Thursday, 18 September 2025
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क्या बड़े बाबूओं के हितों के टकराव के कारण नहीं भरे जा रहे रेगुलैटरी कमीशन और ट्रिब्यूनल के खाली पद

शिमला/शैल। प्रदेश का शिक्षा के लिये गठित रेगुलेटरी कमीशन एक वर्ष से भी अधिक समय से खाली चला आ रहा है। प्रदेश में पिछले छः महीने से ही कोई लोकायुक्त भी नही है। पिछले दिनो प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक सदस्य का खाली हुआ पद भी अभी तक भरा नहीं गया है। यह सारे संस्थान महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं और इनका इस तरह खाली रहना न केवल इनकी अहमियत को ठेस पहुंचाता है बल्कि सरकार और उसके शीर्ष प्रशासन की नीयत और नीति पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। रेगुलेटरी कमीशन और प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में सरकार के मौजूदा या सेवानिवृत हो चुके बडे़ बाबूओं में से ही किसी की तैनाती होनी है। इन पदों के लिये दर्जनों बाबुओं ने दावेदारी भी पेश कर रखी है। लोकायुक्त के पद पर किसी उच्च न्यायालय का वर्तमान या सेवानिवृत मुख्य न्यायधीश या फिर सर्वोच्च न्यायालय का भी ऐसा ही कोई न्यायधीश नियुक्त होना है। चर्चा है कि इस पद के लिये अन्यों के अतिरिक्त प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत मुख्य न्यायधीश मंसूर अहमद मीर और सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत मुख्य न्यायधीश टी एस ठाकुर भी दावेदार हैं। इन दोनों के ही मुख्यमन्त्राी के साथ अच्छे व्यक्तिगत संबंध है। संभवतः इन्ही संबंधो के कारण यह चयन कठिन हो गया है।
लेकिन रेगुलेटरी कमीशन और प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में नियुक्तियां क्यों नही हो पा रही हैं इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं उठनी शुरू हो गयी हैं। इस समय वीसी फारखा की बतौर मुख्यसचिव पदोन्नति और तैनाती को उनसे वरिष्ठ विनित चैधरी ने कैट में चुनौती दे रखी है। इसमें अभी प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार से जवाब दायर होने हैं। माना जा रहा है कि इस समय केन्द्र सरकार में सचिव कार्मिक का पदभार अजय मित्तल के पास आ गया है और मित्तल हिमाचल कार्डर से ही ताल्लुक रखते हैं इसलिये अब केन्द्र सरकार से जवाब आने में ज्यादा समय नही लगेगा। बल्कि फारखा के बाद तरूण श्रीधर दूसरे वरिष्ठ अधिकारी हैं और केन्द्र के सचिव पैनल में आ गये है। मुख्यमन्त्राी ने उनके दिल्ली जाने को भी हरी झण्डी दे दी है। परन्तु विनित चैधरी की याचिका में फारखा से ज्यादा तरूण श्रीधर की भूमिका पर सवाल खड़े किये गये हैं। संभवतः इन्ही सवालों के साथ उनके केन्द्र में सचिव पद के चयन पर भी सवाल उठाये गये हैं और इन सवालों पर राज्य सरकार से भी जवाब मांगा गया है। इस परिदृश्य में फारखा और श्रीधर दोनों ही अधिकारियों के रेगुलेटरी कमीशन या ट्रिब्यूनल में जाने की संभावना बहुत कम है क्योंकि अभी दोनों की नौकरी काफी शेष है। फिर फारखा को मुख्यमन्त्री भी छोड़ना नही चाहंेगे। लेकिन कल को विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही इलैक्शन कोड लागू होने पर यदि उनके मुख्य सचिव रहने पर चुनाव आयोग में आपत्ति उठा दी जाती है तो उस स्थिति में एकदम सारा परिदृश्य बदल जायेगा। लेकिन इस स्थिति को आने में अभी दो तीन माह का समय लग जायेगा।
ऐसे में यह सवाल सचिवालय के गलियारों की चर्चा बना हुआ है कि अभी निकट भविष्य में इन पदों को भरे जाने की संभावना नही है। परन्तु इसी के साथ यह भी चर्चित हो रहा है कि यदि कोड आॅफ कन्डक्ट लागू होने तक यह पद नही भरे जाते हैं तो फिर यह नियुक्तियां नई सरकार के गठन के बाद ही हो पायेंगी। मजे की बात यह है कि इन अहम पदों के खाली चले आने पर विपक्ष की ओर से भी कोई सवाल नही उठाये जा रहें हैं। रेगुलेटरी कमीशन में मुख्यमन्त्री के प्रधान निजि सचिव सुभाष आहलूवालिया की पत्नी मीरा वालिया ने प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत होकर बतौर सदस्य ज्वाईन किया था लेकिन जैसे ही लोक सेवा आयोग में सदस्य का पद खाली हुआ तो मीरा वालिया ने रेगुलेटरी कमीशन से त्यागपत्रा देकर लोकसेवा आयोग में जिम्मेदारी संभाल ली। अब रेगुलैटरी कमीशन बिल्कुल खाली हो गया है। इन पदों को समय पर भरने के लिये और सारी स्थिति को मुख्यमन्त्राी के संज्ञान में लाने की जिम्मेदारी मुख्यमन्त्री के अपने ही कार्यालय की होती है, परन्तु मुख्यमन्त्री के कार्यालय पर तो सेवानिवृत अधिकारियों का कब्जा है। उन्होने चुनाव लड़कर जनता से वोट मांगने तो जाना नही है। फिर ऐसे पदों के इतने लम्बे समय तक खाली रहने से सरकार की जनता में छवि पर क्या असर पड़ता है इससे उनको कोई सरोकार कैसे हो सकता है। माना जा रहा है कि बडे़ बाबूओं के हितों में चल रहे टकराव के कारण अभी यह पद भरे जाने की कोई संभावना नही है।

भ्रष्टाचार के प्रकरण में वीरभद्र की विजिलैन्स की सक्रियता और भाजपा की अस्पष्टता क्या रंग दिखायेगी

शिमला/शैल।  नगर निगम शिमला के चुनावों के बाद जहां भाजपा ने सत्ता परिवर्तन के लिये रथ यात्राएं शुरू की हैं वहीं पर वीरभद्र की विजिलैन्स ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। भाजपा की रथ यात्रा में वीरभद्र सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर जनता को जागृत किया जा रहा है। उधर विजिलैन्स ने भ्रष्टाचार के दो मामलों में एफआईआर दर्ज कर ली है। एक एफआईआर धूमल शासन में खरीदी गयी एंटी हेलगन मामले में है तो दूसरी आईपीएच की गिरी वाॅटर स्पलाई योजना को लेकर है। इन दोनों मामलों में विजिलैन्स को एफआईआर दर्ज करने की अनुमति अभी निगम चुनावों के दौरान ही दी गयी है। स्वभाविक है कि यह अनुमतियां दिये जाने से पहले यह मामले मुख्यमन्त्री और उनके सचिवालय के संज्ञान में लाये गये होंगे क्योंकि गृह और सतर्कता का कार्यभार भी मुख्यमन्त्री के अपने ही पास है। यह मामले कांग्रेस के आरोप पत्र में दर्ज रहे हैं और आरोप पत्र विजिलैन्स को जांच के लिये भी सत्ता संभालने के बाद हुई पहली मन्त्रीमण्डल