शिमला/शैल। कांग्रेस और भाजपा के घोषणापत्रों में यह दावा किया गया है कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। कांग्रेस ऐसी शिकायतों का निवारण करने के लिये एक आयुक्त नियुक्त करेगी। भाजपा इसके लिये आयोग का गठन करेगी। कांग्रेस-भाजपा के चुनाव घोषणा पत्रों पर आम आदमी ने कितना चिन्तन - मनन किया होगा इसका अन्दाजा लगाना कठिन है। क्योंकि दोनों दलों ने जितने वायदे अपने घोषणा पत्रों में कर रखे हैं उन्हे पूरा करने के लिये धन कहां से आयेगा इसका जिक्र किसी ने भी नहीं किया है। भाजपा ने पानी पर प्रति क्यूबिक मीटर दस पैसे का कर लगाकर 600 करोड़ का राजस्व जुटाने का
दावा किया है। लेकिन इस दस पैस के कर से मंहगाई पर कब कितना असर पड़ेगा इसका कोई जिक्र नहीं है। विकास के महत्वपूर्ण कार्यों के लिये पी पी पी मोड़ पर विदेशी फण्ड का प्रबन्ध किया जायेगा यह भी वायदा किया गया है। लेकिन इसके और परिणाम क्या होंगे इस पर कुछ नहीं कहा गया है। कांग्रेस कृषि, बागवानी, पशुपालन आदि सारी योजनाओं पर 90% सब्सिडी देगी और छोटे और सीमान्त किसानों को एक लाख ऋण ब्याज मुक्त देगी तथा प्रतिवर्ष 30000 छात्रों को लैपटाॅप देगी यह वायदा किया गया है। लेकिन इन वायदों को पूरा कैसे किया जायेगा इसका कोई जिक्र नहीं है। दोनों दलों के घोषणा पत्रों में जो वायदे किये गये हैं उन्हे पूरा करने के लिये या तो कर्ज का सहारा लिया जायेगा या फिर जनता पर करों का भार बढ़ाया जायेगा। क्योंकि वायदे पूरे करने के लिये धन चाहिये जो सरकार के पास है नहीं और केन्द्र इतना दे नहीं सकता क्योंकि उसकी भी कुछ वैधानिक सीमायें रहेंगी।
घोषणा पत्रों का यह जिक्र इस समय इसलिये आवश्यक है कि कल जो भी सरकार आयेगी वह अपने घोषणा पत्र से बंधी होगी। आम आदमी को अपेक्षा रहेगी कि सरकार के आते ही इन पर अमल शुरू हो जायेगा। इस अमल की आम आदनी को कितनी कीमत चुकानी पड़ेगी इसके लिये उसे पहले ही दिन से सजग रहना पडे़गा। इस सजगता में आम आदमी यदि सरकार के भ्रष्टाचार को लेकर किये गये वायदों पर ही सरकार को समय-समय पर सचेत करता रहेगा तो यही एक बड़ा काम होगा। दोनों दलों ने भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त न करने का वायदा किया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ कारवाई करने के लिये सरकार के पास विजिलैन्स का पूरा तन्त्र उपलब्ध है। लेकिन वीरभद्र के इस शासन काल में विजिलैन्स ने भ्रष्टाचार के किसी बड़े मामले पर हाथ डाला हो और उसमें सफलता हासिल की हो ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। ऐसा नहीं है कि विजिलैन्स के पास कोई बड़ा मामला आया ही न हो बल्कि वास्तव में बड़े मामलों पर कारवाई करने से यह ऐजैन्सी बचती रही है। हिमाचल को विद्युत राज्य के रूप में प्रचारित प्रसारित किया जाता रहा है बल्कि इसी प्रचार के कारण यहां पर उद्योग आये हैं । लेकिन आज प्रदेश की विद्युत परयोजनाएं प्रदेश को लाभ देने के स्थान पर लगातार नुकसान दे रही हैं। विद्युत से हर वर्ष आय में कमी होती जा रही है यह कमी क्यों हो रही है इसकी ओर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है।
इस परिदृश्य में यह स्मरणीय है कि प्रदेश में विद्युत में जे.पी. उद्योग समूह एक बड़ा विद्युत उत्पादक है लेकिन जितना बड़ा यह उत्पादक है राजस्व को लेकर इसके खिलाफ उतनी ही बड़ी शिकायतें भी हैं। स्मरणीय है कि भाजपा ने अपने ही एक आरोप पत्र में जे.पी. के सीमेंट प्लांट में 12 करोड़ का घोटाला होने का आरोप लगाया है। जे.पी. के दूसरे प्लांट को लेकर प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों पर एक एसआई टी गठित हुई थी लेकिन उसका परिणाम क्या हुआ है इसका आज तक कोई पता नही है। जे.पी. को 1990 में जो बसपा परियोजना दी गयी थी उसका 92 करोड़ वसूलने की बजाये बट्टे खाते में डाल दिया गया है। सीएजी इस पर एतराज उठा चुका है। लेकिन सरकार में कोई कारवाई नही हुई है। जे.पी. ने दूसरी परियोजना को 900 मैगावाट से अपने ही स्तर पर 1200 मैगावाट कर लिया और इस 300 मैगावाट का कोई अपफ्र्रन्ट प्रिमियम आज तक नही वसूला गया है । इसी तरह जो विद्युत परियोजनाएं विद्युत बोर्ड की अपनी हैं उनमें एक लम्बे अरसे से रिपेयर के नाम पर हर वर्ष हजारों घन्टों का शट डाऊन दिखाया जा रहा है। स्वभाविक है जो परियोजना इतना लम्बा समय बन्द रहेंगी उसमें उत्पादन नही होगा और प्रदेश को राजस्व की हानि होगी। निजि क्षेत्रा की परियोजनाओं में रिपेयर के नाम पर कभी भी 8-10 घन्टे से ज्यादा का शटडाऊन नही देखा गया है। इस शटडाऊन को लेकर पूरे दस्तावेजों के साथ विजिलैन्स में लम्बे समय से शिकायत लंबित पड़ी है। विद्युत बोर्ड के अपने ही सूत्रों के मुताबिक प्रतिदिन कई करोड़ो का घपला हो रहा है। सरकार ने भी मान लिया है कि इसमंे कहीं कोई लापरवाही हो रही है परन्तु कोई कारवाई नही हो रही है। इसलिये आज दोनों दलों के दावों के संदर्भ में यह मामला सामने रखा जा रहा है।
