शिमला/शैल। इस बस अड्डा प्रकरण की जांच सर्वोच्च न्यायालय ने 16.5.2016 को जज धर्मशाला को सौंपी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने यह जांच चार माह में पूरी करके रिपोर्ट सौपने के निर्देश दिय थे। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के परिवहन विभाग को भी निर्देश दिये थे कि वह इस प्रकरण से जुड़ा सारा रिकार्ड जज को तुरन्त प्रभाव से सौंपे और इस जांच में पूरा सहयोग करे। इन निर्देशों का पालन करते हुए जज को सारा रिकार्ड तुरन्त सौंप दिया गया था। लेकिन सूत्रों के मुताबिक जिला जज धर्मशाला अब तक इस प्रकरण की जांच पूरीे करके सर्वोच्च न्यायालय को अपनी रिपोर्ट नही सौंप पाये है। ऐसे में यह चर्चा उठना स्वभाविक ही है कि जब न्यायिक अधिकारी ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अनुपालना न कर पाये तो फिर अन्य प्रशासन से क्या उम्मीद की जा सकती है। यह चर्चा एनजीटी द्वारा अभी हाल ही में प्रदेश भर में हुए अवैध निमार्णो के कारण पर्यावरण को पहुंचे नुकसान के संद्धर्भ में दिये गये फैसले से उठी है।
स्मरणीय है कि धर्मशाला के मकलोड़गंज में 2004 से बीओटी के तहत बन रहे बस स्टैण्ड और चार मंजिला होटल तथा शापिंग काम्लैक्स के निर्माण पर फिर अनिश्चितता की तलवार लटक गयी है। स्मरणीय है कि यह निर्माण वनभूमि पर हो रहा है जिसके लिये वन एवम् पर्यावरण अधिनियम के तहत वांच्छित अनुमतियां न लिये जाने के लिये सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित सीईसी के समक्ष एक अतुल भारद्वाज ने शिकायत डाली थी। इस शिकायत की जांच करके सीईसी ने अपनी रिपोर्ट 18 सितम्बर 2008 को सर्वोच्च न्यायालय में रखी थी। इस रिपोर्ट में पूरे निर्माण पर कानूनी प्रावधानों की गंभीर उल्लंघना के आरोप लगाते हुए सारै संवद्ध प्रशासनिक तन्त्र इसमें मिली भगत पायी गयी थी। इसमें प्रदेश सरकार पर एक करोड़ रूपये का जुर्माना भी लगाया गया था। सरकार के साथ ही निर्माण कार्य कर रही कंपनी मै. प्रंशाति सूर्य को ब्लैक लिस्ट करने और जुर्माना लगाने की संस्तुति की गयी थी।
सीईसी की इस रिपोर्ट को मै. प्रशांति सूर्य ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जिस पर मई 2016 में शीर्ष अदालत ने फैसला दिया। इस फैसले में मै. प्रशांति सूर्य को पर्यावरण संरक्षण के एनजीटी अधिनियम की धारा 15 और 17 के तहत 15 लाख का जुर्माना लगाया गया। यह जुर्माना प्रदेश के प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड में जमा करवाना होगा। इसी के साथ प्रदेश सरकार और पर्यटन विभाग तथा बस अड्डा प्रबन्धन एवम् विकास अथाॅरिटी पर भी दस लाख का जुर्माना लगाया गया। हिमाचल सरकार पर पांच लाख और पर्यटन विभाग पर भी पांच लाख का अलग से जुर्माना लगा है। इसमें बन रहे होटल और रेस्तरां को भी दो सप्ताह के भीतर गिराये जाने के निर्देश दिये गये हैं। इसी के साथ प्रदेश के मुख्य सचिव को इस पूरे प्रकरण की जांच करके बस अड्डा प्राधिकरण के संबधित अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय करते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कारवाई करने के निर्देश सर्वोच्च न्यायालय ने पारित किये हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले की बस अड्डा प्राधिकरण ने फिर अपील के माध्यम से चुनौति दी। इस अपील की सनुवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने