Friday, 19 September 2025
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स्कालरसिप घोटाले में 12 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर

शिमला/शैल। प्रदेश के बहुचर्चित स्कालरसिप घोटाले में सी बी आई ने बारह लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर दिया है। बारह लोगों में 6 लोग उच्च शिक्षा निदेशालय के अधिकारी /कर्मचारी हैं जबकि पांच लोग उना स्थित के सी ग्रुप आॅफ इन्सटीटयूशन और एक सैन्ट्रल  बैंक आफ इण्डिया नवांशहर के कैशियर सुरेन्द्र पाल सिंह है। शिक्षा विभाग के लोग है अरविन्द राज्टा, श्रीमति माला मैहता, श्री राम शर्मा, सुरेन्द्र मोहन कंवर, अशोक कुमार और वीरेन्द्र कुमार। के सी ग्रेप के श्री मति सरोज शर्मा, डा बी एस सन्धू, हितेश गांधी, प्रेम पाल गांधी और श्री मति किरण चौधरी शामिल है।
समरणीय है कि सी बी आई ने इस मामले में 7 मई 2019 को मामला दर्ज किया था इससे पहले राज्य पुलिस ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करके जांच शुरू की थी। इस मामले में प्रदेश से बाहर के भी कई संस्थानों पर घपले के आरोप है। शुरू में इस घपले का आकार 250 करोड़ होने की चर्चाएं रही थी। जबकि यह मामला अब 500 करोड़ से भी अधिक होने की सम्भावना जताई जा रही है। इसमें निजी शिक्षण सस्थानों के अतिरिक्त कई सरकारी सस्थानों के भी संलिप्त होने की सम्भावना जताई जा रही है। और माना जा रहा है कि अभी कई आरोप पत्र इसमें दायर हो सकते है।    

