Friday, 19 September 2025
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क्या घटिया राशन गरीबों के ही हिस्से में है

शिमला/शैल। अभी कुल्लु में एक उपभोक्ता को सस्ते राशन की दुकान से ऐसा आटा सप्लाई किया गया है जो बैग में भी सीमेन्ट की तरह जम गया हुआ था। इस उपभोक्ता ने इस आटे का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में शेयर किया है। मजे़ की बात यह है कि यह कुल्लु की ही एक प्लोर मिल से राशन की दुकान पर गया है। बैग पर इस मिल का नाम महान रोलर फ्लोर मिल साफ पढ़ा जा सकता है और यह सप्लाई हिमाचल सरकार को गयी है यह भी बैग पर साफ लिखा है यह आटा किसी भी तरह खाने योग्य नही है। उपभोक्ता चीख-चीख कर वीडियो में यह आरोप लगा रहा है कि क्या सरकार उपभोक्ताओं को पशु समझती है। करीब एक सप्ताह से यह वीडियो सामने है लेकिन इस पर क्या कारवाई हुई है यह अभी तक सामने नही आया है।
ऐसा ही एक मामला इसी वर्ष जनवरी में शिमला में सामने आया था। इसमें राजधानी शिमला के उपनगर टूटी कंडी के एक सरकार के सस्ते राशन की दुकान से एक उपभोक्ता को ऐसे गलेसड़े चावल दे दिये गये जिन्हें आदमी तो क्या पशु भी न खाते। उपभोक्ता ने जब चावल देखे तो इसकी शिकायत खाद्य एवम् आपूर्ति मन्त्री किशन कपूर तक कर दी। मन्त्री के पास जब यह शिकायत आयी तो उन्होंने तुरन्त अपने विभाग को खींचा और कारवाई करने के आदेश दिये। मन्त्री के आदेशों के बाद विभाग हरकत में आया और रात को ही डिपो मालिक के खिलाफ कारवाई अमल में लायी गयी। इस कारवाई पर डिपो मालिक ने अपनी गलती मानते हुए सुबह दस बजे ही उस उपभोक्ता को संपर्क किया और उससे यह चावल वापिस ले लिये। विभाग के अधिकारियों ने भी उपभोक्ता के साथ संपर्क किया और उसे इस कारवाई से अवगत करवाया। मन्त्री के के संज्ञान लेने पर विभाग भी हरकत में आया और डिपो मालिक ने भी उपभोक्ता के घर से चावल वापिस ले लिये लेकिन इसके बाद आगे और क्या कारवाई हुई इसके बारे मे  अभी तक कुछ भी सामने नही आया।
विभाग सस्ता राशन  खाद्य एवम् आपूर्ति निगम के माध्यम से खरीदता है और इस खरीद के लिये एक प्रक्रिया तय है। सरकार विभाग के माध्यम से निगम को सस्ते राशन के तहत दी जाने वाली चीजों पर प्रतिवर्ष करीब छः हजार करोड़ का उपदान देता हैं। स्पष्ट है कि बड़ी मात्रा में यह सामान खरीदा जाता है। इस सामान की गुणवता और उसकी मात्रा सुनिश्चित करना उन अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है जो इस खरीद की प्रक्रिया से जुड़े रहते हैं। यह जिम्मेदारी सरकार के खाद्य एवम् नागरिक आपूर्ति  सचिव से शुरू होकर निगम के एमडी और विभाग के निदेशक तक सबकी एक बराबर रहती है। ऐसे में जब एक जगह से ऐसे घटिया चावल/आटा सप्लाई होने का मामला सामने आ गया तब इसकी शिकायत आने के बाद पूरे प्रदेश में हर जगह इसकी जांच हो जानी चाहिये थी। इस तरह के गले सड़े चावल डिपो तक कैसे पहुंच गये? कहां से यह सप्लाई ली गयी थी और कैसे ऐसे  चावल उपभोक्ता तक पहुंच गये?  इसको लेकर किसी की जिम्मेदारी तय होकर उसके खिलाफ एक प्रभावी कारवाई हो जानी चाहिये थी जिससे की जनता में एक कड़ा संदेश जाता। लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ है केवल उपभोक्ता से यह चावल वापिस लिये गये और अब घटिया आटा सप्लाई हो गया।
 ऐसे में जो कारवाई की गयी है उससे यही झलकता है कि पूरे मामले को दबा दिया गया है। सस्ते राशन की दुकानों पर मिलने वाले राशन की गुणवत्ता पर अक्सर सवाल उठते हैं लेकिन इस पर कोई कारवाई नही हो पाती है। अब जब एक ठोस शिकायत मन्त्री तक भी पहुंच गयी तब भी आधी ही कारवाई होने से यह सवाल स्वतः ही उठ जाता है कि शायद जहां हजारों करोड़ो की सब्सिडी का मामला है तो वहां खेल भी कोई बड़े स्तर का ही हो रहा होगा? क्योंकि यह नही माना जा सकता कि केवल डिपो मालिक की गलती से ही गले सड़े चावल/आटा सप्लाई हो गये। क्योंकि यदि ऐसा होता तो डिपो मालिक के खिलाफ कड़ी कारवाई करके विभाग अपनी पीठ थपथपा रहा होता लेकिन ऐसा नही हुआ है और इसी से यह मामला और सन्देह के घेरे में आ जाता है।