इस संद्धर्भ में जो जांच प्रदेश के मुख्य सचिव को करने की जिम्मेदारी दी थी अब जांच जिला कांगड़ा के सत्र न्यायधीश को करने की जिम्मेदारी दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि We accordingly modify our order dated 16.05.2016 and direct the District Judge to hold an inquiry into the conduct of all officers responsible for the construction of the bus stand / hotel /accompanying complex and to submit a report to this Court as to the circumstances in which the alleged construction was erected and the role played by the officers associated with the same. The District Judge may appoint a suitable presenting officer to assist him in the matter. We further direct that the Government of Himachal Pradesh and the petitioner authority shall render all such assistance as may be required by the District Judge in connection with the inquiry and produce all such record and furnish all such information as may be requisitioned by him. Needless to say that the District Judge shall be free to take the assistance of or summon any official from the Government or outside for recording his / her statement if considered necessary for completion of the inquiry. The District Judge is also given liberty to seek any clarification or direction considered necessary in the matter. He shall make every endeavour to expedite the completion of the inquiry and as far as possible send his report before this Court within a period of four months from the date a copy of this order is received by him.
सैशन जज धर्मशाला ने इस जांच के संद्धर्भ में अभी तक अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को नहीं सौंपी है। माना जा रहा है कि इस प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय और सीईसी ने जिस विस्तार से इस मामले में हुई धांधलीयों को उजागर करते हुए सभी संवद्ध पक्षों को कड़ी फटकार और जुर्माना लगाया है उसे देखते हुए इसमें संलिप्त रहे सारे अधिकारियोें की व्यक्तिगत जिम्मेदारीयां तय होना निश्चित माना जा रहा है। क्योंकि इसमें हुई अनियमितताओं का संज्ञान तो शीर्ष अदालत पहले ही ले चुकी है। अब इसमें केवल यह तय होना ही शेष है कि किस अधिकारी के स्तर पर क्या कोताही हुई है।
शिमला/शैल। चुनाव के नतीजे 18 दिसम्बर को आनेे है और 18 दिसम्बर तक का यह समय चुनाव लडने वाले हर उम्मीदवार के लिये एक कड़ी परीक्षा का समय है क्योंकि इस दौरान उसे अपने समर्थकों और मतदाताओं के बीच रहना और इस नाते उसे हर समय यह दावा बनायेे रखना है कि वह जीत रहा है। राजनीतिक दलोें को तो यह दावा सार्वजनिक रूप से मीडिया के माध्यम से प्रदेश की जनता के बीच रखना है। इसी राजनीतिक अनिवार्यता के चलतेे सत्तारूढ़ कांग्रेस और सत्ता पर कब्जे के लिये तैयार बैठी भाजपा ने सरकार बनानेे के दावों की रस्म अदायगी को अंजाम देना शुरू कर दिया है। मतदान के बाद भाजपा अपनी आकलन बैठक कर चुकी है और कांग्रेस की यह बैठक 28 को होने जा रही है।