हिमाचल में भी घोषित हुआ लाक डाउन पूरा प्रदेश आया इसके प्रभाव से तले

शिमला/शैल। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का शब्दशः पालन करने के बाद जब प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हुआ तो मुख्यमन्त्री ने कोरोना से उत्पन्न स्थिति पर सदन में वक्तव्य दिया और पूरे प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लाक डाउन लागू करने की घोषणा कर दी। बजट सत्र का दूसरा चरण पहली अप्रैल तक चलना था लेकिन इसे भी एक ही दिन में समाप्त कर दिया गया। बजट सत्र को सीमित करने के लिये विधानसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गयी थी। इस बैठक में मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर संसदीय कार्य मन्त्री सुरेश भारद्वाज, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर और माकपा विधायक राकेश सिंघा शामिल थे। बैठक में विस्तार से कोरोना पर चर्चा करने के बाद विप़क्ष ने इस संबंध में सरकार को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया और बजट सत्र का शेष काम एक ही दिन में निपटाने को लेकर मुख्यमन्त्री को इस बारे में फैसला लेने को अधिकृत कर दिया।
सर्वदल्लीय बैठक के फैसले के बाद मुख्यमन्त्री ने केन्द्र को स्थिति से अवगत करवाया और सदन की कार्यवाही एक ही दिन में समाप्त करने का फैसला ले लिया गया। वैसे भी नियमों में यही कहा गया है कि सदन के दो सत्रों के बीच छः माह से ज्यादा का अन्तराल नही होना चाहिये। नियमों में ऐसा कोई उल्लेख नही है कि सत्र में सदन की कार्यवाही कम से कम इतने दिन चलनी चाहियें हिमाचल विधानसभा ने एक वर्ष सदन की कम से कम 35 बैठकें करने का फैसला अपने ही स्तर लिया है। संविधान में ऐसी कोई बाध्यता नही है। मुख्यमन्त्री के वक्तव्य के साथ ही मुख्य सचिव की ओर से लाक डाउन के आदेश जारी हो गये हैं।
मुख्यमन्त्री का वक्तव्य  
अध्यक्ष महोदय,
मैं समय-समय पर कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थिति से इस माननीय सदन को अवगत करवाता रहा हूं। हमने इस विषय पर शुरू से ही पूरजो़र ढंग से निवारक और नियन्त्रण उपायों के तौर पर सभी पहलुओं पर काम किया है और उससे कुछ बचाव भी हुआ हैं। हमने बहुत पहले ही मेलों, उत्सवों व त्यौहारों आदि को न करने बारे आदेश दिये, उसके उपरान्त हर तरह के शिक्षण संस्थानों को भी बन्द किया और धार्मिक स्थानों पर भी आम जनता के प्रवेश पर रोक लगाई एंव सभी तरह की भीड़ के एकत्र  होने पर भी प्रतिबन्ध लगाया। सभी भारतीय एंव विदेशी पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगाई और फिर सरकारी कार्यालयों व औद्यौगिक संस्थानों आदि पर कुछ प्रतिबन्ध लगाए। इसी के साथ और भी कई उचित कदम उठाये गए।
आप सबको विदित ही है कि माननीय प्रधानमन्त्री महोदय के आह्वान पर कल देश भर में जनता कर्फ्यू का सभी नागरिकों द्वारा दृढ़ता से पालन किया गया। मैनें सभी ज़िलों के साथ जनता कर्फ्यू की समीक्षा की और हमारे प्रदेश में सभी लोगों द्वारा न केवल इस की श्रद्धापूर्वक अनुपालना की गई बल्कि सभी वर्गों ने इस महामारी की स्थिति और इन सावधानियों के परिणामी लाभों को देखते हुए इसे उपयुक्त रूप में विस्तार करने की मांग भी की है।
अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय स्तर पर व विभिन्न राज्यों में वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि हमें और आगे बढ़ने की जरूरत है। पूरे विश्व व सभी विशेषज्ञों की भी यही राय है कि जितनी जल्दी सामाजिक गतिविधियों को सीमित किया जाये उतना ही लाभ हो सकता है और विलम्ब से काफी नुकसान भी हो सकता है। अतः मैं इस माननीय सदन को सूचित करना चाहता हूं कि प्रदेश सरकार ने कांगड़ा ज़िले में तो पहले ही आंशिक लाक डाऊन करने के आदेश दे दिये हैं। आज उसी तर्ज पर तत्काल प्रभाव से वैश्विक महामारी से बचाव के लिये उन आदेशों को समूचे प्रदेश में आगामी आदेशों तक लागू करने के निर्देश सरकार द्वारा जारी किये जा रहे हैं। मैं आप सब के माध्यम से प्रदेश की जनता से अपील भी करना चाहूंगा कि प्रदेश सरकार द्वारा समय-समय पर जनहित में जारी दिशा-निर्देश व एडवाज़री का शब्दशः पालन करें। ताकि हम सब अपने आपको इस वैश्विक महामारी से सुरक्षित रख सकें।
अध्यक्ष महादेय, मैं इस सदन के माध्यम से प्रदेश के जनमानस को आश्वस्त भी करना चाहूंगा कि किसी को भी घबराने व आतंकित होने की आवश्यकता नही है बल्कि अपने परिवार व समाज के हित को ध्यान में रखते हुए अपने कर्तव्य पालन की कसौटी पर खरे उतरने की जरूरत है। सरकार के सभी विभाग इस चुनौती से निपटने के लिये पूर्ण रूप से समर्पण भाव से प्रयासरत हैं और मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले दिनों में इस विषय पर उठाये गये सभी कदम प्रभावशाली और कारगर सिद्ध होंगे।