उपचुनाव किसके काम की परीक्षा होंगे-मोदी या जयराम बढ़त का अनुपात बनाये रखना होगी कसौटी

 

शिमला/शैल। प्रदेश के दो विधानसभा क्षेत्रों धर्मशाला और पच्छाद में उपचुनाव होने हैं क्योंकि यहां के विधानसभा सांसद बनकर जा चुके हैं। इसके बाद मन्त्रीमण्डल में भी दो मंत्री बनाये जाने हैं। क्योंकि किश्न कपूर और अनिल शर्मा द्वारा खाली किये गये पद अभी तक भरे नही गये हैं। जयराम सरकार बनने के बाद यह दूसरा मौका होगा जब जनता में वोट मांगने जाना पड़ेगा। पहला मौका था लोकसभा के चुनाव और उनमें केन्द्र और राज्य सरकार दोनों की प्रतिष्ठा दाव लगी हुई थी। बल्कि मुख्यमन्त्री ने मन्त्रीयों के खाली पदों को भरने के लिये लोकसभा चुनावों मे परफारमैन्स का पैमाना लगा दिया था। लेकिन लोकसभा में जिस अप्रत्याशित बढ़त के साथ भाजपा ने प्रदेश की चारों सीटों पर जीत हासिल की है उससे परफारमैन्स की शर्तें एकदम हाशिये पर चली गयी है। ऐसे में यह उपचुनाव ही सही मायनों में परीक्षा होंगे और इसमें लोकसभा वाली बढ़त का अनुपात बनाये रखना ही कसौटी होगा। क्योंकि अभी जिस तरह वातावरण बना हुआ है उसमे हार या कड़ी टक्कर जैसी कोई संभावना दूर- दूर तक नही है। बल्कि ऐसा तभी संभव होगा जब अपने ही कार्यकर्ता और नेता सरकार को आईना दिखाने की रणनीति पर न आ जायें।
‘‘ यह आईना दिखाने ’’ जैसा सन्देह क्यों है इसके संकेत इन उपचुनावों में टिकटार्थीयों की लंबी होती सूची और कांग्रेस के घर में सेंध लगाकर कुछ छोटे बड़े नेताओं को भाजपा में शामिल करने से उभरे हैं। धर्मशाला से सुधीर शर्मा और फिर मुनीष शर्मा के नामों की चर्चा आना इसके प्रमाण हैं। इन नामों से हटकर पूर्व मुख्यमन्त्री प्रेम कुमार धूमल को उम्मीदवार बनाये जाने की मांग नगरोटा और ज्वालामुखी मण्डलों के प्रस्तावों से आना एक बड़ी राजनीतिक हलचल थी। क्योंकि धूमल का नाम आते ही धर्मशाला के कुछ गैर राजनीतिक मंचों द्वारा यह प्रतिक्रिया देना की धर्मशाला को राजनीतिक धर्मशाला नही बनने देंगे एक बड़ी ही सुनियोजित राजनीतिक रणनीति थी। लेकिन जिन मंचों से यह प्रतिक्रिया आयी बाद में उन्ही से जुड़े कुछ लोगों ने प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से अपनी ही दावेदारी आगे करने का कदम उठा लिया। क्योंकि इनमें से कई लोग जो जनसंघ के जमाने से संगठन से जुड़े हुए हैं यही नहीं कर्मचारियों के डा. अरविन्द कन्दौरिया और सेवा निवृत अधिकारी डा. रोकश कपूर तक के नाम धर्मशाला के गलियारों में चर्चा में चल रहे हैं। इस चर्चा के लिये इन लोगों के आरएसएस से संबंध सबसे बड़ा तर्क बने हुए हैं स्मरणीय है कि जब 2017 मे पालमपुर में भाजपा का बुद्धिजीवि सम्मेलन हुआ था जिसे अमितशाह ने संबोधित किया था उसमें डा. राकेश कपूर ही अकेले कार्यरत अधिकारी थे जिन्हें उसमें विशेषरूप से बुलाया गया था। ऐसे कई प्रसंग चर्चा में हैं।
लेकिन इसी के साथ यह भी सत्य है कि लोकसभा चुनावों में जब किश्न कपूर को लोकसभा उम्मीदवार बनाया गया था तब उनके बेटे को विधानसभा का टिकट देने की बात की गयी थी। इसी तरह पिछले दिनों जिस तरह से त्रिलोक कपूर की प्रधानमंत्री से मुलाकात करना चर्चा में आया है उससे उनकी उम्मीदवारी का दावा भी गणना में आ गया है। इस तरह करीब आधा दर्जन नाम उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल हैं। लेकिन इन सारी चर्चाओं के साथ एक बड़ा सवाल यह उछल रहा है कि धर्मशाला की प्रशासनिक सेहत कैसी है क्योंकि पिछले दिनों जब नगर निगम का एक जेई एक लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ है उसके बाद किश्न कपूर