की बैठक में भेजने का निर्णय ले लिया गया था। ऐसे में यह सवाल उठना भी स्वभाविक है कि यह मामले अभी क्यों दर्ज हुए और क्या इनके अन्तिम परिणाम अभी आ पायेंगे? ऐसी संभावना कम है क्योंकि अब तक जिन मामलों पर विजिलैन्स का ध्यान केन्द्रित रहा है उनमें ही कोई परिणाम सामने नही आये हैं। ऐसे में इन नये मामलों को चुनावी रणनीति के आईने में ही देखा जायेगा। कांग्रेस और वीरभद्र सरकार की इस रणनीति के क्या परिणाम होंगे इसको लेकर सवाल उठने शुरू हो गये हैं, क्योंकि निगम चुनावों में मिली हार का ठीकरा वीरभद्र और सुक्खु ने खुलकर एक दूसरे के सिर फोड़ा है। दूसरी ओर भाजपा अपनी रथ यात्रा में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर जनता से सत्ता परिवर्तन का आग्रह कर रही है। भाजपा का सारा शीर्ष नेतृत्व शान्ता से लेेकर नड्डा तक वीरभद्र सरकार को भ्रष्टाचार का पर्याय प्रचारित कर रहा है। सरकार पर माफियाओं को संरक्षण देने के आरोप लगाये जा रहे हैं। वीरभद्र सीबीआई से जमानत पर चल रहे है और उनका अधिकांश समय अदालतों में केसों के प्रबन्धन में व्यतीत हो रहा है। यह आरोप लगाया जा रहा है कि जिस मुख्यमन्त्री का ज्यादा वक्त अदालतों में गुजर रहा है उसके पास प्रदेश के विकास के बारे में सोचने का समय ही कहां बचा है। आम आदमी को थोड़े समय के लिये प्रभावित करने में इस प्रचार से लाभ मिल सकता है लेकिन जब इसी तस्वीर का दूसरा चेहरा जनता के सामने आयेगा तो स्थिति एकदम दूसरी हो जायेगी। क्योंकि यह सही है कि वीरभद्र केन्द्र की जांच ऐजैन्सीयों द्वारा बनाये गये मामलों में उलझे हुए हैं और इन मामलों के अन्तिम परिणाम नुकसानदेह भी हो सकते है। परन्तु बड़ा सवाल तो यह है कि अन्तिम परिणाम आयेगा कब? सीबीआई मामलें में वीरभद्र सहित सारे नामज़द अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है। इस मामले में राजनीतिक लाभ मिलना संभव नही है। सीबीआई मामले को अदालत से अन्जाम तक पहुंचाने में समय लगेगा। सीबीआई के साथ ईडी में चल रहे मनीलाॅंड्रिंग प्रकरण में ऐजैन्सी ने 23 मार्च 2016 को पहला अटैचमैन्ट आर्डर जारी किया और करीब आठ करोड़ की चल/अचल संपत्ति अटैच की। इसके बाद जुुलाई में वीरभद्र सिंह के एलआईसी ऐजैन्ट आनन्द चैहान की गिरफ्तारी हुई जो अब तक चल रही है। इस गिरफ्तारी के बाद अब ईडी ने एक और अटैचमैन्ट आदेश जारी किया है लेकिन इस पर कोई गिरफ्तारी नही हुई है। बल्कि अब जो तिलकराज प्रकरण हुआ है वह भी ईडी में जा पहुंचा है। तिलक राज और अशोक राणा गिरफ्तार चल रहे हैं। परन्तु उससे आगे कुछ नही हुआ है और यह न होना ही सारे प्रकरण को राजनीतिक द्वेष का रंग दे रहा है। ईडी पर अदालत की ओर से कोई रोक नहीं है। तिलकराज प्रकरण में सूत्रों के मुताबिक जो पैसा लिया जा रहा था वह वास्तव में ही मुख्यमन्त्री के ओएसडी रघुवंशी तक जाना था। उच्चस्थ सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में एक बडे को 1.85 करोड़ की अदायगी की जानी थी। इसमें 1.50 करोड़ का प्रबन्ध शिमला में बैठे प्रबन्धकों ने कर लिया था। शेष 35 लाख तिलकराज ने जुटाना था और उसी के जुगाड़ में तिलकराज सीबीआई के  ट्रैप  का शिकार हो गया। चर्चा है कि इस ट्रैप के पिछले दिन ही चण्डीगढ़ के एक हितैषी ने जिससे सुभाष आहलूवालिया के प्रकरण में ईडी कभी कुछ पुछताछ भी कर चुकी है उसने बद्दी जाकर तिलकराज सहित ड्रग और पाल्यूशन के बड़ो को भी सचेत किया था कि किसी के भी खिलाफ कभी भी बड़ी कारवाई हो सकती है और दूसरे ही दिन यह घट गया। इसी तरह यह भी चर्चा है कि जब ईडी ने मई में वीरभद्र को रात करीब दस बजे तक पूछताछ के लिये रोका था उस दिन भी भाजपा के एक बडे़ नेता के ईशारे पर बड़ी कारवाई को रोक दिया गया था। चर्चा है कि इस बडे़ नेता ने अरूण जेटली के समाने यह रखा है कि यदि वीरभद्र के खिलाफ बड़ी कारवाई को अन्जाम दिया जाता है तो भाजपा को इससे प्रदेश के चुनावों में 25 सीटों का नुकसान हो सकता है। भाजपा के इस बड़े नेता की यह आशंका नगर निगम के चुनावांे में सही भी सिद्ध हुई है। क्योंकि इतने बडे चूनावी प्रचार के वाबजूद भाजपा को परिणामों में स्पष्ट बहुमत नही मिल पाया। वीरभद्र और सुक्खु के टकराव के परिणामस्वरूप कांग्रेस चुनाव में कहीं नजर ही नही आ रही थी। इतनी सफलता भी वीरभद्र के व्यक्तिगत प्रयासों से ही मिली है। ऐसे में आने वाले दिनों में वीरभद्र की विजिलैन्स की सक्रियता और वीरभद्र मामले में भाजपा की अस्पष्टता क्या रंग दिखाती है। इस पर सबकी निगाहें रहेंगी।

सरकार और वीरभद्र की व्यक्तिगत हार हैं नगर निगम के चुनाव परिणाम

शिमला/शैल। वीरभद्र को सातवीं बार मुख्यमन्त्री बनाने और कांग्रेस सरकार के पुनः सत्ता में आने के दावों पर नगर निगम शिमला की हार मुख्यमन्त्री और उनके सलाहकारों की टीम के लिये एक बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। इस हार का सबसे दुःखद निगम क्षेत्र में जुडे थे उनमें से केवल तीन में ही कांग्रेस को जीत हासिल हो पायी है। इन विधानसभा क्षेत्रों में इतनी बड़ी हार वीरभद्र सिंह के लिये व्यक्तिगत स्तर पर एक बड़ा झटका है क्योंकि शिमला ग्रामीण से वह स्वयं विधायक है और अगला चुनाव यहां से उनका बेटा विक्रमादित्य लड़ना चाहता है। विक्रमादित्य की उम्मीदवारी तो एक तरह से घोषित भी की जा चुकी है। शिमला ग्रामीण के साथ ही कुसुम्पटी भी उनका अपना ही क्षेत्र माना जाता है क्योंकि उनकी पत्नी पूर्व सांसद  प्रतिभा सिंह यहां से ताल्लुक रखती है। इस चुनाव में संजौली ढली क्षेत्र के भी सारेे वार्डो में काग्रेंस को हार देखनी पड़ी है जबकि इन क्षेत्रों में ऊपरी शिमला के लोगों का बाहुल्य है यहां कांग्रेस का पूरा सफाया हो जाना जिला शिमला को वीरभद्र के लिये एक बड़े संकट का संकेत माना जा रहा है।
