ं कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित 40 नेताओं पर आरोप
ं मुख्यमन्त्री की पत्नी ,बेटा प्रधान निजि सविच और सुरक्षा अधिकारी भी आरोपों में
ं क्या वीरभद्र आरोप पत्र केमटी के खिलाफ मानहानि का दावा दायर करेंगे
शिमला/बलदेव शर्मा
भाजपा ने जब वीरभद्र सरकार के खिलाफ आरोप पत्र लाने की घोषणा की थी तभी सेे मुख्यमन्त्री बराबर यह कहते आये हैं कि वह झूठे बिना प्रमाणों के आरोप लगाने वालों के खिलाफ कारवाई करेंगे, मानहानि का दावा दायर करेंगे। अब भाजपा ने अपनी घोषणा को पूरा करते हुए सरकार के खिलाफ राज्यपाल को आरोप पत्र सौंप दिया है और इस पर जांच की मांग की है। इस आरोप पत्र में वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, बेटे विक्रमादित्य सिंह, प्रधान निजि सविच सुभाष आहलूवालिया और मुख्य मन्त्री के सुरक्षा अधिकारी पदम ठाकुर के खिलाफ गंभीर आरोप है। मुख्यमन्त्री परिवार के अतिरिक्त सिंचाई एवम जन स्वास्थ्य मन्त्री विद्या स्टोक्स, स्वास्थ्य एवम राजस्व मन्त्री कौल सिंह, परिवहन मन्त्री जी एस बाली, ऊर्जा एवम कृषि मंत्री सुजान सिंह पठानिया, वन मन्त्री ठाकुर सिंह भरमौरी, उद्योग मन्त्री मुकेश अग्निहोत्री, शहरी विकास एवम आवास मंत्री सुधीर शर्मा, आबकारी एवम कराधान मंत्री प्रकाश चैधरी, पंचायती राज एवम ग्रामीण विकास मन्त्री अनिल शर्मा और विधानसभा उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी के खिलाफ गंभीर आरोप हैं।
मन्त्रीयों के अतिरिक्त, कांग्रेस अध्यक्ष सुखबिन्दर सिंह सुक्खु, सीपीएस विनय कुमार, नन्द लाल, सोहन लाल, इन्द्रदत्त लखनपाल, नीरज भारती और रोहित ठाकुर पर भी आरोप हैं। इनके अतिरिक्त हर्ष महाजन, जगदीश सिपाहिया, कुलदीप कुमार, कुलदीप सिह पठानिया, राम लाल ठाकुर, ख्वाजा खलीलुल्ला, केवल सिंह पठानिया, सुभाष मंगलेट, राजेेन्द्र राणा, चन्द्र कुमार, राकेश कालिया, बम्बर ठाकुर और चेतराम सब आरोपों के साये में है। लेबर वैल्फेरय बोर्ड, प्रदेश के तीनों विश्वविद्यालय, अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड हमीरपुर और प्रदेश लोक सेवा आयोग तथा विधान सभा सचिवालय तक आरोपों में है। आरोपों के साथ पुष्टि करने वाले प्रमाण भी साथ सौंपे गये हैं। आरोपों की इतनी लम्बी सूची से पूरे तन्त्र की कार्य शैली पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लग जाता है। क्योकि जब विभाग के मन्त्राी पर आरोप लगता है तब उस विभाग से जुड़ा शीर्ष प्रशासन भी स्वतः ही आरोपों के घेरे में आ जाता है। इन आरोपों को देखने से लगता है प्रदेश को सैंकडो करोड़ के राजस्व की हानि पहुंचाई गयी है और जब यह हानि हुई है तो निश्चित रूप से इसमें किसी को अनुचित लाभ भी पहुंचा है। भाजपा ने अपने इस आरोप पत्र को ‘‘अली बाबा और चालीस चोर’’ के कथ्य का दस्तावेज करार दिया है और यह दस्तावेज निश्चित रूप से इसकी पुष्टि करता है।
मुख्यमन्त्री के अपने ऊपर गंभीर आरोप है। उनके साथ आय से अधिक संपत्ति और मनीलाॅडरिंग में सह अभियुक्त बने आढ़ती चुन्नी लाल को मार्किटिंग बोर्ड का निदेशक बनाने और फिर कांगड़ा सैन्ट्रल को- आपरेटिव बैक की जरी शाखा से 1.30 करोड़ का कर्ज नियमों के विरूद्ध दिलाने तथा कर्ज का अब तक न लौटाया जाना एक गंभीर आरोप है। फिर जिस कंपनी को हालीलाॅज किराये पर दिया उसी कंपनी को मायार घाटी में हाइड्रो प्रौजैक्ट लगाने के लिये 25.69 करोड़ रूपये लिये बिना पर्यावरण क्लीयरेंस दे दी। ब्रेकल कारपोरेशन को 1800 करोड़ का जुर्माना लगाने के उसका 200 करोड़ का अपफ्रन्ट प्रिमियम जब्त किया गया था लेकिन अब यह फैंसला पलटकर उसका 280 करोड़ वापिस करने का फैसला सीधा भ्रष्टाचार है। सोरंग हाईडल प्रोजैक्ट बनाने वाली कंपनी ने इसे एक विदेशी कपंनी को बचने का फैंसला लिया और इसकी स्वीकृति के लिये सरकार को आवेदन कर दिया। सरकार ने 20 करोड़ की अपफ्रन्ट मनी लिये बिना ही यह स्वीकृति प्रदान कर दी। मुख्यमन्त्री के सुरक्षा अधिकारी पदम ठाकुर की बेटियांें और बेटे को जिस ढंग से नौकरी दी गयी है उस पर विवाद उठना स्वाभाविक है।