चुनाव टिकटों के आवंटन के बाद दोनों दलों में बगावत देखने को मिली है। टिकट केे कई प्रबल दावेदारों ने टिकट न मिलने पर बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा है ऐसेे विद्रोहीयों की संख्या दोनो दलों में लगभग बराबर रही है। ऐसे विद्रोहीयों और उनके समर्थकों को दोनों दल निष्कासित भी कर चुके हैं। लेकिन निष्कासन के बाद भी दोनो दलों को भीतरघात का सामना भी करना पड़ा है। भीतरघात एक ऐसा कृत्य है जिसे प्रमाणित कर पाना बहुत आसान नही होता है। भाजपा की हमीरपुर में हुई बैठक में करीब हर ब्लाॅक से भी भीतरघात की शिकायतें आने की चर्चा है। इन शिकायतों पर विचार-विर्मश के बाद इन्हे सांसद वीरेन्द्र कश्यप की अध्यक्षता वाली अनुशासन समिति को अगली कारवाई के लिये भेजनेे का फैसला लिया गया है। सूत्रों का यह भी दावा है कि इस बैठक में पार्टी ने जो आन्तरिक सर्वे करवाया है उसकेे मुताबिक पार्टी को 38 से 42 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। इस सर्वे में बिलासपुर की चार में सेे तीन सीटें जीतने का दावा किया गया है। इसमें पार्टी झण्डूता में जीत को लेकर आश्वस्त नही है। झण्डूता में कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला है क्योंकि यहां केवल दो ही उम्मीदवार मैदान में थे। इस नाते यहां पर पार्टी की विचारधारा और चुनावी रणनीति दोनो की स्वीकारयता की कसौटी परख दाव पर है। फिर यहां एक दशक से भाजपा का कब्जा भी चला आ रहा है। उम्मीदवार भी पहले उम्मीदवार से किसी कदर कम नही था। ऐसे में यदि पार्टी अपने ही आन्तरिक आंकलन में इस सीट को लेकर आश्वस्त नही है तो पार्टी के सारे आंकलनों पर स्वयं ही एक प्रश्नचिन्ह लग जाता है।
फिर हर ब्लाॅक से भीतरघात की शिकायतों का आना भी इसी ओर संकेत करता है कि पार्टी को अपने ही लोगों ने बडे पैमाने पर नुकसान पंहुचाया है। सूत्रों की माने तो कुछ बडे नेताओं ने दूसरे बडे नेताओं को हटवाने के लिये एक दूसरे के विरोधीयों की धन से भी मदद की है। माना जा रहा है कि इस तरह के भीतरघात से पार्टी को निश्चित रूप से नुकसान पहुंचा है क्योंकि जब बडे नेता ही इस तरह की गतिविधियों कोे अपना अपरोक्ष समर्थन देंगे तो उससे नुकसान तो अवश्य पंहुचेगा। चर्चा है कि जब तक पार्टी ने धूमल को नेता घोषित नही किया था तब तक इस तरह केे भीतरघात की संभावनाएं बहुत कम थी क्योंकि तब तक सामूहिक नेतृत्व के तहत ही यह चुनाव लडे जाने की बात चल रही थी। लेकिन जब केन्द्रीय स्वास्थ्य मन्त्राी जेपी नड्डा का जंजैहली में जय राम ठाकुर को लेकर यह ब्यान आ गया कि चुनाव के बाद उन्हे एक बडी जिम्मेदारी दी जायेगी, इस ब्यान के साथ ही नड्डा का एक साक्षात्कार छप गया जिसमें यह कहा गया कि ऐसा मुख्यमन्त्री दिया जायेगा जो आगे पन्द्रह वर्षों तक नेतृत्व दे पायेगा। इस साक्षात्कार के सामनेे आने के बाद स्वभाविक रूप से पार्टी के भीतरी समीकरणों में बदलाव सामने आने लगे। इसी केे साथ चुनाव अभियान की जो भ्रष्टाचार केन्द्रित रणनीति अपनाई गयी थी उस पर हर पत्रकार वार्ता में नेताओं को कडे सवालों का सामना करना पड़ा। पंडित सुखराम और उनकेे परिवार को भाजपा में शामिल करके कांग्रेस के टूटने की जो उम्मीद की थी वह भी सफल नही हो पायी। उल्टे सुखराम का अपना भ्रष्टाचार भाजपा के गले की फांस बन गया। हर रोज भाजपा को इस पर सफाई देने की नौबत आ गयी। इस परिदृश्य में जब पूरे हालात की पुनः समीक्षा की गयी तब धूमल को नेता घोषित करने के अतिरिक्त पार्टी केे पास कोई विकल्प नही रह गया था। लेकिन कुछ लोगों को धूमल का नेता घोषित होना पसन्द नही आया है। बल्कि कई जगह तो भीतरघात के तार सीधे इन लोगों से जुड़े हुए माने जा रहे हैं। चुनाव परिणामों के बाद इस संद्धर्भ में भाजपा के अन्दर काफी कुछ रोचक देखने को मिलेगा यह तय है।