नगर निगम शिमला पर 2012 तक कांग्रेस और वीरभद्र का एक छत्र राज रहा है। 2012 में सत्ता सीपीएम के हाथ चली गयी थी। उस समय भी सीपीएम कांग्रेस के एक बड़े वर्ग के सहयोग से सत्ता में आयी थी। सीपीएम और कांग्रेस के अघोषित गठबन्धन के कारण ही माकपा सत्ता में पूरा कार्यकाल काट गयी। इस कार्यकाल में माकपा शासन पर असफलता के ऐसे कई अवसर आये थे जब माकपा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उसे सत्ता से हटाया जा सकता था लेकिन ऐसा नही हुआ। इन चुनावों में भी जब कांग्रेस ने अधिकारिक तौर पर अपने उम्मीदवार उतारने से मना कर दिया था तब दबी जुबान से यह चर्चा भी थी कि कांग्रेस के एक धडे़ का माकपा से अघोषित गठबन्धन हो गया है। इसी गठबन्धन के कारण माकपा ने केवल 22 सीटों पर चुनाव लड़ा जबकि उसने हर वार्ड में नये वोटर बनाये थे लेकिन जिन बारह वार्डों में माकपा ने अपने प्रत्याशी नही उतारे थे वहां पर माकपा का वोट कांग्रेस को ट्रांसफर नही हो पाया। इस तरह जहां माकपा को अपनी असफलताओं का नुकसान उठाना पड़ा और वह केवल एक सीट पर सिमट गयी वहीं पर कांग्रेस को भी इससे सीधे हानि हुई। इस चुनाव परिणाम ने यह स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस का अधिकृत उम्मीदवार न उतारने का पहला फैसला एकदम गलत था। उसके बाद नाम वापसी के अन्तिम दिन प्रत्याशीयों की सूची जारी करके कई वार्डो में अपने प्रत्याशीयों को चुनाव से हटाने में सफल नहीं हो सके। इस चुनाव का प्रबन्धन हरीश जनारथा के पास था लेकिन वह अपने संजौली क्षेत्रा में ही बुरी तरह असफल रहे। हर्ष महाजन भी वीरभद्र के बडे़ राजनीतिक सलाहकारों में गिने जाते हैं लेकिन वह भी अपने वार्ड में सफलता नहीं दिला पाये। कांग्रेस अध्यक्ष सुक्खु जो स्वयं कभी इसी नगर निगम के पार्षद रह चुके है वह भी अपने वार्ड में असफल रहे है।
इस तरह जहां इस हार के लिये सुक्खु -वीरभद्र का द्वन्द बहुत हद तक जिम्मेदार है। वहीं पर मुख्यमन्त्री के गिर्द बैठे अधिकारियों का वह वर्ग भी पूरी तरह जिम्मेदार है जो कि वीरभद्र की सरकार चला रहा है। क्योंकि आज प्रशासन हर मोर्चे पर बुरी तरह असफल रहा है। इस कार्यकाल में भष्टाचार के जिन मामलों पर विजिलैन्स पूरी तरह व्यस्त रही है। उनमें एक भी मामले को अन्जाम तक नहींे पहुंचा सकी है। विजिलैन्स प्रशासन अपनी असफलता के लिये आज सीधे मुख्यमन्त्री के अपने कार्यालय को दोषी ठहराता है। विजिलैन्स का आरोप है कि कुछ मामलों की फाईले मुख्यमन्त्री के कार्यालय में सालो तक दबी रही हैं। इस कारण जब सरकार की ओर से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिले तो फिर यह मामलें अपने आप ही कमजोर पड़ते चले गये। यही कारण है कि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने धूमल शासन के खिलाफ ‘हिमाचल आॅन सेल’ का आरोप लगाकर सरकार की छवि पर भ्रष्टाचार का जो ’टैग’ चिपका दिया था। उस बारे में सत्ता में आकर कुछ किया ही नहीं गया। अपने ही लगाये आरोपों को प्रमाणित न कर पाने से वही टैग आरोप लगाने वालों पर चिपक जाता है। आज वीरभद्र प्रशासन की छवि के साथ अराजकता और भ्रष्टता के जो टैग चिपकते जा रहें है उसके लिये अधिकारियों का यही वर्ग जिम्मेदार है। यदि वीरभद्र समय रहते न संभले तो आने वाले समय में ज्यादा नुकसान होने की संभावना है। अभी भी संभलने का वक्त है क्योंकि इस चुनाव ने यह भी प्रमाणित कर दिया है कि आज की तारीख में मोदी लहर का असर प्रदेश में नही है।

31 साल में पहुंची भाजपा नगर निगम की सत्ता तक

शिमला/शैल। नगर निगम शिमला की सत्ता पर काबिज होने के लिये स्पष्ट बहुमत का 18 पार्षदों का आंकड़ा भाजपा अपने दम पर हालिस नही कर पायी है। सत्ता के लिये वह निर्दलीय पार्षदों पर आश्रित है। तीन निर्देलीय पार्षदों में से कितनों का समर्थन उसे मिल पाता है यह आने वाला समय ही बतायेगा। भाजपा पहली बार निगम में सत्ता के इतने निकट पहुुंची है। इन चुनावों के बाद विधानसभा के चुनाव आयेंगे इस नाते इन चुनावों का राजनीतिक महत्व और भी बढ़ जाता है। संभवतः इसी महत्व को भांपते हुए इन चुनावों से पहले प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की शिमला में रैली आयोजित की गयी थी। मोदी की रैली के बाद अमित शाह और कई दूसरे बडे नेता भी किसी न किसी बहाने शिमला आये। स्वास्थ्य मन्त्री जगत प्रकाश नड्डा तो निगम चुनाव के प्रचार में भी आये। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भाजपा ने इस चुनाव को पूरी गंभीरता से लेते हुए इसमें अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। मीडिया को अपने साथ रखने के लिये इसके कुछ लोगों को पालमपुर और दिल्ली ले जाकर केन्द्रिय नेतृत्व से भंेट करवाई गयी। भाजपा की यह रणनीति विधानसभा में 60 का आंकड़ा पाने के घोषित दावे के परिदृश्य में थी लेकिन इतने सघन प्रचार के बावजूद भाजपा का 34 में से 17 सीटों पर आकर रूक जाना यह इंगित करता है कि अब मोदी लहर संभवतः पहले जैसी नही रही है। यदि लहर होती तो भाजपा का आंकड़ा 30 तक पहुंचता। भाजपा की इतनी सफलता के लिये भी कांग्रेस में वीरभद्र -सुक्खु द्वन्द जिम्मेदार है यदि द्वन्द न होता तो सत्ता फिर कांग्रेस के पास जा सकती थी।
इस चुनाव में भाजपा को उन वार्डों में असफलता का मुह देखना पड़ा है जो पूरी तरह व्यापारी वर्ग के प्रभुत्व वाले थे। इन वार्डों में भाजपा की हार का अर्थ है कि अब यह वर्ग पार्टी के हाथ से निकलता जा रहा है। इस वर्ग में जीएसटी को लेकर रोष व्याप्त हो गया है जो आने वाले समय में बढ़ सकता है। इसी के साथ इस चुनाव में यह भी सामने आया है कि जिन वार्डों में जगत प्रकाश नड्डा प्रचार के लिये गये थे वहां पर भी पार्टी को सफलता नही मिली है। जबकि नड्डा को प्रदेश का अगला नेता प्रचारित किया जा रहा है। ऐेसे में इस असफलता का एक ही अर्थ है कि या तो नड्डा को प्रदेश के कार्यकर्ताओं का पूरा सहयोग नही है या फिर जनता में उनकी स्वीकार्यता नही बन पा रही है। इस चुनाव के प्रचार में पार्टी के नेताओं ने वीरभद्र के खिलाफ चल रहे मामलों का भी जिक्र तक नहीं उठाया जबकि चुनाव से पहले तक मुख्यमन्त्री से त्यागपत्र की मांग की जा रही थी। क्या भाजपा को इन आरोपों की विश्वसनीयता पर स्वयं ही अब विश्वास नही रहा है।