इसी तरह मुख्यमंत्री के पास जितने विभाग है उनमें हरेक विभाग को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। लोक निमार्ण विभाग में टैण्डर सड़कों का रख- रखाव, भवन निमार्ण, चड्डा एण्ड चड्डा कंपनी को अनुचित लाभ देना तथा बर्फ हटाने के नाम पर भी घपला होनेे के आरोप हैं। शिक्षा विभाग में सीरामिक्स बोर्ड खरीद में घपला/ पुलिस भर्तीयों में घपला तथा पर्यटन विभाग की एशियन विकास बैंक की सहायता से चल रही सौंदर्यकरण योजना में घपले के गंभीर आरोप हैं। भाषा एवम संस्कृति विभाग के तहत आने वाले मन्दिरों भीमाकाली, जालपा माता मन्दिर और ज्वालामुखी मन्दिरों में प्रबन्धन पर आरोप पत्रा में संगीन आरोप लगाये गये हैं। इन सारे विभागों के खिलाफ लगे आरोपों के प्रमाण आरोप पत्रा के साथ सौंपे गये है। इन आरोपों को अभी सरकार ने सिर से खारिज कर दिया है। लेकिन जब इन आरोपों का पूरा ब्योरा जनता के सामने आयेगा तो फिर जनता सरकार के न कहने से ही सन्तुष्ट नही होगी यह तय है।
शिमला/ बलदेव शर्मा
वीरभद्र सरकार के सत्ता में चार वर्ष पूरे होने के अवसर पर कांग्रेस पार्टी और सरकार धर्मशाला में एक रैली आयोजित करने जा रहे हैं जिसे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहूल गांधी संबोधित करेंगे। पिछले दिनों जब मण्डी में भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी के आगमन पर रैली आयोजित की थी उसे वीरभद्र सहित पूरी कांगे्रस ने फ्रलाप करार दिया था और दावा किया था कि सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर मण्डी के इसी मैदान में इससे ज्यादा भीड़ जुटाकर अपनी ताकत का सफल प्रदर्शन करेंगे। अब कांग्रेस की यह रैली मंडी में न होकर धर्मशाला में होने जा रही है। रैली का स्थल मण्डी से धर्मशाला क्यों बदला गया इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। इस समय जिस परिदृश्य में कांग्रेस की यह रैली होने जा रही है यदि उस पर एक निष्पक्ष नजर दौडाई जाये तो जो सवाल उभकर सामने आते हंै उन पर विचार किया जाना आवश्यक होगा।
पहला सवाल यह सामने आता है कि अभी कुछ समय पूर्व ही यह तथ्य सामने आया कि प्रदेश कांग्रेस की तिजोरी खाली हो चुकी है। अपनेे खर्चे चलाने के लिये पार्टी अपनी कुछ संपत्तियों को किराये पर देने जा रही है। पार्टी की सरकार प्रदेश में पिछले चार वर्षों से सत्ता में है। सत्तारूढ़ पार्टी को अपनी त्तिजोरी चार वर्ष के शासन के बाद भी खाली हो तो यह संगठन और सरकार के बीच तालमल की स्थिति का स्वतः प्रमाण बन जाता है। दूसरा सवाल है कि पिछले दिनों पार्टी के ही कुछ लोगों ने वीरभद्र ब्रिगेड का गठन किया। जब इस ब्रिगेड को समान्तर संगठन की संज्ञा दी गयी तो इसे तुरन्त भंग कर दिया गया। ब्रिगेड खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेताओं से जवाब तलबी तक की गयी। ब्रिगेड के अध्यक्ष को पार्टी से निकालने तक की कारवाईे हो गयी। लेकिन इस कारवाई के बाद ब्रिगेड से जुडे़ लोेगों ने थोडे समय बाद ही इस ब्रिगेड़ को थोडे़ से बदलाव के साथ एक एनजीओ के रूप में पंजीेकृत करवा लिया। यही नही ब्रिगेड के अध्यक्ष को ही एनजीओ का अध्यक्ष बनसया गया है और इस अध्यक्ष बलदेव टाकुर ने पार्टी से निष्कासन को लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुक्खु के खिलाफ कुल्लु की एक अदालत में मामला दायर कर रखा है। ब्रिगेड से एनजीओ बने इस ग्रुप को वीरभद्र और विक्रमादित्य का पूरा समर्थन हासिल है। तीसरा महत्वपूर्ण सवाल है कि पार्टी नेे कुछ संगठनात्मक जिलेे सृजित किये हंै लेकिन इन जिलों को मुख्यमन्त्री और उनके कई मंत्रीयों का समर्थन हालिस नही है।