शिमला/शैल। मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह आयकर, सीबीआई ईडी मे चल रहे मामलों में कानूनी लड़ाई का पहला चरण हार गये हैं। आयकर प्राधिकरण चण्डीगढ़ में हुए फैसलों की अपील प्रदेश उच्च न्यायालय शिमला में की गयी थी। यहां आये दोनों मामलों में उन्हे राहत नही मिली है। सीबीआई में चल रहे आय से अधिक संपत्ति मामले में 31 मार्च 2017 को आये फैसलों में अदालत ने उनके खिलाफ दायर एफ आई आर को रद्द करने से इन्कार कर दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ वीरभद्र कि ओर से सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की गयी थी। अब सर्वोच्च न्यायालय ने यह अपील खरीज कर दी है। सीबीआई ने इस प्रकरण में ट्रायल कोर्ट में चालान दायर कर दिया है। इस पर अगली कारवाई भी शुरू हो चुकी है। 31 मार्च 2017 को आये फैसले में वीरभद्र के 2012 के विधानसभा चुनाव में दायर किये गये संपत्ति शपथ पत्र को लेकर गंभीर टिप्पणी की गयी है। सीबीआई ने इस शपथ पत्र को झूूठा करार दिया है। उच्च न्यायालय ने शपथ पत्र के मामले को चुनाव आयोग को भजने और उस पर नियमां के तहत कारवाई करनेे की संस्तुति की है। चुनाव आयोग के पास दायर शपथ पत्र के झूठा पाये जाने पर जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत कारवाई की जाती है। झूठे शपत पत्र पर व्यक्ति की सदन की सदस्यता समाप्त होने के साथ ही छः माह के कारावास का भीे प्रावधान है। दिल्ली उच्च न्यायालय की टिप्पणी यह है It has come to light that the first ITR for the AY 2011-12 was filed by Shri. Vir Bhadra Singh on 11-07-2011 showing his agricultural income as Rs. 25 Lakhs. The revised ITR for this year showing an income of Rs.1.55 Crores was filed by him on 02-03-2012. Thereafter while contesting HP Assembly elections. He filed an affidavit on 17-10-2012 showing his income as Rs. 18.66 Lakhs only. Thus Shri. Vir Bhadra Singh appears to have grossly suppressed his income in the said affidavit. This matter is proposed to be brought to the notice of the Election Commission of India for taking necessary action as deemed fit. अब 2017 का चुनाव चल रहा है इसके लिये भी शपथ पत्र दायर हुआ है। अब यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि जब 2012 के चुनाव में लिया गया आय का आधार अन्तः विरोधी है तो फिर उसके बाद आय के सारे आधारों पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वभाविक है।
ईडी ने मनीलांडरिंग के तहत दो अटैचमैन्ट आदेश जारी करके परिवार की करोड़ो की चल-अचल संपत्ति अटैच कर रखी है। मनीलाॅंरिंग प्रकरण में वीरभद्र के साथ सह अभियुक्त बने उनके एलआईसी ऐजैन्ट आनन्द चैहान जून 2016 से हिरासत में चल रहे हैं। ईडी ने जो दूसरा अटैचमैन्ट आदेश जारी किया है उसमें दो एनैक्सरचर संलग्न किये हैं। इनमें यह दिखाया गया है कि वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर -वीरभद्र विक्रमादित्य-मैप्पल डैस्टीनेशन और ड्रीम बिल्ट में किस तरह से सारा लेनदेन हुआ है। इसमें कुछ Shell कंपनीयों के साथ हुई 27 टाजैक्शन दिखायी गई है। इन सबमें Supply of certain material दिखायी गयी है लेकिन इस मैट्रियल की तफसील नही दी गयी है। इस सारी कड़ी में हुई जांच में वक्कामुल्ला का आर्थिक बेस सवालों के घेरे में है। ईडी के मुताबिक सारी कंपनीयों के डायरैक्टर फर्जी हैं।
यह व्यवहारिक स्थिति सीबीआई और ईडी की जांच में सामने आये दस्तावेजों से उभरी है। ईडी और सीबीआई में दर्ज हुए मामलों को रद्द करने से दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट इन्कार कर चुके। यह मामले रद्द किये जाने की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान स्वभाविक रूप में यह दस्तावेज अदालत के सामने आये ही होंगें। इन दस्तावेजों की गंभीरता और प्रमाणिकता को आंकने के बाद ही हर नेता ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी तक ने वीरभद्र के इस कथित भ्रष्टाचार पर निशाना साधा है। जेपी नड्डा तक ने भी यह आरोप लगाया है कि वीरभद्र के कारण हिमाचल शर्मसार हुआ है। लेकिन भाजपा नेताओं के इन आरोपो से ही सवाल भी उभरता है कि जब वीरभद्र सिंह के खिलाफ इतने साक्ष्य ईडी के सामने थे तो उसने कारवाई क्यों नही की? 2012 का चुनाव शपथ पत्रा एकदम पुख्ता और प्रमाणिक दस्तावेज है यदि इस पर कारवाई फैसला आनेे के तुरन्त बाद हो जाती तो निश्चित रूप से प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य ही बदल गया होता। ऐसे में सवाल उठता है कि भाजपा ने इस मुद्दे को क्यो नही उठाया? क्या शीर्ष स्तरों पर कुछ और पक रहा था?क्या इस सारे मामले को एक बार फिर लोक सभा चुनावों की तर्ज पर विधानसभा चुनावों में भी भुनाने की रणनीति बनाई जा रही थी। क्योकि ईडी को चुनावों के बाद अगली कारवाई जल्द पूरा करने की कानूनी बाध्यता होगी। फिर 2012 के चुनाव शपथ पत्र पर नौ नवम्बर के मतदान के बाद कारवाई करने की नौबत आ सकती है क्योंकि उच्च न्यायालय तो पहले ही इस मामले को चुनाव आयोग को भेजने के निर्देश 31 मार्च के फैसले मेें दे चुका है। इस परिदृश्य में चुनाव आयोग और भाजपा क्या करती है इस पर सबकी निगाहें रहेगी।
इस चुनाव में धूमल और वीरभद्र की प्रतिष्ठा दांव पर
एक विश्लेषण