तक को यह कहना पड़ा कि धर्मशाला में भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है। प्रशासनिक सेहत के साथ ही धर्मशाला से जुड़े कुछ विकास के सवाल भी चर्चित होने लग पड़े हैं। सवाल उठ रहा है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय दस वर्ष बाद भी केवल शिलान्यास तक ही क्यों पहुंचा है। हाईकोर्ट की सर्किट बैंच की मांग लम्बे अरसे से लटकी पड़ी है। बल्कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग करने से यह सवाल और भी बड़ा बन गया है। इस तरह के कई और मुद्दे पार्किंग, बस अड्डे की दुर्दशा और पर्यटन विकास के लिये आधारभूत ढांचा विकसित करने के नाम पर कोई बड़ा काम न होना इस उपचुनाव के महत्वपूर्ण स्थानीय सवाल होंगे।
परन्तु इन सारे सवालों से भी भारी पिछले दिनों शान्ता कुमार के नाम लिखा गया एक कार्यकर्ता गुमनाम पत्र है। इस पत्र में कुछ गंभीर मुद्दे उठाये गये हैं एक तरह से भ्रष्टाचार की ओर ध्यान खींचा गया है। इस पत्र से स्पष्ट हो जाता है कि लिखने वाले के पास काफी अन्दर तक की जानकारीयां हैं। सोशल मीडिया में इस पत्र के चर्चा में आने के बाद ही मुख्यमन्त्री और शान्ता कुमार में बन्द कमरे मे बैठक हुई और उस बैठक में स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार को शामिल नही किया गया जबकि वह धर्मशाला से पालमपुर मुख्यमन्त्री के साथ गये थे और बैठक के दौरान भी होटल यामिनी में ही मौजूद थे। जयराम-शान्ता की इस मुलाकात के बाद शान्ता कुमार की ओर से एक प्रतिक्रिया भी आयी है। शान्ता कुमार के नाम एक गुमनाम कार्यकर्ता का पत्र और मुख्यमन्त्री से मुलाकात के बाद आयी प्रतिक्रिया यथास्थिति पाठकों के सामने रखी जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि यह सब इन उपचुनावों में चर्चा के विषय रहेंगे और बहुत संभव है कि कुछ और भी समाने आये।
                                                शान्ता के नाम एक कार्यकर्ता का पत्र

आदरणीय शांत कुमार जी,
प्रणाम,
"हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और"  इस कहावत का असली मतलब तब समझ आया जब मैंने आपकी लिखित पुस्तक  "भ्रष्टाचार का कड़वा सच" को पढ़ा। 
क्या वह किताब केवल गत भाजपा सरकार को रिपीट न होने देने के उद्देश्य से लिखी गयी थी या फिर आप सच मे ही देश और प्रदेश की जनता को सरकारों में पनपते भ्र्ष्टाचार के प्रति जागरूक करना चाहते थे ? अगर आप वास्तव में ही भ्र्ष्टाचार के खिलाफ थे और  आज भी हैं तो आज जो आपके नाक के तले हो रहा है उसके प्रति आप चुप क्यों हो ?   क्यों जानबूझ कर गांधारी की तरह आंखों में पट्टी बांध रखी है ? क्या आप भ्र्ष्टाचार के  हो रहे नंगे खेल से अवगत नही हैं ? या फिर जानबूझ कर केवल मात्र
 इसलिए अनजान  बने हुए हैं कि इस बार  भ्र्ष्टाचार करने वाले कोई और नहीं बल्कि आपके अपने हैं 
इसमें कोई दो राय नही कि प्रदेश की जनता में आपकी छवि एक ईमानदार  नेता की रही है पर आज ये तथाकथित ईमानदार आवाज  ने अपने मुंह को क्यों सिल लिया है।
शांता जी,  आपने जेनेरिक दवाईयों के नाम पर लंबी लड़ाई लड़ी । जनता जानना चाहती है क्या  वह लड़ाई  मात्र इसलिए थी कि सत्ता में आने आपका प्रिय शिष्य स्वास्थ्य मंत्री बनते ही अपने मित्रों को सरकारी अस्पतालों में  उन दवाईयों की सप्लाई का आर्डर दे। और उनके  प्रिय मित्र दवाईयों के नाम पर जो "भस्म भबूत" मैडीकल कॉलेज सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में सप्लाई कर रहे हैं उससे गरीबों की जो हाय लगेगी उससे तो शायद ही भगवान उनको बचाएगा। पर आपकी शाख को लगा बट्टा शायद ही मिट पायेगा।  अगर आपको विश्वाश नही है तो अपने सामने पड़े फ़ोन से प्रदेश के किसी भी प्रसिद्ध डॉक्टर को  वर्तमान में सप्लाई हो रही तथाकथित जेनेरिक दवाईयों की क्वालिटी के बारे में पूछें ?
