया गया। लेकिन जब विभाग ने कोई कारवाई नही की तब वर्मा ने 2016 में ही सी आर पी सी की धारा 156(3) अदालत में शिकायत दर्ज कर दी। इस शिकायत पर अदालत ने इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके मामले की जांच किये जाने के आदेश जारी किये।
अदालत के आदेशों की अनुपालना करते हुए कटवाल और गुलेरिया के खिलाफ पुलिस ने धारा 465, 466 और 469 के तहत मामला दर्ज करके इसकी जांच शुरू कर दी। माना जा रहा है कि जब इस मामलें में अदालत ने कोई गंभीरता नही देखी होगी तभी इसमें एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये होंगे। इस आयने से इस मामले को देखते हुए तय है कि इससे कटवाल के लिये आने वाले समय में कठिनाईयां बढेंगी।
इसी तरह भाजपा सांसद वीरन्द्र कश्यप के खिलाफ भी कैश आॅन कैमरा मामलें में आरोप तय हो गये हैं। स्मरणीय है कि 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान एक स्टिंगआप्रेशन में यह आरोप लगे थे कि कश्यप ने एक काम के लिये पैसे मांगेे थे। इस मामले की उसी दौरान पुलिस में शिकायत भी दर्ज हो गयी थी। पुलिस ने मामले की जांच करनेे के बाद कश्यप को कलीन चिट दे दी थी। इस स्टिंग आप्रेशन की सीडी 2010 में चर्चा में आयी थी। पुलिस द्वारा कश्यप को क्लीन चिट दिये जाने को एक आरटीआई के सक्रिय कार्यकर्ता देवाशीष भट्टाचार्य ने जनहित याचिका के माध्यम से प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी थी। इस चुनौती के बाद इस मामले में फिर से मोड़ आया और अब आरोप तय होने तक पहुंच गया। अब यदि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों पर मार्च में विशेष अदालतें गठित हो जाती हैं तोे निश्चित तौर पर कश्यप और कटवाल के मामले अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में सरकार और भाजपा दोनों के लिये कठिनाईयां पैदा कर सकते हैं। फिर वीरेन्द्र कश्यप के जनेड़घाट क्षेत्र में 400 हर पड़ो के कटान का मामला सामने आने से स्थितियां और पेचीदा हो गयी हैं। पिछले दिनों इसी जनेड़घाट के होटल में कालर्गल मामला भी सामने आया था। इस मामले में पुलिस ने कुछ कारवाई भी की थी। लेकिन इस कारवाई में क्या निकला है यह चर्चा में नही आ पाया है। बल्कि एक तरह से इस मामलें को दबा दिया गया है। इसके लिये यह चर्चा है कि जिस होटल की चर्चा उठी थी कि उसके साथ सांसद कश्यप के भाई जुड रहे हैं और होटल की ज़मीन भी शायद कश्यप सेे ही ली गयी है।
इस पूरे प्रकरण में महत्वपूर्ण यह है कि इस कालर्गल प्रकरण पर सांसद की ओर से कभी कोई प्रतिक्रिया नही आयी है। बल्कि अब जब इसी क्षेत्र से पेड़ों के कटान का मामला सामने आया है उस पर भी सांसद सहित किसी भी भाजपा नेता की प्रतिक्रिया नही है। इस परिदृश्य में यह दोनों मामलें अनचाहे ही कांग्रेस के हाथ लग गये हैं और वह आने वाले लोकसभा चुनावों में इन्हें उछालेगी यह तय है।