भाजपा यदि इस चुनाव प्रचार के अन्तिम दिन धूमल को फील्ड में न उतारती तो इतनी सफलता भी उसे न मिल पाती क्योंकि धूमल से पहले वीरभद्र ने शिमला ग्रामीण से जुडे वार्डों में जाकर स्थिति को नियन्त्रण में कर लिया था। लेकिन धूमल ने अन्तिम दिन जाकर पूरा पासा ही पलट दिया। धूमल के अन्तिम दिन के प्रचार के कारण ही भाजपा को उन पांच वार्डों  में सफलता मिली जो कांग्रेस के पक्के गढ़ माने जाते थे। इस परिदृश्य में यह स्पष्ट हो जाता है कि भापजा को विधान सभा चुनावों के लिये नेतृत्व के प्रश्न पर शुरू से ही दो टूक फैसला प्रदेश की जनता के सामने रखना होगा। सामुहिक नेतृत्व की रणनीति से भाजपा को लाभ मिलना आसान नही होगा।

दावों और वायदों के आईने में नगर निगम का पिछला कार्यकाल

शिमला/शैल। नगर निगम शिमला पर केवल चार पार्षदों के सहारे पूरे पांच वर्ष तक इसकी सत्ता पर काबिज माकपा का यह कार्यकाल कैसा रहा। क्या-क्या दावे और वायदे शिमला की जनता से किये गये तथा कितने सही मायनों में हकीकत बन पाये यह जानना शहर के मतदाताओं का अधिकार और कर्तव्य दोनों एक बराबर है। इस कामकाज का मूल्यांकन करने के लिये पिछले सदन के स्वरूप पर भी नजर डालना आवश्यक है। निगम के पिछले हाऊस में वार्डो की संख्या 25 थी जो अब बढ़कर 34 हो गयी है। पिछली बार भाजपा सरकार के शासनकाल में यह चुनाव हुए थे और मेयर तथा डिप्टी मेयर सीधे मतदान से चुने गये थे लेकिन इस सीधे मतदान में इन दोनों पदों पर माकपा का कब्जा हो गया। भाजपा और कांग्रेस को इन दोनों पदों में से एक भी नहीं मिल पाया जबकि निगम की सत्ता पर कांग्रेस का ही कब्जा रहता आया था। भाजपा को पार्षदों में तो बहुमत मिल गया था कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी। निगम के इस स्वरूप से यह स्पष्ट हो जाता है कि इसके बजट को पारित करने में और कामकाज के लिये लाये गये हर प्रस्ताव को तब तक पारित नही किया जा सकता था जब तक इसके लिये भाजपा और कांग्रेस का पूरा-पूरा सहयोग/समर्थन निगम के हाऊस को न मिलता।
भाजपा और कांग्रेस का यदि एक भी योजना/प्रस्ताव पर समर्थन न मिल पाता तो यह हाऊस अपना कार्यकाल पूरा कर ही नही सकता था। भाजपा या कांग्रेस ने इस पांच वर्ष के कार्यकाल में एक बार भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं रखा है। यदि एक बार भी यह दोनों दल ऐसा प्रस्ताव लाते तो सदन की सत्ता गिर जाती और पुनः चुनावों की नौबत आ जाती। लेकिन ऐसा हुआ नही है इस नाते आज निगम के सदन में जो भी प्रस्ताव पारित हुए हैं उनमें से कितने हकीकत में पूरे हो पाये हैं इसके लिये माकपा के मेयर और डिप्टी मेयर के साथ-साथ भाजपा और कांग्रेस भी बराबर के जवाब देह बनते है। अब हो रहे निगम चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के कई पूर्व पार्षद तथा कुछ के परिवार के सदस्य प्रत्याक्षी बन सामने हैं। शिमला की जनता इनसे इनके पांच वर्ष के कामो का लेखा-जोखा मांग रही है।
शहर की समस्याओं में पेयजल, स्वच्छता और पार्किंग सबसे प्रमुख है। शहर के गरीबों और बेरोजगारों के लिये क्या किया गया यह भी एक बड़ा सवाल रहा है। निगम के हाऊस में इन समस्याओं पर बड़े-बडे़ प्रस्ताव पारित हुये हैं। इनक कार्यान्वयन के लिए बड़े-बडे़ दावे/वायदे सदन में किये गये हैं। आज इस चुनाव के मौके पर शैल इनमें से कुछ प्रस्ताव जो सदन में पारित हुए हैं उन्हें अपने पाठकों के सामने रख रहा है। इन प्रस्तावों की याद ताजा कराने का यही प्रयोजन है कि मतदान स्वयं अपने चारों ओर देखकर इनकी हकीकत का अनुमान लग सके।
पार्किंग को लेकर घोषणाएं
2013-14
शहर में पार्किंगों की सुविधा हेतू तथा पर्यटन के दृष्टिगत छोटा शिमला, लिफ्ट के पास, नजदीक रा.वरि.मा.पाठशाला सर्कूलर रोड़ संजौली और विकास नगर में लगभग 1512 गाड़ियों के लिये बी.ओ.टी. के आधार पर पार्किंग स्थलों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। पार्किगों के साथ-साथ इन पार्किंग स्थलों पर पर्यटकों व लोगों की सुविधा हेतू व्यवसायिक परिसर भी बनाने का प्रावधान है। अन्य वार्डो में भी पार्किंगों की सम्भावनाए तलाशी जा रही है।
वर्ष 2014-15
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, संजौली के समीप 2500 वर्ग मीटर क्षेत्र पर 24 करोड़ 70 लाख की अनुमानित लागत से 400 वाहनों के लिए पी.पी.पी. आधार पर पार्किंग का निर्माण प्रगति पर है। इसमें लगभग 40 हजार वर्ग फुट व्यवसायिक क्षेत्र प्रस्तावित है। 30 वर्षो की कन्सैशन अवधि में नगर निगम को प्रति वर्ष रू. 96 लाख की आमदनी होगी, जो प्रति 2 वर्षो में 10 प्रतिशत बढ़ेगी। प्रस्तावित नौ मंजिला परिसर वाले भवन में से लगभग 150 वाहनों की पार्किंग क्षमता वाली तीन मंजिलों को शीघ्र ही जनसाधारण के लिए खोल दिया जाएगा। वित्त वर्ष 2014-15 में सम्पूर्ण रूप से कार्य कर लिया जाएगा।
लिफ्ट के समीप 6471.24 वर्गमीटर क्षेत्र पर 46 करोड़ 11 लाख की अनुमानित लागत से 700 वाहनों के लिए पार्किंग का निर्माण कार्य प्रगति पर है। 30 वर्षो की कन्सैशन अवधि में नगर निगम को प्रतिवर्ष रू. 1 करोड़ की आय होगी जोकि प्रति 2 वर्षो में 10 प्रतिशत बढे़गी, परिसर में 40 हजार वर्गफुट व्यवसायिक क्षेत्र बनाया जाएगा। छः मंजिला निर्माणाधीन परिसर की चार मंजिलें वित्त वर्ष 2014-15 के अन्त तक पूर्ण हो जाएगी।
विकासनगर में 1062 वर्ग मीटर क्षेत्र पर 174 वाहनों की पार्किंग क्षमता वाले परिसर का निर्माण कार्य मार्च, 2014 मेें प्रारम्भ किया जा रहा है। 40 वर्षो की कन्सैशन अवधि में नगर निगम शिमला को प्रतिवर्ष रू. 16 लाख आमदनी होगी, जो प्रति 3 वर्षो में 10 प्रतिशत बढ़ेगी।
सब्जी मण्डी मैदान में लगभग 100 करोड़ की लागत से डी.बी.ओ.टी. आधार पर HPIDB के माध्यम से प्रस्तावित बहु उद्देेशीय परिसर की औपचारिकताएं पूर्ण की जा रही हैं ताकि सितम्बर, 2014 तक कार्य आरम्भ करने का लक्ष्य है। कार्य पूर्ण होने पर नगर निगम को न्यूनतम 2 करोड़ प्रतिवर्ष आय का अनुमान है।
वित्त वर्ष 2014-15 में ढली में डी.बी.ओ.टी. आधार पर पार्किंग सुविधा सहित बहुउद्देशीय परिसर का निर्माण कार्य आरम्भ किया जाएगा। सामुदायिक भवन न्यू शिमला का विस्तारीकरण, भराड़ी में सामुदायिक भवन का निर्माण पूर्ण करना, खलीनी, चक्कर, ढली टनल के समीप तथा कैथू में बहुउद्देशीय परिसरों का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