  क्या यह भ्र्ष्टाचार नही की  स्वास्थ्यमंत्री और मुख्यमंत्री का एक करीबी सरकार बनने के बाद 35 करोड़ की दवाइयां सप्लाई कर चुका है और स्वास्थ्य विभाग की एक गाड़ी  हमेशा उसके घर के बाहर खड़ी मिलती है। और  विभिन्न सी एम ओ  को बाकायदा फोन करके उनसे दवाईयां खरीदने का दबाब डाला जाता है।
प्रिय शांता जी,
आयुर्वेद विभाग  में मंहगी खरीद  में आईएएस भटनागर को दोषी मानकर उस पर दिखावे के लिए छोटी सी  कार्यवाही करके जनता की आंखों में झूल तो झोंक दी परन्तु जिस विपिन परमार के आदेश पर यह खरीद हुई  उनके खिलाफ कोन कार्यवाही करेगा? क्या इस पर भी आपको भ्र्ष्टाचार नही दिखाई देता है?
पिछले डेढ़ वर्षों में कई दवाईयों के सैंपल फेल हुए पर आज तक कोई कंपनी ब्लैक लिस्ट नही हुई ? आखिर क्यों ? और आप इसलिए चुप है क्योंकि विपन परमार आपके खर्चे उठाते हैं ?
मन्डी में एक डॉक्टर ने अपने ही बेटे  से 2 रुपये की दवाई 16 रुपये में खरीद ली। पर अब आप क्यों बोलेंगे?
हर दूसरे दिन अखबारों में छपा मिलता है कि सरकारी अस्पतालों में जेनेरिक दवाईयां महंगी खरीदी जा रही है और ओपन मार्किट में सस्ती मिल रही है इसका जिम्मेदार कौन है  कभी सोचा आपने?
 चंद मित्रों ने सिविल सप्लाई की दुकानों से सीधे सीधे कमीशन वसूल रहे है आप सब जानते हुए भी चुप हैं।आप सिर्फ इतना पता कर लीजिए कि पालमपुर हॉस्पिटल की सिविल सप्लाई की दुकान किसके फोन से आवंटित हुई है?
पंजाब में 290 रुपये में बिकने वाला सीमेंट हिमाचल में 390 रुपये में बिक रहा है और सबको मालूम है कि पिछले डेढ़ वर्षों में इसकी कीमत 90 से 100 रुपये बढ़ी है और कीमतों में वृद्धि का कारण मुख्यमंत्री और उद्योग मंत्री की सीमेन्ट कंपनियों के साथ सांठगांठ है। फिर भी आज आपको भ्र्ष्टाचार नही दिखाई देता।
 धारा 118 के तहत कांग्रेस के 1081  स्वीकृतियों के मुकाबले हमने 1 वर्ष में ही  590 दे दी और इसी  रफ्तार से चले रहे तो पांच वर्षों में आधा हिमाचल बिक जाएगा। पर आप क्यों बोलेंगे। क्योंकि अब आपके शिष्य सत्ता में हैं।  अब आपको भ्रष्टाचार नही सुशासन दिखाई दे रहा है।
 प्रदेश में सबको मालूम है कि पिछले एक वर्ष से पर्यटन विभाग के होटलों को लीज पर देने के लिए सरकार तैयारी कर रही थी और इसके बावत कई बार अखबारों में ख़बरें भी छपी। और अब  जब इन प्रोपर्टी को सेल पर लगाने की आलोचना हुई तो सरकार ने एक निर्दोष अधिकारी को ही दांव पर लगा दिया अपनी खाल बचाने के लिए। जिस हिमाचल को आप स्विट्जरलैंड बनाने की बात करते थे वो आज बिकाऊ हो गया है।जिन सम्पतियों को हिमाचलियों ने अपने खून पसीने से सींचा था उन्हें आज लूटने की कोशिश की जा रही है।
शांता जी हर दूसरे महीने 500 करोड़ रुपये का कर्जा लिया जा रहा है।और उनमें से पैसा सिर्फ सराज विधानसभा को सजाने संवारने में लगाया जा रहा है बाकी हिमाचल के तो जैसे वो मुख्यमंत्री ही नही है। कभी आपने पूछा कि कांगड़ा और चम्बा  के विकास के लिए पिछले डेढ़ साल में क्या किया? कब तक आप  आँखें बंद रखेंगे? कर्जे की यही हालत रही तो हिमाचल के वजूद पर ही संकट आ जायेगा। 
शांता जी,
अपनी पीढ़ी के आप और वीरभद्र मात्र दो नेता बचे हैं वीरभद्र अपने केसों से बचने के लिए सरकार के साथ खड़े हो गए हैं परन्तु आप ने जो अपने जीवन भर की कमाई की है वह इन डेढ़ वर्षों में गवाने के कगार पर आ  चुके हैं 
आज कोई मुंह से न कहे पर प्रदेश का प्रत्येक कार्यकर्ता कह रहा है कि यह सरकार  भाजपा की नही केवल चंद मित्रों की सरकार बन कर रह  गयी है। उन मित्रों को  यह लगता है कि पता नही किस्मत से मिला यह मौका दूसरी बार आएगा कि नही। इसलिये  जितना हो सके दोनों हाथों से लूट लो।  आज कांग्रेस कमजोर है इसलिये वो चुप है पर जनता सब देख रही है।कार्यकर्ताओं ने भी खुल कर कहना शुरू कर दिया है  की अफसरों पर पकड़ नही कुछ अधिकारी सरकार चला रहे हैं और आप इसलिए चुप हैं कि आपका  लूट के माल का एक हिस्सा आप तक भी  पहुंचता है इसलिए आप ने भी  आंखों पर पट्टी बांध ली है। 