मुख्य सचिव द्वारा जारी लाक डाउन आदेश

Recognizing the importance of social distancing and isolation measures for the containment of the spread of COVID-19 and keeping in view the influx  of a large number of persons from other countries and other states, it is imperative that strict measures should be undertaken to prevent the import of the virus into the State of Himachal Pradesh. The Government of Himachal Pradesh in exercise of the state of conferred under section 2, 3, and 4 of the Epidemic Disease Act, 1897, has framed the Himachal Pradesh Epidemic Disease (COVID-19) Regulations, 2020. Under the clause 3 of the aforesaid regulations, the state of Himachal Pradesh hereby notifies a lockdown in all its territories stipulating the following restrictions till further orders:
1. All interstate and intrastate movement of public and private stage and contract carriages including Taxies, autorickshaws etc. is prohibited. There will be total prohibition on movement or plying of trains and commercial aircrafts. The private vehicles will be plied only if essentially required for visiting hospitals and for availing/maintence of essential services, Goods carriage vehicles shall however be allowed to ply, In respect of the service proviced for in clause 2 of this Order.
2. All shops, commercial establishment, factories, workshops, godowns etc. shall close their operations except for the following:
a) Shops or stores selling Groceries, Milk, Bread, Fruit,Vegetable, Meat Fish & other uncooked food items and their transportation related activities and warehousing.
b) Hospitals, Chemist stores, Optical stores, Pharmaceutical and soap manufacturing untis and their ancillaries together with transportation related activities.
c) Petol pumps, LPG gas oil agencies, their godowns and their transportation related activities.
d) E-commerce (delivery) of all essential goods including food, pharmaceuticals and medical equipments.
e) Production and Manufacturing Units which require continuous process may continue to function, after obtaining required permission from the Deputy Commissioner and following all precautionary protocols as notified by Health Department from time to time.
f) Units manufacturing alcohol for medicine/sanitizers subject to following all precautionary protocols as notified by Health Department from time to time.
g) Manufacturing unitsengaged in production of essential commodities. In this regard, the decision of Deputy Commissioner shall be final.
Strict home quarantine shall be observed by all foreign returnees, who landed in india on or after 9th March 2020. All such foreign returnees shall mandatorily notify the District Surveillance Officer of the concerned district &104 Toll Free Number and register themselves for home quarantine failing which they shall be liable for legal action.
Pepole are required to stay at home and come out only for basic purposees like visit to grocery, vegitable shops, chemists etc. and for essential and permitted work related travel only and that too while strictly following social distancing guidelines issued from time to time. Uner no circumstances, any Socila/ Cultural/Sports/Political/Religious/Academic/Family mass gattering or gatherings of any kind and purpose will be permitted at any place. All the establishment which are allowed to be kept open under these orders shall also ensure social distancing within and outside their premises.
Functioning of all the Government Offices shall be regulated under the Order issued vide notification no. Per(AP-B)B(15)-19/2020 dated 21 March 2020 except the following:
a) Offices charged with law and order and magisterial duties
b) Police, Armed Forces and Central Para-Military Forces
c) Health
d) Treasury
e) Urban Local Bodies and Rural Development
f) Fire
g) Electricity, Water and Municipal Service
h) Bank/ATM
i) Print, Electronic and Social Media
j) Telecom & Internet Service including IT & ITeS
k) Postal Service
l) Supply chain and related transportation
m) Any other service which the Deputy Commissioner of the concerned District deems to be essential. If there is anydoubt as to whether a service establishment is essential or not, the Deputy Commissioner shall be the competent authority to decide.
The stafff working in the above mentioned departments shall not proceed on leave and the already sanctioned leave is ordered to be cancelled with immediate effect except for maternity leave. Furthermore, the leave on medical ground shall be admissible only if certified by the District Medical Board.
This issues with approval of Hon'ble Chief Minister.