शिमला/शैल। प्रदेश में अगली सरकार किसकी बनेगी इसके लिये नौ तारीख को मतदान होगा। दोनो बड़े दल भाजपा और कांग्रेस सरकार बनाने के दावे कर रहे हैं। भाजपा तो 50 प्लस सीटे जीतने का दावा कर रही है लेकिन इन दावों के वाबजूद मतदाता अभी तक मौन चल रहा है। वह खुलकर किसी के पक्ष में नही आ रहा है। भाजपा ने जब बूथ स्तर के त्रिदेव और फिर विभिन्न प्रकोष्ठों द्वारा आयोजित सम्मलेनो का आयोजन किया था उस समय भाजपा के पक्ष में एक बड़ा माहौल खड़ा हो गया था। लेकिन इस माहौल को पहली बार धक्का उस समय लगा था जब नगर निगम शिमला के चुनाव में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नही मिल पाया। निर्दलीयों को लेकर सत्ता में आये। और यह स्थिति तब हुई जब इस चुनाव से पहले प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी शिमला के रिज मैदान पर एक जनसभा को संबोधित कर गये थे। नगर निगम शिमला के चुनाव की हार इस बात का संकेत था कि अब अकेले केन्द्र सरकार के भरोसे को केन्द्रिय नेताओं की छवि के सहारे ही प्रदेश में चुनावी सफलता नही पायी जा सकती है।
हिमाचल की राजनीतिक संस्कृति देश के अन्य राज्यों से भिन्न है। यहां पर बिजली, पानी सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाएं लगभग पुरे प्रदेश में उपलब्ध हैं। बल्कि कई स्कूल तो प्रदेश उच्च न्यायालय के युक्तिकरण के आदेशों के
तहत बन्द करने पड़े हैं। प्रदेश में यह मांग कम है कि नये संस्थान खोले जायें वरन् यह है कि जो खोले गये हैं वह सुचारू रूप से चलें। इन संस्थानों में पूरा स्टाॅफ उपलब्ध हो। हर स्कूल, कालिज में पर्याप्त अध्यापक हों और किसी भी अस्पताल में डाक्टरों की कमी न हों। सरकारी कार्यालयों में समुचित कर्मचारी तैनात हों। प्रदेश के हर क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या ही यह है कि वहा खुले संस्थान/कार्यालय में स्टाॅफ की कमी रहती है। लेकिन यह कमी तो नयी भर्तियों के माध्यम से ही पूरी की जा सकती है। परन्तु यह भर्तियां करने के लिये सरकार के पास धन की कमी आड़े आती है। इसके लिये कान्ट्रैक्ट और आऊटसोर्स जैसे तरीके अपनाये जाते हैं और उनमें मैरिट की जगह भाई-भतीजावाद चलता है। आगे चलकर ऐसे भर्ती हुए लोगों को नियमित किये जाने की मांग उठती है जिसे मौजदा आरएण्डपी रूल्ज़ के तहत पूरा करना संभव नही होता है। यह समस्या हर सरकार के समय रहती है चाहे कांग्रेस हो या भाजपा। प्रदेश के युवाओं की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है और रोजगार का सबसे बड़ा साधन प्रदेश में सरकार से अतिरिक्त कोई नही है। सरकार में नौकरी पाने के लिये मैरिट से ज्यादा सिफारिश चाहिये यह धारणा आम बन चुकी है। प्रदेश के लोकसेवा आयोग से लकर अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड तक पर मैरिट को नजरअन्दाज किये जाने के आरोप लगते रहे है। सहकारी बैको और परिवहन निगम की भर्तीयों को जो अदालत तक में चुनौतियां दी जा चुकी हैं। प्रदेश के औद्यौगिक क्षेत्र पर नौकरियों के लिये आश्रित रहना संभव नही है क्योंकि अब तक औद्यौगिक नीतियों के कारण ही प्रदेश भारी भरकम कर्जे के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है। प्रदेश के मतदाता के सामने यह सबसे बड़ी समस्या है और इसके हल के लिये वह किसी भी दल पर भरोसा करने की स्थिति में नही है। इसलिये वह अब तक मौन चला हुआ है।
दूूसरी ओर आज चुनाव प्रचार में कोई भी दल प्रदेश की इस बुनियादी समस्या पर बात नही कर रहा है। भाजपा का हर नेता प्रधानमन्त्री तक सरकार और वीरभद्र के भ्रष्टाचार को प्रदेश का मुख्य मुद्दा बनाकर प्रचारित कर रहा है। लेकिन इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आज तक प्रचार के अतिरिक्त और कोई कारवाई नही की गयी है। बल्कि वीरभद्र के मामले में केन्द्र की ईडी ने जिस तरह का आचरण अब तक बनाये रखा है उससे उसकी विश्वनीयता पर यह सवाल उठने शुरू हो गये हैं। वीरभद्र के भ्रष्टाचार पर जिस तरह से सारी भाजपा हमलावर हो रही है उससे यह सवाल भी चर्चा में आने लगा है कि वीरभद्र को बड़ी कारवाई से अब तक बचाता कौन आया है! इसके अतिरिक्त भाजपा से अब यह सवाल भी पूछा जाने लगा है कि जब उसने मोदी-शाह के चेहरों पर ही चुनाव लड़ने का फैसला अब तक प्रचारित रखा था तो उसे अचानक धूमल को चेहरा घोषित करने की आवश्यकता क्यों आ पड़ी? यदि भाजपा को अपनी नीतियों और उनकीे जनस्वीकारयता पर भरोसा था तो उन्हे हिमाचल में भी कांग्रेस के अन्दर सेंध लगाने की आवश्यकता क्यों पड़ी? फिर कांग्रेस से भाजपा में गये हर व्यक्ति ने चाहे वह सुखराम और उनका परिवार हो या मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह की पत्नी पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह की भाभी विजय ज्योति सेन या हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमन्त्री डा. परमार के पौत्र हो सबने कांग्रेस छोड़ने का कारण व्यक्तिगत उपेक्षा होना बताया है। किसी ने भी यह नही कहा है कि उसे कांग्रेस की नीतियों पर एतराज है न ही यह कहा है कि वह भाजपा की विचारधारा से प्रभावित होकर यह कदम उठा रहा है। दलबदल के लिये केवल राजनीतिक स्वार्थ ही सबसे बड़ा कारण रहा है। भ्रष्टाचार के कारण ज़मानत पर होने के आरोप दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व पर एक बराबर हैं। फिर जिस तरह प्रधानमन्त्री ने प्रदेश को पांच दानवों से मुक्त करवाने को आहवान किया है उस भाषा को भी लोगों ने ज्यादा नही सराहा है।