नगर निगम शिमला द्वारा वर्तमान में 15 कार पार्किग तथा 5 रोड़ साईड पार्किग चलाई जा रही है। जिनसे वार्षिक 1 करोड़ 20 लाख की आमदनी हो रही है। वर्ष 2014-15 में 5 पार्किंग गृृह रक्षा विभाग के माध्यम से एवं सी.सी.टी.वी. कैमरा, बूम बेरियर, एल.ई.डी. स्क्रीन, कम्पयुटर जैनेरेटिड रसीद इत्यादि की सुविधा सहित चलाने की प्रस्तावना है ताकि शहरवासियों एवं पर्यटकों को सुविधा प्रदान की जा सके।
कम जगह में अधिक वाहनों की पार्किंग सुविधा प्रदान करने के लिए वर्ष 2014-15 में बहुमंजिल स्मार्ट पार्किंग बनाने की भी प्रस्तावना है।
नगर निगम शिमला की परिधि में लगभग 5000 वाहनों की क्षमता वाले 61 पार्किंग स्थलों को चिन्हित किया गया है तथा भूमि हस्तान्तरण की प्रक्रिया प्रगति पर है। औपचारिकताएं पूर्ण होने पर पार्किंग स्थल विकसित किए जाएंगे। पर्यटक सूचना केन्द्र के समीप पर्यटन विभाग के साथ से लगभग 1000 वाहनों की पार्किंग का निर्माण आरम्भ किया जाएगा।
वर्ष 2015-16
कसुम्पटी में रानी ग्राउण्ड में एक बहु-उद्देश्य आधुनिक पार्क का विकास करने के लिए हि.प्र. लोक निर्माण विभाग के आर्कीटेक्ट विंग की सहायता से नगर निगम शिमला द्वारा राशि 1 करोड़ 29 लाख की लागत का प्राकलन बनवाया है। जिसमेंgates, toilet block, harvesting tank, railings, park equipment plantations इत्यादि बनाये जाने प्रस्तावित हैं तथा जिसके लिए सतलुज जल विद्युत निगम लि. से धन की उपलब्धता बारे पत्राचार द्वारा सम्पर्क किया गया है। इस पार्क के बनने से समाज के सभी लोग लाभान्वित होगें तथा क्षेत्र का सौन्दर्य बढे़गा। इस पार्क का निर्माण शीघ्र आरम्भ किया जाएगा। इसके अतिरिक्त कनलोग में पार्क व पार्किंग का निर्माण करने की प्रस्तावना है।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला संजौली के समीप 2500 वर्ग मीटर क्षेत्र पर 24 करोड़ 70 लाख की अनुमानित लागत से 400 वाहनों के लिए पी.पी.पी. आधार पर पार्किंग का निर्माण प्रगति पर है। इसमें लगभग 40 हजार वर्ग फुट व्यवसायिक क्षेत्र प्रस्तावित है। 30 वर्षों की कन्सैशन अवधि में नगर निगम को प्रति वर्ष 96 लाख की आमदनी होगी, जो प्रति 2 वर्षों में 10 प्रतिशत बढ़ेगी। प्रस्तावित नौ मंजिला परिसर वाले भवन में से लगभग 250 वाहनों की पार्किंग क्षमता वाली चार मंजिलों को शीघ्र ही जनसाधारण के लिए खोल दिया जाएगा तथा पूरे प्रोजैक्ट का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण कर लिया जाएगा।
छोटा शिमला में 1832 वर्ग मीटर क्षेत्र में 11 करोड़ 68 लाख की अनुमानित लागत से 250 वाहनों के लिए पार्किंग का निर्माण पी.पी.पी. आधार पर प्रगति पर है। 30 वर्षों की कन्सैशन अवधि में नगर निगम को 36 लाख प्रतिवर्ष की आय होगी, जोकि प्रति दो वर्षो में 10 प्रतिशत बढ़ेगी। परिसर में लगभग 30 हजार वर्गफुट व्यवसायिक क्षेत्र प्रस्तावित है तथा इस पूरे प्रोजैक्ट का निर्माण कार्य जून, 2015 तक पूर्ण कर लिया जाएगा।
लिफ्ट के समीप 6471.24 वर्गमीटर क्षेत्र 46 करोड़ 11 लाख की अनुमानित लागत से 700 वाहनों के लिए पार्किंग का निर्माण कार्य प्रगति पर है। 30 वर्षो की कन्सैशन अवधि में नगर निगम को प्रतिवर्ष 1 करोड़ की आय होगी जोकि प्रति 2 वर्षो में 10 प्रतिशत बढे़गी, परिसर में लगभग 40 हजार वर्गफुट व्यवसायिक क्षेत्र बनाया जाएगा तथा इस का निर्माण कार्य वित्त वर्ष 2015-16 के अन्त तक पूर्ण होने की सम्भावना है।
विकासनगर में 1062 वर्ग मीटर क्षेत्र पर 174 वाहनों की पार्किंग क्षमता वाले परिसर का निर्माण कार्य सरकार से नक्शों की स्वीकृति प्राप्त होने पर शीघ्र ही प्रारम्भ कर दिया जाएगा। 40 वर्षो की कन्सैशन अवधि में नगर निगम शिमला को प्रतिवर्ष 16 लाख आमदनी होगी, जो प्रति 3 वर्षो में 10 प्रतिशत बढ़ेगी।
नगर निगम द्वारा शिमला शहर के लोगों व सैलानियों के लिए पर्यटक सूचना केन्द्र बायपास रोड़ टूटीकण्डी से रिज वाया नगर निगम पार्किंग हाई कोर्ट, रोप-वे को पी.पी.पी. के आधार पर बनाने हेतू एच.पी.आई.डी.बी. द्वारा निविदाएं बुला करके खोल दी गई हैं तथा उन पर विभागीय कार्यवाही की जा रही है। इस रोप-वे को बनाने के लिए जिन स्थानों का चयन किया गया है उनसे सम्बन्धित राजस्व कागजात एकत्रित किए जा रहे हैं तथा जहाॅं-जहां पर वन भूमि आने की सम्भावना है, उसका एफ.सी.ए. के अन्तर्गत स्वीकृति हेतु मामला वन विभाग से उठाया जाएगा। आगामी वित्त वर्ष में इसका निर्माण कार्य शुरू करने की प्रस्तावना है तथा इस रोप-वे से शहर के विकास के लिए 11 करोड़ प्रतिवर्ष नगर निगम को आय प्राप्त होगी।
नगर निगम शिमला द्वारा पार्किंग की समस्या को देखते हुए शहर के विभिन्न स्थानों में पार्किंग की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए कैथू में मौरनिंग व्यु के पास, स्नो व्यु के पास, केपिटल होटल के नीचे पुलिस लाईन कैथू सड़क पर, बालूगंज चैक पर, प्राईमरी स्कूल, चक्कर नजदीक हवाघर, बालूगंज बाजार नजीदक पुलिस स्टेशन, हनुमान मन्दिर खलीनी, सेन्ट जेवियर स्कूल, संजोली तथा ढली में सामुदायिक भवन के नजदीक पार्किंग का निर्माण करने के लिए स्थान चयनित किए गए। इन सभी चयनित पार्किंग स्थलों को पी.पी.पी. के आधार पर निर्माण करने की योजना है। जैसे ही इन चयनित स्थलों की भूमि सम्बन्धी औपचारिकताएं पूर्ण होगी। आगामी वित्त वर्ष 2015-16 में इनके पी.पी.पी. आधार पर निर्माण हेतू प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इसके अतिरिक्त न्यु शिमला में सेक्टर-II बस स्टैण्ड के नजदीक पार्किंग का निर्माण करने की प्रस्तावना है।
शिमला शहर में पार्किंग समस्या से निजात पाने के लिए कार्ट रोड़ पर जहाॅं-जहां पर सड़क की चैड़ाई ज्यादा है वहां पर येलो लाईन लगाकर के गाड़ियाॅं पार्क करने का प्रावधान किया जाएगा। इससे सम्बन्धित मामला लोक निर्माण विभाग से उठाया गया है। लोक निर्माण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र आने पर 850 गाड़ियों के लिए पार्किंग की सुविधा उपलब्ध होगी तथा साथ में नगर निगम की आय में भी बढ़ौतरी होगी।