चैथा सवाल है कि पिछले दिनों वीरभद्र सिंह ने संगठन में बनाये गये सचिवों के खिलाफ जिस तरह सेे अपनी नाराजगी जगजाहिर की है उसकी प्रतिक्रिया में कुछ सचिवों में सामूहिक रूप से अपने पदों से त्यागपत्रा दे दिया था। इस त्यागपत्र प्रकरण के शांत होने के बाद कुछ जिलाध्यक्षों को हटाया गया और इस हटाने पर गंभीर नकारात्मक प्रतिक्रिया स्वयं मुख्यमन्त्री की ओर से आई है। विधानसभा चुनावों में टिकट आवंटन पर हाईकमान के दखल और प्रभाव के खिलाफ वीरभद्र के बेटे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य तीखा रोष प्रकट कर चुके हैं। वह इसमें हाईकमान के दखल के एकदम खिलाफ हैं। आज सरकार में कुछ सेवानिवृत अधिकारियों की अहम पदों पर नियुक्तियां वैसे ही जनता में चर्चा का विषय बन चुकी हैं। इस कड़ी में पांचवा बडा सवाल यह है कि वीरभद्र जिस तरह के मामले सीबीबाई और ईडी में झेल रहे हैं कल जब उनके साये में चुनावों का समाना करना पड़ेगा तो पार्टी को एक बड़ा डिफेंस तैयार रखना पडेगा। पार्टी लोकसभा चुनावों में इन मामलों का असर भोग चुकी है। ऐसे और बहुत सारे मामलें है जो कभी भी उभर सकते हैं। फिर भाजपा अभी चार साल पूरे होने पर सरकार के खिलाफ एक आरोप पत्र राज्यपाल को सौपने जा रही है। यह आरोप पत्र सरकार के खिलाफ एक बड़ा हथियार प्रमाणित होगा ऐसा माना जा रहा है। क्योंकि आरोप पत्र आने से पहले ही जिस तरह की प्रक्रियाएं वीरभद्र की ओर आ रही हैं उससे यही संकेत उभरते हैं।
पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता पार्टीे के भीतर की इस स्थिति से बहुत क्षुष्ध हैं। पार्टी के ऐसे कार्यकर्ताओं का रोष कभी भी भड़क सकता है। इसका संकेत एक वरिष्ठ कार्यकर्ता डा. एस पी कत्याल द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्रा से सामने आ चुके हैं। इस पत्र में कार्यकर्ताओं की पीड़ा जिस ढंग से ब्यान की गयी है। उससे संगठन और सरकार में तालमेल के सारे दावों की हवा निकल जाती है।
कत्याल का पत्र
Esteemed Madam,
It is a matter of pride for us that a member of Nehru Gandhi lineage has chosen Himachal Pradesh and particularly Shimla for having a permanent residence here. You had been coming to Shimla a number of times to supervise the construction work here which is obvious as well because Smt. Priynka Gandhi Vadra is your daughter. Although these are termed as private visits but you are heading one of the largest political party of the world and Himachal Pradesh is in general a Congress dominated State. Leaders of Congress Party in Himachal Pradesh has steered the party clear of regional, caste, creed and other considerations unlike in other states where Congress has lost its traditional voter sections on one consideration or other. As ordinary members of the party we are just baffled whether it was never considered by you to meet those devoted workers who sacrifice everything to sustain the party in these rural areas and always long for having a glimpse of their leaders?. Even if these poor workers who do not have access and resources to come to Delhi are forgotten, is it not appropriate to meet the senior leaders of the state in the present political scenario of the country and the fact that Himachal Pradesh will be going to the polls next year? Smt.Indira Gandhi and Sh. Rajiv Gandhi made it a point to talk to party people even if they were on holidays and private visits because they considered Congress party as their family and felt happy and comfortable talking to party workers whenever and wherever they got the chance irrespective of their busy schedule. To Sh. Rajiv Gandhi the proximity to the people even cost his life. One of the major factors for the debacle of the party in the last general