इस परिदृश्य में धूमल के नेता घोषित किये जाने की राजनीतिक आवश्यकता थी और उसके अनुसार यह घोषणा हुई थी। लेकिन इस घोषणा के साथ ही धूमल के चयन को राजपूत बिरादरी को खुश करने का प्रयास करार दे दिया गया। इसके लिये यह तर्क दिया गया कि प्रदेश में राजपूत 37% है और जातिय गणित में सबसे अधिक जन संख्या है जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में ब्राहमणों की जन संख्या 28 लाख 5 हजार 628 और राजपूतों की 24 लाख 16 हजार 986 है। लेकिन राजपूत एंगल दिये जाने से ब्राहमण सुमदाय में रोष की स्थिति पैदा होना स्वभाविक है। इस जातिय गणित का कुप्रभाव भाजपा को कांगड़ा में तो कांग्रेस को मण्डी में झेलना पड़ सकता है। धूमल के नेता घोषित होने के बाद जगत प्रकाश नड्डा को संयोगवश कुछ चुनाव सभायें रद्द करनी पड़ी है। खराब मौसम के कारण केन्द्र केे कई नेता पूर्व घोषित पत्रकार वार्ताओं को संबोधित नही कर पाये हैं लेकिन इसे भी राजनीति के चश्मे से ही देखा गया है। इसलिये धूमल के नेता घोषित होने से जो यह उम्मीद थी कि आम आदमी पूरी तरह खुलकर पार्टी के पक्ष में खड़ा हो जायेगा वैसा हुआ नही है।
दूसरी ओर कांग्रेस में जितना समय वीरभद्र और सुक्खु ने आपसी स्कोर सैटल करने में लगा दिया उससे पूरी पार्टी का जितना नुकसान हो गया है उसकी भरपायी हो पाना संभव नही है। क्योंकि जब भाजपा के स्टार प्रचारको तक की सूची जारी हो गयी थी तब तक सुक्खु और वीरभद्र का झगड़ा सुलझा ही नही था। यही तय नही हो पा रहा था कि वीरभद्र को चुनाव की कमान मिलेगी या नही। लेकिन जब वीरभद्र को कमान मिल गयी और चुनाव टिकटों को वितरण हुआ तो उसमें कई स्थानों पर वीरभद्र के समर्थको को टिकट नही मिल पाये। इन स्थानों पर वीरभद्र के कुछ समर्थक विद्रोही होकर चुनाव लड़ रहे हैं। इन विद्रोहीयों के चुनाव लड़ने से निश्चित रूप से पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचेगा ही। यह विद्रोही सीधे वीरभद्र के नाम लग रहे हैं। इसके अतिरिक्त पार्टी का चुनाव प्रचार अभियान बहुत कमजोर चल रहा है। इस समस कांग्रेस का संगठन चुनाव प्रचार के नाम पर कहीं नजर नही आ रहा है। भाजपा के हमलों का जवाब देने वाला कांग्रेस के कार्यालय में कोई है ही नही। बल्की कांग्रेस के उपाध्यक्ष हर्ष महाजन जो स्वंय चुनाव नही लड़ रहे हैं वह भी न तो कांग्रस के कार्यलय में दिख रहे हैं और न ही प्रचार में। वह केवल मुख्यमन्त्री का ही चुनाव देख रहे हैं। इस समय कांग्रेस का सारा प्रचार पार्टी के केन्द्रिय कार्यालय द्वारा भेजे गये छोटेे बड़े नेताओं द्वारा संचालित हो रहा है। प्रदेश नेताओं से वीरभद्र के अतिरिक्त और कोई फील्ड में दिख ही नही रहा है और वीरभद्र नेताओं से ज्यादा सेवानिवृत अधिकारियों पर आश्रित होकर चल रहे हैं। कल तक यह लोग प्रदेश सचिवालय में बैठकर उनकी सरकार चला रहे थे और आज हाॅलीलाज में बैठकर चुनाव का संचालन कर रहे हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि कांग्रेस कहां खड़ी है और उसका भविष्य क्या होने वाला है।
इस परिदृश्य में जहां संगठन और प्रचार के नाम पर कांग्रेस कहीं दिख नही रही और उसके मुकाबले में भाजपा बहुत आगे चल रही है। इसके बावजूद भी मतदाता अभी तक चुप चल रहा है। माना जा रहा है कि जहां प्रदेश की जनता वीरभद्र के कुशासन से दुःखी है वहीं पर भाजपा से भी पूरी तरह प्रसन्न नजर नही आ रही है। यह स्थिति अधिकांश में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना मानी जाती है। लेकिन अब भाजपा ने धूमल को नेता घोषित करके स्थिति को संभालनेे का प्रयास किया है। उससे भाजपा को काम चलाऊ बहुमत मिलने की संभावना कुछ बनती जा रही है। वर्तमान स्थिति में यह लगता है कि कहीं सरकार बनाने के लिये निर्दलीयों की आवश्यकता पड़ सकती है।
शिमला/शैल। वीरभद्र के प्रधान निजि सचिव और सरकार के मीडिया सलाहकार सुभाष आहलूवालिया केे खिलाफ धूमल सरकार के 2007 से 2012 के शासन काल में भ्रष्टाचार को लेकर आयी शिकायत की जांच के दौरान उन्हे विजिलैन्स की गिरफ्तारी तक का सामना करना पड़ा था। इस मामले से उनका छुटकारा 2012 में सरकार बदलने के बाद वीरभद्र के शासनकाल में हुआ है। लेकिन इसी काल में ईडी ने सुभाष आहलूवालिया के खिलाफ एक और जांच खोल दी है। इस जांच को लेकर जब आहलूवालिया को ईडी का नोटिस गया और इस नोटिस के बाद ईडी के शिमला स्थित तत्कालीन सहायक भूपेन्द्र नेगी का हिमाचल सरकार ने डैपूटेशन रद्द करने के आदेश कर दिये थे। तब यह डैपूटेशन रद्द किये जाने को आहलूवालिया के खिलाफ शुरू हुई जांच को रोकने का प्रयास करार देते हुए भापजा ने तीन दिन तक विधानसभा की कारवाई बाधित कर दी थी। लेकिन इस सबके बावजूद भी भूपेन्द्र नेगी का सरकार ने डैपूटेशन बहाल नही किया और न ही ईडी ने अपनी कारवाई आगे बढ़ाई।
इसी दौरान ईडी के पास आहलूवालिया के खिलाफ एक और शिकायत आ गयी। यह शिकायत दो वकीलों के नाम से कालेधन पर गठित एसआईअी के सदस्य सचिव एम एल मीणा के नाम भेजी गयी थी। इस शिकायत में आहलूवालिया के खिलाफ सौ करोड़ से अधिक इकट्ठा किये जाने का विवरण था। उनके बैंक खातों की तफसील थी। यह शिकायत कालेधन पर गठित एस आई टी से शिमला स्थित ई डी कार्यालय में पहुची थी। लेकिन इस शिकायत पर ई डी में क्या कारवाई हुई आज तक इस बारे में कुछ भी सामने नही आया है। ई डी कार्यालय इस शिकायत पर कुछ भी कहने को तैयार नही है। बल्कि जो नोटिस ई डी ने आहलूवालिया को जारी किया था उस पर भी कुछ नही कह रहा है। सुभाष आहलूवालिया के खिलाफ जब ई डी में शिकायत आयी थी उस समय तो वीरभद्र के खिलाफ सी बी आई और ई डी में कोई मामला दर्ज तक नही हुआ था। वीरभद्र के खिलाफ उसके बाद दोनों ऐजैन्सीयों में मामले दर्ज हुए। सीबीआई का मामला ट्रायल कोर्ट तक पहुंच गया है। ई डी ने आनन्द चौहान को जून 2016 से गिरफ्तार कर रखा है।