शिमला शहर मंें पार्को के निर्माण हेतु विभिन्न वार्डों में 40 स्थानों का चयन किया गया है। इनमें से जिन स्थानों पर भूमि की स्थिति स्पष्ट थी तथा जिसमें किसी तरह की वन भूमि सम्बन्धी राजस्व विवाद नहीं था उन चयनित स्थानों पर सतलुज जल विद्युत निगम लि. की वित्तीय सहायता से 5 पार्को का निर्माण किया जा रहा है, उनमें से 3 पार्क का न्यु शिमला में, 1 का फलावरडेल में निर्माण किया जा चुका है तथा ढिंगुधार में कार्य प्रगति पर है। सतलुज जल विद्युत निगम लि. द्वारा शिमला में पार्कों के निर्माण हेतू 3 करोड़ 35 लाख की सहमति दी गई थी, जिसमें से लगभग 26 लाख की राशि नगर निगम को उपलब्ध करवा दी गई है। इसके अतिरिक्त अन्य स्थानों में पार्क बनाने की सूची भी सतलुज जल विद्युत निगम लि. को उपलब्ध करवाई गई है। जिसके लिए उनसे पुनः वित्तीय सहायता हेतू आग्रह किया गया है।
स्थानीय लोगों व पर्यटकों के लिए विशेषतया महिलाओं एवं बच्चों के मनोरंजन के लिए रानी झाॅंसी पार्क में लगभग 4 करोड़ की लागत से कृृत्रिम बर्फ स्केटिंग, स्पोटर्स, डांसिंग इत्यादि का टर्फ तैयार किया जाएगा।
वर्ष 2016-17
नगर निगम द्वारा आई.जी.एम.सी कैंसर अस्पताल के नजदीक 800 वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा प्रदान करने की योजना है। जिसके लिए स्थान चयनित किया जा चुका है तथा एफ.सी.ए. के लिए विभागीय कार्यवाही चल रही है।
लिफ्ट के समीप 6471.24 वर्गमीटर क्षेत्र 46 करोड़ 11 लाख की अनुमानित लागत से 700 वाहनों के लिए पार्किंग का निर्माण कार्य प्रगति पर है। 30 वर्षो की कनसैशन अवधि में नगर निगम को प्रतिवर्ष 1 करोड़ की आय होगी जोकि प्रति 2 वर्षो में पिछले वर्ष की राशि पर 10 प्रतिशत बढे़गी, परिसर में लगभग 40 हजार वर्गफुट व्यवसायिक क्षेत्र बनाया जाएगा तथा इस का निर्माण कार्य वित्त वर्ष 2016-17 के अन्त तक पूर्ण होने की सम्भावना है।
विकासनगर में 1062 वर्ग मीटर क्षेत्र पर 174 वाहनों की पार्किंग क्षमता वाले परिसर का निर्माण कार्य के लिए सरकार से नक्शों की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है तथा सम्बन्धित कम्पनी को करारनामा के अनुसार औपचारिकताएं पूर्ण करने तथा कार्य शुरू करने के दिशा-निर्देश दिए गए है। इसका निर्माण कार्य शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा। 40 वर्षो की कनसैशन अवधि में नगर निगम शिमला को प्रतिवर्ष 16 लाख आमदनी होगी, जो प्रति 3 वर्षो में 10 प्रतिशत बढ़ेगी।
एशियन डवैल्पमेन्ट बैंक के सहयोग से टूटीकण्डी बायपास पर बहुमंजिला पार्किंग व परिसर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इस परियोजना पर राशि 64.3 करोड़ रूपये व्यय किए जा रहे है। इसके अतिरिक्त एशियन डवैल्पमेन्ट बैंक के सहयोग से टाऊन हाल का जिर्णोद्धार 8 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। आगामी वित्त वर्ष में टाऊन हाल को आधुनिक रूप देकर कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा तथा नगर निगम शिमला पुनः अपना कार्य इसमें आरम्भ कर देगा। माल रोड़ पर किए जा रहे सौंदर्यकरण के कार्य प्रगति पर है तथा प्रथम चरण का कार्य इस वित्त वर्ष में पूर्ण कर लिया जाएगा।
पेयजल को लेकर हुई घोषणाएं
वर्ष 2013-14
शिमला शहर के विभिन्न क्षेत्रों में समुचित जलापूर्ति सुनिश्चित करने के दृष्टिगत नई पानी की लाईने बिछाने पर राशि 34.59 लाख खर्च किए गये हैं व सिवरेज लाईने बिछाने के लिए राशि 112.50 लाख खर्च किए जा चुके हैं तथा जन-सुविधाओं के रख-रखाव पर 27.95 लाख रूपये खर्च किए जा चुके हैं।
जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन के अन्र्तगत भारत सरकार द्वारा पेयजल योजना के कायाकल्प तथा मल निकास प्रणाली के नवीकरण एवं जिन क्षेत्रों में सिवरेज की व्यवस्था नहीं है वहाॅं पर सिवरेज व्यवस्था के कायाकल्प व गल-सड़ गई पाईपों को बदलने हेतु स्वीकृत डी.पी.आर. का मामला प्रदेश सरकार से उठाया गया है तथा इन प्रोजैक्टों को पी.पी.पी. के आधार पर न कार्यान्वित किया जाए व नगर निगम द्वारा स्वयं कार्यान्वित करने हेतू स्वीकृत करने की मांग की गई है। सरकार से स्वीकृति प्रदान होते ही इन प्रोजैक्टों के कार्यान्वयन की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी जायेगी।
वर्ष 2014-15
चालू वित्त वर्ष में पानी की लाईनों को बिछाने तथा सुधार हेतु 1 करोड़ 51 लाख तथा सीवरेज व्यवस्था के लिए 2 करोड़ 11 लाख व्यय किए गए। शौचालय निर्माण पर 38 लाख 92 हजार व्यय किए गए हैं। तवी स्थित टैंक को चालू करके तथा नई वितरण लाईने बिछाकर टुटू क्षेत्र में पानी के कुनैक्शन दिए गए हैं।
लगभग 1 करोड़ की लागत से संजौली भण्डारण टैंक को कसुम्पटी टैंक से एक नई लाईन बिछाकर जोड़ा गया है।
संजौली में ढिंगुधार पम्प में क्षमता सुधार तथा भण्डारण टैंक का निर्माण करके 75 लाख की राशि व्यय कर सितम्बर, 2014 में चालू करने की प्रस्तावना है। इससे संजौली, ढली व चम्याणा वार्डो में जल आपूर्ति सुचारू की जाएगी।
वर्ष 2014-15 में लगभग 14 लाख की लागत से टका बैंच तथा महात्मा गाॅंधी की प्रतिमा के समीप तीन फवारें लगाए जाने प्रस्तावित है।
नगर निगम शिमला की परिधि के भीतर तथा बाहर पेयजल आपूर्ति की घरेलू तथा व्यवसायिक दरों को युक्तिसंगत बनाया जाएगा।
वर्ष 2015-16
चालू वित्त वर्ष में नगर निगम शिमला में सम्मिलित नए क्षेत्रों में 746 नए पानी के कुनैक्शन तथा 248 सीवरेज के कुनैक्शन लगाए गए हैं, जिससे शहर में 28140 पानी के तथा 11069 सीवरेज कुनैक्शन हो गए हैं।
इस चालू वित्त वर्ष में पानी की लाईनों को बिछाने तथा सुधार हेतु 157.37 लाख तथा सीवरेज व्यवस्था के लिए 225.59 लाख व्यय किए गए। शौचालय निर्माण पर 25.56 लाख व्यय किए गए हैं।
नगर निगम द्वारा संजौली, ढली व चम्याणा वार्डों के क्षेत्रों में जलापूर्ति सुनिश्चित करने के दृष्टिगत राशि 75 लाख की लागत से संजौली में ढिंगुधार पम्प हाउस के संवर्धन एवं उठाऊ पेयजल योजना का कार्य प्रगति पर है तथा इसका राईजिंग-मेन व पम्पिंग मशीनरी का कार्य पूर्ण कर दिया गया है। शीघ्र ही बिजली ट्रांसफारमर लगने के उपरान्त पेयजल आपूर्ति आरम्भ कर दी जाएगी। इसके अतिरिक्त 5 लाख लीटर क्षमता वाले भण्डारण टैंक के निर्माण की निविदाएं आमन्त्रित की जा चुकी हैं।