elections was that our National leaders were not close to and present in the public. This became the advantage of the man who was not even on the National scene and is now Prime Minister of India. The Flagship Programmes of Congress Government which were best in the world were not publicized in the public as they should have been due to absence of our National leaders in the public. The scene is no different even now. National Office Bearers of the congress party who have been assigned the charge of the state visits the state once in two years even when the congress party is not in power in the center. If our leaders will remain in the public and consider that party worker who is in a village and care for him the party does not need Parshant Kishores to plan its strategy and stage manage its shows. If the party which was once a National mass movement becomes a steering committee of few Rajya Sabha members and if it continues to be steered by these leaders only and our National leaders remain behind a thick veil distancing themselves from the dedicated party workers the prospects for 132 years old party and its ideology could not be improved even by a hundreds of Parshant Kishores. Congress party and its leaders have served the country for more than a century and made sacrifices but will all this be allowed to fade away and the party will be managed by business managers? If our National leaders are not visible everyday whom the present generation will look at? There are number of questions in the mind of a loyal dedicated congress worker and there is nobody to answer these questions. Senior leaders with invaluable experience are going to oblivion quietly and young leadership remains directionless. Democratic organizational structure remains derailed and traditional congress voters are either diminishing or are getting attracted to regional outfits. The desire of a congress worker is to have a strong high command with its eyes and ears all over the country and a presence in the masses so that the congress regains its National character again and the country is not submitted to regional and communal forces headed by a dictator. A congress worker desires that leaders of the party be visible, senior leaders are considered with their valuable experience, National leaders visits every nook and corner of the country not in a stage managed shows but to feel the pulse of masses and to know their vows, meet party workers frequently and provide directions and give importance to the local leaders so that the party is revitalized from the present slumber. Indian masses and a dedicated congressman still expects that the Congress leadership will uphold the historical, sacrificial , ideological and National values of the party for which it was known and will again lead the country on its path of progress for betterment of a common man.
With highest regards.
शिमला/बलदेव शर्मा