लेकिन सुभाष आहलूवालिया के मामलों में आज तक कुछ भी न होने तथा भाजपा के भी इन मामलों पर चुप्पी साधे रखने से यही संकेत उभरता है कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार पर केवल राजनीति करना चाहती है जो कि वीरभद्र मामले में हो रही है। भ्रष्टाचार के खिलाफ कारवाई की कोई नीयत नही है जैसी कि आहलूवालिया के मामले में हो रहा है।
ये है शिकायत
To
Sh. M.L. Meera IAS
Member Secretary
Special Investigation
Team on Black Money
Ministry of finance ,
Government of India
North Block, News Delhi-1
Sub: Money Laundering and accumulation of amass Black Money by Sh. Subash Ahulualia IAS ( Retd.)
Sir,
Today when our country and government is fighting against the evil of corruption and the present government has shown its commitment in bringing backs Black Money and for this purpose have appointed officers of great integrity like your good self, we as the citizen of this nation also feel to provide you certain information related to corrupt officials who are living without any fear of law.
Introduction:
Sh. Subhash Ahlualias retired from IAS ( H.P.Cadre) in 2012 but as reappointed Principal Private Secretary to Chief Minister of Himachal Pradesh in 2013. Its also evident that he had severed the same Chief Minister ( Virbhadra Singh) in the same capacity from 2003 to 2007 when he was removed unceremoniously from the post due to various complaints of corruption, money laundering and Black Money . Any how this fellow managed to get the prime posting again reason better known to the appointing authority.
Sir here we would like to bring to your notice and information that in year 2008 the Himachal Pradesh government constituted a SIT probe against him on various complaints of corruption and accumulation of Black Money. The team was headed by a IPS officer and special assistance of charted accountant Rajeev Sood was also take to scrutinize his ITR's and Bank details.
In its findings after investigations the SIT observed ''if is quite evident that's both subhash Ahluwaila and Smt. Meera Ahluwalia ( Wife) are in possession of assests as well as cash more than their know source of income and have not been able to account satisfactorily of pecuniary resource of the properties in their and family members name" The offence under section 13(i) (e) r/ 13(2) PCA act, 1988 is made out against both. (Annezure-1) and also u/s 172 of CRPC and further challan as submitted in the court of Ld. Special judge Forests Shimla and prosecution senction was applied from their respective departments.
In it investigation the SIT also observed that both the children of Sh. Subhash Ahluwalia studied in United States of America but after every Scrutiny of his bank accounts there seems to be no avidence that any kind of fees or other expenses are paid by him or his wife to there childrens studying abroad and that too in G W University. In their statements recorded by SIT ( Annex -1,A) the couple says that the expenses were taken care by his their cousins a gentleman named Naresh Ahluwalia a citizens of U.S. but surprisingly the couple was not able to provide any more information about this cousin and more over no communication was received by the SIT from his.This clearly shows that Sh. Subhash Ahluwalia has deposited huge amounts overseas which were and are managed by his children who still reside in U.S.
HAWALA and shady Deals:
1. As mentioned earlier that Sh. Subhash Ahluwalia was also PS to chief Minster in 2003-2007 when larges number of projects and industrials investments took place in the State of Himachal Pradesh. Below are some of his shady deals, which need to be investigated.
2. An amount of Rs. 9 Crore was received by him from the Lafarge Cement Company to set up cements plant in Karsog, Distt. Mandi H.P. This money was Siphoned off to United States through HAWALA.
3. An amount of Rs.15 Crores as received by him from Sh. S.K. Goel of Bajarang Power and Ispat Ltd. Raipur Chhatisgarh and IA Enegry Ltd. for allotment of 2 Power Projects namely Rupin in Shimla and Chhanju in Chamba. This money was deposited with Mr. S.K. Talwar of Jay Pee Group as a part of Ahluwalia investment in the group.