विकासनगर, पट्टी रझाणा, मल्याणा, संकटमोचन, महावीर घाटी, घोड़ा चैकी तथा संदल चक्कर क्षेत्रों में सीवरेज की सुविधा उपलब्ध करने के उद्देश्य से नई सीवरेज लाईनें बिछाई गई हैं। जिन पर 1,75,93,533/-व्यय किए गए।
टुटू वार्ड के अन्तर्गत शिव नगर, विजयनगर इत्यादि क्षेत्रों में चली आ रही पानी की समस्या को लेकर नगर निगम द्वारा इस चालू वित्त वर्ष में जल वितरण प्रणाली में सुधार किया गया है।
शिमला शहर में पानी की आपूर्ति में सुधार के लिए राशि 335.77 करोड़ की लागत से विस्तृत पेयजल परियोजना (DPR) तैयार की गई है और इस परियोजना के लिए वल्र्ड बैंक/जेईका/ए.डी.बी. से धन उपलब्ध करवाने हेतु मामला भारत सरकार के आर्थिक मामले विभाग को भेजा जा रहा है। 

वर्ष 2016-2017
इस चालू वित्त वर्ष में पानी की नई लाईनों को बिछाने तथा सुधार हेतु 75.78 लाख तथा सीवरेज व्यवस्था के लिए 221.56 लाख अभी तक व्यय किए जा चुके है। इसके अतिरिक्त शौचालय निर्माण पर 25.00 लाख व्यय किए गए।
75 लाख की लागत से संजौली में ढिंगुधार पम्प हाउस से उठाऊ पेयजल योजना का कार्य पूर्ण कर दिया गया है तथा 5 लाख लीटर क्षमता वाले भण्डारण टैंक का निर्माण कार्य प्रगति पर है। जिसे शीघ्र ही पूर्ण कर दिया जाएगा। जिसके बनने से संजौली, ढली व चम्याणा वार्डो के क्षेत्रो में जल आपूर्ति को सुचारू कर दिया जाएगा।
टूटू क्षेत्र के स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए 26 करोड़ रूपये की लागत से सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लांट का निर्माण कार्य सिचाई एवं जन-स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा रहा है तथा इसके लिए नगर निगम शिमला द्वारा 19 करोड़, 42 लाख, 2 हजार 958 रूपये सिंचाई एवं जन-स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करवा दिए गए हैं।
नगर निगम शिमला द्वारा शिमला शहर में जलापूर्ति व सीवरेज नेटवर्क के कायाकल्प हेतू 623 करोड़ रूपये की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट सिंचाई एंव जन-स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से बनवाकर राज्य सरकार के माध्यम से केन्द्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय को भेजी गई थी। जो जून, 2015 में केन्द्र सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग ने फण्डिंग हेतू पारित कर दी है। राज्य सरकार से आग्रह किया जाता है कि इस पर शीघ्र कार्यवाही की जाए ताकि शहर में जल आपूर्ति व सीवरेज की व्यवस्था सुचारू की जा सके।
सिवरेज को लेकर घोषणाएं
वर्ष 2013-14
शहर में विभिन्न स्थानों पर स्थानीय लोगों एवं पर्यटकों की सुविधा हेतू इस वित्तीय वर्ष में 5 नये सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण आर.टी.ओ. के समीप, न्यू शिमला, रामनगर, नजदीक राजकीय माध्यमिक पाठशाला संजौली, विक्ट्री टनल तथा संस्कृत कालेज फागली में किया गया। इसके अतिरिक्त रूल्दू भट्ठा, घोड़ा सराय, रिज, जाखू मन्दिर व शेरे पंजाब में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण प्रगति पर है तथा लोअर बाजार नत्थू हलवाई के पास पुराने शौचालय को आधुनिक शौचालय बनाया जाना प्रस्तावित है।
वर्ष 2014-15
शिमला शहर में 130 सार्वजनिक शौचालय हैं, जिनमें से 110 का रख-रखाव सुलभ इन्टरनेशनल संस्था द्वारा किया जा रहा है। जी.आई.जेड. के सहयोग से 26 शौचालय के नवनिर्माण/जीर्णोद्धार की विस्तृृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की गई है। वित्त वर्ष 2014-15 में शौचालयों के रख-रखाव हेतु कलस्टर बेसिज पर निविदाएं आमन्त्रित करने की प्रस्तावना है। जन शिकायत निवारण हेतु एस.एम.एस. द्वारा शौचालयों से सम्बन्धित सुझाव भी आमन्त्रित किए जाएंगे।
चालू वित्त वर्ष में 6 नए सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया तथा 6 अन्य का निर्माण प्रगति पर है तथा रिज, लालपानी, नजदीक शेरे पंजाब, भराड़ी नजदीक गवर्नमेन्ट स्कूल, लोअर खलीनी, न्यु शिमला सेक्टर-2, सब्जी मण्डी से नीचे तथा संजौली चैक पर सार्वजनिक शौचालय का जिर्णोद्धार किया गया है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2014-15 में नजदीक लिफ्ट, घोड़ा सराए, जाखू मन्दिर, अनाडेल चैक, नजदीक ताराहाल स्कूल, मोती मस्जिद लोअर बाजार, केथू बाजार तथा कच्ची घाटी में नए सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण प्रस्तावित है।
नगर निगम द्वारा शहर में 39 सार्वजनिक शौचालयों के जिर्णोद्धार पर राशि 66 लाख का व्यय किया जायेगा।
नगर निगम शिमला में रिज मैदान पर लगभग 17 लाख की लागत से महिलाओं, पुरूषों एवं बच्चों के लिए तीन ई.-शौचालयों का निर्माण वर्ष 2014-15 में पूर्ण किया जाएगा।
चालू वित्त वर्ष में नगर निगम शिमला में सम्मिलित नए क्षेत्रों में 759 नए पानी के कुनैक्शन तथा 244 सीवरेज के कुनैक्शन लगाए गए हैं, जिससे शहर में 27124 पानी के तथा 10512 सीवरेज कुनैक्शन हो गए हैं।
शिमला शहर में 130 सार्वजनिक शौचालय हैं, जिनमें से 110 का रख-रखाव सुलभ इण्टरनेशनल संस्था द्वारा किया जा रहा है। जी.आई.जैड. के सहयोग से 26 शौचालयों के नवनिर्माण/जीर्णोद्धार की विस्तृृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की गई है। वर्ष 2015-16 में शौचालयों के रख-रखाव हेतु क्लस्टर बेसिज पर निविदाएं आमन्त्रित की जा रही हैं। सामुहिक सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) से इनके संचालन हेतु धन के प्रावधान की प्रस्तावना है।
चालू वित्त वर्ष में 5 नए सार्वजनिक शौचालयों का पुनर्निर्माण किया गया है, जिसमें से घोड़ा सराय के समीप एक महिला एवं एक पुरूष, रिज, नजदीक मोती मस्जिद तथा नजदीक लिफ्ट पार्किंग का कार्य पूरा हो चुका है तथा ताराहाल स्कूल के नजदीक शौचालय का कार्य लगभग पूर्ण होने जा रहा है। इसके अतिरिक्त बंगाला कालौनी संजौली, जाखू मंदिर, गौसाई का अहत्था जाखू, अनाडेल, कैथू बाजार, बंगाला कालौनी टूटू, घोड़ा चैकी में दो तथा आॅकलैण्ड टनल के पास नये सार्वजनिक शौचालय बनाये जाने प्रस्तावित हैं।
नगर निगम शिमला में रिज मैदान पर लगभग 18 लाख की लागत से महिला, पुरूष एवं बच्चों के लिए तीन ई.-शौचालयों का निर्माण वर्ष 2015-16 में किया जाना प्रस्तावित है।