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ आय से अधिक संपति और मनीलाॅंडरिग मामलों में सह अभियुक्त बने आनन्द चौहान 8 जुलाई से गिरफ्तार हैं। आनन्द की गिरफ्तारी को ईडी ने मनीलाॅंडरिग प्रकरण में अंजाम दिया है। ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हें जमानत न दिये जाने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा इसके लिये खटखटाया गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका पर अब सुनवाई 6 जनवरी को रखी है। इससे पहले यह मामला 2 नवम्बर को लगा था और उस दिन सीबीआई को इस पर जवाब दायर करने के लिये कहा गया था। सीबीआई को जबाव के लिये चार सप्ताह का समय दिया गया था। सीबीआई को जमानत मामले में चार सप्ताह का लंबा समय दिया जाना आनन्द चौहान की नजर में ज्ज का झुकाव अभियुक्त की ओर न होकर सीबीआई की ओर होने का प्रमाण है। इसी समय दिये जानेेे को आनन्द चौहान ने मामले की सुनवाई कर रहे ज्ज जस्टिस विपिन सांघी और भारत सरकार के आर्टानी जनरल मुकुल रोहतगी की आपस में रिश्तेदारी होने को भी इसी आईनेे में देखते हुए इसे ज्ज का सीबीआई के प्रति झुकाव होने का प्रमाण मान लिया। इसी कड़ी में कभी भाजपा सरकार के शासनकाल में वीरभद्र से जुडे़ किसी मामले में मुकुल रोहतगी द्वारा दी गई कानूनी राय को भी इसी के साथ जोड़कर यह धारणा बना ली की जज जानबूझ कर सीबीआई की मदद कर रहे हैं और उसे राहत नही देंगे। इसी धारणा के साये में सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायधीश और दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायधीश को अपने भतीजे सौरभ चौहान के माध्यम से पत्र भेजकर जस्टिस सांघी की बजाये किसी अन्य जज को मामले की सुनवाई दी जाये की गुहार लगायी गयी है। आनन्द चौहान की धारणा पर अपनी मोहर लगाते हुए वीरभद्र ने भी इसके साथ अपना पत्र जोड़ दिया है। अदालत आनन्द चौहान और वीरभद्र के पत्रों का क्या संज्ञान लेती है या इन्हे नजर अंदाज कर दिया जाता है यह तो आने वाले समय में स्पष्ट होगा बहरहाल जस्टिस सांघी की कोर्ट में इस पत्र के बाद भी वीरभद्र के सी.बी.आई. मामले की सुनवाई जारी है और 15 दिसम्बर को इसमें वीरभद्र प्रत्युत्तर देंगे।
स्मरणीय है कि सीबीआई में वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपति और ईडी में मनीलाॅंडरिग के तहत मामले चल रहे हैं। इन मामलों में प्रतिभा सिंह आनन्द चौहान और चुन्नी लाल सह अभियुक्त हैं । सीबीआई आय से अधिक संपति का प्रकरण देख रही है इसमें आरोप है कि जब वीरभद्र केन्द्र में मन्त्री थे उस दौरान जो संपति उन्होने अर्जित की है वह उनकी उस समय की आय से कहीं अधिक है इस संपति में ग्रटेर कैलाश में लिया गया मकान, महरोली का फाॅर्म हाऊस और करीब एक दर्जन से अधिक एलआइसी पालिसियां शामिल हैं। आय से अधिक संपति प्रकरण में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज करकेे वीरभद्र केआवास तथा अन्य स्थानों पर छापामारी की थी। इस छापामारी और दर्ज हुई एफआईआर को हिमाचल उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। हिमाचल उच्च न्यायालय ने सीबीआई पर कुछ प्रतिबन्ध लगाते हुए मामले की जांच जारी रखने के निर्देश दिये। सीबीआई ने हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्देशों को चुनौती सर्वोच्च न्यायालय में यह मामला ट्रांसफर करने की गुहार लगा दी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए मामला दिल्ली उच्च न्यायालय को ट्रांसफर कर दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने छःअप्रैल को वीरभद्र और प्रतिभा सिंह को जांच में शामिल होने के निर्देश देते हुए मामले की जांच पूरी करने के आदेश दिये। इसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच पूरी करके दिल्ली उच्च न्यायालय से इसमें चालान दायरे करने की अनुमति दिये जाने का आग्रह कर दिया। सीबीआई के इस आग्रह पर आदेश होने से पूर्व वीरभद्र की लंबित याचिका का निपटारा किया जाना आवश्यक है जिसके कारण सीबीआई पर कुछ प्रतिबन्ध लगे थे। अब इस याचिका पर सुनवाई चल रही है। वादी और प्रतिवादी सभी अपना पक्ष रख चुके हंै। अब प्रत्युत्तर के लिये 15 को यह मामला लगा है। इसमें दोनों पक्षोें द्वारा अपना पक्ष रखने के बाद जज की निष्ठा पर सवाल उठाया गया है। कानून के जानकारों की राय में इस तरह की आपति मामले की सुनवाई शुरू होने से पहले आनी चाहिये थी। फिर सीबीआई प्रकरण में आनन्द चौहान की भूमिका समिति है।