4. An amount of Rs. 3 Crores was given to Ahluwalia by Mr. Vinay Kadia of Dhamwari Sunda Hydro Electric Project for providing special extension in 2014.
5. Rs. 2 Crore was given him by Mr. G.S Bahara of Rayat and Bahara University Solan for getting the environment clearance from the state year 2013.
6. Himachal Pradesh Government raised certain objections in MM University for Medical Science Solan and even an FIR was registered against the Management of the University by the Department of Health and Medical Education Govt. of Himachal Pradesh to remove all of these objections and set the things right , Mr. Ahluwalia took 12-5 Crore from the owener of this university.
7. GMR a prestigious company got 180 MW Holibijoli Hydro Project in Chamba. GMR for a long time was facing objections from the local people regarding change of their site. The present government was also not in a mood to give them any relief due to local political resistance. Again it was Sh. Shubhash Ahluwalia who intervened and mediated further by using the name of Chief Minister, he constituted a team of officers of Department of Engery under Shubhash Gupta, Chief Engineer and further made a report in favour of GMR , which allowed them to change the site in spite of objections and resistance. A deal of Rs. 5 Crore took place between Sh. Ahluwalia and GMR officials Mr. M. Subarao, Mr. V.K. Shama Rs 5 Crore was delivered to sh. Anil Walia of HIMLAND HOTEL and MAHASU RESORTS and Rs. 2.5 Crore was delivered in his sister -in -law residence in Munirka New Delhi interestingly the chief Engineer Mr. Subhash Gupta who gave this report was rehabilitated a Chief consultant in department of energy after his retirement.
8. AMR-MITRA DEAL: Infrastructure company AMR and MITRA had a hydro project in joint venture of 90MW named Tingrit in LAHAUL Valley which was allotted to them in year 2009. Since 2009 they did not Started any work so in 2013 when department of energy moved the cancelation of this project along with certain others projects, AMR's Mr. Shree Niwas uncle of Jaggan Reddy struck a deal with Ahluwalia and all other same projects were cancelled, but AMR MITRA Tingrit project was granted special extension where as it is evident that AMR-MIRTA stands defaulter and has to Pay Rs.4 Crore to the government of Himachal Pradesh. A deal of Rs. 2 crore took places between Ahluwalia and AMR and the same was delivered to him in shimla.
9. Ahluwalia University Mandi- A Local educational institute in the name of Ahbilashi Educational society was running in Mandi, they applies for a private university in the year 2011 and the then government rejected their case due to lack of infrastructure and basic necessities to set the university. Surprisingly the same Abhilashi Educational Society was given the permission to set up Abhilashi University in year 2014 by the present government, within a period of 4 months ( News paper cutting of MD of Abhilashi Group enclosed .) A eal of Rs. 5 Crore took place between Sh. Ahluwalia and Mr. R.K. Abhilashi. The money was given to him in Shimla.
10. TAQA and SORANG POWER DEAL :-Sh. Shubhash Ahluwalia was instrumental in selling of 100 MW SORANG Hyrdo Project in Kinnaur to Arabian Company TAQA the Total deal was of Rs. 650 Crore out of which around Rs. 5Crore was received by Shubhash Ahluwalia as Kick back. Mr. Anup Banyal of SORANG POWER coordinated for this deal and the money was siphoned off to Dubai.
11. THE RELIANCE DEAL:-H.P. Govt. allotted a cement plants to Anil Dhiru Bhai Ambani Group (Reliance) in Chopal Distt. Shimla H.P Interstingly no fresh bids or EOI were called and through a simple application from Reliance the Cement Plants was allowed. In this case Sh. Shubhash Ahluwalia along with Vakamulla chandershekhar had deal with Tony Jasudhans of Reliance Group of Rs. 50 Crores.
12. It is pertinent to mention here that almost 100 crore has been accumulated by this man as Black Money through the above mentioned deals and more can only come out if investigated at your end.
Investments made through Black Money :-
Sh.Ahlualia in his tenure of Pr. P.S to Chief Minister Himachal Pradesh from 2003-2007 and 2013- onwards has minted more than 100 crores, other than his undervalued properties as disclosed by him in his IT returns he has invested around 50-75 Crores in various industrial Houses of the Country with in State and Country and abroad.
Following are the some of his investments
1.Rs. 50 Crores in Jaypee Infra, Noida, and money is being Laundered through Mr. S.K. Talwar Vice President of Jaypee group (Jaypee wish town and Jaypee Greens)
2. Investment in Haryana ( Punchkulla,) Punjab (Roopnagar and New Chandigarh, Mullanpur) of around 10 Crores with Omaxe Builders ( MR. Rohtash ) and Lalit Jindal.
3. Investment of around 5 Crores through Mr. Anil Walia proprietor of HIMLAND Hotel shimla in his newly constructed Hotel and Resorts " Mahasu Resorts" Mashobra.
4.Investment of around 5 Crores in Gabbles Group through Mr. Garg who owns Gabbles Hotel and Cottages on Old Mashobra, Shimla.
5. Investment of around 15 Crores in RIMT World School , Manimajra and RIMT College through Mr Gupta. (Gupta Hardware sector -7 chandigarh and Mr. Bansal)
Sir, these are only few of his Black Money investments and if investigated more will come out.
Detail of Properties of Sh. Shubgash Ahluwalia & Family.
1. House at Shimla in his own name ( Lakkar Bazar)
2. MIG Flat- Straberry Hill, shimla in his Wife's name.
3. Three BHK Flat Vatika Tower, Gurgaon in his Wife's name.
4. Plot in Village Kansals, Distt Roop Nagar Punjab in his Wife's name. (Near Sukhna Lake
5. 226 sqr. Mtrs. Plot in Kaithu , shimla in his son's name( Construction going on)
6. 3BHK Flat in SwasthikVihar, Panchkula Haryana in joint name of Wife and daughter.
7. Flat 3 BHKs in Kanak Towerss, The Nile ( Omex Builders) Gurgaon, in his wife's name.
8. Land/Plot in Parwanoo owned in his name earlier and in papers sold to Sh. Mirmal Jindal of Oriental industries Parwanoo.