इसी तर्ज पर कांग्रेस के अन्दर भी बडे पैमाने पर भीतरघात होने की चर्चा बाहर आ रही है। इस चुनाव में कांग्रेस के अधिकांश विद्रोही तो सीधे- सीधे वीरभद्र सिंह के साथ जुड़े हुए माने जा रहे हैं। पार्टी ने चुनाव आंकलन के लिये 28 को बैठक बुलाई है। इस बैठक में भीतरघात की कितनी शिकायतें प्रदेश भर से आती है और उन पर क्या कारवाई की जाती है इसका खुलासा तो आने वाले दिनों में ही सामने आयेगा। लेकिन इस दौरान पार्टी के कुछ हल्कों में वीरभद्र के ईडी मामले को लेकर भी चर्चाएं चल पड़ी हैं। क्योंकि 2012 में वीरभद्र ने चुनाव में जोे शपथ पत्र सौपा था उसे सीबीआई ने अपनी जांच में झूठा पाया है। सीबीआई इस तथ्य कोे दिल्ली उच्च न्यायालय के सामनेे रख चुकी है। उच्च न्यायालय ने इस शपथपत्र को चुनाव आयोग को अगली कारवाई के लिये भेजने की सिफारिश 31.3.17 को की थी। वीरभद्र ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जिसे सर्वोच्च न्यायालय खरिज कर चुका है। अब वीरभद्र के विरोधी इस कानूनी कमजोरी का चुनाव परिणामों के बाद लाभ उठाने की रणनीति बना रहे हैं। माना जा रहा है कि चुनाव परिणामों के बाद वीरभद्र के लिये स्थितियां सुखद रहनेे वाली नहीं है।
शिमला/शैल। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हिमाचल प्रदेश के सारे "Green forest and core areas'' में हर तरह के निमार्ण पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। यही नही राष्ट्रीय उच्च मार्गो के तीन मीटर के दायरे में भी यह रोक लगा दी है। प्रदेश में हुए अन्धा धुन्ध निमार्ण पर सरकार की प्रताड़ना करते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा है कि "If such unplanned and indiscriminate development is permitted, there will be irreparatable loss and damage to the environment, ecology and natural resources on the one hand and inevitable disaster on the other'' ट्रिब्यूनल ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति के पहाड़ को काटने या वन क्षेत्र को नुकसान का दोषी पाया जाता है तो हर दोष के लिये उस पर पांच लाख का जुर्माना लगाया जायेगा। नये निर्माणों पर ट्रिब्यूनल ने कहा है कि
"Beyond the core, green /forest area and the areas falling under the authorities of the Shimla Planning Area, the construction may be permitted strictly in accordance with the provisions of the Town and Country Planning Act. Development Plan and the Municipal laws in force. Even in these areas, construction will not be permitted beyond two storeys plus attic floor."
However, if any construction particularly public utilities (buildings like hospitals, schools and offices of essential services but would definitely not include commercial, private builders and any such allied buildings) are proposed to be constructed beyond two storeyes plus attic floor then the plans for approval or obtaining NOC shall be submitted to the authorities concerned having jurisdiction over the area in question."