इएलिये आपसे विनम्र आग्रह है कि कृप्या आगे से ऐसी कोई किताब न लिखे जिसकी वजह से आपको शर्मिन्दगी उठानी पड़े। केवल वही लिखें जो वास्तव में आप हो।
जो " अंदर से कुछ और बाहर से कुछ और था"
एक कार्यकर्ता 
जो आपको आदर्श मानता था।
                            शान्ता-जयराम बैठक के बाद शान्ता की प्रतिक्रिया
 भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व सांसद शांता कुमार ने कहा कि वह सोशल मीडिया में बहुत कम कभी-कभी कुछ लिखते है।  इस बार 12 सितम्बर जन्मदिन से कुछ पूर्व उन्होने अपने मन की बात कहीं।  उन्हें  दुख है कि उनके शब्दों से कहीं-कहीं कुछ गलत अर्थ निकाला गया है।  उन्होने उसे स्पष्ट करना चाहा है। 
शांता कुमार का यह बयान उनके सोशल मीडिया पर बुधवार को आए एक बयान के बाद आया है। इस बयान के बाद मीडिया में उनके नाराज होने के कयास लगाए जा रहे हैं।
वीरवार को भाजपा के वरिष्ठ ने मीडिया को जारी एक बयान में कहा कि वह कई बार कह चुके है कि भारत के राजनैतिक नेताओं में सबसे अधिक सन्तुष्ट और प्रसन्न यदि कोई है तो निश्चित रूप से वह शान्ता कुमार हैं। उन्हें प्रभु ने और पार्टी ने क्या नहीं दिया और उन्होने भी जी भर कर देश और प्रदेश की सेवा की।  उन्होने मीडिया से विशेष आग्रह किया है कि उन्हें किसी भी प्रकार से असन्तुष्ट कह कर उनके साथ अन्याय न करें।
उन्होने कहा कि अब चुनाव नहीं लडूंगा और वैसे भी इस आयु में जवानी की तरह की सक्रियता नहीं रह सकती और उन्होने विवेकानन्द ट्रस्ट में और अधिक काम करने का निर्णय किया है।  उन्होने कहीं से किनारा नहीं किया न ही कभी करेंगे। 
शांता कुमार ने कहा कि धर्मशाला उप-चुनाव जीतना हम सब की जिम्मेदारी है। पिछले लोक सभा चुनाव में वह उम्मीदवार नहीं थे परन्तु पहले से भी अधिक उन्होने चुनाव में काम किया  और जनता ने भी समर्थन का नया रिकार्ड बनाया। कांगड़ा-चम्बा लोक सभा देश में प्रथम रही।  धर्मशाला उप-चुनाव ही नही, पार्टी के किसी भी ऐसे काम में उन्हें सबसे आगे पाओंगे।
उन्होने कहा कि चुनाव के लिए हमारा सुझाव होता हैं। हमारा कोई उम्मीदवार नहीं होता। उम्मीदवार तो पार्टी का होता है।  पार्टी जो भी निर्णय करेगी वहीं उनका भी निर्णय होगा।
शान्ता कुमार ने कहा है कि मंत्रियों के काम-काज के संबंध में विचार और निर्णय लेना केवल मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है फिर भी यह सही है कि मंत्री हमारे है तो उन्हें उनके संबंध में सब प्रकार की चिन्ता भी रहती हैं। वे अपने मन्त्रियों से मिलते भी रहते हैं, बात भी होती रहती है।
उन्होने कहा की भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्म दिन पर बड़े स्तर पर सेवा सप्ताह मना रही है।  उन्होने उससे पहले ही अपने जन्म दिन पर विवेकानन्द सेवा केन्द्र में सेवा करने का सकंल्प किया है।  सभी मित्रों को इस बात की विषेश प्रसन्नता होनी चाहिए।


 

आऊटसोर्स बना कमीशन का सबसे बड़ा उद्योग बिना निवेश के 94 लोगों को मिला 23 करोड़

शिमला/शैल। सरकार के सांख्यिकी विभाग के मुताबिक 31 मार्च 2018 को प्रदेश में पंजीकृत बेरोज़गार की संख्या 8,34,084 थी। 2017 में उद्योग विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के नीजि क्षेत्र में 1,58,000 लोगों को नौकरी प्राप्त थी। अब विधानसभा के मानसून सत्र में विधायक रमेश धवाला के एक प्रश्न के उत्तर में आयी जानकारी के मुताबिक पिछले तीन वर्षों में 31-7-2019 तक प्रदेश के प्राईवेट सैक्टर में 1,41,494 लोगों को रोज़गार मिला है। इसके मुताबिक 2016-17 में 34842, 2017-18 में 40141, 2018-19 में 49345 और 2019-20 में 31-7-2019 तक 17166 लोगों को नौकरी मिली है। धवाला के अतिरिक्त विधायक होशियार सिंह, राजेन्द्र राणा, विक्रमादित्य सिंह ने रोज़गार को लेकर सवाल पूछा था कि सरकारी और प्राईवेट क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों में कितने लोगों को रोज़गार मिला है। इनके जवाब में कहा गया है कि सूचना एकत्रित की जा रही है।