शिमला शहर के विभिन्न वार्डो में कई स्थानों पर सीवरेज लाईनों की क्नैक्टिविटी मिसिंग व गल-सड़ गई है। इसके कायाकल्प के लिए 170.35 करोड़ की विस्तृृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर दी गई है तथा मामला शीघ्र ही आर्थिक मामले विभाग, भारत सरकार को वल्र्ड बैंक/जेईका/ए.डी.बी. द्वारा धन उपलब्ध करवाने हेतु भेजा जा रहा है।
वर्ष 2016-2017
शिमला शहर में 125 सार्वजनिक शौचालय हैं जिनमें से 102 का रख-रखाव सुलभ इन्टरनेशनल संस्था द्वारा किया जा रहा है। इस वित्त वर्ष में जिन शौचालयों में मुरम्मत इत्यादि की आवश्यकता है उनका जिर्णोद्धार व मुरम्मत का कार्य किया जाएगा।
इस चालू वित्त वर्ष ताराहाल स्कूल के सामने व ढली टनल के पास बने पुराने शौचालयों का पुनर्निर्माण किया गया। इसके अतिरिक्त आगामी वर्ष में आॅकलैण्ड टनल के पास तथा ढली में नए सार्वजनिक शौचालय का निर्माण व कैथू बाजार में पुराने सार्वजनिक शौचालय का जिर्णोद्धार किया जाना प्रस्तावित है।
वर्ष 2016-17 में रिज मैदान पर लगभग 18 लाख की लागत से महिला व पुरूष ई-शौचालयों का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाएगा। इन शौचालयों के लिए साईट डवेल्पमेन्ट का कार्य प्रगति पर है। इसके अतिरिक्त छोटा शिमला में भी ई-शौचालय बनाया जाना प्रस्तावित है।
वर्ष 2015-16 में नगर निगम शिमला द्वारा 758 नए पानी के कुनैक्शन तथा 111 सीवरेज के कुनैक्शन लगाए गए है, जिससे शहर में कुल 28998 पानी के तथा 11280 सीवरेज कुनैक्शन हो गए है। जिन लोगों के पास पानी व सीवरेज के कुनैक्शन नहीं है उन्हें कुनैक्शन उपलब्ध करवाने हेतू हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1994 के तहत उप-नियमों में संशोधन किया गया है।
अन्य घोषणाएं
वर्ष 2014-15
नगर निगम शिमला के अन्र्तगत छः एसकेलेटरज: (i) लिफ्ट से माल रोड़ वाया सब्जी मण्डी मैदान, (ii) लक्कड़ बाजार बस अड्डा से रिज मैदान/माल रोड़ (iii) लोअर बाजार से माल रोड़ (इन्दिरा चैक) (iv) लोअर बाजार से माल रोड़ (जैन मन्दिर के समीप), (v) रेलवे स्टेशन से माल रोड़ (iv) आॅकलैण्ड टनल से लक्कड़ बाजार स्थापित करने की योजना HPIDB को माननीय सदन के अनुमोदन के उपरान्त प्रेषित की गई है। औपचारिकताएं पूर्ण की जा रही हैं। वर्ष 2014-15 में कार्य पूर्ण करने का सतत् प्रयास किया जाएगा। निगम की आय में वृद्धि जनसुविधा, पर्यटक-आकर्षण, आधुनिकीकरण इत्यादि ध्येयों की पूर्ति होगी।
नगर निगम शिमला के अधीन अन्तर्राष्ट्रीय राज्य बस स्टैण्ड टूटीकण्डी-लिफ्ट-रानी झाॅंसी पार्क रोप-वे परियोजना के लिए HPIDB द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने का कार्य प्रगति पर है। वर्ष 2014-15 के अन्त तक इस परियोजना को पूर्ण करने का प्रयास किया जाएगा। शहर में ट्रैफिक समस्या में वांछित सुधार व इसके अतिरिक्त स्थानीय जनता एवं पर्यटक इस परियोजना से लाभान्वित होंगे।
नगर निगम ने हि. प्र. लोक निर्माण विभाग के सहयोग से 163 करोड़ 52 लाख की अनुमानित लागत से प्रस्तावित आई.जी.एम.सी. से हिमफैड पैट्रोल पम्प टनल तथा सर्कुलर रोड़ के साथ लगते पैदल रास्तों के निर्माण हेतु 12 करोड़ 58 लाख की योजना केन्द्र सरकार को प्रेषित की गई है। भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में ओवर ब्रिज बनवाने तथा शहर की सड़कों, सम्पर्क मार्गों एवं रास्तों के कायाकल्प की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2014-15 में धन का प्रावधान होने पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
वर्ष 2015-16
ऐतिहासिक रिज मैदान में प्रमुख रूप से भूस्खलन रोकने के आश्य से एवं आय सृजन के उद्देश्य से लगभग 20 करोड़ की अनुमानित लागत से पार्क, दुकानों, मल्टीपलैक्स, स्काईवाक, लिफ्ट, फूड कोर्ट इत्यादि की सुविधा से सुसज्जित बहु-उद्देशीय परिसर की परिकल्पना अन्तिम चरण मे है तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का डिजाईन व माॅडल विकसित किया जा रहा है ताकि रिज मैदान का संरक्षण हो सके तथा जनाकर्षण का केन्द्र बिन्दु प्रस्तुत किया जा सके। प्रदेश सरकार की अनुमति प्राप्त होते ही इस परिसर का कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा।
नगर निगम में 2 करोड़ 80 लाख की लागत से सोलर सिटी मिशन के अन्तर्गत सोलर पावर प्लांट का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जिसके लिए स्थान का चयन किया जा रहा है।
शहर के विभिन्न वार्डों में 1000 सोलर स्ट्रीट लाईटें लगाने का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। साथ ही 1700 सोलर होम लाईट स्लम एरिया में लगाने के लिए भी अग्रसर है।
शिमला शहर में यातायात की समस्या से निजात पाने के लिए दो अन्य रोप-वे तारादेवी से कुफरी वाया संकट मोचन, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, पुराना बस अड्डा, जाखू मन्दिर तक तथा तारादेवी रेलवे स्टेशन से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय वाया कसुम्पटी, छोटा शिमला, टूटीकण्डी, पुराना बस अड्डा तक रोप-वे व दो टनलों का निर्माण लिफ्ट से लक्कड़ बाजार तथा लिफ्ट से हिमफैड पम्प नजदीक नवबहार तक बनाने की परियोजना है। इन रोप-वे व टनलों के निर्माण से शिमला शहरवासियों को जहां यातायात की समस्या से निजात मिलेगी, वहीं शहर के पर्यावरण व विकास के साथ-साथ सैलानी भी लाभान्वित होंगे।
वर्ष 2016-17 मे शिमला शहर में 7661 पुरानी स्ट्रीट लाईटों को एल.ई.डी. में बदलने का कार्य प्रस्तावित है तथा 1000 नए एल.ई.डी. स्ट्रीट लाईट प्वाईंट लगाने भी प्रस्तावित है।
सोलर सिटी मिशन के अन्र्तगत 37 लाख की लागत से 20 किलोवाट का सोलर पावर प्लांट एच.आर.टी.सी. कार्यालय व 29 लाख की लागत से 15 किलोवाट का सोलर पावर प्लांट पंचायत भवन में लगा दिए गए है। इसके अतिरिक्त रिज मैदान पर 2.80 करोड़ की लागत से सोलर पावर प्लांट का क्रियान्वयन किया जाना प्रस्तावित है। शीघ्र ही सोलर पावर प्लाॅंट का कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा।

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