9. House No. 23 in IAS Officer's Colony PanthaGhati Shimla in his name.
10. Cottage in Mashobra ( Gabbles Construction Group ) below Club Mahindra Resort Old Mashobra Shimla.
11. House /Plot in Dehradun in Appurva Housings Socity.
12.Plot in Amaravati Enclave NH-22
13. Property/ House in United States (Son and daughter are living in US)
14. Orchard in GauraMashnoo (Rampur) ( Benami Purchace)
15. Property in Om towers in Jaipur ( Rajasthan)
16. Land in Village Burua of Manali
17. Plots in Macloedgunj Dharmashala ( Near Khaniyara and Naddi)
18. 3 BHK Flats in Jaypee Greens, Noida ( Pavillion court and calypso court, around 7 crore each.
19. Property in jakhu ( Shimla) near Jodha niwas.
The above 19 property details are revelaed from earlier from investigations carried out by State Investigations agency ( Anx-II) and certain sources. The above properties are worth crore of rupees and we are quitehopeful that there shall be more properties in his name or his wife name or banami if investigated.
Details of Bank Accounts:-
1.HP State Co-opBank A/c No.: 43501100
2.…….do …. A/C No.: 435011393
3. …….do…….A/C No.: 435012490
4.…….do … .. A/C No. : 435011984
5.……..do……A/C No: 435012491
6.HDFC Bank, Shimla A/C No:524193000085
7. Indian Overseas Bank A/C No: 30020
8. SBI, Shimla A/C NO: 10836130231
9.ICICBank Shimla A/C No:63530103984909
10.State Bank of Patiala,
Secrtariat Branch A/C No: 550694424966
11.PNB,Shimla A/C No: 0427000103984909
12.H.P. State Co-Op Bank A/C No. 2678
13.Indian Overseas Bank A/C No:- 30859
14.HDFC Bank A/C No:- 16924
The above accounts are of Sh. Subhash Ahluwalia and his Family members which they got from his IT returns and one more account in Yes Bank, Branch Baddi with account no. 329070000027 was also found in the name of his wife Smt. Meera Ahluwalia which was never revealed in the IT returns of both not only this State invetigation team in 2010 referred these accounts for scrutiny to CA Mr. Rajeev Sood his finding was "cash flow negetive means that deposits are more than known source of income ". The CA in it's report (2010) revealed that total income of both husband and wife from the known source is Rs. 70 Lacs but the amount deposited in the bank accounts mentioned above and known through ITR is around 1 crore 30 lacs which is almost 60 lacs more than the source income.(Annex-II,F-B).
Sir if investigated more undisclosed bank account will come into light not only in india but also in countie like United State of America where son and daughter resides and in Dubai and Singapore( her one of his Sister in law lives.)
शिमला/शैल। वीरभद्र सरकार एशियन विकास बैंक से कर्ज लेकर प्रदेश में हैरिटेज पर्यटन के लिये इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने जा रही है। इस विकास के लिये 256.99 करोड़ का कर्ज लिया गया है। इसके लिये बिलासपुर में मार्कण्डेय और नैना देवी मन्दिर, ऊना में चिन्तपुरनी और हरोली, कांगडा में पौंग डैम, रनसेर तथा कारू टापू नगरोटा सूरियां धमेटा, ब्रजेश्वरी, चामुण्डा, ज्वालाजी, धर्मशाला- मकलोड़गंज, मसरूर और नगरोटा बगंवा, कुल्लु में मनाली का आर्ट एण्ड क्राफ्ट केन्द्र बड़ाग्रां, चम्बा में हैरिटेज, सकिर्ट, मण्डी के ऐतिहासिक भवन और शिमला में नालदेहरा का ईको पार्क, रामपूर बुशैहर तथा आस पास के मन्दिर तथा शिमला शहर में विभिन्न कार्य चिन्हित किये गये हैं। इस विकास के साथ हैरिटेज को जोड दिये जाने के कारण यह पूरा कार्य पर्यटन विभाग को ही सौंप दिया गया है। पर्यटन विभाग में इसके लिये एक प्रौजेक्ट डायरैक्टर अलग से लगाया गया है। जिसे अब लोक निमार्ण विभाग के सेवानिवृत ईइनसी एसपी नेगी भी सहयोग दे रहे हैं। यह सारा कार्य अप्रैल 2014 में शुरू हुआ था और 2017 तक पूर्ण किया जाना है। एशियन विकास बैंक से लिये गये कर्ज में केन्द्र सरकार भी भागीदार है। इस कार्य को अंजाम दे रहे ठेकेदारों पर आयत होने वाले सारे कर भी राज्य सरकार ही अदा करेगी।
शिमला के रिज स्थित चर्च की 17.50 करोड रूपये में रिपेयर किये जाने का अनुबन्ध 10 सितम्बर 2014 को हस्ताक्षरित हुआ था। आर टी आई के माध्यम से 27-2-16 को बाहर आये इस अनुबन्ध की शर्त संख्या 17 के अनुसार रिपेयर का काम दो वर्षो में पूर्ण होना है। सितम्बर 2014 में हुए अनुबंध के दो वर्ष सितम्बर 2016 में पूरे हो गये हैं। अनुबन्ध के मुताबिक इसमें 15 करोड़ का तो सिविल वर्क ही होना है। लेकिन अभी तक मौके पर कोई काम शुरू ही नहीं हुआ है इसमें बहुत सारी अनुमतियां प्रदेश सरकार और नगर निगम शिमला से आनी है। इन अनुमतियों की स्थिति इस समय क्या है इस पर अधिकारिक तौर पर कोई कुछ भी कहने से बच रहा है।