विधायक मोहन लाल ब्राक्टा, मुकेश अग्निहोत्री और विक्रमादित्य सिंह ने सवाल पूछा था कि सरकारी विभागों और उपक्रमों में आऊटसोर्स के माध्यम से कितने लोगों को नौकरी पर रखा गया है और क्या सरकार इनको नियमित करेगी या नही। इस प्रश्न के जवाब में कहा गया है कि प्रदेश में 12165 लोगों को आऊट सोर्स से नौकरी पर रखा गया है। इसमें यह भी जानकारी दी गयी है कि पिछले वर्ष लगभग 3000 कर्मचारी आऊटसोर्स पर रखे गये हैं। इन कर्मचारियों पर 153,19,80,030(एक सौ तिरेपन करोड़ उन्नीस लाख अस्सी हजार तीस रूपये) खर्च हो रहे हैं और इसमें से 130,10,21,806 (एक सौ तीस करोड़ दस लाख इक्कीस हजार आठ सौ छः रूपये) कर्मचारियों को दिये जा रहे हैं और 23,09,58,224 (तेइस करोड़ नौ लाख अठावन हजार दो सौ चैबीस रूपये) इन्हें काम पर रखने वाली कंपनीयां अपना कमीशन रख रही है। यह कर्मचारी 94 कंपनीयों के माध्यम से रखे गये हैं।
यदि सरकार द्वारा सदन में रखे गये आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के निजि क्षेत्रा में पिछले तीन वर्षों में 1,41,494 लोगों को नौकरी पर रखा गया है। पिछले तीन वर्षों में कितने उद्योग प्रदेश में आये हैं इसकी जानकारी भी धवाला के ही एक प्रश्न के उत्तर में दी गयी है उसके मुताबिक केवल 11 उद्योग आये हैं और यह भी अभी अनुमतियों की स्टेज पर हैं। अभी जो निवेश के लिये देश-विदेश में मीट किये गये हैं उन पर आये सवालों में एक जगह कहा गया है कि सूचना एकत्रित की जा रही है। दूसरी जगह कहा गया है कि एमओयू साईन नही हुआ है। स्वभाविक है कि नये प्रस्तावित निवेश में अभी तक किसी को नौकरी मिलने की कोई स्टेज नही हैं।
सांख्यिकी विभाग ने 2017-18 तक के जो आंकड़े जारी किये हैं उनमें 2005-06 से 2017-18 तक की स्थिति सामने रखी है। इसमें किस वर्ष कितने लोगों ने रोज़गार कार्यालयों में पंजीकरण करवाया कितने रिक्त स्थान नोटिफाई हुए। उनमें सरकार और प्राईवेट सैक्टर में कितने की प्लेसमैन्ट हुई यह सब दिया हुआ है। इसके मुताबिक 2005-06 से 2017-18 तक प्रदेश में सरकारी और प्राईवेट सैक्टर में एक लाख से भी कम लोगों को नौकरी मिली है। ऐसे में सवाल उठना स्वभाविक है कि सरकार द्वारा 2017 से 31-7-2019 तक प्राईवेट सैक्टर में 1,41,494 लोगों को रोज़गार मिलने के दावे के आंकड़ो की प्रमाणिकता पर कैसे विश्वास किया जा सकता है।
सरकार ने माना है कि आऊटसोर्स पर 12165 लोगों को नौकरी पर रखा गया है। यह लोग 94 कंपनीयों के माध्यम से रखे गये हैं और इन कंपनीयों को 23 करोड़ से अधिक का कमीशन दिया जा रहा है। स्मरणीय है कि आऊट सोर्स पर रखे गये कर्मचारियों ने वीरभद्र सरकार के दौरान उन्हें नियमित करने के लिये आन्दोलन किया था। इनके बारे में कोई स्थायी पाॅलिसी लाने की बात की गयी थी। उस समय 30,000 से ज्यादा कर्मचारी आऊटसोर्स के आधार पर रखे होने के आंकड़े सामने आये थे। इन कर्मचारियों के आन्दोलन के बाद सरकार ने एक पाॅलिसी जारी की थी उसमें इन्हें नियमित अवकाश आदि का लाभ दिया गया था। इसमें यह भी कहा गया था कि भविष्य में कोई भी विभाग वित्त विभाग की पूर्व अनुमति के बिना आऊटसोर्स पर कोई भर्ती नही करेगा। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार बदलने के बाद पिछली सरकार के दौरान रखे गये कर्मचारियों को हटाकर उनके स्थान पर यह 12165 लोग नये सिरे से रखे गये हैं? क्या इनके लिये वित्त विभाग से पूर्व अनुमति ली गयी है। इन लोगों को कितने समय के लिये रखा गया है? यदि सरकार के पास इनके लिये काम नियमित रूप से है तो फिर इन्हें नियमित रूप से ही नौकरी पर क्यों नही रखा गया है क्या आऊटसोर्स कुछ लोगों को केवल कमीशन देने का एक माध्यम बनाया गया है। आऊटसोर्स के नाम पंजीकृत कंपनीयां जब कमीशन ले रही हैं तो क्या यह अपने कर्मचारियों को उसके बदले में कोई लाभ भी दे रही है।

                       क्रम सं. आउटसोर्सिंग कम्पनियों का नाम एवं पता
1 National Institute of Electronic and Information Technology (NIELIT),
Hotel Cedarwood, Jakhu Road-Shimla-171001.