इन्दु गोस्वामी का रास उम्मीदवार होना पार्टी के भीतर नये समीकरणों का संकेत

शिमला/शैल। कांग्रेस सांसद विप्लव ठाकुर का कार्यकाल पूरा होने पर खाली हुई राज्यसभा सीट के लिये भाजपा ने भी कांगड़ा से ही आने वाली नेत्री इन्दु गोस्वामी को उम्मीदवार बनाकर ‘कांगड़ा और महिला’ दोनो ही समीकरणों को एक साथ सन्तुलित कर लिया है। लेकिन ‘‘जन हित’’ मानक पर साधे गये इस समीकरण का पार्टी के भीतरी समीकरणों पर कितना और क्या असर पड़ेगा यह एक चर्चा का नया विषय बन गया है। यह चर्चा इसलिये आ खड़ी हुई है जब 2017 में पार्टी ने उन्हे पालमपुर से विधानसभा का उम्मीदवार बनाया था तब पार्टी के ही व्यक्ति ने बागी बनकर उनका विरोध किया और वह चुनाव हार गयी। पालमपुर भाजपा के वरिष्ठतम नेता पूर्व मुख्यमन्त्री एवम् केन्द्रिय मन्त्री शान्ता कुमार का अपना घर है। शायद इन्दु गोस्वामी को यहां से उम्मीदवार बनाये जाने के लिये शान्ता सहमत नही थे। इसीलिये बागी उम्मीदवार का खड़ा होना शान्ता कुमार के नाम लगा था और इसके लिये सीधे संकेत देते हुए उसी दौरान इस आश्य का एक वीडियो भी वायरल हो गया था जिसका कभी खण्डन नही आया।
उस समय इन्दु गोस्वामी प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष थी। लेकिन 9.7.2019 को उन्होने महिला मोर्चा के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया। यह त्यागपत्र देते समय जो पत्रा उन्होने लिखा था उसमें एक महत्वपूर्ण जिक्र यह किया गया था कि ‘‘मेरे अध्यक्ष बनने से लेकर विधानसभा चुनाव लड़ने तक मुझे कई विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। लेकिन मेरा विधानसभा चुनाव लड़ना प्रदेश संगठन और सरकार दोनो को शायद सुखद नही लगा। बहुत बार अपनी परिस्थिति से प्रदेश नेतृत्व और सरकार को अवगत करवाया लेकिन समस्या कम होने की बजाये बढ़ती गयी। ‘‘शैल ने यह पत्र उस समय भी अपने पाठकों के सामने रखा है। इन्दु गोस्वामी के लिये प्रदेश संगठन और सरकार में पत्र लिखने से लेकर आज तक स्थितियां नही बदली है। इसका पता इसी से चल जाता है कि अब भी संगठन की ओर से राज्यसभा के लिये जो नाम अनुमोदित किये गये थे उनमें इन्दु गोस्वामी का नाम नही था यह खुल कर सामने आ चुका है। इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि इन्दु गोस्वामी को केन्द्र ने राज्यसभा में प्रदेश नेतृत्व की ईच्छा के बिना भेजा है और जब ईच्छा के बिना भेजा है तो तय है कि वह केन्द्र के सामने प्रदेश संगठन तथा सरकार के बारे में पूरी वेबाकी से जमीनी हकीकत ब्यान करेंगी।
राजनीतिक विश्लेष्क जानते हैं कि पिछले दिनों पार्टी अध्यक्ष और विधानसभा स्पीकर को लेकर लिये गये राजनीतिक फैसलों में भी प्रदेश नेतृत्व को ज्यादा विश्वास में नही लिया गया है। अब राज्यसभा का उम्मीदवार तय करने में भी यही स्थिति सामने आयी है। अब खाली चले आ रहे मन्त्री पद भरे जाने हैं इसमें और स्पष्ट हो जायेगा कि जो लोग मन्त्री पद के लिये मुख्यमन्त्री के ही सहारे उम्मीद लगाकर बैठे हुए हैं उनमें से किसी का नाम आ पाता है या नही। क्योकि सरकार पर यह आरोप लगातार गहराता जा रहा है कि सरकार अफसरशाही पर ही ज्यादा निर्भर होकर चल रही है। यह आम चर्चा है कि दो चार अधिकारी ही सरकार चला रहे हैं और इन अधिकारियों की अपनी छवि भी कोई बहुत अच्छी नही है। यहां तक चर्चाएं चल निकली हैं कि यदि आज फिर चुनाव हो जायें तो कांग्रेस को बिना नेतृत्व और काम के भी लोग सरकार सौंप देंगे।
कई निगरान ऐजैन्सीयां सरकार के काम काज पर निगाहे रखे हुए हैं। कई गुमनाम पत्र अब तक वायरल हो चुके हैं लेकिन सरकार की ओर से इनका कोई संज्ञान नही लिया गया है। परन्तु यह तय है कि समय आने पर यही पत्रा गंभीर मुद्दों के रूप में सामने आयेंगे। प्रशासन की कार्यप्रणाली का इसी से पता चल जाता है कि सर्वोच्च न्यायालय ही कई मामलों में दो वर्षों में सरकार को जुर्माना लगा चुका है। भ्रष्टाचार के कई मामले चर्चा में चल रहे हैं जो आने वाले दिनों में हैडलाईन बनेंगे लेकिन अफसरशाही इसे मुख्यमन्त्री के संज्ञान में आने नही दे रही है। जिस हाईड्रो काॅलिज के भवन का निर्माण जून 2019 में पूरा हो जाना था वह अभी और लम्बा समय लेगा जबकि इसके निर्माण का ठेका देने मे ही आठ करोड़ का घपला किया गया। मजे की बात तो यह है कि कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर द्वारा यह मामला उठाये जाने के बाद भी सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नही दिया क्योंकि रामलाल ही बाद में चुप हो गये परन्तु मामला तो अपनी जगह खड़ा है जो समय आने पर जवाब मांगेगा।
इस परिदृश्य में आज इन्दु गोस्वामी के राज्यसभा में जाने को प्रदेश राजनीति के नये समीकरणों के स्पष्ट संकेत के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि आगे सत्ता में बने रहने के लिये परफारमैन्स एक बड़ा मानक रहेगी जिस पर आज सरकार की ब्यानों से ज्यादा कोई उपलब्धि नही है।

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