ट्रिब्यूनल ने अपने आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिये निदेशक टीसीपी की अध्यक्षता में एक कमेटीे का भी गठन किया है। इस कमेटी के अन्य सदस्यों में सचिव शहरी विकास विभाग, निदेशक वाड़िया इन्स्टीच्यूट आॅफ हिमालय जियालोजी राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन के अधिकारी और प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के सदस्य सचिव शामिल हैं। यह कमेटी सरकार को This committee shall also advise the state of Himachal Pradesh for regulating traffic on all roads, declaring prohibited zones for vehicular traffic, preventing and controlling pollution and for management of municipal solid waste in Shimla. The recommendation of this committee should be carried out by the state government and all its departments as well as local authorities without default and delay. ट्रिब्यूनल ने यह आदेश योगेन्द्र मोहन सेन गुप्ता और शीला मल्होत्रा की याचिका पर सुनाये हंै। ट्रिब्यूनल ने प्रदेश के टीसीपी और प्रदूशण नियन्त्रण बोर्ड के 20 सदस्यों के खिलाफ कारवाई करने की भी अनुशंसा की है।
एनजीटी के इन आदेशों से प्रदेश के प्रशासनिक और राजनीतिक हल्कों में हड़कंप की स्थिति पैदा हो गयी है क्योंकि राजधानी शिमला में अवैध निर्माण के हजारों मामलें हैं बल्कि यह कहना ज्यादा सही होगा कि यह अवैध निर्माण अपरोक्ष में राजनीतिक संरक्षण के चलते हुए है। क्योंकि इन्हें नियमित करने के लिये सरकार नौ बार रिटैन्शन पाॅलिसियां ला चुकी है। प्रदेश उच्च न्यायालय भी इन निर्माण पर कई बार तल्ख टिप्पणीयां कर चुकी है। एनजीटी के इन आदेशों के बाद नगर निगम शिमला के भी कईे पार्षद इन्हे उच्च न्यायालय में चुनौती देने का फैसला लेने का विचार बना रहे हैं। इन आदेशों की अनुपालना करना सरकार के लिये भी एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
इन आदेशों के बाद नये निमार्णों के लिये बहुत सारी कठिनाईयां पैदा होने की आशंका हो गयी है। क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में निमार्ण नही हो सकेगा जिनकी ढलान 35% से अधिक होगी। इन आदेशों के बाद स्मार्ट सिटी की सारी परियोजना का प्रारूप भी अब नये सिरे से बनाने की आवश्यकता आ खड़ी होगी। क्योंकि स्मार्ट सिटी के नाम पर बहुत सारेे ऐसे कार्य प्रायोजित है जिनकी अनुमति इन आदेशों के तहत मिल पाना संभव नही होगा।
शिमला/शैल। मतदान के बाद सामने आये आंकड़ो के अनुसार 37,21,665 मतदाताओं ने इन चुनावों में वोट डाले हैं। इनमें भी महिला मतदाताओं की संख्या 19,10,535 और पुरूषों की संख्या 18,11,126 रही है। इसमें पुरूषों का प्रतिशत 71.55 और महिलाओं का 77.76 रहा है। 6% महिलाओं का आंकड़ा अधिक रहा है। विधानसभा क्षेत्रों की गणना में 39 क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या अधिक रही है। इसी के साथ यह भी गौरतलब है कि सिरमौर, सोलन, शिमला, कुल्लु, लाहौल स्पिति और किन्नौर के एक भी विधानसभा क्षेत्रा में महिलाओं की संख्या पुरूषों से अधिक नही रही हैं। जबकि कागंड़ा, ऊना, हमीरपुर के हर क्षेत्र में महिलाओं की संख्या अधिक रही है। मण्डी में भी दस में से आठ हल्कों में महिलाओं की संख्या अधिक रही है। इन आंकड़ो से यह तो स्पष्ट हो जाता है कि चुनाव परिणाम महिलाओं से ही प्रभावित रहेंगे। लेकिन यह दिलचस्प रहा है कि आधे हिमाचल में महिलायें पुरूषों से अधिक तो आधे में कम रही हैं।