इस चर्च का जिर्णोद्वार भारत सरकार के माध्यम से एशियन विकास बैंक से लिये गये कर्ज से किया जा रहा है। यह चर्च शहर की हैरिटेज संपतियों में शामिल है। हरिटेज के तहत सारा निर्माण कार्य प्रदेश का पर्यटन विभाग करवा रहा है और इसके लिये यू एस क्लब में पर्यटन विभाग को अतिरिक्त कार्यालय की सुविधा दी गयी है। पर्यटन विभाग स्वयं मुख्यमंत्री के पास है। पर्यटन विकास के लिये प्रदेश में अलग से एक बोर्ड गठित है जिसके उपाध्यक्ष पूर्व पर्यटन मन्त्री विजय सिंह मनकोटिया रहे थे। पर्यटन निगम के उपाध्यक्ष वीरभद्र के विश्वस्त हरीश जनारथा थे। यह सभी लोग पर्यटन विकास बोर्ड के सदस्य भी हैं। हैरिटेज संरक्षण के लिये हैरिटेज कमेटी भी गठित है। इस रिपेयर के लिये हस्ताक्षरित अनुबन्ध के अनुसार यह सारा काम हैरिटेज मानदण्डों के अनूरूप होना है। इस सबका अर्थ यह हो जाता है कि 17.50 करोड़ की रिपेयर का प्रारूप निश्चित तौर पर इन सबके हाथों से गुजरा है और इसके लिये सबकी अनुमति रही होगी।
पर्यटन के विकास के लिये एक मुश्त शुरू होने वाली इस बड़ी योजना की कार्यशैली पर नगर निगम के तत्कालीन महापौर संजय चौहान ने एशियन विकास बैंक के मिशन डायरेैक्टर को 27.6.2016 को पत्र लिखकर गंभीर शंकाए व्यक्त की हैं। बैंक के मिशन डायरैक्टर ने शिमला में इस योजना को अंजाम दे रहे प्रौजेक्ट डायरैक्टर मनोज शर्मा को 6 जुलाई को पत्र भेजकर नगर निगम के मेयर की शंकाओं से अवगत भी करवा दिया है। लेकिन इस पत्राचार का अभी तक कोई परिणाम सामने नही आया है। स्मरणीय है कि शिमला के लिये सौन्दर्यकरण की इस योजना का प्रारूप मूल रूप से नगर निगम प्रबन्धन ने ही तैयार किया था और इस पर निगम के हाॅऊस से भी स्वीकृति करवा ली गई थी लेकिन काम को अंजाम देने की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को दे दी गयी है। शिमला के सौन्दर्यकरण के लिये कहां पर क्या काम करवाया जाना है तय यह हुआ था। उसकी मूल जानकारी शिमला नगर निगम को ही है। संभवतः इसी जानकारी के कारण आज इस कार्य की गुणवत्ता और इस पर हो रहे निवेश पर एक साथ सवाल उठने शुरू हो गये हैं।
नगर निगम द्वारा पारित प्रारूप के अनुसार शिमला के सौन्दर्यकरण के तहत 13 मद्दें तय की गयी थी जिनमें से अब मद्द संख्या 11 एसकेलेटरज और मद्द संख्या 12 यूटिलिटी सर्वसिज को ड्राप कर दिया गया है। शिमला में हो रहे कार्यो में कुछ प्रमुख कार्य हैं हैरिटैज के तहत आने वाले दोनो चर्चों की मुरम्मत, मालरोड़ की मैटलिंग टारिंग, पांच रेन शैल्टरों का निमार्ण और नगर निगम के मुख्यालय टाऊन हाल की रेस्टोरेशन। इन कार्यो पर किये जाने वाले निवेश का आकलन भी तीन किश्तो में किया गया है। इन कार्यों को अजांम देने के लिये आठ कन्सलटैन्ट भी नियुक्त किये गये हैं। जिन्हें 1.4.2014 से 31.3.2015 तक फीस के रूप में 4,29,21,353 रूपयेे अदा किये गये हैं।
चर्चों की मुरम्मत को लिये ADB LOAN-No. 3223 IND, IDIPT- H.P. किश्त तीन में 12.40 करोड़ के निवेश का आकलन है। लेकिन इसी मुरम्मत को लेकर 27.2.16 को एक प्रकाश सैमुअल ने जो आर टी आई के तहत सूचना हासिल की है उसमें यह आकलन 17.52 करोड़ कहा गया है। इस कार्य के लिये पर्यटन विभाग चर्च कमेटी के बीच हुये अनुबन्ध के मुताबिक सितम्बर 2016 तक यह कार्य पूरा होना था। अभी तक यह काम शुरू भी नही हुआ है और इसकी लागत में पांच करोड की बढ़ौतरी हो गयी है। पांच रेन शैल्टरों की निमार्ण लागत का आकलन 3 करोड़ कहा जा रहा है। मालरोड की रैस्टोरेशन का आकलन ADB LOAN NO 2676-IND किश्त एक में 23.73 करोड़ है और किश्त तीन में यह आकलन 33.89 करोड़ दिखाया गया है। टाऊन हाल की मुरम्मत का आकलन किश्त एक के मुताबिक 8.02 करोड है। टाऊन हाल के निमार्ण का काम एक अभी राम इन्फ्र्रा प्रौजेक्ट प्राईवेट लि. को दिया गया था। अभी राम इन्फ्र्रा ने इस काम के लिये शिमला स्थित वर्मा ट्रैडिंग कंपनी से लकडी की खरीद की। टाऊन हाल का काम इस कंपनी को सितम्बर 2014 में अवार्ड हुआ और इसने जनवरी 2016 में वर्मा ट्रैडिंग कंपनी से लकडी की खरीद की। कुल 13,74,929 रूपये की लकडी इस काम के लिये खरीदी गयी और इस पैसे की वर्मा ट्रैडिंग को अदायगी भी नही की गयी है। वर्मा ट्रैडिंग ने यह शिकायत भी नगर निगम के मेयर से की है। उसे यह जानकारी ही नहीं है यह काम नगर निगम की बजाये मुख्यमन्त्री का पर्यटन विभाग करवा रहा है।
शिमला के सौन्दर्यकरण का यह काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। बल्कि चर्चों की रिपेयर का काम तो अभी तक शुरू ही नहीं हो पाया है। इस काम के लिये चर्च कमेटी के साथ जो अनुबन्ध हुआ उसके मुताबिक दो वर्ष के भीतर यह काम पूरा होना था। इस अनुबन्ध की अवधि सितम्बर 2016 में समाप्त हो चुकी है और नया अनुबन्ध अभी तक हुआ नहीं है। ऐसे में अब यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या चर्चों की रिपेयर होगी भी या नहीं।