दूूसरी ओर मनीलाॅडरिंग की जांच में आनन्द चौहान की भूमिका प्रमुख है और इसी में उसकी गिरफ्तारी हुई है। इसमें ईडी ने मार्च में करीब आठ करोड़ की संपति की अटैचमैन्ट की थी। आरोप है कि वीरभद्र ने अपने ही अवैध धन को आनन्द चौहान के माध्यम से बागीचे की आय और एलआईसी की पालिसियां लेकर वैध बनाने का प्रयास किया है। ग्रटेर कैलाश की संपति अर्जित करने में इसी धन का निवेश हुआ है। इसी के साथ महरौली फाॅर्म हाऊस की खरीद में इसमें से कुछ धन का निवेश हुआ है। मार्च के अटैचमैन्ट आदेश में स्पष्ट लिखा है कि वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर और महरौली फाॅर्म हाऊस को लेकर जांच पूरी नही हुई है। आनन्द चौहान के खिलाफ जब चालान दायर किया गया था तो उसमें भी अनुपूरक चालान दायर करने की बात कही गयी है। अब जब आनन्द चौहान अपनी जमानत को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में पहुंच चुका है तब ईडी पर शेष बची जांच को पूरा करके अनुपूरक चालान जल्द दायर करने का दबाव आ जाता है। जानकारों के मुताबिक इसमें भी महरौली फाॅर्म हाऊस को लेकर एक और अटैचमैन्ट आदेश आ सकता है। फिर किसी की गिरफ्तारी की संभावना हो सकती है। क्योंकि आनन्द चौहान का तो तर्क ही यह है कि इस सबमें वह लाभार्थी नही है और लाभार्थी अभी भी जेल से बाहर है। आनन्द की जमानत याचिका और वीरभद्र आनन्द के जज की निष्ठा को लेकर लिखे गये पत्रों से ईडी पर शेष बची जांच को शीघ्र पूरा करने का दवाब आ गया है और यह सब वीरभद्र के लिये अन्ततः घातक सिद्ध हो सकता है।
आनन्द और वीरभद्र के पत्र
शिमला। मुख्यमन्त्रीे कार्यालय से मुख्यमन्त्रीे का डीओ लेटर पैड चुराकर उसके माध्यम से कर्मचारियों के तबादले करवाये जाने के मामले में अन्ततः पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने की स्थिति घट चुकी है। फर्जी डीओ लेटर काण्ड में कर्मचारियों के सैंकडा़े तबादलें करवाये गये थे। इस काण्ड में अब पुलिस ने संजय गुलेरिया की गिरफ्तारी को अंजाम दिया है। लेकिन इस गिरफ्तारी के साथ ही सीएम आॅफिस से एक तबदला रैकेट चलाये जाने का आरोप लग गया है। आरोप है कि तबादला काण्ड के तार सीएम आॅफिस के साथ-साथ नाहन से भी जुडे़ हैं।
तबदला रैकेट का यह आरोप राजपूत सभा नाहन के अध्यक्ष और राज्य बिजली बोर्ड से सेवानिवृत एसडीओ दिनेश चैहान ने लगाये है। दिनेश चैहान ने बाकायदा शिमला में एक पत्रकार वार्ता आयोजित करके नाहन के सैणी बन्धुओं पर मुख्यमन्त्रीे कार्यालय के कुछ बाबूओं के साथ मिलकर इस रैकेट को अंजाम देने का आरोप लगाया है। आरोप है कि प्रति तबदला 15 हजार रूपया लिया जाता है यह पैसा नाहन के पीएनबी बैंक के खाता नम्बर 4588000400003305 में जमा होता है और शिमला में निकाल लिया जाता है। इस तबदला काण्ड में सैणी बन्धुओं के साथ एक थापा नाम के कर्मचारी के भी शामिल रहने का आरोप है। चैहान ने खुलासा किया है कि एक ही छत के नीचे काम कर रहे 28 में से 11 कर्मचारियों का तबदला कर दिया गया जो कि तबदला नीति के खिलाफ है।
चैहान का आरोप है कि 7 जनवरी 2016 को यह पूरा काण्ड एडीजीपी विजिलैन्स के संज्ञान में लाया गया था। उन्हें 11 कर्मचारियों के तबादले की सूची देकर इस काण्ड की जांच की मांग की गयी थी। इस संद्धर्भ में विजिलैन्स को लिखी चिट्ठी भी मीडिया के सामने रखी गयी। लेकिन विजिलैन्स ने अभी तक कोई कारवाई नही की है। इसके बाद 18 जुलाई को मुख्यमन्त्रीे के नाहन दौरे के दौरान 80 लोगों ने उनसे मिलकर इस काण्ड के बारे में उन्हें जानकारी दी थी। लेकिन फिर भी इस संबंध में कोई जांच अब तक नही होे पायी है।
चैहान ने ऐलान किया कि यदि अब भी इसमें जांच नही होती है तोे वह इस प्रकरण को राज्यपाल के संज्ञान में लायेंगे। राज्यपाल के ध्यान में लाने के बाद कुछ नही होता है तब इसमें अदालत का दरवाजा खटखटायेंगे।