इससे यह सवाल उठना स्वभाविक है कि महिलाओं के मतदान में इस तरह का आचरण क्यों रहा है। बल्कि इस आंकड़े से यह भी उभरता है कि पूरे प्रदेश में महिलाओं का आंकड़ा 6% अधिक रहा है पुरूषों से। इससे यह भी लगता है कि आधे हिमाचल में चुनाव परिणाम महिलाओं के अधिक आने से तो आधे में कम आने से प्रभावित होेंगे। इस परिदृश्य में यह समझना आवश्यक हो जाता है कि महिलाओं पर किन चीजों का चुनाव के संद्धर्भ में प्रभाव रहा होगा। इसमें सबसे पहले मंहगाई की गिनती आती है क्योंकि अभी थोड़े से ही अन्तराल में रसोई गैस सिलेण्डर की कीमत में 80 रूपये की बढौत्तरी देखने को मिली है और इस पर सबसे अधिक चिन्ता महिलाओं ने व्यक्त की है। यदि बढ़ती कीमतों के प्रति महिलाओें में आक्रोश रहा होगा तो इसका नुकसान भाजपा को होगा क्योंकि इसके लिये राज्य सरकार की बजाये केन्द्र सरकार ज्यादा जिम्मेदार है। लेकिन इसी के साथ जब कोटखाई का गुड़िया प्रकरण सामने आया तब प्रदेश में महिला सुरक्षा एक बड़े मुद्देे के रूप में उभर कर सामने आया। शिमला में हर रोज गुड़िया को न्याय मांगने वालों के धरने -प्रदर्शन देखने को मिले हैं। लेकिन जब यह प्रकरण सीबीआई को सौंप दिया गया और सीबीआई भी इसमें कुछ ठोस नही कर पायी तब गुड़िया आन्दोलन की आंच भी धीमी पड़ती चली गयी। चुनाव आने तक यह मुद्दा तो बड़ा मुद्दा बनकर नही रह पाया हालाॅंकि भाजपा ने इसे अपने अभियान का एक अंग अन्त तक बनाये रखा। लेकिन मतदान में पूरे शिमला, सोलन, सिरमौर में महिलाओं की भागीदारी का कम रहना एक अलग ही स्थिति खड़ी कर देता है। इसी के साथ सिरमौर, सोलन, शिमला, कुल्लु के 18 विधानसभा क्षेत्रों में पुरूष मतदाताओं की संख्या महिलाओं के अनुपात में इतनी अधिक है कि वहां पर निश्चित रूप से पुरूष ही चुनाव परिणाम को प्रभावित करेंगे। प्रदेश के 52 चुनाव क्षेत्र इन आंकड़ोे के अनुसार ऐसे हैं जहां हार-जीत का फैसला यह महिला और पुरूषों का अन्तर तय करेगा। चुनावी मुद्दांे के नाम पर भाजपा ने भ्रष्टाचार को जिम्मेदारी से केन्द्रित करने का प्रयास किया वह अन्त तक आते-आतेे उसी पर भारी पड़ गया। क्योंकि इस भ्रष्टाचार पर प्रचार के अनुरूप केन्द्रिय जांच ऐजैन्सीयां कारवाई नहीं कर पायी हैं। फिर भ्रष्टाचार के जिस तरह के आरोप कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ रहे हैं ठीक वैसे ही आरोप भाजपा नेतृत्व के खिलाफ भी रहे हैं। वीरभद्र सिंह नेे चुनाव के अन्तिम चरण में भाजपा पर पलटवार करते हुए यह जवाब दिया कि भाजपा नेता प्रेम कुमार धूमल, अनुराग ठाकुर, वीरेन्द्र कश्यप और डा. राजीव बिन्दल भी आपराधिक मामलों में ज़मानत पर हैं। वीरभद्र के इस आक्षेप का भाजपा नेता केवल यही जवाब दे पाये थे कि उनकेे खिलाफ बनाये गये मामले राजनीति से पे्ररित हैं लेकिन यह जवाब देतेे हुए भाजपा नेता भूल गये कि यही आरोप वीरभद्र लगातेे आ रहे हैं कि उनके खिलाफ बनाये गयेे मामले राजनीति से प्रेरित हैं।