2 MD Utility Service, Pathania Niwas, Sector -2, New Shimla
3 Saraswati Dot Com, Pvt. Ltd. Kasumpti, Shimla-9
4 M/s Manas Mantra Outsourcing Pvt. Ltd., Set. No. 3, Shanti Niwas, Nr
Sanskrit College, Phagli, Shimla-4.
5 M/s HPESCO Security Service, MIIG-31, Housing Board Colony-
Hamirpur (H.P.)
6 Sky light Manpower & Hospitality Services, Dera Parol Tehsil
Bhoranj- Hamirpur (H.P.)
7 AP Securities Pvt. Ltd., 3rd Floor, Sharma Niwas, Opposite SBI Main
Bazar Kasumpti Shimla-9
8 The Ma Tolotama Bhawan Nirman & Hydro Power Coop-Society C,
VPO-Dualpur, Shastri Nagar, Kullu, H.P.
9 HP State Elect. Dev. Corp. Mehali, Shimla-03
10 M/s Shimla Cleanways, Sahibu Niwas, Sec-2, New Shimla-9
11 New Vision Commercial & Escort services, Ashirvaad Sadan, Mehli-
Shimla
12 M/S RK & Co. Ukhali, Hamirpur.
13 HP Ex-Serviceman Corporation-Hamirpur-01
14 NRTC Sec-1, Parvanoo, Solan, HP
15 M/s New Eagle services, Kamla Bhawan, Kachi Ghati, Below Saytam
Paradise Hotel, Kachi Ghati -Shimla, HP.
16 M/s Raj Kumar, Govt. Contractor, Vill-Ahen, PO Dhawal, Teh-
Sundernagar-Mandi
17 National & Tech. Consortium (NRTC), Industries Campus, Sector-01,
Parvanoo, Solan (H.P.)
18 National Tech. Research & Tech. Consortium-Parvanoo.
19 Vyas Infravyudalor Pvt. Ltd., Nr. Mahunag Temple, Tarna Hill Mandi.
20 M/s I L & FS Humana Resources, New Delhi
21 M/S Corporate Sector-II, New Shimla.
22 M/s B &V Consultancy Services, Near Labour Hostel, Lal Pani,
Shimla.
23 M/s Sohan Lal Lalpani, Shimla.
24 M/S Rainbow Enterprises, Hemant Lounge, Mashobra-2, Shimla.
25 M/s Mebric Security M-31 Housing Board Colony-Hamirpur-01
26 M/s Thakur Enterprises, Thakur Niwas, Lower Anji, Vikasnagar,
Kasumpti, Shimla-09
27 Shakti Enterprises, F123, sec-1, Manish Market, Pocket-2, Dwarka,
New Delhi
28 Trig Guard Force, the Retreat Phagly-Shimla-4
29 Rapid Security Force, Kamal Kuteer, Lower Chakkar Shimla-5
30 HP Electronics Vikas Nigam, Mehli-Shimla.
31 Himalyan Gyan Vigyan Smiti Shivalik Sadan, Engine Ghar Sanjouli.
32 Pradeep Kumar Contractor VPO Sudhedh Tehsil Shahpur, Kangra
33 S.M. Man Power Services Pvt. Ltd. H/o Wrd-7, Kupper, Joginder
Nagar-Mandi (HP)
34 Action Research & Training, Rajgarah, Sigmaur.
35 SM Men Power Services Pvt. Ltd-D/Shala, Kangra.
36 HPSEDC Ms. Rattan Imporium Secority Ser. Flat No-6 Aryan Deep
Nalswood Shimla
37 Sunrise Education Society, Plote No-1412, Ward-4, Nangale Road
Una, HP
38 Rudra Consultancy service Pvt. Ltd., Phase-III, New Shimla-
39 Him Security Placement Services MIG-31 Housing Board Colony
Hamirpur-01
40 Himachal Detective Security Service Shukuntla Cottage, Nr. Petrol
Pump, Chambaghat, Solan.
41 Sh. Rajesh Kumar, Govt. Contractor, man Power supplier, Vill-
Belehar, PO-Yol Cantt. Dharamshala, Distt. Kangra (H.P.)
42 Frontline (NCR) Business Solutions Pvt. Ltd, Branch office 3rd Floor
Thakur Villa, Jal Bhawan Centre Bank Kasumpti-Shimla
43 Shakti Committee Bharmaur, Distt- Bharmaur.
44 Vishal Mahila Mandal, Moh. Hatnalla District Chamba (H.P.)
45 Social Work and Dev. Association Kundlidhar Distt. Kangra.
46 Kamna Sanstha Sirmour, Nahan Distt-Sirmour.
47 S.D.C. Menpower Services, Shell Kunj, 1st Floor, Nr HIMFED, Build.
B.C.S., New Shimla-01
48 Hamirpur Outsourcing & Travel Agency Pvt. Ltd. Hamirpur.
49 M/s Corporate Care Middle Market Sect-02 New Shimla.
50 M/s Services Pvt. Ltd. H.P. SCO-I, FF, HIMUDA Complex, Sai Road
Baddi, Distt-Solan (HP) 1732205
51 Naresh Kumar, Govt Contractor Vill-Hahnu, PO-Bayala, The-
Sundernagar-Mandi.
52 Sh. Sanjeev Kumar & Sh. Bharat Lal, VPO Pangi, The- Kalpa,
Kinnaur.
53 National Info. Science Centre Services Instt. (NICSI)-Shimla
54 HP Voluntary Health Association, B-37, New Shimla-09.
55 Nehru Yuva Kendra, Dharamshala.
56 Distt. Literacy Society Kullu.
57 Ma Saraswati Society-Palmpur
58 Soft Solution, Shimla-09.
59 HIMTECH Education-Nahan.
60 HIM Productive Instt. of Education, Lakar Bazar- Shimla
61 HPIE, Shimla Zed Security Services, Dehradun
62 Maharishi Enterprises Near Civil Hospital Dehra, Kangra, HP
63 Ramesh Kumar Contractor, Ayurvedic Colony Dharamshala.
64 M/s Baldev Kumar, Surajkund Road, Kangra, Teh & Distt-Kangra.
65 M/s Chaitanya Enterprises, Tika Lehsar, VPO Yol Cantt, Teh-
Dharamshala, Kangra, HP
66 Shri Raj Kumar, House Keeping Contractor, B-7, Dev Niwas, Engine
Ghar, Sanjauli-Shimla
67 M/S A.B. Enterprises Flat No. 6, Block No. 12-A, HBC- Sanjauli,
Shimla-6
68 M/S J.K Enterprises Lakkar Bazar, Shimla
69 First Class Security Service (Personal) Limited, Delhi
70 Rita Contractor, Lower Arniala, PO Kotla Kalaamb, District Una.
71 M/S Arun Sharma Contractor- Rajgarh
72 M/S Universal Training and research Institute, Sanjouli Shimla
73 M/s Jagmohan Vill & P.O Charna Distt. Sirmour.
74 M/S Kuldeep Kumar Sharma V. Sajoo P.O Piploo Tehsil Dharampur
75 M/S Suresh Sharma P.O Jaladi Tehsil Nadaun Distt Hamirpur
76 M/S Bhadur Ram Vill &P.O Jia Tehsil Palampur Distt. Kangra.
77 M/S Vigilant Howk 186 Defence Colony P.O Jandwal Distt
Pathankot (PB)
78 M/S Dharamshala Electrical works D/Shala
79 Sh. Partap Chand Vill Samoga PO Manjeer Distt. Chamba
80 Baldev Ram Govt Cont. Vill Luj Tehsil Pangi Distt. Chamba
81 Sh. Kedar Nath Govt. Contractor Vill. Malhiat Tehsil Pangi Distt.
Chamba
82 M/S Sharma Light House HO Dehar Tehsil Sundernagar Distt.
Mandi.
83 M/S Electronics and industrial institute Shimla
84 Jan Kalyan Seva Sansthan, Nerwa.
85 M/S First Grade Security service Private Limited Shimla
86 M/S Maya Enterprises VPO Toni Devi Distt Hamirpur
87 M/S Pawan Kumar Govt. Contractor Tahliwal-Una
88 M/S Anju Sharma and Sons VPO Rakkar Distt Kangra
89 The Director Society for Social Uplift though Rural Action, Jagit
Nagar, Tech Kasauli, Solan
90 Manav Sewa Sansthan Berthin Distt. Bilaspur.
91 M/S S.M Man power Service Private Kangra
92 Rudra XI consultancy Services Pvt. Ltd. Janki Dass Buid. Property
No. 3 The Mall Road, Shimla
93 The Chairman, Dev Bhumi Vikas Pasishad Kullu (H.P.)
94 EG Source Sol. Pvt. Ltd- Rajindra Palance,New Delhi.




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