आरोपों-प्रत्यारोपों के द्वन्द नेे कांग्रेस और भाजपा को एक ही धरातल पर लाकर खड़ा कर दिया है। इसी कारण से भ्रष्टाचार को लेकर आम आदमी की नज़र में कांग्रेस और भाजपा एक ही सिक्केे के दो पहलु बन कर रह जाते हैं। संभवतः इसीलिये इस चुनाव में मतदाता अन्त तक खामोश रहा है। अब मतदान के बाद भाजपा और कांग्रेस के अपने-अपने शुभ चिन्तकों कै चुनाव परिणाम सर्वे सोशल मीडिया पर हर रोज देखने को मिल रहे हैं। इन सर्वेक्षणों में जो लोग भाजपा की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं उनकेे मुताबिक कांग्रेस को ऊना, देहरा सबडिविजन और हमीरपुर में एक भी सीट नही मिल रही है। लेकिन इसके बावजूद भी यह लोग भाजपा को 42 सीटें ही दे रहे हैं और भाजपा नेतृत्व के 50 प्लस के दावे को स्वयं ही नकार रहे हैं। इसी तर्ज पर कांग्रेस के समर्थकों की ओर से भी सर्वे आये हैं इनमें कांग्रेस को 36 से 38 तक सीटें दी जा रही हैं। लोग कांग्रेस की सरकार बननेे को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। लेकिन जिस ढंग से महिला मतदान का पैटर्न आधे हिमाचल में अधिकता को लेकर एक जैसा है तोे दूसरे आधेे हिस्से में कमी को लेकर एक जैसा है उससेे अन्त में यही निष्कर्ष निकलता है कि शायद एक भी दल को अपने में सरकार बनानेे लायक बहुमत नहीं मिल पायेगा। इस परिणाम में चार से छः निर्दलीयों और माकपा के जीतने की संभावना है और सरकार बनानेे में इन्ही की भूमिका अहम रहेगी। क्योंकि कुछ स्थानों पर वीरभद्र ने खुलकर अपने विरोधियों को आर्शीवाद दिया है वहीं पर कुछ क्षेत्रों में शान्ता कुमार का सक्रिय न रहना त्रिशंकु के स्पष्ट संकेत माने जा रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में वीरभद्र का विद्रोहीयों की पीठ थपथपाना और कुछ में शान्ता का सक्रिय न रहना त्रिशंकु के स्पष्ट संकेत माने जा रहे हैं।
महिला मतदान के महत्वपूर्ण आंकड़े
कई चुनाव क्षेत्रों में पुरूष और महिला मतदाताओं में इतना अन्तर है कि उसके आंकलन का सारा गणित अपने में ही कई सवाल खड़े कर देता है। महत्वपूर्ण अन्तर वाले क्षेत्र यह हैंः इनमें वोट डालने वाले पुरूषों और महिलाओं की संख्या इस प्रकार हैः-
चुनाव क्षेत्र पुरूष मतदाता महिला मतदाता
1. भटियात 24739 27152
2. नूरपुर 30757 32514
3 .फतेहपुर 26420 31104
4. ज्वाली 29892 35783
5. देहरा 24125 29280
6. जसवां परागपुर 23212 27794
7. ज्वालामुखी 23451 29379
8. जयसिंहपुर 20986 27930
9. सुलह 30235 37873
10. नगरोटा 29433 33873
11. कांगडा 26931 30732
12. शाहपुर 27863 31548
13. धर्मशाला 26923 28588
14. पालमपुर 23213 26440
15. बैजनाथ 23319 28572
16. जोगिन्द्रनगर 27893 36907
17. धर्मपुर 20842 26109
18. मण्डी 24525 27643
19. बल्ह 26774 29718
20. सरकाघाट 24679 30945
21. भोरंज 21350 27875
22. सुजारनपुर 21728 27946
23. हमीरपुर 21458 26029
24. बड़सर 24091 31537
25. नादौन 27167 34325
26. चिन्तपुरनी 27170 29393
27. गगरेट 28119 30733
28. हरोली 30045 33493
29. ऊना में 29635 32086
30. कुटलैहड़ 27255 31230
31. झण्डूता 24758 27924
32. घुमारवीं 26587 32257
33. बिलासपुर 27367 29934